ऐंग्जाइटी
एंग्जाइटी के बारे में आप सभी ने सुना होगा। लेकिन यह नहीं जानते होंगे कि नजरअंदाज किए जाने पर यह डिप्रेशन और एंग्जायटी अटैक का भी रूप ले सकती है। हर व्यक्ति को जीवन के किसी ना किसी मोड़ पर एंग्जाइटी का सामना करना ही पड़ता है। हां कुछ लोगों में इसकी समस्या ज्यादा तो कुछ में कम होती है।किसी भी व्यक्ति को एंग्जाइटी की समस्या होना एक आम बात है। पांच में से हर छः बच्चे को एंग्जाइटी की समस्या होती है।
यदि कोई व्यक्ति बिना किसी विशेष कारण के डरा हुआ, भयभीत या चिंतित महसूस करता है तो कहा जा सकता है कि वह व्यक्ति एंग्जायटी डिसऑर्डर से ग्रसित है। एंग्जायटी डिसऑर्डर के विभिन्न प्रकार होते हैं जिसमें चिंता की भावना विभिन्न रूपों में दिखाई देती है। इनमें से कुछ विकार किसी चीज से अत्यन्त और तर्कहीन डर के कारण होते हैं। यह सिर्फ एक मनोदशा है जो आती है और चली जाती है। इसलिए इसे लेकर परेशान होने से अच्छा है इसे पहचान कर इसके लिए सही उपचार किए जाए।
एंग्जाइटी किसी को भी किसी भी चीज से हो सकती है। कुछ लोगों को पब्लिक के बीच में बोलने को लेकर एंग्जाइटी या टेंशन हो जाती है तो बच्चों को परीक्षा को लेकर एंग्जाइटी हो जाती है।
चिंता तो हर किसी को होती है, इसलिए वाकई ये कहना मुश्किल है कि उसे बीमारी के तौर पर कब पहचाना जाए। लेकिन अगर कोई खास चिंता बहुत लंबे वक्त तक बनी रहे और उससे आपके काम या जिंदगी पर असर पड़ने लगे तो ये वाकई खतरनाक है। आपको तुरंत ही किसी मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
टीनएजर्स या किशोरावस्था में एंग्जायटी
टीनएजर्स में एंग्जाइटी होना एक आम बात हो गई है।
क्योंकि उन्हें जीवन के एक नए पड़ाव में नई चुनौतियां देखने को मिलती है। आज इक्कीसवीं सदी में जहां कंपटीशन इतना अधिक बढ़ गया है स्कूल कॉलेजों में नंबर को लेकर या नए जमाने की नई जीवन शैली सीखने को लेकर टीनएजर्स में जहां उत्साह होता है वहीं कहीं ना कहीं उन्हें कई परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है।
इसके साथ ही उन्हें बढ़ती उम्र के साथ अपनी जिम्मेदारियों को लेकर भी चिंता होती है। जैसे नौकरी या घर परिवार की जिम्मेदारियां।
टीनएज में बालक तथा बालिकाओं दोनों में ही ऐंग्जाइटी होती है। लेकिन लड़कियों में ये समस्या 14 से 15 प्रतिशत तक अधिक होती है।
आखिर लड़कियों में ऐंग्जाइटी की समस्या इतनी अधिक क्यों होती है। हम जानते है लड़कों और लड़कियों में भावनात्मक स्तर में अंतर होता है। लड़कों की तुलना में लड़कियों के भावनात्मक स्तर जल्दी परिपक्व हो जाते है। जिसके कारण उन्हें अधिक ऐंग्जाइटी की समस्या होती है।
हां आज लिंग को लेकर भेदभाव बहुत कम हो गया है। आज लड़कियां भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। सिर्फ घर आंगन तक सीमित न रहकर नौकरी, व्यवसाय भी कर रही है। नौकरी में ऊंचे से ऊंचे पदों पर भी नियुक्त हो रही है।लेकिन फिर भी डिप्रेशन जैसी बीमारियों का स्तर कम नहीं हो रहा।
लड़कियों में इस उम्र में कई हार्मोनल चेंजेस भी आते है जिनके कारण उन्हें बहुत दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। कुछ लड़कियों में महामारी को लेकर भी चिड़चिड़ापन होता है जिससे एंक्सायटी बढ़ती है। उनमें शारीरिक रूप से होने वाले बदलावों के कारण भी वो असहज महसूस करती है। हमारे समाज में व्याप्त कई रूढ़ियों के कारण भी लड़कियों पर लगने वाली बंदिशों के कारण भी उनमें चिंता और डिप्रेशन जैसी बीमारियां बढ़ती है।
ऐंग्जाइटी के लक्षण
1.शारीरिक दर्द होना।
कुछ शारीरिक दर्द जैसे सर, पेट, हल्का पीठ दर्द आदि शिकायतें होना
2.खाने में अरुचि होना।
या तो जरूरत से ज्यादा या बहुत कम खाना। भूख ना लगना।
3.याददाश्त कमजोर होना।
कोई भी चीज जल्दी भूल जाना। सामान कहीं रखकर जल्द ही भूल जाना। या किसी का नाम किसी व्यक्ति से जुड़ी कुछ बातें भूल जाना।
4.मरने का डर होना या बार बार सोचना अब मैं और नहीं जीना चाहती।
5.उदास होना, या जरूरत से ज्यादा चिंतित होना।
6.निराशावादी होना किसी भी काम के लिए सोचना या करना मैं ये नहीं कर सकती या मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैने ये सही नहीं किया।
7.रात को देर तक जागना या दिन में बहुत ज्यादा सोना
8. एल्कोहोल या ड्रग्स सिगरेट,तंबाकू शराब जैसी चीजों का सेवन करना।
9. दोस्तों, रिश्तेदारों आप से बात करना कम कर देना । अकेले रहना ।
10. छोटी छोटी बातों पर अधिक गुस्सा करना। चिड़चिड़ापन होना।
11 दिल की धड़कन का बढ़ जाना या सांस फूल जाना
मांसपेशियों में तनाव का बढ़ जाना
छाती में खिंचाव महसूस होना
किसी के लिए बहुत ज्यादा लगाव होना
किसी चीज के लिए अनावश्यक आग्रह करना
टीनएजर्स में ऐंग्जाइटी कम करने के उपाय
1.अच्छा खाएं –आज के समय में टीनएजर्स जंक फूड को ज्यादा पसंद करते है। हां कोई भी चीज अगर एक लिमिट में खाई जाए तो ठीक है लेकिन जंक फूड के ज्यादा सेवन से स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
एंग्जाइटी में कुछ भी खाने खाने की इच्छा नहीं होती या सोचते है जो मिला वो खा लिया। अपने खानपान पर थोड़ा ध्यान दे ज्यादा तेल मसाले वाली चीजें खाने की बजाए पोषण देने वाली चीजें खाइए। ऐसी चीजें जिनमें विटामिन बी और ओमेगा-थ्री हो। साबुत अनाज जैसे गेहूं, ओट्स और राई इसका अच्छा विकल्प हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि साबुत अनाज से मिला कार्बोहाइड्रेट फील गुड हार्मोन ‘सिरोटिन’ का स्तर नियंत्रित करके एंग्जाइटी व डिप्रेशन को कम करता है।
2.भरपूर नींद लें –
एंग्जाइटी का एक बड़ा कारण अनिद्रा है। अच्छी नींद के लिए अपने तन और मन को संतुष्टि के स्तर तक थकान। कम से कम 7 घंटे की नींद लें। आजकल बच्चे रात को जागकर पढ़ाई करते है और दिन में सोते है यह भी एंग्जाइटी को और अधिक बढ़ा सकता है। नींद पूरी नहीं होने से थकान महसूस होती है और किसी काम में मन भी नहीं लगता जहां तक हो अपने सोने जागने का समय निश्चित करें।
3.उलझन सुलझाए
सुलझने की कोशिश कीजिए और अपने आस-पास व दिमाग में जमा कचरा निकाल फेंकिए। चीजों और विचारों से मोह घटाएं तो परेशानियां कम होंगी, एंग्जाइटी भी उसी अनुपात में घटेगी। जिस भी वजह से आप परेशान है उसके बारे में शांत चित्त होकर विचार करिए। लेकिन इस बात का ध्यान अवश्य जरूरी चीजों के बारे में ही सोचे फालतू की बातें सोचने में अपना समय ना बनाएं।
4.श्वसन क्रिया –
भरपूर और गहरी सांस लेना एंग्जाइटी को कम करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है। प्राणायाम करें तो बहुत ही अच्छा। छोटी और अनियंत्रित सांसों से एंग्जाइटी को बढ़ावा मिलता है। लंबी, गहरी सांस सुकून के साथ तनाव भी घटती हैं।
5.बच्चा बन जाए –
बच्चों जैसे गुण विकसित कीजिए। इसके लिए बच्चों व पालतू जानवरों के साथ समय बिताइए। उनके साथ खेलिए, घूमने जाइए, बातें कीजिए।
6.शांत रहिए –
बेचैनी पर काबू पाना है तो शांत रहने का कोई तरीका निकालना ही होगा। खुद को सबसे डिस्कनेक्ट कीजिए। कुछ देर मौन रहिए। रोजाना एक घंटे के लिए फोन व इंटरनेट से दूर रखें। ध्यान कीजिए।
7.मोटिवेशन
कुछ मोटिवेशनल चीज़ें देखने या पढ़ने में अपनी रुचि बढ़ाएं। जैसे यू ट्यूब पर जो भी मोटिवेशनल स्पीकर आपको पसंद उन्हें देखें। रोज़ एक समय निश्चित कर लें कि आधा घंटा एक घंटा एक या दो वीडियो आपको देखना ही है। इससे धीरे धीरे आपको आदत हो जाएगी।
8.डायरी बनाए
आप चाहे तो एक डायरी बना सकते है। जिसमें हर रोज़ आप कुछ सकारात्मक विचार लिखें। हर रोज़ सुबह उठकर या रात को सोने से पहले अपने जीवन के बारे में कुछ अच्छी बातें लिखें। इससे आपके जीवन से नकारात्मक भाव कम होंगे और एंक्साइटी से बाहर आने में आपको मदद मिलेगी।
9.विजन बोर्ड बनाओ –
‘विजन बोर्ड’ बनाना अच्छा विकल्प है। अपने सपनों, लक्ष्यों या संकल्पों को कागज पर लिखिए और इसे दिन में कम से कम एक बार पॉजिटिव सोच के साथ पढ़िए। आप पिंटरेस्ट वेबसाइट पर पिन्सपिरेशन की मदद से ऑनलाइन ई-विजन बोर्ड बना सकते हैं।
10.संगीत सुनें
संगीत स्ट्रेस को न सिर्फ कम करता है बल्कि खत्म कर देता है । संगीत से ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और तनाव दूर हो जाता है इसलिए जब भी आपको एंग्जाइटी या डिप्रेशन महसूस हो, अपनी पसंद का संगीत सुनें ।
11.व्यायाम अवश्य करें
प्रतिदिन 30 मिनट कम से कम व्यायाम अवश्य करें । सुबह और शाम सैर करने की आदत बनाएं और अपनी दिनचर्या में योग को जरूर शामिल करें ।
12.साइकोथेरेपी का इस्तेमाल करें
आप साइकोथेरेपी की मदद ले सकते है । एंग्जाइटी को दूर करने में साइकोथेरेपी बहुत कारगर साबित हुई है । इस थेरेपी में मन पर नियंत्रण करना सिखाया जाता है ।
टीनएजर की एंग्जाइटी में मदद
यदि कोई टीनएज एंग्जाइटी की समस्या से ग्रसित है तो माता पिता या अभिभावक उनकी मदद कैसे करे यह बहुत अहम पहलू है।
अगर आपका टीनएज बच्चा चिंतित है तो सबसे अच्छा तरीका है, उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं एंग्जाइटी होना एक आम बात है। उन्हें बताएं कि समय के साथ यह समस्या कम हो जाएगी। और एंग्जाइटी
का प्रभाव ऐसे कामों पे नहीं पड़े जो वो करना चाहते है जैसे स्कूल का कोई प्रोजेक्ट या प्रेजेंटेशन।
बच्चे को नजरअंदाज न करें।बच्चे को इस बात का एहसास होना चाहिए की आप उन्हें समझते है और उनके साथ हैं। और इस स्थिति से बाहर आने में उनकी मदद करेंगे।
बच्चों को बिलकुल अकेला ना छोड़े और उन्हें किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रखें। ध्यान रखें वो अकेले बैठकर बस अपनी समस्याओं के बारे में ना सोचते रहे। जैसे कभी उनके पसंद का कोई गेम खेल लिया कोई टीवी सीरियल या कोई फिल्म देख ली। कभी बाहर किसी पार्क में घूमने या किसी अच्छी जगह खाना खाने चले गए। इन सब चीजों से बच्चे में चिंता कम होगी और वो जल्दी इस समस्या से बाहर आ पाएंगे।
प्यार से उन्हें उस काम को करने के लिए प्रेरित करें जिन्हें करने से बच्चा डर रहा हो। लेकिन उन पर किसी भी तरह का दबाव न डाले।
उन्हें छोटे छोटे लक्ष्य बनाने में मदद करें। जिससे उन्हें ज्यादा चिंता या परेशानी नहीं होगी। उन्हें वो लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें उनकी मदद करें। उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं की छोटे छोटे लक्ष्यों को प्राप्त कर हम एक दिन बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सफल हो जाते है।
उन्हें अपने जीवन के कुछ अनुभवों से अवगत कराएं। जिससे आप जब उनकी उम्र के थे तब आपको किस तरह की चिंता डिप्रेशन आदि हुआ करती थी और आपने किस तरह उन परिस्थितियों से बाहर आकर सफलता प्राप्त की।
7 अच्छे श्रोता बनें। अपने बच्चे की बातों को ध्यान से सुनें उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। और किसी भी बात पर गुस्सा करने की बजाए उन्हें प्रेम से समझाइए।
8 अपने बच्चे को भूलकर भी किसी के सामने तिरस्कृत न करें।दूसरों के सामने उनके बारे में कोई भी नकारात्मक बात कहने से बचें और उनके अच्छे गुणों के बारे में बात करें।