Muje kitna Sona Chahiye?- एक उम्र के हिसाब से सोने का सही वक्त क्या होना चाहिए ?

 एक उम्र के हिसाब से सोने का सही वक्त क्या होना चाहिए ?


एक उम्र विशेष ,यानी कि एक निश्चित उम्र में स्वस्थ जीवन शैली और अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद एक महत्वपूर्ण कारक है | अधिकतर लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी में अपने दैनिक कार्यों ,नौकरी ,बिजनेस यह सब प्राथमिक जगह पर होते हैं | लेकिन जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा, लगभग 95% लोग, अच्छी नींद को अपनी जीवन के प्राथमिक कार्यों की सूची में शामिल नहीं करते | क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है या फिर यह कहिए कि वह इसके प्रति जागरूक नहीं है | 

नीचे दिए गए चार्ट में उम्र और कितने घंटे उस उम्र में सोना चाहिए इसकी जानकारी दी गई है |


 उम्र  -सोने का समय

0 -3 महीने  -14 – 17 घंटे

4 – 12 महीने -12 – 16 घंटे

1 - 2  वर्ष -11 – 14 घंटे

3 - 5 वर्ष   - 10 - 13 घंटे

6 - 12 वर्ष  - 9 – 12 घंटे

13 - 18 वर्ष- 8 – 10 घंटे

18 – 60 वर्ष- 7 – 8 घंटे

61 – 64 वर्ष - 7 – 9 घंटे

65 वर्ष  -   7 – 8 घंटे



इन आंकड़ों से हम एक आदर्श स्थिति को इंगित करते हैं इसमें कुछ कम या ज्यादा होना स्वाभाविक है |


सरकेडियन साइकिल (circadian cycle)

सेहत भरी नींद के सही अर्थ को समझने के लिए सरकेडियन साइकिल का अर्थ समझना जरूरी है |

 सरकेडीएन साइकिल हमारे शरीर का एक आंतरिक और प्राकृतिक तरीका होता है ,जो हमारे सोने और जागने की क्रिया विधि को नियंत्रित करता है |  प्रत्येक 24 घंटे में हमारा सर केडियन साइकिल अपने आप को दोहराता या रिपीट करता है  |


सरकेडियन साइकिल में सबसे मुख्य कार्य करता है एक हार्मोन जिसे मेलाटोनिन कहते हैं  | यह हार्मोन इस क्रिया को संचालित करता है | अर्थात रात के समय यह हार्मोन धीरे-धीरे स्रावित होना शुरू कर देता है | और सुबह होने के साथ ही इसका  स्रावित होना रुक जाता है |  इसका अर्थ यह हुआ कि हमें नींद आने और नींद पूरी होने का एहसास मेलाटोनिन हार्मोन के द्वारा मिलता है |



Pic source  Google images/Shutterstock


सरकेडियन साइकिल के इस पिक्चर को देखकर हम इसकी क्रिया विधि को आसानी से समझ सकते हैं |

अच्छी नींद और अच्छी सेहत का आपसी संबंध क्या है ?

आजकल की जीवन शैली में अधिकांश तरह देखा जाता है कि कई लोगों में नींद पूरी ना होना  कई तरह के रोग और बीमारियों का कारण बनता है | इसी आधार पर हमने नीचे दो प्रकार से इस बात को समझाने की कोशिश की है 

अधिक नींद लेने से होने वाले दुष्प्रभाव 


- बार बार बीमार होना

 - उच्च रक्तचाप 

- मधुमेह

 - हृदय रोग

 - मोटापा 

- डिप्रेशन


बहुत ज्यादा नींद लेने से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव


 - डिप्रेशन

 - चिड़चिड़ापन 

- हृदय से संबंधित रोग

उपरोक्त दी गई सारी जानकारी के आधार पर यह कहना आसान है कि अच्छी सेहत के लिए अच्छी और भरपूर नींद का होना आवश्यक है | लेकिन अच्छी नींद के अंदर किन-किन बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए इस बात को समझना भी हमारे लिए आवश्यक हो जाता है | ऐसे कुछ मुख्य बिंदु है जिन्हें अच्छी नींद के अंदर शामिल किया जाता है 

उदाहरण के लिए 


सोने का समय 

नींद की अवधि

नींद का स्थान

व्यक्ति का संपूर्ण स्वास्थ्य


यहां सोने के समय से मतलब है कि आप रात के खाने के कितनी देर बाद सोने के लिए बिस्तर पर जाते हैं अगर आप अच्छी सेहत चाहते हैं तो आपको खाना खाने के 3 घंटे के बाद सोने के लिए जाना चाहिए इसका अर्थ यह हुआ कि आपके खाना खाने का समय भी इस हिसाब से निर्धारित किया जाना चाहिए ताकि आप सही समय पर सो सके क्योंकि अच्छी नींद के लिए खाने का सही पाचन होना बेहद जरूरी है |

नींद की अवधि से यहां पर अर्थ यह है कि आप कितने घंटे की नींद लेते हैं चार्ट में दिए अनुसार जिस उम्र में जितने घंटे की नींद आदर्श मानी जाती है अगर इतनी नींद कोई व्यक्ति लेता है तो वह अपने आप को स्वस्थ रख सकता है

सोने के स्थान से अर्थ है कि आप कितने आरामदायक और शांत वातावरण में नींद ले रहे हैं | वर्तमान समय में सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग, नींद ना आने का एक बड़ा कारण बन चुका है | अधिकांश लोग रात को सोने से पहले काफी सारा वक्त अपने सोशल मीडिया अपने मोबाइल फोन और लैपटॉप पर बिताते हैं | और ऐसा कहा जाता है कि एक बहुत बड़ी वजह है जिससे लोगों में नींद से संबंधित बीमारियां बढ़ रही है |

व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य से अर्थ है कि जिस तरह एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद का होना जरूरी है | उसी तरह से अच्छी नींद आने के लिए आपके हेल्थ का अच्छा होना भी जरूरी है | महिलाओं में कुछ आम समस्याएं जैसे कि कमर दर्द ,मैनोपोज, हार्मोन का बदलाव, प्रेगनेंसी कुछ ऐसे कारण हैं जो अच्छी नींद में रूकावट बन सकते हैं | वहीं पुरुषों में खर्राटे आना एक बहुत ही सामान्य सा कारण है जो अच्छी नींद में बाधा उत्पन्न करता है |


सारांश

इस लेख में हमने इस बारे में बात की एक स्वस्थ व्यक्ति को कितनी नींद लेना आवश्यक है | और एक उम्र विशेष में कितने घंटे की नींद अच्छी सेहत की और हमें लेकर जाती है | हमने सरकेडियन साइकिल के बारे में भी जाना , लेकिन सरकेडीयन साइकिल के बारे में एक और मुख्य बिंदु है ,जिसके बारे में जानना बेहद आवश्यक है | सरकेडियन साइकल एक उम्र विशेष के बाद ही हमारे शरीर में कार्य करना शुरू  करती है | लगभग 4 साल की उम्र के बाद हमारा मस्तिष्क  सरकेडियन साइकिल के हिसाब से कार्य करना शुरू कर देता है | यानी कि अगर हमें सुबह 6:00 बजे उठने की आदत बन जाती है, तो हमारे मस्तिष्क में एक बायोलॉजिकल क्लॉक या एक जैविक घड़ी  निर्धारित हो जाती है | और वह हमें प्रतिदिन 6:00 बजे के आसपास सो कर उठने के लिए प्रेरित करती है | इसीलिए कहा जाता है कि अगर कोई भी व्यक्ति अपनी नींद को लेकर जागरूक है और वह इस बात पर ध्यान देता है कि उसके लिए कितने घंटे की नींद जरूरी है ,तो सबसे पहले उसे अपने सोने के समय ,और सोने की अवधि को निर्धारित करना और उसे अपनी आदत में शामिल करना जरूरी है |


एक आदर्श समय के बाद भी ऐसे बहुत सारे कारक होते हैं जो नींद को प्रभावित करते हैं जैसे कि युवावस्था में कार्य को लेकर के तनाव और वृद्धावस्था में नींद कम आना |

वृद्धावस्था में शारीरिक बदलावों और हार्मोन के बदलाव के कारण नींद प्रभावित होती है लेकिन अगर हम इस में परिवर्तन करना चाहते हैं और स्वस्थ तरीके से जीवन जीना चाहते हैं तो सही समय पर सोने की आदत को अपनाकर अपने आप को वृद्धावस्था में भी स्वच्छ रख सकते हैं |

नींद की समस्या होना आधुनिक जीवन शैली की सबसे बड़ी परेशानी बन चुकी है | जो धीरे-धीरे अनेक रोगों का कारण भी बन जाती है | इसीलिए हमें समय पर सचेत और जागरूक होने की आवश्यकता है | विशेष रूप से युवा लोगों को क्योंकि युवावस्था में काम का तनाव भी ज्यादा होता है | और जिम्मेदारियां भी अधिक होती है | और अगर इस उम्र में आपको जितनी नींद लेनी चाहिए उसकी आदत पड़ जाती है | तो आप दिन के समय अपने आप को ताजगी और स्फूर्ति से भरा हुआ महसूस करते हैं |

रात को अच्छी नींद आने से आपका दिन और आपकी दिनचर्या दोनों ही सुधारते हैं इसीलिए भरपूर नींद लें और स्वस्थ रहें.


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