सेक्सलेस वैवाहिक जीवन
वैवाहिक जीवन दो अलग-अलग लोगों को हर स्तर पर जोड़ता है। भावनात्मक व शारीरिक संबंधों के जुड़ने से एक वैवाहिक रिश्ता मजबूत बनता है। ऐसे संबंध दो लोगों के मध्य पनपने वाले विश्वास एवं लगाव के परिचायक भी होते हैं। सेक्स एक बेहद निजी विषय होता है और खास भी। हालांकि इसकी ज़रूरत व महत्व पर परिचर्चा कम ही होती है।
आइये देखते हैं जिस वैवाहिक संबंध में सेक्स का अभाव रहता है वहाँ लोगों के मानसिक एवं शारीरिक रूप पर क्या असर होता है:
1. रिश्तों में गर्माहट बनाए रखने में सेक्स का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि नियमित संभोग करने वाले दंपत्ति भावनात्मक रूप से उन लोगों की तुलना में अधिक जुड़े होते हैं जो संभोग नियमित रूप से नहीं करते हैं।
2. शारीरिक संबंध अधिक समय तक न स्थापित करने से संबंध तनावपूर्ण भी हो सकते हैं।
सेक्स करने से एंडोर्फिन व ऑक्सीटोसिन शरीर में उत्पन्न होता है। इनसे तनाव के प्रभाव नियंत्रण में रहते हैं। नियमित
सेक्स का अभाव इन हॉर्मोन्स की कमी को उत्पन्न करता है क्योंकि ऑक्सीटोसिन जैसा हॉमोन अच्छी नींद को सुनिश्चित करता है।
3. सेक्स इम्यूनिटी सिस्टम यानि प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करता है। इम्यूनिटी की मजबूती बीमारियों से बचाती है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि शारीरिक संबंध बनाते रहने से इम्यूनोग्लोबिन केमिकल लगातार बढ़ता है जो कई प्रकार के रोगों से बचाता है।
4. इस बात से अधिकतर लोग परिचित नहीं होते कि नियमित शारीरिक संबंध स्थापित करने से त्वचा पर भी असर दिखता है। उम्र का असर दिखने लगता है अगर यौन संबंध बनाने में अनियमितता होती है। सेक्स करने पर डोपामाइन हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है जो त्वचा की चमक बढ़ाता है।
5.घबराहट जैसी समस्या भी सेक्स लंबे समय तक ना करने से उत्पन्न होती है।
6. यौन संबंध स्थापित न करने से से महिलाओं को पीरियड्स में अधिक तकलीफ महसूस होती है। दर्द में राहत के लिए एक नियमित 'सेक्स लाइफ' मदद करती है ।
7. लम्बे समय तक सेक्स न करने से योनि में 'ड्राइनेस' भी आ जाती है। ऐसे में 'लूब्रिकेशन' की कमी के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
8. कभी-कभी मन लायक सेक्स लाइफ न होने से पति- पत्नी एक दूसरे से जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते। शक की सूई भी अपना सिर उठाने लगती है जब एक साथी महसूस करता है कि उसका पति या उसकी पत्नी उसमें रूचि नहीं ले रहा/रही है। अतः ये देखा जा सकता कि केवल शारीरिक बदलाव नहीं, सेक्स से रिश्तों में भी उतार चढ़ाव को कुछ हद तक प्रभावित करता है।
ऐसा पाया गया है कि एक लंबे रिश्ते में महिलाएं सेक्स को लेकर उत्साहित होना बंद कर देती हैं। खराब सेहत, भावनात्मक संबंधों में दरार आदि ऐसे कारण हो सकते हैं जो अरूचि के लिए जिम्मेदार हैं। साथी द्वारा जब उत्साह में कमी दिखाई जाती है तो यह स्वाभाविक है कि लोगों में चिड़चिड़ापन पनपेगा। पति-पत्नी का रिश्ता जितना मजबूत और घनिष्ठ होता है उतना ही नाजुक भी। किसी भी प्रकार की अरूचि या उदासीनता आपके साथी को आपसे विमुख कर सकती है या वो कुण्ठित हो सकता है।
बीजेएम जर्नल में छपे एक अध्ययन के अनुसार सेक्स की इच्छा में गिरावट निश्चित ही चिंता का विषय है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
संभोग एक शारीरिक क्रिया है जो सिर्फ प्रजनन के लिए ही नहीं अपितु पति पत्नी के मध्य आत्मीयता, मनोरंजन, घनिष्ठता आदि के लिए भी बहुत जरूरी है। माना जाता है सेक्स को हफ्ते में कम से कम दो बार करना चाहिए। अगर संभोग की इच्छाशक्ति में गिरावट आए तो समझदारी एवं साझेदारी से एक-दूसरे की मदद करने की आवश्यकता है।
कुछ बिन्दुओं पर ध्यान दिया जा सकता है:
1. अपने साथी से खुलकर इस बातचीत करें।
2. अपने साथी के साथ खाली समय बिताएं।साथ में 'नॉन-सेक्सुअल' समय बीताना भी 'सेक्स लाइफ' के लिए अच्छा होता है।
3.चिकित्सकों की सलाह भी काफी मदद करती है।
4.साथ में मेडिटेशन या व्यायाम करने से भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
5.रेस्टोरेटिव योगा करना स्ट्रेस को घटाता है।
6. अपने साथी से 'सेक्सुअल डिजायर' पर बात करें । आप 'क्रियेटिविटी' या 'ट्रेडिशनल' तरीके से रूचि को वापस से ला सकते हैं।
7. बात अगर न संभले तो 'मैरिज काउंसिलिंग' की भी मदद से रिश्तों में सुधार किया जा सकता है।
8. सेक्स से जुड़ी इच्छाओं को 'असल' रखें। डिजिटल वल्ड पर दिखाई जाने वाली चीज़ों से अधिक प्रभावित न हों। अपने साथी की भावनाओं को भी समझें ।
9. अपने खानपान में बदलाव भी ला सकते हैं। जैसे कि ज़िंक का सेवन इसमें लाभकारी होता है।
एक सेक्सलेस विवाह सुनने में किसी नमक रहित व्यंजन की भांति प्रतीत होता है। वैसे एक सेक्सलेस शादी की कोई पारंपरिक विवेचना नहीं है। कुछ दंपत्ति ऐसे हैं जिन्होंने सालों से सेक्स नहीं किया कुछ ने महीनों से। लेकिन यह कहना तर्कसंगत है कि शारीरिक रूप से जब हम किसी से जुड़ते हैं तो वह रिश्ता बेहद करीब होता है, इससे हम फर्क में लाते हैं कि कौन हमारा साधारण 'दोस्त' है और कौन 'साथी या जीवनसाथी' है। रूमानी संबंध होना एक वैवाहिक रिश्ते के लिए बेहद जरूरी है। जब हमें किसी के साथ आजीवन या लंबे समय तक शारीरिक आकर्षण और जुड़ाव होना प्राकृतिक है। वही इसका अभाव पति-पत्नी के बीच शक को भी जन्म देता है। कभी-कभी तो पता चलता है कि बेरूखी की वज़ह अतिरिक्त वैवाहिक संबंध होते हैं। मानसपटल पर कुण्ठा व हीन भावना भी घर कर लेती है जब जीवनसाथी का ध्यान भटका हुआ लगता है। एक सर्वे की माने तो 61% अमेरिकियों ने एक सफल वैवाहिक जीवन के लिए सेक्स को अनिवार्य माना था। भारत जहाँ खुल कर इस पर बात नहीं होती लेकिन संभोग को शादीशुदा जीवन का अभिन्न अंग माना गया है। ये भी देखा गया है कि जो दंपत्ति संभोग में अनियमितता रखते हैं उनमें विवाद अधिक होते हैं। कुछ अनुभवों पर गौर करें तो रिश्ते टूटने की दहलीज़ पर भी आ जाते हैं अगर एक नियमित सेक्स लाइफ की कमी हो या साथी असंतुष्ट हो तो। इसका एक बड़ा कारण ये भी है कि दंपत्ति फुर्सत निकाल कर सेक्स से जुड़ी जरूरतों व तथ्यों पर बात नहीं करते। ऐसा करना जरूरी है ताकि इसके अभाव की मूल वजह इंगित हो पाए।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक 20% लोगों की शादिया में सेक्स नहीं है। आमतौर पर दस वर्षों में दस बार से भी कम जिन्होंने शारीरिक संबंध स्थापित किए होते हैं उनकी शादी को ऐसी संज्ञा मिलती है। ऐसे में कुछ लोग शादी के बाहर ये सुख ढ़ूँढ़ते हैं जिससे परिवार और समाज दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सेक्स से जुड़ी शिक्षा का अभाव भी एक सेक्सलेस शादी में भागीदारी देता है। हम संभोग जैसे मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं। इसका महत्व जानकर भी इससे जुड़ी बातों को अनदेखा करते हैं। हाँ, यह सच है सेक्स ही केवल प्रेम का परिचायक नहीं होता। किन्तु स्त्री हो या पुरुष दोनों की सेक्स को लेकर अपेक्षाएं रहती हैं जिनका अधूरा रहना रिश्तों पर गलत प्रभाव डालते हैं। कोई भी वैवाहिक संबंध में बंध कर जीवन के इस पहलू से अनभिज्ञ नहीं रहना चाहेगा।
रिश्तों को सहेज कर रखने के लिए जरूरी है विचारों का आदान-प्रदान,चाहे वो संभोग से जुड़ा मुद्दा ही क्यूँ न हो। संबंधों में दरार,अलगाव, विवाद को थामने के लिए बुनियादी स्तर पर समझदारी निर्मित करनी चाहिए। सेक्स ना ही केवल प्रजनन से जुड़ा है और ना ही केवल मनोरंजन से। यह विवाह के सूत्र में बंधे दो व्यक्तियों की आत्मीयता को झलकाता है। अतः यह अनिवार्य है स्त्री हो या पुरुष वैवाहिक संबंध में दोनों की इच्छाओं व समस्याओं को ध्यान में लिया जाए।