महिलाओं के कमर के निचले हिस्से में दर्द के कारण और इलाज के उपाय
किसी भी उम्र में होने वाली तकलीफदेह बीमारी है कमर दर्द, इसे किसी एक आयु वर्ग से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता। आज की बदलती जीवन शैली के कारण पीठ या कमर दर्द की समस्या आम बनती जा रही है। महिलाओं में मासिक एवं गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द की शिकायत अधिक देखी जाती है। कैल्शियम, विटामिन की कमी, रूमेटायड आर्थराइटिस, कशेरुकाओं की बीमारी, मांसपेशियों एवं तन्तुओं में खिंचाव, गर्भाशय में सूजन, मासिक में गड़बड़ी, गलत आसनों के प्रयोग आदि अनेक कारणों से पीठ या कमर में दर्द हो जाता है।
क्या होता है कमर के नीचले हिस्से में दर्द?
रीढ़ का निचला हिस्सा हमारे शरीर का अधिकतर वजन उठाता है। जब हम झुकते, मुड़ते या भारी वस्तु उठाते हैं तब भी सारा भार रीढ़ के निचले हिस्से पर पड़ता है। जब हम एक स्थान पर ज्यादा समय बैठते हैं तब भी भार उसी स्थान पर पड़ता है। इन सब कारणों से हमारी रीढ़ को सहारा देने वाली मांसपेशियां, टिश्यू तथा लिंगामेंटस पर बार-बार दबाव पड़ता है। इस तरह की इंजरी को स्ट्रेस इंजरी कहते हैं। इससे बचने के लिए लगातार एक ही पोजीशन में एक जगह पर न बैठकर काम करें और थोड़ा ब्रेक लेते रहें। अपने पॉश्चर को बदलते रहें ताकि मांसपेशियों में अकड़न न आने पाए।
कमर के निचले हिस्से में दर्द होने का कारण
आयुर्वेद में वात और कफ की दृष्टि के कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होने के पीछे और भी बहुत सारे कारण होते है जो निम्नलिखित है-
तनाव- जब हम तनाव में होते हैं तो हमारी मांसपेशियां अकड़ जाती हैं। खासकर गले और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों पर तनाव का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। पीठ की मांसपेशियों के अकड़ जाने से हमारी पीठ दुखने लगती है। आपने गौर किया होगा, जब भी आप तनावग्रस्त होते हैं तो सबसे पहले पीठ परेशान करना शुरू कर देती है, जिन लोगों को पीठ दर्द की समस्या होती है, यदि वे लंबे समय से तनावग्रस्त रहते हैं तो पीठ दर्द की समस्या और बढ़ जाती है, इसलिए मन को तनावग्रस्त होने से बचाना चाहिए।
नए-नए तकनीक- जो लोग दिन में कईं घंटे अपने फोन या टैब में बिजी रहते हैं, उन्हें टेक्स्ट नेक हेल्थ प्रॉब्लम होती है। चूंकि वे फोन या टैब पर काम करते समय अपनी गर्दन को नीचे झुकाए होते हैं, उनके मेरुदंड यानी स्पाइन पर अतिरिक्त वजन पड़ता है, शुरू-शुरू में उन्हें इसका एहसास नहीं होता, पर यह आदत धीरे-धीरे उनके पॉश्चर को प्रभावित करने लगती है और पीठ का दर्द शुरू हो जाता है, मामला साफ है, स्क्रीन में दिन रात घुसे रहने से आपकी आँखें ही नहीं, शरीर के दूसरे अंग भी परेशान हो रहे हैं, अब अपने स्क्रीन टाइम को लिमिट में रखने की कोशिश करें।
शरीर के मांसपेशियों का तालमेल बिगड़ जाना- हमें यह तो पता ही है कि हमारे शरीर के सभी अंग आपस में एक बेहतरीन कोऑर्डिनेशन यानी तालमेल के साथ काम करते हैं, पीठ में दर्द होने का यह मतलब नहीं है कि मुख्य समस्या पीठ में ही है, हैमस्ट्रिंग में खिंचाव या पेट की मांसपेशियों के कमजोर होने में भी पीठ का दर्द होता है। शरीर में मसल्स का तालमेल गड़बड़ाता है तो इसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है, खासकर ऐसी स्थिति में पीठ को ज्यादा काम करना पड़ता है, तो पीठ को अपनी आराम की स्थिति में आने का समय नहीं मिल पाता, जिसका परिणाम असहनीय पीड़ा होता है।
ऐसी स्थिति में डॉक्टर से परामर्श करें तथा विशेषज्ञों की देखरेख में व्यायाम करें।
रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ की समस्या-हमारी रीढ़ की हड्डी के बीच के डिस्क रीढ़ का कुशनिंग इफ़ेक्ट की तरह काम करते हैं। वे रीढ़ को किसी भी तरह के झटके से बचाते हैं, सीधी भाषा में समझ लीजिए कि शॉक-एब्जॉर्बर का काम करते हैं, पर समय के साथ ये डिस्क्स फ्लैट होने लगते हैं, या गलत पॉश्चर या चोट आदि लगने के चलते इसमें गड़बड़ी आने लगती है। कई लोगों को डिस्क में गड़बड़ी की फैमिली हिस्ट्री भी होती है। ये डिस्क्स हमेशा दर्द वाली स्थिति पैदा करते हैं, ऐसा नहीं है, पर जब एक बार डिस्क्स के चलते दर्द शुरू होता है तो काफी तकलीफ होती है। हॉट और कॉल्ड पैक्स लगाने से भी आराम मिलता है। फिजियोथेरेपी से भी मदद मिलती है, पर आपके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टर की सलाह पर अमल करें।
गंभीर बीमारी- कभी-कभी पैंक्रियाटाइटिस, अल्सर या किडनी इन्फेक्शन के चलते भी पीठ में तेज दर्द होता है। वहीं कभी-कभी पीठ का दर्द कैंसर का संकेत भी देता है। इसके अलावा ऑस्टियोमाइलाइटिस जैसा रीढ़ की हड्डी का इन्फेक्शन भी पीठ दर्द का कारण हो सकता है।
लक्षण के अनुसार बीमारी का संकेत
अल्सरेटिव कोलाइटिस- यह सूजन आंत्र रोग बड़ी आंत में लगातार सूजन की विशेषता है, जिसे बृहदांत्र भी कहा जाता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस से बार-बार पेट में ऐंठन होने से पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। अन्य लक्षणों में क्रॉनिक डाइजेस्टिव समस्याएं जैसे मलाशय में दर्द, वजन में कमी और थकान शामिल है।
स्त्री रोग संबंधी विकार –महिलाओं में, श्रोणि में स्थित विभिन्न प्रजनन अंग पीठ के निचले हिस्से में दर्द पैदा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एंडोमेट्रियोसिस एक सामान्य स्थिति है जो श्रोणि क्षेत्र में तेज दर्द पैदा कर सकती है, जो पीठ के निचले हिस्से में विकीर्ण हो सकती है। गर्भाशय में और उसके आस-पास बढ़ने वाले फाइब्रॉएड या ऊतक द्रव्यमान, पीठ के निचले हिस्से में दर्द के साथ-साथ अन्य लक्षण जैसे कि असामान्य मासिक धर्म, बार-बार पेशाब आना।
गर्भावस्था – बच्चे के विकसित होते ही गर्भावस्था के दौरान पीठ के निचले हिस्से में दर्द और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना आम है। कई महिलाओं को अलग-अलग दर्द प्रबंधन के तरीके मददगार लगते हैं, जिनमें आराम, व्यायाम और स्ट्रेचिंग और पूरक उपचार शामिल हो सकते हैं।
हर्नियेटेड लम्बर डिस्क – एक इंटरवर्टेब्रल डिस्क एक कशेरुकी खंड के बाईं ओर हर्नियेटेड कर सकता है, जिससे पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है और तेज दर्द होता है, जो बाएं कूल्हे के माध्यम से और बाएं पैर के पीछे से चलता है। ज्यादातर, बाएं पैर में दर्द पीठ दर्द से भी बदतर होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस – आमतौर पर कशेरुका के पीछे एक या दोनों पहलू जोड़ों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कठोरता, बेचैनी और सुस्त दर्द होता है। निचली रीढ़ के बाईं ओर एक हड्डी का फैलाव तंत्रिका जड़ों को परेशान कर सकता है, जिससे बाएं कूल्हे के नीचे और बाएं पैर के नीचे से दर्द होता है।
सक्रोइलिअक जॉइंट डिसफंक्शन – सक्रोइलिअक जोड़ शरीर के एक या दोनों तरफ कमर पीठ और श्रोणि दर्द का कारण बन सकता है अगर इसकी गति की सामान्य सीमा खंडित है। संयुक्त में बहुत अधिक आंदोलन पीठ के निचले हिस्से में दर्द और/या कूल्हे के दर्द का कारण हो सकता है, जो कमर में विकीर्ण हो सकता है। बहुत कम गति से आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है जो नितंबों या पैर के नीचे तक फैल जाता है है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस अक्सर पवित्र जोड़ों के दर्द से शुरू होता है।
पीठ के निचले हिस्से के दर्द से करे बचाव
आम तौर पर जीवन शैली के असर के कारण भी पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है। इसके लिए जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। जैसे-
सही पॉश्चर-कुर्सी पर बैठते वक्त आराम से बैठें। पीठ को कुर्सी का सपोर्ट मिलना जरूरी है। आप के हाथ को भी सपोर्ट मिलना जरूरी है। हर एक घंटे के बाद कुर्सी से उठ जाएं ताकि शारीरिक स्थिति में कोई बदलाव आए। काम के बीच में स्ट्रेचिंग द्वारा शरीर को रिफ्रेश करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपके काम करने की जगह आरामदायक हो, अचानक झुकने से बचें, बैठते समय पॉश्चर सही रखें।
कम्प्यूटर पर काम करते वक्त इन चीजों का ध्यान रखें- आप अगर लैपटॉप और डेस्कटॉप पर काम कर रहे हों तो इस चीजों के सबसे ऊपरी भाग आपकी नजर के 90 डिग्री के कोण में होनी चाहिए। वहीं माउस भी 90 डिग्री के कोण पर होना चाहिए। मोबाइल फोन इस्तेमात करते वक्त गर्दन न झुकाएं, सिर्फ नजर नीचे रखें।
पैदल चलें- किसी भी व्यक्ति को फोन करते वक्त चलते-चलते फोन करें। ऑफिस में किसी को टेक्स्ट मेसेज भेजने से अच्छा है, उसके डेस्क के पास जा कर बात करें। इसी बहाने आप कुछ कदम भी चल लेंगे।
वजन उठाते वक्त सावधान रहें- वजन उठाते वक्त पूरी तरह नीचे न बैठें, वजनदार चीज आपके शरीर के पास आने दें और उसके बाद ही उसे उठाएं। ऐसा न करने पर आपको पीठ की तकलीफ हो सकती है।
स्वस्थ खान-पान- खान-पान की सही आदतें न केवल सेहतमंद वजन बनाए रखने में मदद करती हैं बल्कि इससे शरीर पर अतिरिक्त दबाव कम होता है।
सोने का सही तरीका- अपने सोने के तरीके में सामान्य बदलाव करके आप पीठ पर पड़ने वाले दबाव को कम कर सकते हैं, सोने का सबसे अच्छा तरीका है, करवट लेकर सोना और अपने पैरों के बीच में तकिया रखना।
मानसिक तनाव को कम करे- लोग वाकई इस बात को समझते हैं कि तनाव से पीठ/कमर दर्द की समस्या बढ़ती है, योग, ध्यान, गहरी सांस लेने, आदि से तनाव को दूर करने में मदद मिलती है और दिमाग शांत रहता है।
धूम्रपान न करें- धूम्रपान करने से पीठ दर्द की मौजूदा समस्या बहुत बढ़ जाती है। धूम्रपान छोड़ने से ना केवल पीठ दर्द का खतरा कम होता है बल्कि इससे कैंसर, डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़ी अन्य बीमारियों को भी दूर करने में मदद मिलती है।
नियमित व्यायाम और योग करें- शरीर को लचीला और अच्छी शारीरिक मुद्रा बनाये रखने के लिए योग और व्यायाम सबसे सही तरीके हैं। नियमित योग करने से तनाव कम होता है और यह पूर्ण रूप से शरीर के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है।
शलभासन- सर्वप्रथम पेट के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को अपनी जांघ के नीचे रखिये। श्वास अंदर भरते हुए पहले दाहिने पैर को बिना मोड़े धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं कुछ सेकंड रुक कर दाहिने पैर को उसी स्थिति में रखे हुए बायें को दाहिने पैर की तरह ऊपर की ओर उठाएं। ध्यान रखिये कि हर स्थिति में आपकी ठोड़ी जमीन से जुड़ी रहनी चाहिए। सांस छोड़ते हुए पूर्ण स्थिति में आइये। आप अपनी क्षमतानुसार क्रम को दोहराइए।
मकरासन- पेट के बल लेटकर हाथ की कोहनियों को मोड़कर बिल्कुल सीधे हथेलियों पर ठोड़ी को रखिये। धीरे-धीरे लंबी सांस खींचते हुए दोनों पैर की एड़ियों को कूल्हे से सटाने का प्रयास कीजिए। सांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में आ जाइए।
धनुरासन- इस आसन का सीधा सा अर्थ है शरीर को मोड़कर धनुष के समान बनाना। पेट के बल लेट कर दोनों पैरों के घुटने को मोड़कर कूल्हे के ऊपर लाकर दोनों हाथों से दोनों पंजों को पकड़िये। श्वास भरते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठाइये एवं धनुष के समान रचना बनाइए। इस दौरान गर्दन सीधे रखते हुए सामने की ओर देखिये। क्षमतानुसार रुककर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पूर्व स्थिति में लौट आइये।
भुजंगासन- यानी फन फैलाए सांप के समान आकृति वाला आसन। इसमें भी पहले वाले आसन की तरह पेट के बल लेटकर हथेलियों को छाती के बाजू में रखकर पंजे मिलाते हुए कोहनी को थोड़ा ऊपर उठाकर श्वांस छाती में भरते हुए सिर को ऊपर उठाएं। नाभि जमीन में सटी हो। सिर को पीछे की ओर मोड़िये। थोड़ा रुक कर पूर्व स्थिति में आ जाइए।
मर्कटासन- इस आसन को कमर दर्द के लिए उत्तम माना जाता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाइये। दोनों हाथों को कंधे की सीध में फैलाये और अपनी हथेलियाँ खुला रखे, दोनों पैरों को घुटने से मोड़ ले, अब दाहिने ओर पैरों को मोड़ लीजिये और बाएं तरफ गर्दन को मोड़े। 5-6 सेकेण्ड तक करने की कोशिश करे। इसी तरह बाएं तरफ पैरों को मोड़कर गर्दन दाहिनी ओर रखे।
पीठ के निचले हिस्से में दर्द से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय
आम तौर पर पीठ कमर जैसे दर्द से राहत पाने के लिए लोग घरेलू उपाय ही सबसे पहले आजमाते हैं। चलिए वह कौन-कौन है ये देखते हैं-
अदरक पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
अदरक को कमर दर्द में से राहत पाने में औषधि की तरह काम करता है। इसलिए जब भी कमर का दर्द सताए अदरक को विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल करें दरअसल अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी कंपाउंड होते हैं जो हमें दर्द में राहत पहुंचाते हैं।
तुलसी पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए आराम
एक कप पानी में 8-10 तुलसी की पत्तियां डालकर तब तक उबालें जब तक कि यह उबालकर आधा न हो जाये और उसे ठंडा होने के बाद इसमें एक चुटकी नमक डालकर रोजाना पिएं। इससे कमर दर्द में लंबे समय के लिए आराम मिलने लगेगा।
खसखस पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए आराम
एक-एक कप खसखस के बीज और मिश्री का पाउडर रोज सुबह शाम दो-दो चम्मच एक गिलास दूध में डालकर पिएं। यह जल्द ही आपको कमर दर्द में आराम दिलाएगा क्योंकि खसखस के बीच, कमर के इलाज में रामबाण औषधि की तरह असर करता है।
हर्बल ऑयल पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
हर्बल ऑयल से कमर की मालिश करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और दर्द कम होता है। आप कोई भी हर्बल ऑयल इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे नीलगिरी का तेल, बादाम का तेल, जैतून का तेल या नारियल का तेल आदि। पहले तेल को थोड़ा गर्म कर लें और फिर धीरे-धीरे दर्द वाली जगह पर मालिश करें।
लहसुन पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 3-4 कलियों का सेवन करना शुरू कर दें। इससे सिर्फ कमर को ही नहीं बल्कि शरीर के कई अहम हिस्सों को फायदा होगा। लहसुन का तेल बनाने के लिए नारियल के तेल, सरसों के तेल या तिल में तीन लहसुन की कलियाँ डालें। अब इसे तब तक उबालें जब तक कि लहसुन की कलियाँ काली न पड़ जाएँ। अब इसे तेल को छान लें और ठंडा होने दें। अब लहसुन का तेल से मसाज करें। तुरंत आराम मिलता है।
गेंहूँ पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
रात को एक मुट्ठी गेहूं को पानी में डालकर रख दें। सुबह इस गेहूं को पानी से अलग कर लें और फिर एक गिलास दूध में डालकर गर्म करें। अब इस पेय को दिन में दो बार पिएं। दरअसल गेहूँ में ऐसे कंपाउंड पाए जाते हैं जिनका शरीर पर दर्द निवारक प्रभाव होता है, जिससे कमर दर्द में आराम मिलता है।
बर्फ की सिकाई पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
बर्फ की ठंडी तासीर दर्द और सूजन को कम करने में कारगर उपायों में से एक है। तो जब आपको कमर में दर्द हो रहा हो तो बर्फ से सिकाई करें।
सेंधा नमक पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
सेंधा नमक में पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। अब इसे एक कपड़े में डालकर निचोड़ दें जिससे बचा हुआ पानी भी बाहर निकल जाए। अब इस पेस्ट को अपनी कमर में लगा लें। सेंधा नमक दर्द को कम करता है और इन्फ्लेमेशन में राहत प्रदान करता है।
कैमोमाइल टी पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
एक चम्मच कैमोमाइल को एक कप पानी में 10 मिनट के लिए उबालें। अब इसे छानकर पी लें। रोज इस चाय को दो बार सेवन करें। यह इतना असरदार होता है कि एक कप हॉट कैमोमाइल मांसपेशियों की ऐंठन को ठीक करने के लिए काफी होती है।
दूध पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
दूध कैल्शियम का स्रोत है जो हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाये रखने में मदद करता है। शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण भी कमर दर्द की समस्या होती है। इसलिए दूध का नियमित रूप से सेवन करें और यदि मीठे की जरूरत महसूस हो तो शहद मिलाकर पिएं। नुस्खों को अपनाने के साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि नरम गद्देदार आसान छोड़कर सख्त कुर्सी या तख्त पर सीधे बैठने की आदत अपनाएं। सोने के लिए तख्त का इस्तेमाल करें। तो ज्यादा बेहतर असर महसूस होगा।
गेहूं की रोटी और तिल का तेल पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
एक रोटी केवल एक ही तरफ से सेकें और दूसरी तरफ से उसे कच्चा छोड़ दें। अब रात को सोते समय रोटी के कच्चे वाले हिस्से पर तिल का तेल लगाएं और इस रोटी को अपनी कमर पर दर्द वाले हिस्से पर बांध लें और सो जाएँ। सुबह उठकर आप देखेंगे कि कमर का दर्द गायब हो चुका है। इस क्रिया को आप रोजाना भी कर सकते हैं।
गर्म पानी के भाप से पीठ के निचले हिस्से के दर्द से दिलाए राहत
भाप से मसाज करना भी एक आयुर्वेदिक उपचार है। कमर में दर्द उठे तो किसी बड़े बर्तन में पानी गर्म कर लें। अब एक नर्म और सूखा तौलिया लेकर गर्म पानी में डालें और उसे निचोड़ लें। अब इस तौलिया की भाप कमर दर्द वाले हिस्से पर लेने से दर्द में आराम मिलता है। भाप से शरीर के रोम छिद्र खुल जाते हैं।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए
सामान्य रूप से कमर दर्द का घरेलू उपचार ही किया जाता है लेकिन इसके कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जिनके कारण आपको डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता होती है। इसके निम्न लक्षण हैं-
-दर्द 6 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।
-ऐसा दर्द जो घरेलू उपचार किए जाने पर ठीक नहीं होता है।
-कमर का ऐसा दर्द जो रात में होता हो।
-कमर दर्द के साथ पेट का दर्द हो।
-हाथों या पैरों में कमजोरी, झुनझुनी, या सुन्न होना।
-जब रोजाना के दिनचर्या के कार्य में बाधा उत्पन्न होने लगे।
जैसे की अंग्रेज़ी में कहावत है न "Precaution is better than cure" मतलब "एहतियात इलाज से बेहतर है" इसलिए महिलाओं को अपनी कुछ आदतें बदलनी होंगीं जिससे ये समस्या पैदा ही न हो जैसे-
सुबह का नाश्ता छोड़ना- महिलाओं को ये आदत होती है कि वह घर के काम की व्यस्तता में अक्सर सुबह का नाश्ता छोड़ देतीं हैं या फिर देरी से करती हैं, ऐसे में या तो वो कुछ भी नहीं लेतीं या फिर चाय-कॉफी पर ज़ोर देती हैं। जिससे उनके शरीर में रसायनों की कमी और वजन बढ़ता है जोकि कमर दर्द या अन्य बिमारियों का कारण बनता है। इसलिए स्त्रियों को समय से तथा पौष्टिक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
पानी कम पीने की आदत- बहुत सी महिलाएं जरूरत से कम पानी पीतीं हैं, जिससे हड्डियों में धीरे धीरे पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होने लगती है और नसों में सुन्नपन आने लगता है जोकि स्लिप डिस्क का सबसे प्रमुख कारण बनता है। ऐसे में महिलाओं को इससे बचने के लिए पानी तथा रसदार फलों का सेवन करते रहना चाहिए।
पॉश्चर- आजकल के परिवेश में अधिकतर महिलाएं रसोई घर में खड़े होकर काम करती हैं या फिर कामकाजी महिलाओं को दफ्तरों में अधिकतर बैठकर काम करतीं हैं। कुछ भी उठाने या पकड़ने के लिए जैसे चाहे वैसे मुड़ना या झुकना बहुत तरह से नसों को क्षति पहुंचाता है। अतः महिलाओं को अपने उठने, बैठने और सोने के तरीकों पर ध्यान देना चाहिए।
जूते चप्पल का चयन (फुटवियर)- कभी कभी महिलाएं अपने शौक के वशीभूत होकर या फिर अपने व्यवसाय के अंतर्गत ऊंची एड़ी की सैंडल का चयन करतीं हैं वो उसकी आरामदायक होने या न होने की परवाह नहीं करतीं। ऐसे में लम्बे समय तक उनका शरीर असहज होने के कारण शारीरिक विकृतियों से ग्रसित होता है। मैं ये नहीं कहती कि शौक की पूर्ति न हो बल्कि ऐसे में महिलाओं को अपने सहजता और शौक दोनो के मिश्रण के हिसाब से फुटवियर का चयन करना चाहिए।
जब तक महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगी तब तक वो सही मायनों में अपने परिवार तथा समाज का ख्याल नहीं रख पाएंगी।