स्तन कैंसर के विरुद्ध हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता यह होनी चाहिए की हम संकोच रहित होकर अपने घरों, स्कूल, कॉलेज और स्थानीय कार्यक्रमों के स्तर पर भी इसके कारणों, शुरुआती लक्षणों, जोखिम एवं रोकथाम के बारे में खुलकर बात कर सकें। हमें विशेष तौर पर यह समझने-समझाने की आवश्यकता है कि स्तन कैंसर अनदेखा करने योग्य छोटा जोखिम नहीं है लेकिन यह जानलेवा भी नहीं है यदि मरीज को शुरुआती स्टेज पर समय रहते उचित देखभाल एवं उपचार उपलब्ध कराया जाये।
विभिन्न प्रकार के जागरूक प्रयासों के माध्यम से हम निश्चित ही ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। हाल के समय में महिलाओं में तेजी से बढ़ने वाला ब्रेस्ट कैंसर शहरीकरण, अस्वस्थ जीवन शैली, जंक फूड, घातक दवाइयां, सुस्त दिनचर्या और रूटीन चेकप की अनदेखी जैसे कारणों का परिणाम है, हालांकि जोखिम में कमी को रोकथाम के साथ लागू किया जा सकता है, लेकिन यह रणनीतियां स्तन कैंसर को पूरी तरह से रोक नहीं सकती हैं।
स्तन कैंसर का पता बहुत देर से लगना ही इसे लाइलाज बना देता है । इसलिए, स्तन कैंसर की शुरुआती पहचान ही इसपर नियंत्रण की प्रथम सीढ़ी है।
प्रारंभिक लक्षणों के बारे में जागरूकता और उपचार के आधार पर ही हम महिलाओं और बच्चियों को इसके खतरे से मुक्त कर सकते हैं।
यदि स्तन कैंसर के संकेत और लक्षण पर नजर डाली जाए तो यह सबसे आम तौर पर दर्द रहित गांठ या स्तन में कठोरता से पनपता है। यह अत्यंत ध्यान देने योग्य बात है कि स्तन में एक असामान्य छोटी या मध्यम गांठ को भी अनदेखा न किया जाये और कम से कम समय के भीतर ही मैमोग्राफी सहित डॉक्टर से परामर्श किया जाये भले ही यह गठन दर्द रहित क्यूँ न हो। अधिकांश तौर पर स्तन कैंसर की गठान हल्के दबाव पर भी महसूस की जा सकती हैं और दर्द भी महसूस किया जा सकता है।
यदि हम सामान्य स्तन कैंसर के लक्षणों की चर्चा करें तो इसमें शामिल तत्वों को कम से कम शब्दों में इस तरह दर्शाया जा सकता है -
- एक या दोनों स्तनों में गांठ होना या असामान्य रूप से चर्बी का बढ़ना
- एक स्तन के आकार में परिवर्तन होना
- स्तन की त्वचा में धुंधलापन या लालपन होना
- निप्पल के आसपास की त्वचा में परिवर्तन होना
- असामान्य निप्पल डिस्चार्ज (जैसे हल्का पानी आना)
हालाँकि स्तन में गांठ बनने के और भी कई कारण हैं, जिनमें से अधिकांश कैंसर नहीं हैं। WHO की एक रिपोर्ट के आधार पर 90% से अधिक स्तन गांठ कैंसर नहीं होती। लेकिन उन्हें शुरुआत में ही निकलवा लेना चाहिए क्योंकि यह स्थिति एक समय उपरांत कैंसर ट्यूमर में विकसित हो सकती है।
किसी भी अन्य कैंसर की तरह ही स्तन कैंसर के अलग अलग चरण होते हैं जो न्यूनतम से अधिकतम जोखिम की तरफ जाते हैं। शुरुआत से लेकर अंतिम स्टेज तक ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को सामान्य भाषा में इस तरह से समझा जा सकता है,
स्टेज 0: यह स्तन कैंसर का सबसे पहला चरण है जिसमें कैंसर कोशिकाएं मौजूद हैं लेकिन वे फैल नहीं रही हैं। मेडिकल टर्म्स में इसे नॉन इनवेसिव (DCIS) कहा जाता है। यह स्तन कैंसर का सबसे कम घातक चरण होता है।
स्टेज I: इस चरण का अर्थ यह है कि स्तन का ट्यूमर बहुत छोटा है और वह फैल नहीं रहा है अथवा लिम्फ नोड में थोड़ा सा फैल चुका है। मेडिकल टर्म्स में इसे इनवेसिव कहा जाता है
स्टेज III: यह स्तन कैंसर एक घातक चरण है जिसका अर्थ यह है कि ट्यूमर दूसरे चरण से बड़ा है और / या स्तन या स्तन की हड्डी के आसपास कई लिम्फ नोड्स / या टिशू में फैल गया है। सही इलाज न मिलने पर यह स्थिति भी अत्यंत खतरनाक हो सकती है।
स्टेज IV: यह अंतिम रूप से स्तन कैंसर की सबसे चरम स्थिति है जिसमें कैंसर मेटास्टेसाइज़ (यानि कि शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका है) हो गया है, जिसमें यह आमतौर पर यह हड्डियों, फेफड़े या यकृत को प्रभावित कर चुका होता है। इसे मेटास्टेटिक ब्रैस्ट कैंसर कहा जाता है।
स्तन कैंसर से बचाव कैसे करें: हम और आप बेहद ही साधारण उपायों और देखभाल द्वारा स्तन कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं। बशर्तें हम इन्हें हल्के में न लें एवं पूरी तरह से अपने आसपास की महिलाओं को इनसे अवगत कराएं। किसी भी तरह का धूम्रपान के उपयोग से दूर रहना स्तन कैंसर के खतरे को कम कर देता है क्यूंकि अल्कोहल, सिगरेट या तंबाकू हमारे शरीर की किसी भी बीमारी से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है चाहे वह एक सामान्य फ़्लू हो या कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी।
इसके साथ ही खासकर महिलाओं के मामलों में गर्भावस्था के बाद बढ़ता मोटापा उनके शरीर को कई बीमारियों का घर बना देता है। स्तनपान न कराना अथवा नियमित रूप से न कराना भी स्तन कैंसर के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखना स्तन कैंसर के खिलाफ एक बड़ा कदम है।
एक स्वस्थ आहार, मौसमी फल और सब्जियों को पर्याप्त मात्रा में अपने भोजन में शामिल किया जाना हमारे शरीर को स्फूर्ति दायक बनाता है और नियमित रूप से व्यायाम शरीर को अनगिनत फायदों के साथ पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स युक्त रहता है।
इसके साथ ही हेपेटाइटिस बी और मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) का वैक्सीन कैंसर के किसी भी जोखिम को कम करता है। अल्ट्रावायलेट रेडिएशन और आयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क को कम से कम रखा जाना भी कैंसर से चुने हुए बचावों में शामिल है। साल में एक बार मेडिकल चेकअप (मैमोग्राफी) कराने स्तन कैंसर को मात देने का सबसे कारगर उपाय है जिससे बेहद शुरुआत यानी की स्तन कैंसर की जीरो स्टेज पर इसका पता लगाया जा सकता है। यह निप्पल से असामान्य डिस्चार्ज के रूप में स्तन को प्रभित करता है या छोटी गांठ के रूप में। हालांकि इसे एक छोटी सी सर्जरी के माध्यम से निकाला जा सकता है।
यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि मेमोग्राफी मात्र तीस के ऊपर की महिलाओं को ही नहीं बल्कि प्रत्येक आयु वर्ग की महिलाओं को कराया जाना चाहिए। ऐसे कई मामले देखें गए हैं जब तरह साल की बच्चियों से लेकर तीस साल की महिलाओं को मेमोग्राफी में स्तन में गठान पाई गई हैं। जिन्हें बगैर देर किये निकलवा देना ही समझदारी है। यदि छोटे से छोटा ट्यूमर कैंसर नहीं भी है तब भी हमें यह याद रखना पड़ेगा कि आगे जाकर यह संभावित तौर पर कैंसर के ट्यूमर में विकृत हो सकता है।