गर्भवति महिलाओं के लिए कोरोना टीकाकरण वरदान या अभिशाप
आज सुबह के समाचार ने एक आयु वर्ग के लोगों में आशा की नयी किरण जगा दी थी। हर जगह बस एक ही बात चल रही आने वाली एक मई को अठारह साल से ऊपर सभी के लिए कोरोना का टीकाकरण की अनुमति दे दी गयी थी। सुशीला मन ही मन बहुत खुश थी, कि इस महामारी से वह न केवल खुद को बल्कि अपनी आने वाली संतान को भी बचा सकेगी। पर अगले ही पल उसकी इस इच्छा का सागर सूख गया। गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण की व्यवस्था नहीं थी। अब हज़ारों सवाल उसके मन में उमड़ पड़े। उसने अपना लैपटॉप निकाला और सर्च करने लगी।
सबसे पहली बात जो उसके सामने आई वो थी डब्ल्यूएचओ का गर्भवती महिलाओं के वैक्सीन टीकाकरण को लेकर यू टर्न।
डब्ल्यूएचओ का यू टर्न
पहले डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञों ने कहा था कि गर्भवती महिलाओं को फाइजर (Pfizer) और बायोएनटेक (BioNTech) की वैक्सीन नहीं लगवाने की सलाह दी जाती है, जब तक ये साबित ना हो कि उन्हें संक्रमण होने का अधिक खतरा है. इससे पहले इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने की सलाह दी थी. क्योंकि वहां पैदा होने वाले बच्चे बीमार हो रहे थे. कई मामलों में मां और बच्चे की जान को खतरा होने के कारण सिजेरियन तक किया गया, जिसमें बच्चों का जन्म समय से पूर्व हुआ है.
मंत्रालय ने कहा था कि जिन गर्भवती महिलाओं का 29 से 40 वां हफ्ता चल रहा है, उन्हें वैक्सीन लगाई जा सकती है. लेकिन जिन महिलाओं को गर्भवती हुए 12 हफ्ते पूरे नहीं हुए, उन्हें तब तक वैक्सीन ना लगाई जाए, जब तक संक्रमण होने का खतरा ना हो. ऐसा इसलिए भी कहा गया क्योंकि वैक्सीन से अगर महिला को कुछ नुकसान होता है, तो इसका प्रभाव बच्चे पर पड़ सकता है और गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है.
अमेरिका में भी वैक्सीन लगवाने की सलाह
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी ये बात कही थी कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन दी जानी चाहिए क्योंकि कोविड-19 होने के बाद उनकी हालत गंभीर होने या मौत का खतरा बढ़ जाता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने एक बयान में कहा था, ‘जो लोग गर्भवती हैं और उस समूह का हिस्सा हैं, जिन्हें कोविड-19 वैक्सीन दी जाएगी, उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए चुना जाना चाहिए।
भारत में गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण
काफी लंबे समय से, प्रेग्नेंट महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे वैक्सीन लगवाएं और इसे सुरक्षित भी माना जाता है। हालांकि, कोविड वैक्सीन दूसरी पारंपरिक वैक्सीन की तुलना प्रायोगिक दौर से गुज़र रही है, इसलिए ये गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होगी या नहीं इस पर शोध होना बाकी है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि यह प्रेगनेंसी के वक्त इस्तेमाल के लिए सुरक्षित नहीं है।
इस वक्त ज्यादातर मेडिकल एक्सपर्ट्स कोविड वैक्सीन की खुराक के लिए गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता इसलिए नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि इसको लेकर स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए हो सकता है कि वैक्सीन का असर भी अलग तरह से हो। ये कम असरदार हो, या फिर महिला को असामान्य दुष्प्रभावों का अनुभव करना पड़े, जिससे निपटना मुश्किल हो सकता है।
गर्भवती महिलाएं अभी भी चाहें तो वैक्सीनेशन लगवा सकती हैं, इसका फैसला उन्हें खुद लेना है। वहीं, अगर आपको इस बार फर्क नहीं पड़ता कि आप बच्चे को कब जन्म दें तो बेहतर है कि वैक्सीनेशन के बाद गर्भ धारण करें। इससे आपकी चिंता भी कम होगी और आप पहले सुरक्षित भी हो जाएंगी। इसके अलावा अगर आप पहले से ऐसी किसी बीमारी से ग्रस्त हैं और कोरोना से संक्रमित होने का जोखिम बड़ा है, तो भी आपको गर्भ धारण करने से पहले थोड़ा इंतज़ार कर लेना चाहिए। पहले वैक्सीनेशन लगवाने से न सिर्फ आपकी सेहत सुरक्षित रहेगी बल्कि आपके होने वाले बच्चे को भी खतरा नहीं होगा। कोरोना शॉट्स की दोनों डोज़ लगने के 6-8 हफ्तों बाद आप गर्भधारण कर सकती हैं। हालांकि, याद रखें कि अंततः, यह एक व्यक्तिगत निर्णय है, जो आपको अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए लेना होगा।
गर्भवती, कोविड वैक्सीन और सामान्य जन विचार
सामान्य जन के विचार भी इस वैक्सीन को लेकर बहुत मिले जुले हैं। अभी तक टीकाकरण अभियान के दौरान जहां बहुत से लोग खुद को वैक्सीन लगवाने के विकल्प से दूर रख रहें हैं वहीं वो गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को लेकर स्पष्ट रूप से खिलाफ हैं।
उनका मानना है कि गर्भधारण के दौरान चिकित्सा विशेषज्ञ भी बहुत सी दवाओं और टीका का सेवन करने से बचने की सलाह देतें हैं। उन दवाओं और टीकों के दुष्प्रभावों से वो अवगत होतें भी हैं और गर्भवती महिलाओं को अवगत भी करवातें हैं परंतु कोरोना वैक्सीन का दुष्प्रभाव क्या और कैसे होगा अभी तक कोई भी विशेषज्ञ इसका उत्तर देने में असमर्थ है। बुखार आना, मांसपेशियों में दर्द, थकान, अनिद्रा, कमजोरी ये सब लक्ष्ण आम हैं परंतु लम्बे अंतराल के बाद इसका महिला के शरीर व उसकी आने वाली संतान पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसकी पुष्टि इस समय पर कोई नहीं कर पा रहा है। कुछ गर्भवती महिलाएं भी इस वैक्सीन को लेकर बहुत डरी हुई हैं क्योंकि उन्हें भी बहुत सी अवधारणाओं का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे ही एक गर्भवती महिला का मत है कि गर्भधारण के दौरान या गर्भवती होने पर शरीर पर इतने सारे बदलाव आते हैं कि एक स्त्री को उनसे निपटना कई बार मुश्किल होता है उस पर इस वैक्सीन का प्रभाव शरीर और आने वाली संतान पर कैसा होगा और क्या वो बदलाव वो झेल पाएगी या नहीं, ये सबसे बड़ा प्रश्न है जिससे वो गर्भवती के वैक्सीन टीकाकरण के पक्ष में नहीं हैं।
पर ऐसा भी कुछ महिलाएँ हैं जो इसके पक्ष में हैं। उनका मानना है कि जो सुरक्षाकर्मी गर्भवती महिलाएं अपनी ड्यूटी निभा रहीं हैं उन्होंने ने वैक्सीन लगवाई है। और वो बहुत निडरता और निर्भयता से अपना कार्य रहीं हैं। उनके शरीर पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं दिखाई पड़ते। तो जब कोरोना वॉरियर्स से वैक्सीन लगवा सकते हैं तो कोई भी गर्भवती महिला ये वैक्सीन ले सकती है।
सार यही है कि इस वैक्सीन को लेकर बहुत कयास लगाए जा रहे हैं, कुछ पक्ष में और कुछ विपक्ष में परंतु यह पूरी तरह से गर्भवती महिला पर निर्भर है कि "क्या वो वैक्सीन लेने में खुद को सुरक्षित महसूस करती है या नहीं। परंतु सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक वैक्सीन भी इस महामारी के इलाज का पूर्ण रूप से विकल्प बनकर सामना नहीं आई है। अतः गर्भवती महिलाओं को और सजग होने की आवश्यकता है। उन्हें निम्नलिखित बातों का पूर्ण रूप से पालन करना अति आवश्यक है।
१ कोरोना गाइडलाइन का पूर्ण रूप से पालन हो, जैसे बार बार हाथ धोना, सैनिटाइजर का प्रयोग करना, मास्क पहनना तथा दो गज की दूरी बनाकर रखना।
२ जब तक अति आवश्यक न हो तब तक घर से बाहर न निकलना। अगर कोई महिला कामकाजी है तो वो "वर्क फ्रॉम होम" कर सकती है।
३ अपने खानपान का पहले से भी अधिक सजग होकर ध्यान रखना। हरे पत्तेदार सब्जियां, फल, जूस, दूध इत्यादि लेना।
४ भरपूर नींद और स्ट्रेस से दूरी।
५ व्यायाम और योग करना।
६ ख़ुश रहना।
गर्भवती महिलाओं के प्रति उसके घरवालों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वो उसका और आने वाली संतान का हर संभव ध्यान रखें और उनकी छोटी से छोटी ज़रूरत को पूरा करें।
कहा जाता है न, "स्वस्थ माँ ही स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकती है"