मासिक धर्म जिसे अंग्रेजी में पीरियड्स कहा जाता है महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है आजकल 9 -11 साल से अधिक तक की उम्र की लड़कियों को ज्यादातर पीरियड्स शुरू हो जाते हैं
लेकिन सबसे पहले यह जानना अति आवश्यक है कि पीरियड्स क्या है? क्यों होता है, कब शुरू होते हैं इनका समय और कितने साल तक यह प्रकिया चलती है, इनके क्या लक्षण है तथा किस उम्र में पीरियड्स रूकते है,क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि लड़कियां इसे एक बीमारी समझने लगती है और खुल कर इन बातों को अपनी मां से नहीं कह पाती ऐसे में मां को एक दोस्त की भांति सभी सवालों का जवाब देना चाहिए। सबसे पहले,
पीरियड्स क्या है -
डाक्टर केतकी बताती है कि पीरियड्स का जन्म यानी यौवनावस्था शुरू होना। यौवन अवस्था के शुरू होते ही बच्चों के जननांग का विकास शुरू हो जाता है इस दौरान बच्चों के कई हिस्सों में बाल आ जाते हैं और लड़कियों में पीरियड्स आना शुरू हो जाता है।
पीरियड्स क्यों होते हैं -
जब लड़की मेश्योर होना शुरू हो जाती है तब उसका शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है और जब लड़की अपने यौवन में प्रवेश करती है तो तब उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं और तभी से पीरियड्स का सिलसिला शुरू होता है।
जब महिला यौवन में पहुंचती है तो तब हार्मोनल प्रभाव के कारण अंडाशय अंडे बनाना शुरू कर देता है हर महीने गर्भाशय में एक परत का निर्माण होता है जो म्यूकस और खून से बनी होती है जब महिला के अंडाशय से निकला हुआ अंडा पुरुष के वीर्य से मिलता है तब भूण बनने के लिए और पोषण देने के लिए यह परत अहम रोल निभाती है
जब अंडा फर्टिलाइज नहीं होता तब महिला के योनि द्वार से बाहर निकलता है जो म्यूकस और खून को साथ लेकर आता है इससे महिला को ब्लीडिंग होना शुरू हो जाती है जिसे महामारी कहते हैं।
आजकल 9 से 11 साल की बेटियों के पीरियड्स आना शुरू हो जाते हैं और महामारी से कुछ दिन पहले ही उनको महसूस हो जाता है जैसे - तनाव की स्थिति, चिड़चिड़ापन,पेट में दर्द, कब्ज, पैरों में सूजन इत्यादि लक्षण है।
20 की आयु में पीरियड्स -
लड़कियों को इस उम्र में इन दिनों में रक्तत्राव नियमित रूप से होता है नियमित पीरियड्स होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि उम्र के इस पडाव पर आप तनावरहित है और गर्भवती भी नहीं है तो एक हफ्ते तक पीरियड्स रहते हैं तो इसका कारण कोई हार्मोनल संतुलन हो सकता है, 20 बर्ष की आयु में इस तरह की समस्याएं आम है।
30 की आयु में पीरियड्स -
उम्र के इस पडाव पर महिलाओं में पीरियड्स नियमित रूप से होते हैं जिनमें स्त्राव कम या अधिक भी हो सकता है , इस उम्र में एंडोमैटरीओसिस और फाइबॉएड भी सामान्य रूप से देखा जा सकता है।
40 की आयु में पीरियड्स -
ये समय रजोनिवृति से पहले का होता है उम्र के इस पडाव पर महिलाएं पीरियड्स का होना न होना या बिल्कुल भी न आना जैसी समस्याओं से जूझती है इस उम्र में व्यायाम करने से गर्भाशय का खतरा अधिक रहता है जो अनियमित पीरियड्स का पहला लक्षण है। कुछ महिलाओं को रजोनिवृति से 10 साल पहले ही पेरीमोनोपॉज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
अब सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि पेरीमोनोपॉज क्या है इसके क्या कारण है यह कितने प्रकार का होता है। इसमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए,
रजोनिवृति या पेरीमोंनोपॉज क्या है -
रजोनिवृति एक महिला के उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा है और इसका सामान्य अर्थ है - "अंतिम अवधि" । यह आमतौर पर तब पूरा माना जाता है जब एक महिला को एक बर्ष तक पीरियड्स न हुआ हो यह आमतौर पर 45 से 55 बर्ष की आयु के बीच की स्थिति है समय से पहले रजोनिवृति तब होती है जब पीरियड्स 40 साल की उम्र से पहले रूक जाते हैं। इसे मैनोपॉज भी कहते हैं।
रजोनिवृति क्यों होती है -
रजोनिवृति तब होती है जब अंडाशय एंडोमेट्रियम की मासिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन करने में विफल रहता है और अवधि स्थायी रूप से रूक जाती है,
रजोनिवृति होने के पहले लक्षण कई बर्षो तक हो सकते हैं रजोनिवृति के बाद महिला में कोरोनरी, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
रजोनिवृति के प्रकार -
1. प्राकृतिक रजोनिवृति - यह तब होती है जब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर स्वभाविक रूप से घट जाता है।
2. समय से पहले रजोनिवृति तब होती हैं जब 40 बर्ष की आयु से पहले पीरियड्स रूक जाते हैं यह कई कारणों से हो सकता है जिसमें मधुमेह, सर्जरी और दवाएं जो अंडाशय को रक्त की आपूर्ति को प्रभावित करती है आनुवाशिंक कारक, ध्रूमपान भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कभी कभी पहचानने योग्य कोई भी कारक नहीं होते हैं।
3. कृत्रिम रजोनिवृति - इसके साथ ही हार्मोन्स के स्तर में अचानक गिरावट आ जाती है और रजोनिवृति के लक्षण अचानक शुरू हो जाते हैं।
मेनोपॉज की स्थिति में कुछ समस्याओं का अनुभव होता है
जब महिलाओं में मेनोपॉज की समस्या होती है तब तनाव,उदासी, बेचैनी, घबराहट, जोड़ों और हड्डियों में दर्द, शुष्क त्वचा, अनिंद्रा, बालों का झड़ना, रूखापन, गुस्सा इत्यादि लक्षण होते हैं इसमें महिलाओं को अधिक गर्मी लगना, बुखार आना, यूरिन में जलन, जननांग में संक्रमण जैसी समस्याएं होने लगती है।
आहार - ओस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद के लिए महिलाओं को रजोनिवृति के बाद कैल्शियम और विटामिन डी के अधिक सेवन की आवश्यकता होती है, कैल्शियम के उत्कृष्ट आहार स्त्रोतों में कम वसा वाले डेयरी उत्पाद(दूध,पनीर ) नट्स, हरे रंग की सब्जियां और हड्डियों में मछलियां शामिल हैं शराब और कैफ़ीन को सीमित करना, धूम्रपान से बचना, रजोनिवृति के बाद महिलाओं को प्रतिदिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करने की सलाह दी जाती है। महिलाओं को सोयाबीन अधिक खाना चाहिए, साथ ही पपीता, और अखरोट भी आहार में शामिल करने चाहिए।
व्यायाम - नियमित रूप से वजन बढ़ाने वाले व्यायाम जैसे कि चलना ,नृत्य करना सामान्य भलाई बनाए रखने में मदद करता है व्यायाम हड्डियों को मजबूत करके ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कम करने में मदद करता है और गर्म फ्लश जैसे रजोनिवृति के लक्षणो की गंभीरता को कम करने में मदद करता है विशिष्ट पेल्विक फ्लोर व्यायाम मूत्र संबंधी समस्याएं जैसे पेशाब के दर्द को कम करने में मदद करता है रजोनिवृति के लक्षणो को प्रबंधित करने में आराम और तनाव में कमी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि तनाव और थकान लक्षणों को खराब कर सकते हैं।योग के साथ ध्यान लगाएं और प्राणायाम भी करना चाहिए
निदान - रजोनिवृति का निदान करने के लिए कोई एक परीक्षण नहीं है। रजोनिवृति के संकेतक देखने के लिए रक्त परीक्षण किया जा सकता है।इसके अलावा, यदि पीरियड्स एक साल तक रूकने के बाद भी रक्तस्राव होता है तो डाक्टर से परामर्श करना चाहिए।
इलाज - रजोनिवृति के लक्षणों की तीव्रता और आवृत्ति प्रत्येक महिलाओं में भिन्न होती है यदि लक्षण समस्याग्रस्त है या एक महिला को ऑस्टयोपोरोसिस या हृदय रोग का अधिक जोखिम है तो चिकित्सा उपचार की सलाह दी जाती है उपचार करने का निर्णय व्यक्तिगत है।उपचार के विकल्पों में शामिल हैं - रजोनिवृति हार्मोन थैरेपी।