महिलाओं के गर्भाशय के निचले दोनों हिस्सों में अंडाशय होते हैं, जिसे हम ओवरी के नाम से भी जानते हैं।इन्हीं अंडाशय में जब एक अलग सा फूला हुआ आकार बनने लगता है जो किसी थैली की तरह प्रतीत होता है, जो अलग से उभर कर बढ जाता है, उसे हम सिस्ट कहते हैं।
यह सिस्ट हवा या किसी तरल पदार्थ (फ्लूइड) से भरा हुआ हो सकता है. तो हम हेमोरैजिक सिस्ट किसे कहेंगे?
आइए जानते हैं.
जब सिस्ट से खून बहने लगे , उसे हम hemorrhagic ( हेमोरैजिक) सिस्ट कहते हैं. जैसे कि सिस्ट जब खुले तो उसमें से जो पदार्थ बहे, वह खून हो तो वह hemorrhagic सिस्ट कहलाता है. यह निकलकर निचले हिस्से पेल्विस में चला जाता है.
तो इससे हमें कब खतरा हो सकता है?
कहा जाता है कि यह आठ हफ्तों में यूं तो ठीक किया जा सकता है परंतु सिस्ट कबसे है और कितना गहरा है और रेडियोग्राफ़ीक फिचर्स सिस्ट की साइज़ और उम्र पर भी निर्भर करता है.ज्यादा तर यह कैंसरकारी नहीं होता. सही और समय पर दी गई चिकित्सा से ठीक हो जाता है.
साइज़ की बात अगर करें तो, दो सेंटीमीटर तक का सिस्ट सही उपचार व दवाई से ठीक हो जाते हैं. दूसरी तरफ चार सेंटीमीटर अगर साइज़ है, तो सर्जरी की मदद से यह ठीक किया जाता है. वैसे तो साइज़ दो से पांच सेंटीमीटर तक का हो सकता है, पर कभी कभी यह - आठ से पंद्रह सेंटीमीटर भी हो सकता है, इसलिए कौन से केस में सर्जरी की जरुरत होगी, यह डॉक्टर ही अपने जाँच के जरिए बता सकते हैं.
जब ज्यादा नीचे पेट के हिस्से में दर्द हो, कमर में ज्यादा दर्द, बाथरूम करते समय खिंचाव सा दर्द महसूस, पीरियड्स समय पर नहीं आना या बार-बार जल्दी हो जाना, तो डॉक्टर से जाँच कराना समय पर सही साबित होगा. इस सिस्ट में कभी-कभी कोई सिंपटम्स नहीं होते तो ज्यादातर पीरियड्स का अचानक ऊपर नीचे हो जाना या जल्दी और ज्यादा होना या किसी अन्य कारण से हम चिकित्सा लेते हैं और यह अल्ट्रासाउंड के दौरान सामने आता है.
वैसे यह गर्भ धारण को असर नहीं करता परंतु यह अगर अंडाशय के दोनों तरफ हो जाए और साइज़ सर्जरी की ओर ले जाएं जिससे दोनों ओवरी को निकालना पड़े तो गर्भ धारण में बाधा दे सकती है तो इस पर खुलकर डॉक्टर से सुझाव लें.दूसरी तरफ यदि सिर्फ एक ही ओवरी निकाली है सर्जरी से और दूसरी वाली है और सेहतमंद है तो महिला आराम से कंसीव कर सकती हैं.
तो यह सिस्ट ज्यादातर आठ पीरियड्स साइकिल में ठीक किया जा सकता है. बस साइज़ अगर सामान्य ना हो तो ही कुछ केसेस में सर्जरी होती है वरना अगर वह एक सामान्य सिस्ट के साइज़ का है तो डरने की बात नहीं है. डॉक्टर बस कुछ पीरियड्स साइकल तक अल्ट्रासाउंड करते हैं और दवाइयों से ठीक कर देते हैं. बस आप सिर्फ अपने पीरियड्स समय पर हो रहे हैं या नहीं, ज्यादा जल्दी आ रहे हैं , अत्यधिक पेल्विक दर्द होना और उधर ज्यादा भारीपन अगर लगे, मूडने, झुकने पर भी, तो ऐसी समस्या आप अपने गायनो डॉक्टर को समय पर बताएं और इलाज करवा लें. और समय समय पर जाँच करवाते रहें.
हेमोरैजिक सिस्ट-किस तरह के लक्षण हो सकते हैं-:
- यह सिस्ट एक या दोनों अंडाशय पर हो सकता है जो कि एक गांठ के रूप में उभर के आता है।
- लक्षण आसानी से पकड़ में नहीं आते जब तक सिस्ट का आकार बड़ा न हो जाए।
- जब इनका आकार बड़ा हो जाता है तो फिर तकलीफ बढ़ती है।
- अपच, पेट में सूजन।
- सेक्स के दौरान दर्द।
-ब्रेस्ट में दर्द।
- पेलविक वाले हिस्से में दर्द।
-कमर के निचले हिस्से में दर्द।
-बिना खाए भी पेट का भरा महसूस होना।
-ब्लॉटिंग।
- मितली, उल्टी का महसूस होना।
- अनियमित माहवारी का होना।
- मुहांसे का आना।
- वजन का बढ़ना।
- बांझपन
- अनियमित तरीके से शरीर के बालों का बढ़ना।
- सिर के बालों का गिरना।
ऐसे में बात यह आती है कि महिलाओं को अपना ख्याल कैसे रखना है कि उन्हें इस मुश्किल परिस्थिति से न गुज़रना पड़े। आइए कुछ बिन्दुओं पर चर्चा करते हैं:
- महिलाओं को शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए व्यायाम करना चाहिए।
- महिलाओं को अपनी डायट का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
- जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए। समय पर सोना और जागना शरीर को दुरुस्त रखता है।
- पीड़ित को अपने वज़न नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए।
- एक शोध के अनुसार जब मोटापे से ग्रसित महिलाएं जब अपना वज़न नियंत्रण कर पाईं तो उनमें से 75% को बांझपन की समस्या से छुटकारा मिल गया।
- वज़न घटाने पर कुछ महिलाओं की ओवरीज़ में अंडे फिर से बनने लग सकते हैं।
- तैलीय और जंक फूड से दूरी बनाना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- वसायुक्त व्यंजनों का प्रयोग न करना चाहिए।
- हरी-पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करना लाभकारी है।
- मौसमी फल खाने चाहिए।
आमतौर पर इसका पता कैसे लगाया जाता है:
-कभी-कभी सिस्ट डाक्टरों के द्वारा बाइमैन्युअल इक्ज़ामिनेशन से पता लगाया जा सकता है।
- इमेजिंग टेक्निक्स भी प्रयोग में लाए जा सकते हैं।
- ट्रांसवेजायनल अल्ट्रासाउंड टेकनीक भी एक कारगर तरीका है सिस्ट के नेचर को पता लगाने का।
- सिस्ट सीटी स्कैन या एम.आर.आई स्कैन के द्वारा भी इसका पता लगाया जा सकता है।
एक नज़र सिस्ट के प्रकार पर जिससे महिलाओं का सामना हो जाता है:
-फॉलीक्युलर सिस्ट
फॉलीक्युलर सिस्ट सबसे कॉमन प्रकार सिस्ट है जो एक फॉलीकल के ग्रोथ से जुड़ा हुआ है। यह माहवारी के दौरान ऐग्स रिलीज़ नहीं करते हैं और आमतौर पर खुद ही खत्म हो जाते हैं। जब फॉलीक्युलर सिस्ट में खून होते हैं तो ये हेमोरैजिक सिस्ट कहलाते हैं।
- कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट:
कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट फ्ल्यूड या खून से भरा होता है। अगर यह एक ओर ही हो तो इससे कोई खतरा नहीं होता। यह बिना कोई लक्षण दिखाए ही खुद ही खत्म हो जाता है।
- चॉकलेट सिस्ट:
एण्डोमेट्रिओसिस वो अवस्था है जब यूटेरस की लाइनिंग पर सेल ना बढ़ के यूटरेस के बाहर बढ़ने लगता है। यहाँ एक खून से भरा सिस्ट बनने लगता है जिसमें लाल और भूरे रंग के तत्व पाए जाते हैं, इसलिए इसको 'चॉकलेट' सिस्ट भी कहा जाता है।
- पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम:
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम में बहुत सारे सिस्ट दोनों ओवरीज़ में हो जाते हैं। यह बहुत सारे हॉर्मोनल प्रॉब्लम को उत्पन्न करता है। इससे जूझनेवाली महिलाओं में 'इनफर्टिलिटी' उत्पन्न हो सकती है।
- डरमॉयड सिस्ट:
सिस्ट जिनमें असमान्य टिश्यूज़ होते हैं उन्हें डरमॉयड सिस्ट की संज्ञा मिलती है।
- ट्यूबो ओवेरियन एब्सेज़:
जब पेल्विक ऑर्गन्स यानि ओवरीज़ और फेलोपियन ट्यूब्स में इन्फेक्शन फैलता है। पस से भरे सिस्ट ओवरी और ट्यूब्स पर फैले होते हैं।
गर्भधारण करने योग्य महिलाओं से लेकर रजोनिवृत्ति की ओर बढ़ चली महिलाओं तक को अपनी चपेट में ये परेशानी ले सकती है। उनकी ओवरी से जुड़े हॉर्मोन्स में असंतुलन पैदा होता है जिससे उन्हें बड़ी मुसीबतों से गुज़रना पड़ जाता है। यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने से लेकर, उनकी ओवरी को कमज़ोर करने तक जैसा प्रभाव डालता है।
अत: यह स्पष्ट है कि हेमोरैजिक सिस्ट निश्चित ही पेट के निचले हिस्से में पीड़ा पहुँचाता है। अतः पेट में बेचैनी या निरंतर दर्द रहने पर चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें। कुछ सिस्ट खुद ही ठीक हो जाते हैं पर कुछ कैंसरस भी हो सकते हैं। इस मामले में लापरवाही खतरे की घंटी बजा सकती है। इसलिए, यदि आप एक स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो अपने आप को जांच में रखना सुनिश्चित करें और जब भी आवश्यक हो डॉक्टर से मिलें।