हम सबके लिए स्वास्थ्य महत्वपूर्ण तथ्यों में से सबसे महत्वपूर्ण है, किसी भी व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मकता का प्रभाव उसके स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ होता है, जैसे अगर शरीर स्वस्थ्य है तो हम लगातार खेल कूद और शारीरिक व्यायाम जैसे खेलों में भाग ले सकते हैं शारीरिक बल द्वारा किए जाने वाले कामों को भी सरलता से कर सकते हैं, पर सिर्फ शरीर का स्वस्थ होना ही काफी नहीं है मानसिक स्वास्थ्य भी हर एक के लिए बेहद जरूरी है,
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति पढ़ाई लिखाई दैनिक कार्यों और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है तो मानसिक स्वास्थ्य किसी भी स्वास्थ्य शरीर वाले व्यक्ति के लिए बेहद अहम भूमिका अदा करता है या यूं कहें कि स्वस्थ शरीर के साथ स्वास्थ्य मन व्यक्ति की प्रगति में सहायक होता है
हम सबके लिए स्वास्थ्य महत्वपूर्ण तथ्यों में से सबसे महत्वपूर्ण है, किसी भी व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मकता का प्रभाव उसके स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ होता है, जैसे अगर शरीर स्वस्थ्य है तो हम लगातार खेल कूद और शारीरिक व्यायाम जैसे खेलों में भाग ले सकते हैं शारीरिक बल द्वारा किए जाने वाले कामों को भी सरलता से कर सकते हैं, पर सिर्फ शरीर का स्वस्थ होना ही काफी नहीं है मानसिक स्वास्थ्य भी हरएक के लिए बेहद जरूरी है,
मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति पढ़ाई लिखाई दैनिक कार्यों और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करता है तो मानसिक स्वास्थ्य किसी भी स्वस्थ्य शरीर वाले व्यक्ति के लिए बेहद अहम भूमिका अदा करता है या यूं कहें कि स्वस्थ शरीर के साथ स्वास्थ्य मन व्यक्ति की प्रगति में सहायक होता है
अगर आप मानसिक रूप से स्वस्थ है तो आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा
मान लीजिए आपको किसी प्रकार की कोई चिंता है जिसके बारे में आप दिन रात सोचते रहते वो चिंता इस हद तक बढती चली जाती है कि आप खाना पीना सोना तक भूल जाते हो, लोगों की बातों से आपको चिड़चिड़ापन महसूस होता है आप उनसे दूर रहने लगते हो ऐसे में आपकी मानसिक चिंता आपके शरीर और आपके रिश्तों दोनो के लिए घातक हो सकता है तो शरीर और मन का स्वस्थ्य होना बेहद ही आवश्यक माना जाता है
जिस तरह हम शरीर का ख्याल रखते हैं उसी तरह हमे अपने मन का भी खयाल रखना चाहिए, मानसिक रूप से सुदृढ़ होना भी बहुत आवश्यक है
आज हम ऐसी ही एक मानसिक बीमारी के रूप में बताने जा रहे हैं
बाइपोलर डिसऑर्डर
यह एक प्रकार की मानसिक बीमारी है, जिसमे मन लगातार कई हफ्तों तक या महीनों तक या तो बहुत उदास या फ़िर हद से ज़्यादा खुश रहता है | उदासी में नकारात्मक तथा मैनिया में मन में ऊँचे ऊँचे विचार आते हैं | जैसे रोगी बहुत शक्तिशाली है, या बहुत अमीर ,
यह बीमारी लगभग 100 में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी ना कभी होती है | इस बीमारी की शुरुआत अक्सर 14 साल से 19 साल के बीच होती है| किशोरावस्था में शरीर के बदलते स्वरूप हार्मोन्स के बदलाव और संवेगों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने की जद्दोजहद में अक्सर लोग बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं इस बीमारी से पुरुष तथा महिलाएँ दोनों ही समान रूप से प्रभावित होते हैं | यह बीमारी 40 साल के बाद बहुत कम ही शुरू होती है|
बाइपोलर डिसऑर्डर में व्यक्ति में दो तरह के लक्षण आते है एक है डिप्रेशन यानी अवसाद, मेनिया यानी मन का अत्यधिक चंचल होना
अवसाद (डिप्रेशन):-
इसमें मरीज़ के मन में अत्यधिक उदासी घर कर जाती है काम मे उसका मन नहीं लगता, न ही वो ठीक तरह से कोई काम ही कर पाता है, लोगों से मिलना जुलना उसे पसंद नहीं आती, वो जल्दी ही बिना बात चिड़चिड़ा जाता है, अक्सर उज़ घबराहट महसूस होती है, मन मे आत्मग्लानि की भावना उत्पन्न होने लगती है, उसे अपने भविष्य के बारे में निराशा होती है, शरीर में कमज़ोरी महसूस होती है, अपने आप से नफरत होने लगती है, नींद नही आती, सेक्स इच्छा की कमी, बार बार रोने का मन करना, आत्मविश्वास की कमी लगातार बनी रहती है| मन में आत्महत्या के विचार आते रहते हैं| मरीज़ की कार्य करने की क्षमता अत्यधिक कम हो जाती है| कभी कभी मरीज़ का बाहर निकलने का मन नहीं करता है| कहीं घूमने फिरने का मन नहीं करता किसी से बातें करने का मन नहीं करता| ऐसी स्थिति प्रकार जब दो हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहे तब इसे बीमारी समझकर मनोचिकित्सक से मिलना जरूरी हो जाता है
‘मैनिया’( मन में तेजी) के लक्षण:-
इस प्रकार के रूप में मरीज़ के लक्षण कई बार इतने ज़्यादा बढ़ जाते हैं कि मरीज़ का हक़ीक़त से सम्बन्ध टूट जाता है| मरीज़ को बिना किसी कारण कानों में आवाजें आने लगती है| उसे बार बार अजीब अजीब आवाजें सुनाई देतीं हैं मरीज़ अचानक अपने आपको बहुत बड़ा आदमी या खुद को सम्पन्न समझने लगता है| मरीज़ का मन स्थिर नहीं रहता अत्यधिक तेजी के कारण इधर उधर भागता रहता है, एक काम मे मन नही लगता उसे भूख की कमी महसूस होने लगती है, मन के भटकने की वजह से उसे नींद नहीं आती
अब सवाल ये उठता है कि इस रोग से ग्रसित रोगियों के साथ कैसा व्यवहार करें
मरीज़ों के साथ कैसा व्यवहार करें
★ अच्छे चिकित्सक से इनका इलाज कराए
★ इलाज में देरी या लापरवाही न करें
★ इस रोग से ग्रसित रोगियों के साथ दोस्तों की तरह व्यवहार करें
★ अवसाद से ग्रसित रोगियों को कभी भी अकेला न छोड़ें, न इन्हें कभी भी अकेले कमरे में रहने दें
★ इन रोगियों को चिकित्सीय परामर्श के अनुसार वक़्त पर दवाएँ वगैरह देते रहें
★ इनके खाने में पौष्टिक तत्वों को सम्मिलित करें
★ घर का वातावरण खुशनुमा रखें जिनसे दिमागी सुकून मिलता रहें
★ योग और ध्यान करने के लिए इन्हें प्रेरित करें
★ इनकी पसन्द की जगहों पर इन्हें घुमाने ले जाएं
★ भीड़भाड़ से दूर प्रकृतिक प्रचुरता से भरपूर जगहों पर इन्हें ले जाना भी इनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है
★ इस तरह के मानसिक रोगियों के लिए आपका नर्म रवैया रखना ही बेहतर होगा
★ इन मरीजों को अगर वो शराब वगैरह का नशा करते हैं तो उन्हें इसके दुष्परिणाम के बारे में बताएं और धीरे धीरे उन्हें छोड़ने के लिए प्रेरित करें
★ मानसिक रोगी जिन्हें भविष्य का डर होता है धीरे धीरे उनमें सकारात्मक सोचने की प्रवृत्ति को उत्पन्न करने के लिए उन्हें सकारात्मक बातें बताएं, उदाहरण के तौर पर ऐसे लोगों को पेश करें जो असफलता से सफलता की ओर बढ़े हैं और काफी आगे गए हैं
★ इनकी गतिविधियों पर हर समय नजर रखे
★ इनकी आत्महत्या करने जैसी किसी भी बात को महज धमकी न समझें आवेग में ये कुछ भी कर सकते हैं
★ इन मरीजों से ज़बरदस्ती बात मनवाने की कोशिश न करें, न इन पर अपनी मर्जी से कुछ थोपने को कोशिश करें, न इन्हें धमका कर दबाव में अपनी बात मनवाने की कोशिश करें
★ खाने की इच्छा न होने पर इन्हें वो खाना बना कर खिलाने की कोशिश करें जो इन्हें बेहद पसंद हो
★ इनके दोस्तों को इनसे बात करने के लिए बुलाएं जिनसे बात कर के ये खुश और खुद को हल्का हल्का महसूस कर सकें
★ इन मरीज़ों को कुछ रोचक खेलों की तरह आकर्षित करने की कोशिश करें जिनकी वजह से इनकी मानसिक दशा में सुधार हो सकें
★ इनके सोने का भरपूर ध्यान रखें घर का वातावरण शांत रखें, जब ये सो रहें हों तब इस बात का भी ध्यान रखें कि बेवजह इनकी नींद में ख़लल न पड़े