हम सभी आज जीवन के एक सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहे है। एक ऐसा समय जिसकी शायद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। पिछले एक साल से हम विश्वव्यापी महामारी कोरोना से जूझ रहे है।इस महामारी ने हमारे जीवन को पूर्ण रूप से बदल कर रख दिया है। देश को आर्थिक सामाजिक हर तरह से जो हानि पहुंच रही है उसकी भरपाई हो पाना बेहद ही मुश्किल है।
लोग घरों में बंद हैं और सब कुछ जैसे रुका हुआ है।भागती-दौड़ती जिंदगी में अचानक लगे इस ब्रेक और कोरोना वायरस के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है।इस बीच चिंता, डर, अकेलेपन और अनिश्चितता का माहौल बन गया है और लोग दिन-रात इससे जूझ रहे हैं।
भारत में कोरोना संकट ने करोड़ों लोगों को अलग थलग और बेरोजगार कर दिया है. डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि चिंता, डिप्रेशन और आत्महत्या के मामले बढ़ सकते हैं और देश में मानसिक स्वास्थ्य नए संकट का रूप ले सकता है.
इंडियन साइकाइट्री सोसाइटी (आईपीएस) के एक हालिया सर्वे में पता चला है कि लॉकडाउन लागू होने के बाद से मानसिक बीमारियों के मामले 20 फीसदी बढ़े हैं और हर पांच में से एक भारतीय इनसे प्रभावित है।
सेंटर फॉर मेंटल हेल्थ, लॉ एंड पॉलिसी के निदेशक सौमित्र पठारे कहते हैं, "मुझे संदेह है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर अब दिखने लगेंगे।यह संकट अब लोगों को प्रभावित कर रहा है." उन्होंने कहा, "हालात का सामना करने की हमारी सबकी एक सीमा है और अगर ज्यादा समय तक बहुत ज्यादा तनाव रहे तो हम उससे निपटने की अपनी क्षमता खो देते हैं."
एक तरफ जहां लोग कोरोना जैसी महामारी से पीड़ित है वहीं दूसरी ओर कई लोग मानसिक रूप से विचलित है। सभी को कई तरह की चिंता डर लगी रहती है।
बात अगर युवा पीढ़ी कि की जाए तो इस महामारी के चलते युवाओं को भी अवसाद, डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां घेर रही है। देश में किशोरों की संख्या कुल आबादी का करीब पांचवां हिस्सा है. किशोरों को इस समय शैक्षणिक अनिश्चितता, कहीं आने-जाने पर प्रतिबंध, समाजीकरण या स्वच्छंदता, के साथ घरेलू काम को लेकर खिटपिट और परिवारों के सदस्यों के साथ अंतर्विरोध ने बहुत प्रभावित किया है. वहीं, कुछ किशोरों में रोजगार को लेकर अनिश्चितता ने चिंता और तनाव का माहौल पैदा किया है.
डिप्रेशन के लक्षण कभी ज्यादा हो जाते हैं और कभी कम कभी कभी हमें लगने लगता है कि आगे क्या करें क्या होगा हम उलझ से जाते है. सब कुछ ठप सा हो जाता है।फिर किसी और चीज पर ध्यान नहीं लगा पाते है। इससे मन में नकारात्मक बातें ही आती हैं।
भारतीय मनोरोग चिकित्सा सोसायटी के एक सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से 20% अधिक लोग खराब मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित थे। साक्ष्यों से यह भी उभर कर सामने आ रहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान शहरी गरीब लोगों के बीच महिलाओं के मनोवैज्ञानिक तनाव का स्तर अपेक्षाकृत अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन प्रतिबंधों से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले परिवारों में बिना प्रवासी श्रमिकों वाले परिवारों की तुलना में प्रवासी श्रमिकों वाले परिवारों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की अधिक घटनाएं देखी गईं ।
महामारी के दौरान युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर निम्न कारणों से बुरा असर पड़ रहा है।
शैक्षणिक अनिश्चितता
लॉकडाउन ने छात्रों को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है क्योंकि इस दौरान शिक्षण के नए माध्यम और परिवेश से तालमेल स्थापित करने के साथ-साथ भविष्य की संभावनाओं के बारे में उनकी चिंता बढ़ गई है।
बोर्ड से लेकर कई कॉम्पिटिटिव एग्जाम की भी तारीखों में निरंतर हो रहे फेरबदल के कारण छात्रों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है। जो कहीं न कहीं उसकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है।
कई स्टूडेंट्स को कोविड-19 की वजह से पैदा हुई स्थिति के बाद उन्हें रोजगार को लेकर चिंता है।
बेरोजगारी
कोरोना काल में बेरोजगारी भी एक बहुत बड़ी समस्या है जो हर व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रभावित कर है। हजारों लोगों ने अपने गांव और शहर के लिए वापसी की है तो कुछ की कोरोना संकटकाल में नौकरी छिन गई। स्थिति यह है कि अब युवा अपने गांव घर लौटने के साथ स्थानीय स्तर पर ही नौकरी की तलाश कर रहे हैं।
कई कंपनियों में प्रोडक्शन के लिए कच्चा माल नहीं मिल रहा तो कुछ में प्रोडक्शन होने के बाद माल बाजार तक सप्लाई नहीं होने के कारण काम बंद पड़ा है। और साथ ही सोशल डिस्टेंसिग के चलते हर जगह स्टाफ पचास प्रतिशत कर दिया है। इन सभी कारणों से बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। जिसने हर किसी को मानसिक रूप से बहुत प्रभावित किया है।जिसके कारण आर्थिक तंगी भी बढ़ती जा रही है।
सोशल मीडिया लॉकडाउन के दौरान कई युवा टाइम पास करने के लिए अधिक से अधिक सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे है। जो कुछ तरह से अच्छा भी है और बुरा भी। सोशल मीडिया का ज्यादा उपयोग करने से भी मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। नकारात्मक वीडियो पोस्ट देखने से हमारे अंदर कोरोना जैसी महामारी को लेकर चिंता और ज्यादा बढ़ने लगती है। निरंतर बढ़ती समस्याओं के बारे में पढ़ना बार बार उन्हीं नकारात्मक विचारों को एक दूसरे से साझा करने से हमारे मन में नकारात्मकता बढ़ती जाती है जिसके आगे चलकर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते है।
कहीं आने-जाने पर प्रतिबंध
जहां आज की युवा पीढ़ी का अधिक से अधिक समय घर से बाहर ही व्यतीत होता था।उनका इस महामारी के बीच घर में कैद रहना एक चुनौतीपूर्ण काम है। सारा दिन स्कूल कॉलेज तो कभी दोस्तों के संग बाहर मौज मस्ती सब बंद हो जाने से भी उनकी मानसिकता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। बार बार उन्हें यह चिंता सताती है कब ये लॉकडाउन खुले और कब हम घर से बाहर निकले।
बगैर मानसिक स्वास्थ्य के, सच्चा शारीरिक स्वास्थ्य नहीं हो सकता है
ख़ुद को मानसिक रूप से मजबूत करना जरूरी है. आपको ध्यान रखना है कि सब कुछ फिर से ठीक होगा और पूरी दुनिया इस कोशिश में जुटी हुई है. बस धैर्य के साथ इंतज़ार करें.
हम अपने दैनिक जीवन में ही कुछ परिवर्तन कर इस विपरीत समय में खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते है।
१.रिश्तों की डोर अपने रिश्तों को मजबूत करें. छोटी-छोटी बातों का बुरा न मानें. एक-दूसरे से बातें करें और सदस्यों का ख़्याल रखें. निगेटिव बातों पर चर्चा कम करें.याद रखे वक्त बहुत बुरा चल रहा है और इस बुरे वक्त ने हमें रिश्तों की डोर मजबूत करने का एक सुनहरा अवसर दिया है। एक स्टडी में पता चला है कि कोई व्यक्ति चाहे आर्थिक रूप से समृद्ध हो नौकरी में अच्छे पद पर पदस्थ हो लेकिन अगर उसके पारिवारिक रिश्ते अच्छे नहीं है तो वो व्यक्ति कभी खुश नहीं रह सकता। और जीवन में खुशी से बढ़कर कोई चीज नहीं इसलिए अपने जीवन की खुशी अर्थात अपने रिश्तों को मजबूत करने का प्रयास करें इससे आप मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे।
२.प्रकृति प्रेम घर से बाहर तो नहीं निकल सकते लेकिन, छत पर, खिड़की पर, बालकनी या घर के बगीचे में आकर खड़े हों. सूरज की रोशनी से भी हमें अच्छा महसूस होता है।प्रकृति के बीच रहने से हम मानसिक और शारीरिक हर तरीके से स्वस्थ रहते है। सुबह की शुद्ध ताजी हवा में थोड़ी देर पहले या बैठे उगते हुए सूरज को देखे ये सभी चीजें हमें एक ऊर्जा देती है।
गार्डनिंग करें और अपने बच्चों को भी सिखाए किस तरह एक बीज से एक पौधा बन जाता है जो हमें रंग बिरंगे फूल हरियाली के साथ हमारी आंखों को एक सुकून देते है।
३.दिनचर्या अपनी दिनचर्या को बनाए रखें. इससे हमें एक उद्देश्य मिलता है और सामान्य महसूस होता है. हमेशा की तरह समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम,ध्यान करें। भले ही इस महामारी ने हमें घरों में कैद कर रखा है लेकिन इससे हमें जीने के नए अंदाज भी दिए है। जहां आज सभी जिम पार्क बंद है वहीं आज ऐसे ऑनलाइन सेशन स्टार्ट हो गए है जिनके जरिए हम घर में ही रहकर अपने पूरे ग्रुप के साथ ही नहीं बल्कि अपने परिवार के सदस्यों अपने बच्चों को साथ लेकर वर्कआउट एक्सरसाइज कर सकते है।
४.हॉबी एक महत्वपूर्ण तरीका ये है कि इस समय का इस्तेमाल अपनी हॉबी पूरी करने में करें. वो मनपसंद काम जो समय न मिलने के कारण आप ना कर पाए हों. इससे आपको बेहद ख़ुशी मिलेगी जैसे कोई अधूरी इच्छा पूरी हो गई है। अगर आपको चित्रकारी का शौक है तो पन्नों पर उन्हें उतारने के साथ ही आप अपने जीवन में भी नए रंग भर सकते है। यदि लिखने का शौक है और कुछ कारणों से आप बहुत समय से अपनी कलम से दूर है तो अपनी कलम का जादू दिखाने का यह एक सुनहरा अवसर है। सोशल मीडिया के साथ ही कई पत्रिकाओं और एंथोलॉजी का बुक्स में अपनी रचना दे सकते है । जो आपको एक आत्म संतुष्टि के साथ लोगों के बीच अपनी एक नई छवि प्रदर्शित करने का मौका देती है।
अपनी हॉबी के जरिए हम मानसिक तनाव को दूर ही नहीं कर सकते बल्कि जीवन में लंबे समय के लिए खुशी और सुकून भी प्राप्त कर सकते है।
५.अपनी भावनाओं को जाहिर करना।अगर डर, उदासी है तो अपने अंदर छुपाए नहीं बल्कि परिजनों या दोस्तों के साथ शेयर करें।जिस बात का बुरा लगता है।ऐसे पहचानें और जाहिर करें, लेकिन वो गुस्सा कहीं और ना निकले। खुशियां बांटने से बढ़ती है और दुख अवसाद बांटने से कम हो जाता है। इसमें अपने परिवारजनों और कुछ करीबी दोस्तों की मदद लें।
६.सकारात्मकता भले ही आप परिवार के साथ घर पर रह रहे फिर भी अपने लिए कुछ समय ज़रूर निकालें। आप जो सोच रहे हैं उस पर विचार करें।अपने आप से भी सवाल पूछें।जितना हो पॉजिटिव नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करें।बुरे वक़्त में भी सकारात्मक रहें। अभी महामारी है, लॉकडाउन है लेकिन इस बीच आपके पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए, अपनी हॉबी पूरी करने के लिए काफ़ी वक़्त है. इस मौक़े पर भी ध्यान दें। न की केवल समस्याओं के बारे में सोचे या पढ़ते रहे। मन में एक विश्वास रखें हर रात के बाद सुबह जरूर आती है और इस कोरोना जैसी महामारी का भी अंत जल्द ही होगा और हम सब के जीवन की गाड़ी वापस पटरी पर आकर एक बार फिर सुहाने सफर पे चल देगी।
मानसिक विकारों की रोकथाम के लिए सरकार भी कदम उठा रही है।महामारी के दौरान छात्रों को मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए, सरकार ने 'मनोदर्पण' नामक एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म शुरू किया जिसमें एक चर्चात्मक
ऑनलाइन चैट विकल्प, मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की एक निर्देशिका और एक हेल्पलाइन नंबर शामिल है।