क्रोध एक बहुत ही मजबूत और ज़रूरी इमोशन है दुनिया मे जितने भी इमोशन है सबकी महत्वत्ता है ऐसा नही है कि कोई इमोशन अच्छा है तो कोई बुरा । हमारा दुर्भाग्य है कि समाज ने क्रोध/गुस्से को एक नकारात्मक भाव के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है जो कि गलत है क्योंकि व्यक्ति अपने जीवन मे सारे इमोशन को महसूस करता है और करना भी चाहिए अगर आप किसी भी भाव को कम आंकते है या उससे कटना चाहते है तो ये आपको किसी बड़ी मुश्किल में डाल देगा।
आपने अक्सर सुना होगा कि यार तुम मुझे गुस्सा दिलाते रहते ही तुम्हारी वजह से मुझे गुस्सा आया।कहीं ऐसा नहीं है कि आप खुद और एक गुस्से वाले वाले है और इसका दोषारोपण किसी और पर करते रहते है।अगर ऐसा है कि गुस्सा किसी और की वजह से आता है तो हमें क्रोध नियंत्रण पहल शुरू कर देना चाहिए।है ना?
क्या सिर्फ पैरंट्स की वजह से गुस्सा आता है क्या किसी को गुस्से का कारण बना देना सब समस्याओं का समाधान कर देगा?आइए जानते है टीनेज में गुस्से के कारण:-
- टीनएज एक ऐसी उम्र होती है जब व्यक्ति अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चेंजेस जैसे हार्मोनल में आने वाले बदलावों से जूझ रहा होता है।उस समय क्रोध वाला रवैया सामान्य है क्योकि उस वक़्त उसे खुद नहीं पता होता कि उसके साथ क्या हो रहा है।
- एक ही समय पर बहुत सारी चीज़ें एक साथ होना जैसे सेक्सुअल ऑर्गन्स का विकास,हार्मोनल बदलाव,सोशल लाइफ /सर्किल मबढना।
- स्कूल लाइफ में बढ़ती प्रतियोगिताएं,और बाकी अन्य एक्टिविटीज जिनके कारण दवाब महसूस करना ।एक साथ बाहर और अंदर के बदलाओ को सम्हालना।
- मनोचिकित्सकों के अनुसार टीनएजर्स में गुस्से का एक कारण बढ़ता डिप्रेशन है जिसके पीछे बहुत सारे कारण पढ़ाई,कंपीटिशन, सोशल नेटवर्क,समान लिंग या विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ना।
- एक ऐसी परिस्थिति आती है जब किशोर अपनी बातें किसी से शेयर नही कर पाते उनके पास ऐसा कोई नहीं होता जिस पर वो भरोसा कर सकें।जो कि क्रोध का कारण बनता है
- पैनिक अटैक आना हर बात के लिए खुद को दोषी मानना चिड़चिड़ाना आदि।
- ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर - 2011 के एक सर्वे के अनुसार इस डिसीज़ का सबसे कॉमन लक्षण क्रोध है।
- अल्कोहल या स्मोकिंग जैसी आदतों में पड़ जाना और घर पर पैरेंट्स के सामने ये सब कंज्यूम न कर पाना और छोटी-छोटी बात पर बड़बड़ाना।
- इस उम्र में अक्सर हम अटेंशन सीकर बन जाते है और जब हम लोगो का ध्यान आकर्षित नही कर पाते तो गुस्सा बढ़ता है वो स्कूल हो,घर हो कही भी।
- बाइपोलर डिसऑर्डर की शुरुआती चरण में ऐसी समस्या होना जिसके कारण बहुत सारे मुद्दों को एक साथ नही झेल पाना।
- दुख: कम उम्र में किसी अपने को खो देने का ग़म ऐसे व्यक्ति का चले जाना जिससे आप अत्यधिक अटैच थे।जिनका साथ आपको एक शांति का अनुभव महसूस कराता था।
गुस्से में सामान्यतः यह कहते हुए सुना जाता है की इसकी वजह से उसकी वजह से कभी-कभी तो किसी स्ट्रेंजर पर भी दोष डाल दिया जाता है। अक्सर किशोर बालक-बालिकाएं अपने माँ बाप को इस बात के लिए ब्लेम करते पाए जाते है इसके पीछे कारण सम्मिलित है-
- पेरेंट्स द्वारा बच्चों को समझाने की कोशिश करना कि क्या गलत है क्या सही है आदि।इन सब को टीनएजर्स द्वारा अपनी लाइफ में दखलअंदाजी मानना और गुस्सा करना।
- सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग को रोकने के लिए टोकना।
- पढ़ाई पर ध्यान लगाने को कहना,और उनके भविष्य की चिंता करना।
- उनके दोस्तों के बारे में जानना; देर रात बाहर रहने से रोकना किसी दोस्त का साथ छोड़ने के लिए बोलना।
- डिजिटल एडिक्शन-ब्लू व्हेल गेम,पबजी जैसे खेलो की आदत पड़ जाने पर उससे बाहर न आना।बल्कि दिन रात फ़ोन में घुसे-घुसे अपनी आंखें खराब कर लेना।
अक्सर यह देखा गया है पेरेंट्स के कुछ भी बोलने पर टीनएजर्स का इग्नोर करना,उन पर गुस्सा करना इसके लिए उन्हें लगता है ये लोग इतना ज्यादा क्यों घुसते है किसी की लाइफ में।या पेरेंट्स की वजह से क्रोध कैसे बढ़ता है इसे समझते है-
किशोरावस्था एक ऐसी उम्र होती है जिसमे लगता है हमसे बढ़कर कोई नही है हम सब कर सकते है बड़े लोग बेवकूफ है उसके पीछे वजह है बच्चो और माता पिता में आया जनरेशन गैप।जिसे भरने के लिए पेरेंट्स को बच्चो को उनकी भाषा मे समझना चाहिए ना कि पुराने जमाने जैसे चिल्ला कर या मार पीट कर।
आज की समस्याए अलग है वो आप कब बच्चो की उम्र के थे तब जो आपको अच्छा लगता था आज आपके बच्चे वैसा करे जैसा आप करते थे तो यह संभव नही है पेरेंट्स को यहां यह समझने की ज़रूरत है कि समय बदल रहा है आपको भी बदलना होगा।
पेरेंट्स तब किशोरों में गुस्से का कारण बनते है जब वो अपने बच्चो पर जबरन लगाम लगाने की कोशिश करते है आज आप उन्हें बिना तर्क के नही रोक सकते आपको चहियर की उनके मित्र बनकर उनसे सम्बन्ध रखे उनसे बात करे उनकी प्रोब्लेम्स को सुने,समझे और मिल कर तोड़ निकाले।
बेफालतू का दवाब डालने से बचे जैसे-शर्माजी के लड़के ने के बार मे IIT निकाल लिया। आप समझे अगर आप यूँही बच्चो की तुलना करते रहेंगे तो बच्चो में यह बात घर कर जाएगी कि आपको उनसे ज्यादा कोई कैरियर पप्यारा है।
आपकी मंशा अच्छी होगी ही क्योंकि आप पैरंट्स है और बच्चे के भविष्य के लिए चिंतित है परंतु इसके मतलब कतई नही है कि आप उन पर दबाव डाले।
क्रोध के लक्षण
गुस्से के लक्षणों में शारीरिक और मानसिक दोनों शामिल होते है।शारीरिक लक्षण-
- गुस्से का प्रभाव शरीर के अलग-अलग अंगों पर पड़ता है जैसे-हृदय,मस्तिष्क,मसल।2011 के अध्ययन के अनुसार गुस्से से टेस्टोस्टेरोन बढ़ता हूं और कोर्टिसोल कम होता है।
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- पल्स रेट बढ़ना।
- मसल में तनाव होना
इमोशनल लक्षण-
- गुस्से के पहले, उस समय और उसके बाद अलग-अलग इमोशन आते है जैसे- चिड़चिड़ापन होना।
- फ्रस्ट्रेशन-किसी के कुछ भी बोलने पर उसके ऊपर भड़क जाना।
- तनाव-हर वक़्त चिंता से घिरे रहना,बहुत ज्यादा सोचना।
- गिल्ट-किसी की भी ग़लती को अपने ऊपर ले लेना।
यहां पर पेरेंट्स को खुद को बच्चो के गुस्से के लिए एकमात्र दोषी नहीं मानना है किशोरावस्था में बहुत सारे कारण जो ऊपर वर्णित है वो सब भी जिम्मेदार होते है यहाँ माता-पिता की जिम्मेवारी अधिक बन जाती है कि अपने बच्चो के गुस्से को नियंत्रण करने में उनकी मदद करें और वो कर सकते है इसलिए उन्हें
- बच्चों से उनकी समस्या धैर्यपूर्वक सुनें, सोचे कि ऐसा क्यों हुआ उनसे चर्चा कर की इसका ऐसा समाधान हो सकता है।
- उनको भरोसा दिलाये की वो आप पर विश्वास कर सकते है अपनी बातें आपसे शेयर कर सकते है।आप उन्हें जज नहीं करेंगे।
- उनको कोई भी बात बिना चिल्लाए, गुस्से के प्यार से समझाए,उनके साथ मूवी देखने जाए टाइम स्पेंड करें।
- उनसे बात करके उनको रिलैक्सेशन थेरेपी दिलवाए।
- ध्यान रखे कि वो अवसाद जैसी स्थिति में न पहुंच जाए उनको फिजिकल फिटनेस के लिए अवेयर करें।
- एंगर मैनेजमेंट काउंसलिंग, कोर्स जैसे उपाय अपनाएं।
- आप कहीं आउटडोर घूमने का प्लान कर सकते है बच्चों से उनकी पसंदीदा जगह पूछे।
- घर पर एक ऐसा वातावरण बनाये जो तनाव रहित हो और एक फ्रेंडली माहौल हो।
आज कल का समय सबके लिये मुश्किल भरा है और इससे पार पाने के लिए अपनो के साथ कि ज़रूरत होती है तो साथ रहे और खुश रहें।