IVF kya hota hai? -आईवीएफ, इसकी प्रक्रिया और इसके उपचार

 भारतीय समाज मे शादी सिर्फ शारीरिक सुख के लिए ही नहीं कि जाती बल्कि जीवन के अनेक पड़ावों को सफलता पूर्वक पार करने और वंश वृद्धि कर संतान की उत्पत्ति भी इसका महत्वपूर्ण लक्ष्य है, क्योंकि हिन्दू धर्म में मान्यता है कि किसी व्यक्ति के मरने के पश्चात दाह संस्कार एवं पिंडदान का कार्य उसके बाद प्रतिवर्ष उसके पुत्र के द्वारा ही किया जाना चाहिए वरना जीवात्मा की मुक्ति नहीं होती.

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समाज में संतान का होना अतिआवश्यक है, बिना संतान के जीवन लोक व परलोक अर्थ सफल नहीं होता। शास्त्रों में कहा गया है कि ‘पुत्रार्थे क्रियते भार्या पुत्र: पिंड प्रायोजन:’ पुत्र प्राप्त के हेतु ही भार्या की आवश्यकता है न कि काम वासना को तृप्त करने के लिए और पुत्र के द्वारा ही उत्तर क्रिया सम्पन्न होती है। ‘अपुत्रस्य गृहं शून्यम्’ व्यवहार दृष्टि से भी बिना पुत्र के घर मानो शून्य हैं। देवी भागवत में लिख दिया गया है कि ‘अपुत्रस्य गतिर्नास्ति स्वर्गो वेदविदो बिंदु:’ अर्थात स्वर्ग में वेदेत्ता देवताओं ने यह निश्चय किया कि बिना संतान के प्राणी की सद्गति नहीं होती है।

ऐसे में आईवीएफ (IVF) अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, ऐसे लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है जो किन्हीं कारणों से संतान सुख से वंचित है, लाख कोशिशों के बाद भी जिन्हें संतान सुख नहीं प्राप्त हो रहा उनके लिए ये काफी कारगर है

आईवीएफ (IVF) अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया

यह गर्भ धारण की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। आईवीएफ प्रक्रिया के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है

आईवीएफ उपचार 

इस प्रक्रिया में महिला और पुरुष की जाँच की जाती हैं, उसके बाद परिणाम के अनुसार प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं।

पुरुष के सीमेन को लैब में साफ किया जाता है। फिर सक्रिय (अच्छे) और असक्रिय (बेकार) शुक्राणुओं को अलग किया जाता हैं।

महिला के शरीर में से इंजेक्शन के जरिए अंडे को बाहर निकालकर फ्रीज किया जाता है।

फिर लैब में पेट्री-डिश में अंडे के ऊपर सक्रिय शुक्राणु को रखा जाता है और प्राकृतिक रूप से प्रजनन के लिए छोड़ दिया जाता है।

प्रजनन के तीसरे दिन तक भ्रूण तैयार हो जाता है।

कैथिटर (Catheter) जो एक विशेष लचकदार नली की तरह दिखता है, उसकी मदद से महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है।

कई बार भ्रूण को 5 दिन तक की निगरानी के बाद महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।

5 दिन वाले भ्रूण में प्रेग्नेंसी की सफलता दर अधिक बड जाती है।

आई वी एफ (IVF in Hindi) गर्भावस्था सामान्य प्रेग्नेंसी की तरह ही होती है सिर्फ इसमें भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है, जिससे कोई नुकसान (साइड इफ़ेक्ट) नहीं होता। कई लोगों का मनाना हैं कि IVF Treatment से बच्चे के अंदर कोई कमी रह सकती है। यह सोच सही नहीं है क्योंकि प्रजनन से लेकर शिशु जन्म तक की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से ही होती है। शिशु का विकास माँ की कोख में होता है, माँ के आहार और प्रतिक्रियाओं पर बच्चे का विकास निर्भर करता है।

कई फर्टिलिटी परेशानियों के लिए अलग-अलग प्रकार के इलाज मौजूद है। कई बार परेशानी शुक्राणुओं की कमी, शुक्राणुओं की गति, शुक्राणुओं के आकार, सीमेन में शुक्राणुओं की उपस्थिति ना होना, खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणु, खराब गुणवत्ता वाले अंडे या ओवुलेशन में परेशानी की वजह से भी होती है।

ivf  उपचार की कुछ पद्धति यों की जानकारी नीचे दी जा रही है, जो आपको ये समझने में आसानी पैदा करेगी कि किन किन तकनीकों द्वारा दम्पत्तियों का उपचार किया जा सकता है, उनकी परिस्थितियाँ क्या क्या होती हैं तथा उनका निराकरण कैसे किया जाता है

 इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन (IUI)

एक तकनीक है जहाँ पुरुष शुक्राणु को स्त्री के गर्भाशय में ओवुलेशन के दौरान डाला जाता है। इस तकनीक का प्रयोग पुरुष के शुक्राणुओं में किसी भी प्रकार की कमी होने पर किया जाता है। इस प्रक्रिया में सीमेन को लैब में साफ़ करने के बाद एक स्वस्थ शुक्राणु चुना जाता है जिसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। अगर पुरुष शुक्राणु की गुणवत्ता अच्छी हो तो यह प्रक्रिया सफल होती है।


इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI)

पुरुष के सीमेन में से एक स्वस्थ शुक्राणु को चुना जाता है और फिर उसे महिला के अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया ऐसे मामलों में इस्तेमाल की जाती है जहाँ पुरुष शुक्राणु की गतिशीलता कम हो। स्वस्थ स्त्री के अंडे के लिए ICSI की सफलता 70-85% है। शुक्राणु को अंडे में इंजेक्ट करने के बाद वह प्राकृतिक रूप से फर्टिलाइज़ हो जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।


आई वी एफ प्रक्रिया

अगर दंपत्ति के शुक्राणु या अंडों की गुणवत्ता खराब हो तो ऐसे में डोनर एग या स्पर्म और डोनर एम्ब्र्यो का प्रयोग किया जाता है। डोनर IVF की उन मामलो में सलाह दी जाती है जिनमें साथी को आनुवंशिक रूप से कोई रोग हो। महिलाओं में ओवेरियन रिज़र्व फेलियर हो तब डोनर एग की ज़रूरत होती है।


सरोगेसी (गोद ली हुई कोख)

जो महिला गर्भाशय में दिक्कत या किसी और कठिनाई के कारण शिशु पैदा नहीं कर सकती तो उनके लिए सरोगेसी एक अच्छा विकल्प है। सरोगेसी एक अनुबंध है जिसमें सरोगेट माँ शिशु के जन्म तक उसे अपनी कोख में रखती है और जन्म के बाद माता-पिता को सौंप देती है। इसमें भ्रूण को लैब के अंदर फर्टिलाइज़्ड किया जाता है और सरोगेट मदर के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। शिशु का सरोगेट माता के साथ कोई आनुवंशिक सम्बन्ध नहीं होता है। ऐसी कई वजह है जिनमें दंपत्ति सरोगेसी को चुनते हैं जिसमें कैंसर का उपचार भी एक है य फिर जिन महिलाओं में गर्भाशय ना हो या प्रजनन प्रणाली में कोई समस्या हो।

आई वी एफ उपचार पद्धति उन लोगों के लिए बेहद लाभकारी है जिन्हें संतान उत्पत्ति में समस्या आ रही है इसके अनेक कारण हो सकते हैं उनमें से कुछ कारणों को नीचे उल्लिखित किया जा रहा है

पुरुष प्रजनन क्षमता में विक़ार

यह एक समस्या है जो काफी पुरुषों में पाई जाती है। पुरुष फर्टिलिटी उपचार, शुक्राणुओं की कमी होने पर, शुक्राणुओं की गति, शुक्राणुओं के आकार, सीमेन में खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणु या वीर्य पात करने में अक्षमता इन सब के लिए मददगार है। आई वी एफ में केवल एक स्वस्थ शुक्राणु की आवश्यकता होती है जो कि अंडे को निषेचित कर सकें।

स्त्री बाँझपन

काफी महिलाओं में ओव्युलेशन की समस्या होती है जिसकी वजह से वह अनियमित पीरियड्स, बहुत दर्दनाक पीरियड्स, पीरियड्स में अत्यंत रक्त बहना, या फिर पीरियड्स ना आना, ऐसी कठिनाइयों का सामना करती हैं। यह सब उनकी प्रजनन शक्ति को प्रभावित करती हैं। फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या गर्भाशय में समस्या बाँझपन के सामान्य कारणों में से है। आई वी एफ प्रक्रिया में अधिक अंडों के विकास के लिए अंडाशय में इंजेक्शन लगाए जाते है।

आई वी एफ उपचार की प्रक्रिया थोड़ी लम्बी और खर्चीली होती है इसका लगातार उपचार करवाना होता है, अनेक चरणों में

ये काफी लाभकारी रहा है उन लाखों लोगों के लिए जो प्राकृतिक तौर पर बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हैं, आईवीएफ तकनीक ने निसंतान दंपत्तियों को सुने जीवन को बच्चों की किलकारियों से गुंजित किया है

इस उपचार के बारे में भ्रमित होने से  बेहतर है, आप उन अस्पतालों या चिकित्सकों से सम्पर्क करें और अपनी समस्याओं शंकाओं का निदान खुद कर लें

ऐसे अनेक नंबर बहुत सारी साइटों पर उपलब्ध हैं जो IVF के बारे में आपकी जानकारी में वृद्धि के साथ साथ आपकी शंकाओं का समाधान भी करेंगे

स्त्रोतhttps://www.medicoverfertility.in/blog/what-is-ivf-in-hindi,258,n,5475


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