कहते हैं एक औरत तभी पूर्ण होती है जब वह माँ बनती है। इसी प्रकार एक परिवार भी बिना संतान अधूरा है। शादी के बाद पूरे परिवार के मन में जो पहला सवाल होता है वह है बच्चा। लेकिन किस उम्र में संतान उत्पत्ति एक महिला के लिए उत्तम है, यह एक बड़ा सवाल है। लेकिन इस सवाल का जवाब सभी महिलाओं के लिए एक ही नहीं हो सकता। शरीर, सेहत, खान-पान व अन्य चीज़ो पर महिलाओं में यह उम्र तय होती है।
प्राकृतिक क्षमता
महिलाओं में मौजूद अंडाशय प्रजनन का आधार है। जन्म से ही महिलाओं के अंडाशय(Ovaries) में निर्धारित अंडाणु होते हैं। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशन और गाइनैकॉलजिस्ट्स के अनुसार एक महिला में जन्म के समय लाखों अंडे होते हैं। बढ़ती उम्र व माहवारी(मेन्स्ट्रूएशन) के कारण यह अंडाणु लगातार घटते रहते हैं। हर माह एक अंडाणु अंडाशय से निकल कर गर्भाशय(uterus) में आता है जहाँ शुक्राणु से मिलकर नवजीवन की शुरुआत करता है। वहीँ, फर्टिलाइज़ न होने की स्थिति में मेंस्ट्रुएशन के दौरान शरीर से बाहर निकलता है। प्राकृतिक तौर पर महिलाये अंडाशय में अंडाणु की मौजूदगी तक गर्भधारण कर सकती हैं किन्तु 24 से 30 वर्ष तय की आयु को सर्वाधिक फलदायक माना गया है। यानी इस उम्र में महिलाएं स्वस्थ रूप से प्रजनन के लिए सक्षम होती हैं। आजकल के खान-पान व् स्वास्थ्य को लेकर नज़रअंदाज़ी के चलते 32 वर्ष की आयु से महिलाओं में फर्टिलिटी घटने लगती है जो 37 की उम्र के बाद और तेज़ी से घटनी शुरू हो जाती है। हालाँकि कई मामलों में महिलाओं को 50 वर्ष की आयु के बाद भी स्वस्थ रूप से बच्चे को जन्म दिया है।
उम्र व गर्भधारण का सम्बन्ध
20 दशक पहले तक बाल विवाह के चलते कई कई महिलाएं कम उम्र में ही गर्भधारम कर लेती थी। किशोरावस्था में किसी भी लड़की का शरीर विकसित हो रहा होता है। ऐसे में गर्भधारण कई समस्यायों को जन्म दे सकता है। महिला का शरीर स्वयं के विकास की जगह शिशु के विकास में लग जाता है जिससे माँ का शरीर कमज़ोर रह जाता है। ऐसे में शिशु का भी पूर्ण विकास मुश्किल होता है। कई बार प्रसव के दौरान माँ या बच्चे की मृत्यु भी इसका नतीजा बनती है।
महिलाओं के लिए फलदायक उम्र 22 से 32 मानी गयी है जो आजकल की जीवनशैली के चलते 25 से 30 तक सिमटकर रह गयी है। इस वक्त शरीर की प्रजनन प्रणाली व् दूसरे सिस्टम अपनी अधिकतम क्षमता पर होते हैं।
32 वर्ष की आयु के बाद महिला में फर्टिलिटी घटने लगती है। जरनल ह्यूमन रिप्रॉडक्शन की एक स्टडी के अनुसार लेट थर्टीज यानी 35 से 40 वर्ष के बीच महिलाओं में प्रेग्नेंट होने की आशंका 50 प्रतिशत कम हो जाती है। स्टडी के अनुसार 30 की उम्र के बाद गर्भधारण से महिलाओं में प्रीक्लैम्पसिया, डायबीटीज और टोक्सेमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीँ, प्रसव के लिए ऑपरेशन व् सर्जरी की आवश्यकता आम है। किसी महिला के लिए गर्भधारण करना आसान हो सकता है लेकिन ऐसे में बच्चे को कई प्रकार के खतरे रहते हैं। समय से पहले जन्म, जन्म के समय बच्चे का कम वजन, पैदा होते ही मृत्यु, सम्पूर्ण विकास न होना, डाउन सिंड्रोम बीमारी इनमे से एक हैं।
30 के बाद गर्भधारण के लिए सावधानिया
30 की उम्र के बाद गर्भधारण में डॉक्टर द्वारा नियमित चेकअप ज़रूर करवाना चाहिए। इस दौरान डॉक्टर कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही माँ के नियमित चेकअप से बच्चे के विकास का जायज़ा लिया जाता है। इन मामलों में गर्भधारण व् प्रसव क दौरान समस्यायों को कम रखने के लिए कई शक्तिवर्धक व् अन्य दवाइयां दी जाती हैं। वहीँ, दिनचर्या में भी बदलाव की ज़रुरत होती है। बड़ी उम्र में प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर शरीर की मजबूती व् शिशु के विकास के लिए दिनचर्या में कम व्यायाम किन्तु नियमित व्यायाम, स्वस्थ खान पान जैसी कई सलाह देते हैं। इसके साथ ही कई संभावित समस्यायों से बचने के लिए कई आदतों से परहेज़ व् सावधानिया भी सुझाई जाती है।
खान पान का महत्त्व
खान पान कई मायनो में एक शरीर का आधार होता है। इसलिए गर्भधारण के समय महिला को न केवल अपने बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी खान पान पर पूरा ध्यान देने की ज़रूरत होती है। इस समय डॉक्टर जंक फ़ूड से दूरी की सलाह देते हैं। महिला को स्वस्थ गर्भधारण के लिए धूम्रपान, शराब का सेवन, अत्यधिक व्यायाम, बे-सुझाई दवाइयों का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीँ स्वस्थ खान-पान, नियमित हल्का व्यायाम या योग-प्राणायाम और बेहतर चिंतामुक्त दिनचर्या एक स्वस्थ प्रसव दे सकती है।
अण्डाणुओ की सुरक्षा
बदलते वक़्त व् हालात को देखते हुए विज्ञान ने महिलाओं के प्रजनन की प्राकृतिक उम्र को बढ़ाने के लिए अण्डाणुओ की सुरक्षा की तकनीक निकाली है। इस तकनीक से महिला के अंडाशय में मौजूद अंडो को दवाई से मैच्योर कर शरीर से निकालकर जमा दिया जाता है। इस तकनीक से यह अंडे कई सालों तक इसी स्थिति में कई सालों तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं। महिला की इच्छानुसार इन अंडो को डिफ्रॉस्ट कर प्रजनन के लिए तैयार निकाल लिया जाता है। अंडो को जमाकर सुरक्षित करने का यह तरीका अक्सर 25 की उम्र से पहले किया जाता है। क्योंकि 25 की उम्र तक अंडाशय में केवल कुछ हज़ार बचते हैं। जिससे स्वस्थ अण्डों के जमने की संभावना कम होने लगती है। हालाँकि यह तकनीक पूर्ण रूप से किसी महिला की प्रजनन क्षमता की उम्र बढ़ना सुनिश्चित नहीं करती। किन्तु कुछ अण्डाणुओ की मौजूदगी से एक उम्मीद ज़रूर देती है। इस तकनीत के सफल होने की संभावना भी महिला की सेहत पर निर्भर करती है।
फैमिली प्लानिंग व उम्र का सम्बन्ध
भारत में माता-पिता के साथ 2 बच्चे एक आदर्श सम्पूर्ण परिवार का ख्याल माना जाता है। ऐसे में दोनों बच्चो के बीच अंतर व् अन्य चीज़ो का ध्यान रखना सेहतमंद माँ व् बच्चो के लिए ज़रूरी होता है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार 2 सन्तानो के बीच आदर्श या सुझावित अंतर कम से कम 2 साल बताया गया है। एक बच्चे के जन्म के बाद माँ के शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ होने में लगभग 2 साल लगते हैं। इस दौरान माँ के स्तनपान पर ही बच्चे का विकास भी निर्भर होता है। प्रसव के 2 साल बाद ही एक महिला
दूसरे बच्चे के लिए शारीरिक रूप से तैयार होती है। 2 साल के भीतर दूसरे गर्भधारण से माँ के साथ ही जीवित व् गर्भ में मौजूद शिशु के विकास पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इससे तीनो के कमज़ोर रहने की संभावना अत्यधिक होती है। वहीँ कमज़ोर प्रजनन प्रणाली के दौरान ही दूसरा गर्भधारण व् प्रसव माँ या बच्चे की मौत का कारण बन सकता है। इसके अलावा समय से पहले जन्म, बच्चे में कमज़ोरी या अपाङ्गता की संभावना भी ज़्यादा होती है।
दो बच्चों के लिए महिलाओं में पहले गर्भधारण की आदर्श आयु 20 से 24 के बीच सुझाई गयी है। इससे माँ को दूसरे गर्भधारण के लिए उचित समय मिल जाता है। माँ के गर्भाशय समेत अन्य प्रजनन प्रणाली पूर्ण रूप से स्वस्थ व् सक्षम हो जाती है। वहीँ, दूसरे गर्भधारण के समय भी महिला का शरीर फलदायक रहने की संभावना बनी रहती है। आपको बता दें कि दोनों गर्भधारण में कई तरह की समानताएं व् असमानताएं हो सकती है। खासतौर पर दूसरे गर्भधारण के समय माँ को ज़्यादा परेशानियों से गुज़रना पड़ सकता है। वहीँ, पहले गर्भधारण के अनुभव से इन्हे समझना आसान रहता है।
आज के समय में जब महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं, फैमिली प्लानिंग बहुत महत्त्व रखती है। महिला पर अपने करियर व् अपने परिवार को साथ लेकर चलने की ज़िम्मेदारी होती है। साथ ही महिला को अपने शरीर के अनुसार गर्भधारण के लिए एक सही उम्र चुननी होती है जिससे वह अपने जीवन में ताल मेल बना सके। ऐसे में कितने बच्चे चाहिए, कब चाहिए यह एक बड़ा सवाल होता है। फैमिली प्लानिंग कर माता-पिता एक खुशहाल व् स्वस्थ परिवार की नींव रखते हैं।