Kya aapko Menopause lagta hai? - मोनोपॉज के लक्षण


स्त्रियों के शरीर में होने वाला मासिक धर्म उन्हें औरों से अलग बनाता है |उनके मां बनने में मासिक धर्म की महती भूमिका होती है| कुदरती रूप से 10 से 15 वर्ष की आयु में शुरू होकर मासिक धर्म 45 से 50 वर्ष की उम्र में आते आते बंद हो जाता है|

 महिलाओं में जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है तो उस स्थिति को रजोनिवृत्ति या मेनोपॉज कहते हैं| रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाएं अपनी मां बनने की क्षमता को खो देती है |रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में कई सारे मानसिक और शारीरिक बदलाव आते हैं, मगर इसका यह कतई मतलब नहीं है कि रजोनिवृत्ति कोई बीमारी है |




यह एक उम्र के बाद होने वाली शारीरिक प्रक्रिया है | यह प्रकिया सिर्फ महिलाओं के साथ ही नहीं होती है बल्कि पुरुषों के साथ भी होती है |समय के साथ उनमें भी मोनोपॉज की स्थिति आती है ,क्योंकि सेक्स हार्मोन का फंक्शन उम्र के साथ कमजोर होने लगता है| फीमेल सेक्स हार्मोन का फंक्शन जब धीरे-धीरे अपना कार्य करना बंद कर देता है तो अंडाशय से अंडा निष्कासित नहीं होता है और अंडे की अनुपस्थिति में गर्भधारण की क्षमता भी नगण्य हो जाती है| मगर इसका यह मतलब नहीं है कि यह पूरी प्रक्रिया 1 दिन या 1 महीने की है| यह प्रक्रिया धीरे-धीरे 1 वर्ष या 2 वर्षों तक चलती है |और जब मोनोपोज का  समय आता है, तो पीरियड आना बंद हो जाते हैं |मगर जब तक मोनोपॉज ना हो महिला के गर्भवती होने की संभावना बनी रहती है |

मोनोपोज की उम्र - भारत में महिलाओं की रजोनिवृत्ति की औसत दर आमतौर पर 45 से 50 वर्ष के बीच में है |लेकिन किन्हीं विशेष कारणों से या सर्जरी द्वारा गर्भाशय निकाल देने पर समय के पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है |रजोनिवृत्ति के पहले की अवस्था को पेरिमेनोपॉज पीरियड कहते हैं |

यह अवस्था लगभग 40 वर्षों से शुरू हो जाती है| मोनोपॉज से जुड़े सभी लक्षण पेरिमेनोपॉज के समय ही महसूस हो सकते हैं ,मगर कुछ महिलाओं में पेरिमेनोपॉज की अवस्था नहीं होती है |सीधे ही मेनोपॉज हो जाता है |

मोनोपोज के लक्षण - महिलाओ मे फॉलिकल्स के कारण अंडाशय में अंडे रिलीज होते हैं |उसकी प्रक्रिया में हर महीने के विकसित होने वाले फॉलिकल्स की मात्रा कम होने लगती है और आखिर में फॉलिकल्स का विकास बंद हो जाता है और मासिक धर्म आने बंद हो जाते हैं |

मासिक धर्म के दौरान रिलीज होने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन की शरीर में कमी होने लगती है| इस हार्मोन की कमी से कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है| 

रजोनिवृत्ति  सभी लक्षण पेरीमेनोपॉज की अवस्था के दौरान ही महसूस होने लगते हैं| जैसे कि पहले भी कहा गया है कि मोनोपॉज अचानक नहीं होता है यह समय के साथ धीरे-धीरे होने वाली प्रक्रिया है| इस प्रक्रिया में शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं |

जिसके शुरुआती लक्षण कुछ इस प्रकार है 

1- अनियमित मासिक धर्म- रजोनिवृत्ति के दौरान मासिक धर्म का चक्र परिवर्तित हो जाता है| कभी-कभी पीरियड्स जल्दी आने लगते हैं ,तो कभी डीले हो जाते हैं |ऐसा ही परिवर्तन पीरियड्स के फ्लो में भी होता है| कई बार पीरियड्स में हेवी फ्लो का सामना करना पड़ता है तो कभी केवल स्पॉटिंग ही हो जाती है| इसके अलावा पीरियड्स में पेट दर्द, ऐठन की समस्या आम बात है|

 2- हॉट फ्लश महसूस होना:- रजोनिवृत्ति के दौरान शरीर का तापमान परिवर्तित होता रहता है| कभी-कभी सामान्य मौसम में भी अत्यधिक गर्मी का एहसास होने लगता है |कई बार सर्द रातों में भी पूरा शरीर अचानक ही पसीने से तरबतर हो जाता है और घबराहट होना शुरू हो जाती है |

3- मूड स्विंग-: अधिकतर महिलाओं में पीरियड ओर प्रेगनेंसी में मुड स्विंग की समस्या देखी जाती है|  इस दौरान होने वाली मूड स्विंग की समस्या कुछ समय की होती है| मगर रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में अक्सर पूरे पेरिमेनोपॉज पीरियड में अवसाद, चिड़चिड़ापन ,चिंता ,एकाग्रता [कंसंट्रेशन] की कमी के साथ, नींद ना आना थकान और सर दर्द भी होता है| इसके अलावा सेक्स हार्मोन के कम हो जाने के कारण, वेजाइना का ड्राई होना, सेक्स करने की इच्छा में कमी, सेक्स के दौरान दर्द ,यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है |

मोनोपॉज के दौरान बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है |इसके साथ ही हड्डियां कमजोर होना, स्किन में ड्राइनेस, बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने के साथ ही दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है| चिड़चिड़ा हट और थकान के कारण शारीरिक गतिविधियां ना के बराबर होने से वजन का बढ़ना भी एक जटिल समस्या होती है|

 मोनोपॉज का निर्धारण वैसे तो पीरियड्स का बंद होना ही मोनोपॉस  कहलाता है, मगर फिर भी डॉक्टर थायराइड फंक्शन टेस्ट, ब्लड लिपिड प्रोफाइल, लिवर फंक्शन  टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्टेरोन टेस्ट के जरिए मोनोपॉज का निर्धारण करते हैं|

मोनोपॉज के दौरान क्या करें-

मोनोपॉस जैसा कठिन समय कुछ गतिविधियों के जरिये आसानी से निकल सकता हैं |

1- तनाव मुक्त रहकर सकारात्मक सोचे|

2- उन कार्यों को करें जिन्हें करने में आपको आनंद की अनुभूति हो|

3- अपने मानसिक और शारीरिक बदलाव के बारे में अपने परिवार जन अपने साथी और डॉक्टर से चर्चा जरूर करें|

4- योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास करें इसके अलावा रोजाना वॉकिंग और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में जरूर शामिल करें|

5- कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए सुबह शाम दूध दही का सेवन करने के अलावा रोजाना 15 से 20 मिनट तक सुबह की सूर्य की किरणें जरूर लें यदि जरूरत हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद कैलशियम सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं

6- रोज के भोजन में से नमक ,चीनी और वसा का उपयोग कम कर दें|

7- रोजाना के भोजन मे सलाद ,फल, अंकुरित  अनाज के साथ 8 से 10 गिलास पानी का सेवन अवश्य करें|

8- डिब्बाबंद खाना, फ्रोजन फूड आदि से दूरी बनाए रखें|

9-अपनी रोज की चाय ओर ओ कॉफी की मात्रा कम कर दे|साथ ही धूम्रपान या किसी भी तरह का कोई भी नशा ना करे

10- मोनोपॉज के दौरान अरोमाथेरेपी और रिलैक्सेशन थेरेपी दोनों बहुत कारगर साबित होती है|

नारी के जीवन के हर पड़ाव की तरह मोनोपॉज में नारी जीवन का एक अहम पड़ाव है |इस दौरान होने वाली परेशानियों से घबराकर नहीं बल्कि खुशी-खुशी आसानी से निपटा जा सकता है |खुद को सदैव एक्टिव रखें अपने पसंद के काम करें और अपने शरीर और मन पर अत्यधिक बोझा ना डालें| मोनोपॉज के दौरान जितना ज्यादा आप खुद पर ध्यान देगी उतना ही ये समय सरल हो जायेगा |


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