मानव एक क्रियाशील प्राणी है और उसके अंदर तरह तरह की बातों, या कल्पनाओं का सागर फैला हुआ होता है ऐसे में व्यक्ति का मस्तिष्क तनावग्रस्त रहता है और अनेक बीमारियों का शिकार हो सकता है उसे बीमारियों से बचाने और उसके शरीर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए उसे पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है अब हमारे सामने प्रश्न उपस्थित होता है कि नींद की पर्याप्त सीमा क्या है?
इस बारे में संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए शोध में कहा गया कि व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में कितनी नींद लेनी चाहिए यह व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करता है,
लेकिन इन सभी कारणों को जानने से पहले यह जानना अति आवश्यक है कि नींद हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में किस तरह फायदेमंद है आखिर पर्याप्त नींद की आवश्यकता क्यों है?
नींद अपेक्षाकृत निलंबित संवेदी और संचालिक गतिविधि की चेतना की एक प्राकृतिक बार बार आने वाली रूपांतरित स्थिति है जो लगभग सभी स्वैच्छिक मांसपेशियों की निष्क्रियता की बिशेषता लिए हुए होता है।
नींद एक उन्नत निर्माण क्रिया विषयक स्थिति है जो विकास पर जोर देती है और जो रोगक्षम तंत्र, तंत्रिका तंत्र, कंकालीय और मांसपेशी प्रणाली में नयी जान डाल देती है
सभी स्तनपायियो, सभी जानवरों में, मछलियों में इसका अनुपालन होता है यह अत्यावश्यक है, एक निश्चित आयुवर्ग के व्यक्ति को निर्धारित सीमा में नींद अवश्य लेनी चाहिए,
क्योंकि जिस प्रकार शरीर को दुरुस्त, स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त आहार की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार शरीर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए नींद अति आवश्यक है।
लेकिन कुछ कारणों की वजह से व्यक्ति पर्याप्त नींद नहीं ले पाता है जिसके कारण वह बेचैन और परेशानी महसूस करता है जो कि निम्न हैं -
1. खराब जीवनशैली - व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए न केवल पर्याप्त नींद अपितु बेहतर जीवनशैली को अपनाना भी उतना ही आवश्यक है क्योंकि व्यक्ति का बेसमय पर सोना जागना उनको तनावग्रस्त रख सकता है क्योंकि व्यक्ति जब तक आरामदायक स्थिति में न हो तब तक उसका किसी काम में मन नहीं लगता और जिससे उसका करियर खराब हो सकता है। इसलिए नींद न आने का सबसे बड़ा कारण खराब जीवनशैली है।
2. डर, चिंता, तनाव - यह खराब नींद के कारण है क्योंकि व्यक्ति जब तनाव में रहता है तब उसका मन अशांत रहता है और ऐसी स्थिति में व्यक्ति को नींद नहीं आती इसलिए सोते समय व्यक्ति को शांत चित में सोना चाहिए।
3. हृदय रोग
4. अत्याधिक मात्रा में शराब का सेवन
5. जड़ी बूटियां इत्यादि कारण है
जिनके कारण व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में नींद नहीं आती लेकिन कुछ उपाय है जिससे व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पर्याप्त नींद लें सकता है
जैसे - 1. नियत समय पर नींद लेना और उठना
2. वक्त पर सोने की आदत
3. हर दिन व्यायाम
4. बेडरूम में तापमान, ध्वनि, व प्रकाश का संतुलन
5. आरामदायक गद्दे और तकिए का इस्तेमाल
6. शराब और कॉफीन से बचना
7. सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करना
इत्यादि उपाय है जिससे व्यक्ति पर्याप्त नींद लें सकता है।
अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित एरलींगटॉन की चैरिटी नेशनल स्लीप फाउंडेशन का कहना है कि हर व्यक्ति की जीवनशैली उसकी नींद की जरूरत समझने का आधार होती है लेकिन उम्र के हिसाब से नींद लेने के अलग अलग मायने हैं जिन्हें निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है -
1. नवजात (0 - 3 महीने) - नवजात शिशु को 14 से17 घंटे की नींद लेनी चाहिए लेकिन उससे ज्यादा की नींद नवजात शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है इसलिए डाक्टर द्वारा 17 घंटे तक की नींद नवजात शिशु के लिए पर्याप्त है।
2. शिशु (4 - 11 महीने) - शिशुओं के लिए 12 से15 घंटे की नींद पर्याप्त है।
3. छोटा बच्चा ( 1 - 2 साल) - छोटे बच्चों के लिए 11 से 14 घंटे की नींद पर्याप्त है लेकिन यदि किसी कारणवश यदि 16 घंटे की नींद लें लेता है तो भी ठीक है।
4. स्कूल जाने से पहले की उम्र के बच्चे ( 3 से 5 साल ) -बिशेषज्ञ 10 से 13 घंटे की नींद इनके लिए पर्याप्त मानते हैं उनका कहना है कि बच्चों को 8 घंटे से कम और 14 घंटे से ज्यादा की नींद नहीं लेनी चाहिए।
5. स्कूल जाने की उम्र के बच्चे ( 6 से13 साल ) - इन बच्चों के लिए नेशनल स्लीप फाउंडेशन 9 से11 घंटे की नींद की सलाह देता है तथा 7 घंटे से कम और 11 घंटे से ज्यादा की नींद इन बच्चों के लिए सही नहीं मानी जाती।
क्योकि छोटे बच्चों में स्फूर्ति होनी चाहिए यदि वह समय से अपनी नींद पूरी नहीं करेंगे तो उनका शरीर परेशान और बेडौल स्थिति में रहेगा जो उनके स्वास्थ्य के साथ साथ उनकी दिनचर्या को प्रभावित करेगा।
6. किशोरावस्था (14 - 17 साल) - नेशनल स्लीप फाउंडेशन किशोरावस्था के बच्चों के लिए 8 से 10 घंटे की नींद की सलाह देता है और 7 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक की नींद इन बच्चों को लेने की सलाह नेशनल स्लीप फाउंडेशन नहीं देता।
7. वयस्क (18 से 25 साल ) - नौजवान के लिए 7 से 10 घंटे की नींद पर्याप्त है लेकिन 6 घंटे से कम और 11 घंटे से अधिक की नींद नौजवानों के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
8. अधेड़ ( 26 से 64 साल ) - इनको भी नौजवानों की तरह 7 से 10 घंटे की नींद की सलाह दी गई है।
9. बुजुर्गों ( 65 साल ) - इन उम्र के लोगों के लिए 7 से 8 घंटे की नींद की सलाह दी गई है इनको 5 घंटे से कम और 9 घंटे से अधिक नींद नहीं लेनी चाहिए।
व्यक्ति के लिए कब व कितने घंटों की नींद पर्याप्त है इसके साथ ही यह जानना अति आवश्यक है कि किस व्यक्ति को दोपहर में सोना चाहिए और किसको नहीं? और दोपहर में सोने से क्या-क्या नुकसान है ?
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, दोपहर की नींद सेहत के लिए ठीक नहीं होती क्योंकि सर्दियों में दोपहर में सोने से पेट संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज, गैस, अपच के साथ ही मोटापा और डायबीटिज जैसी समस्याओं का खतरा रहता है।
लेकिन आयुर्वेद में कुछ व्यक्तियों को दिन में सोने की सलाह दी है जैसे -
1. स्टूडेंट - स्टूडेंट्स के ऊपर पढ़ाई-लिखाई का प्रेशर अधिक रहता है जिसके कारण वह जल्दी थकान महसूस करता है इसलिए आयुर्वेद के अनुसार स्टूडेंट्स को दोपहर में झपकी ले लेनी चाहिए जिससे उनका मस्तिष्क शांत रहता है और पढ़ाई करने में भी मन लगता है।
2. बुजुर्ग - बुजुर्गों को भी दोपहर में थोडी देर सोना चाहिए क्योंकि कभी कभी रात में थोडी सी आवाज में वह जाग जाते हैं इसलिए उन्हें दोपहर में थोडी देर सोना चाहिए जिससे कब्ज वो अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
3. दुखी लोग - दोपहर की नींद ऐसे लोगों को अच्छी रहती है जो अधिक गुस्सा करते हैं या अत्यधिक दर्द में रहते हैं ऐसे में दोपहर की नींद उनके स्वास्थ्य के साथ ही मन को शांत रखती है।
4. मजदूर - ऐसे लोग जो कडी मेहनत और भारी काम करते हैं उनको दोपहर में थोडी देर सोना चाहिए जिससे उनमें फिर से स्फूर्ति बनी रहती है और काम करते वक्त थकान महसूस नहीं होती और अधिक काम करने में भी कामयाब रहते हैं।
अतः आयुर्वेद के अनुसार स्टूडेंट्स, बुजुर्ग, मजदूर, दुखी लोग इत्यादि को दोपहर में सोने की सलाह दी गई है लेकिन तुरंत खाना खाने के बाद नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे इनको फायदे की बजाय नुकसान भी हो सकता है।