स्किन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जिसमें कैंसर की कोशिकाएं त्वचा की गहरी परतों में बढ़ने लगती हैं और उपचार तभी कारगर होता है जब रोग किस प्रकार का है, किस पड़ाव पर है ,किस तरह ये आगे बढ़ सकता है इत्यादि तथ्यों पर गौर किया जाए। किसी भी रोग का सतही ज्ञान होना, हानिकारक होता है। बात करें स्किन कैंसर कि तो इसके उचित उपचार के लिए भी यह ज़रूरी है कि हमें इसके विभिन्न 'स्टेजेज़' के बारे में पता हो जिससे इसकी चिकित्सा से संबंधी अवसरों का अधिक ज्ञान हो।
इस आर्टिकल के माध्यम से आइए एक नज़र डालते हैं स्किन कैंसर के स्टेजेज़ पर।
अमेरिकन ज्वाइंट कमिटी ऑन कैंसर ने इसके स्टेजेज़ को डिफाइन करने के लिए एक सिस्टम निर्धारित किया है। इस सिस्टम को ' टि न एम' कहा जाता है।
टि ( ट्यूमर) : इस प्रक्रिया से ट्यूमर का आकार, उसके फैलाव की जगह और किस स्तर पर यह स्किन के अंदर फैला है।
न (नोड) : इससे यह पता चलता है कि कैंसर सेल्स आस पास के लिम्फ नोड्स में कितना फैल चुके हैं।
एम ( मेटास्टैसिस): इससे पता चलता है कि कैंसर सेल्स बाकी अंगों में कितना फैला है।
इस सिस्टम का प्रयोग कर सामान्य प्रकार के कैंसर के स्टेजेज़ को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया है-
1) स्टेज 0 : इसे कार्सिनोमा कहा जाता है जहाँ कैंसर स्किन की उपरी सतह तक फैला होता है। यह डीप डर्मिस में फैला नहीं होता है।
2) स्टेज 1: इस क्राइटेरिया में कैंसर दो सेंटीमीटर से कम का होता है। यह कम रिस्की होता है और इसका फैलाव आस पास के अंगों व लिम्फ नोड्स में नहीं होता है।
3) स्टेज 2: इस स्टेज में कैंसर दो सेंटीमीटर से बड़ा होता है। पर अंगों और लिम्फ नोड्स तक फैलाव नहीं होता है।
4) स्टेज 3: इस स्टेज में कैंसर चेहरे की हड्डी तक फैल सकता है और साथ ही एक लिम्फ नोड तक भी पर किसी अंग में फैलाव नहीं होता है।
5) स्टेज 4: यहाँ कैंसर का साइज़ बड़ा हो सकता है। आकार 3 सेंटीमीटर से ज्यादा हो सकता है और शरीर के दूसरे अंगों में भी इसका फैलाव हो सकता है।
डाक्टर कुछ और भी तत्वों के माध्यम से शरीर पर कैंसर का असर भांपने की कोशिश करते हैं, जैसे कि-
* लोकेशन
* ग्रेड
* ट्यूमर मार्कर्स
* जेनेटिक हिस्ट्री
जैसा कि हम जानते हैं स्किन कैंसर के कई प्रकार होते हैं। आइए एक नज़र उन प्रकारों से जुड़े लक्षणों पर भी डालते हैं-
1. मेलोनोमा
यह सबसे घातक रूप है जो प्रायः लोगो को मृत्यु की ओर ही ले जाता है। इससे जूझने वालों की संख्या कम होती है।
2. बेसल सेल कार्सिनोमा
यह प्रकार अधिकतर लोगों में देखा जाता है।
3. एक्टिनिक करतोसिस
यह कैंसर का प्रारंभिक प्रकार है। इसमें त्वचा पर लाल व गुलाबी रंग के धब्बे जैसे निशान पड़ने लगते हैं।
4. स्कैमस सेल कार्सिनोमा
इस स्तिथि में त्वचा पर लाल धब्बे होते हैं जो दर्द भी देते हैं।
इसके लक्षणों पर प्रकाश डालते हैं:
स्किन कैंसर भी दस्तक कुछ शुरुआती लक्षणों से देता है। सतर्कता के साथ इन पर गौर फरमाना चाहिए:
* मस्सों का अचानक से त्वचा पर आ जाना। अगर अचानक ही त्वचा पर मस्सों की मौजूदगी देखें तो चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
* त्वचा पर पपड़ी का जमा होना। यह भी स्किन कैंसर के दस्तक की ओर इशारा करता है।
* खुजली इस कैंसर का एक सामान्य लक्षण है। आमतौर पर इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जिसका दुष्प्रभाव भुगतना पड़ता है।
* त्वचा पर लाल धब्बों की मौजूदगी। इन्हें कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें।
* स्किन कैंसर में त्वचा पर अल्सर का होना भी एक लक्षण हो सकता है।
अब हमने स्किन कैंसर के कुछ मूल लक्षण जान लिए हैं। एक झलक कुछ कारणों पर,जो इसके पीछे हो सकते हैं:
* धूप के संपर्क में अत्यधिक रहना भी स्किन कैंसर की संभावना को बढ़ावा देता है। सूरज की अल्ट्रावाॅयलेट किरणों का त्वचा पर दुष्प्रभाव होता है।
* शरीर में अधिक मस्सों का होना भी स्किन कैंसर को न्योता देता है। इन्हें हटवा लेने की कोशिश करनी चाहिए।
* एक असफल रेडियोथेरेपी भी स्किन कैंसर की कारक हो सकती है। इसके लिए सावधानियां बरतने की जरूरत है।
* फैमिली हिस्ट्री भी एक कारण हो सकती है कैंसर का। अतः चिकित्सकों से परामर्श किसी अनचाही परिस्थितियों से बचने के लिए अवश्य लेनी चाहिए।
इस प्रकार के कैंसर से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए:
* धूप से बचने के लिए पूरे कपड़े पहन कर घर से बाहर निकलें।
* सन्सक्रीम का इस्तेमाल करना लाभकारी होता है। इससे बाहर निकलने पर त्वचा को नुकसान नहीं होता।
* होंठो पर लिप बाम लगा कर निकलें।
* धूप के चश्में पहन कर निकलें।
* दिन भर धूप के संपर्क में न रहें।
* त्वचा की जांच करवाएं जब उपर दिए गए लक्षणों को आप खुद पर पाएं।
अगर 6 महीने तक इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकता है। इसके ज्यादातर मामले 50 वर्षों से अधिक उम्र वालों में अधिक देखने को मिलते हैं। वैसे कभी-कभी 65 साल के लोगों में भी यह मिल जाता है। इसकी अनदेखी खतरनाक हो सकती है, क्योंकि फिर यह शरीर के बाकी अंगों में भी फैल सकता है। लोगों के मन में सवाल आ सकता है कि स्किन कैंसर में क्या-क्या जोखिम हो सकते हैं।
इससे जुड़े जोखिम क्या हो सकते हैं:
* लार ग्रंथि का खराब होना क्योंकि यह इसके( गर्दन) आस-पास ही होता है। इससे लार ग्रंथि पर दुष्प्रभाव होता है।
* अगर सही समय पर इसका इलाज न हो तो सर्जरी ही फिर इसका एक मात्र उपाय होती है।
* यह कैंसर कुछ समय पश्चात शरीर के बाकी अंगों में भी फैलने लगता है। इसलिए समय पर उचित परामर्श व इलाज़ करवाना आवश्यक है।
* इसकी सर्जरी के बाद बाल गिरने लगते हैं। इस स्थिति में हेयर ट्रांसप्लांट का सहारा लिया जा सकता है।
स्किन कैंसर में इलाज करवाने वालों को कितना खर्च आ सकता है?
भारत में इसका सर्वोत्तम इलाज़ राजधानी दिल्ली में उपलब्ध है। एक व्यक्ति को 10 हज़ार रूपए से ढ़ाई लाख तक का खर्च इसमें आ सकता है।
आइए अब जानते हैं स्किन कैंसर के इलाज के बारे में:
* कीमोथेरेपी, जिसमें सर्जरी के जरिए कैंसर के टिशूज़ नष्ट कर दिए जाते हैं।
* कुछ चिकित्सक कैंसर रहित क्रीम लगाने की सलाह देते हैं ।
* कुछ घरेलू उपाय जैसे कि आयोडीन युक्त भोजन, नारियल तेल का प्रयोग आदि इसमें लाभकारी हो सकते हैं।
*बायोप्सी सर्जरी भी स्किन कैंसर में मदद करती है। इससे कैंसर किस हद तक का है इसका पता लगाया जा सकता है।
* मोहस सर्जरी करवाई जा सकती है। यहाँ त्वचा के एक ऐक स्तर को माइक्रोस्कोप की निगरानी में निकाला जाता है।
* एक्सकिशनल सर्जरी में कैंसर युक्त अंग को काट कर निकाल दिया जाता है।
स्किन कैंसर किसी बुरे सपने से कम नहीं। विश्व स्तर पर ही नहीं, भारत जैसे विकासशील देशों में भी इसका प्रभाव देखने को बड़ी भात्रा में मिल रहा है। आमतौर लोगों को इससे जुड़ी बातों का पता नहीं होता।असमान्य तरीके से विकसित कोशिकाओं से कैंसर उत्पन्न होता है। ऐसा माना गया है कि धूप से सीधे संपर्क में आने वाले अंगों में यह समस्या मुख्य रूप से होती है पर सिर्फ उन्हीं अंगों में बीमारी होती है ऐसा कहना भी सही नहीं है। इसके स्टेजेज़ के बारे में जानकारी रखने से सही समय पर सही चिकित्सा मिल सकती है।
इसलिए सावधान और सतर्क रहें और जब भी आप त्वचा पर किसी भी प्रकार की असामान्य वृद्धि, दाने या धब्बे देखें तो हमेशा डॉक्टर के पास जाना सुनिश्चित करें।