Anxiety Attack badhane waale kaaran- एंजायटी अटैक को बढ़ाने वाले कारण ?

हम में से कई लोगों ने एंजाइटी के बारे में काफी कुछ जानते हैं |हमें यह भी पता है कि इसे नजरअंदाज करने पर यहां डिप्रेशन या एंजायटी अटैक का रूप भी ले सकती है| मगर फिर भी हम एंजाइटी को बहुत ही सामान्य तरीके से लेते हैं |एन्जायटी  किसी भी चीज से हो सकती है| किसी को ज्यादा लोगों के बीच पब्लिक स्पीकिंग करने से एंजाइटी होती है ,तो किसी को , अकेले रहने से यहां तक कि बच्चों में पढ़ाई को लेकर भी एंजायटी देखी गई है| हम कई बार एंजायटी को चिंता या उतावलापन का नाम देकर निश्चिंत हो जाते हैं| मगर आजकल बड़ी उम्र के लोगों के अलावा युवाओं और बच्चों में भी एंजाइटी के लक्षण काफी आम है|





एनजायटी के सामान्य लक्षण-

* एंजायटी से पीड़ित व्यक्ति हर समय टेंशन या डर के साए में जीता है| वह खुद को औरों से अलग कर लेता है और लगातार एक ही बात के बारे में ज्यादा सोचता रहता है |इससे उसे काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है|

* व्यक्ति के मन में हर वक्त नकारात्मक ख्याल चलते रहने से उसकी सांस फूलने लगती है और दिल की धड़कन बढ़ने लगती है |ऐसा व्यक्ति अनिद्रा का शिकार होकर रात भर जागता रहता है|

* यही बेचैनी की स्थिति सारा दिन बनी रहती है| लगातार सिर में दर्द होने के साथ किसी भी काम में मन नहीं लगता है|

आजकल की तेज भागती  जिंदगी में उपकरणों की मदद से हमारी लाइफ बहुत आसान हो गई है| मगर जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ी है उसी रफ्तार से चिंताएं भी बड़ी है सभी को अलग-अलग प्रकार की चिंता होती हैं| चिंता एक तरह से मानसिक बीमारियों को अपने साथ लेकर आती है|


एंजाइटी का एंजाइटी अटैक में बदलने के कारण -

*डर को हद से ज्यादा अपने ऊपर हावी होने देना

दिल की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ने लगे उस हद तक तनाव लेना|

*पेरो का कापना सीने में दर्द और बेचैनी होना|

*मौसम के विपरीत अनुभव होना जैसे कि गर्मी के दिनों में ठंड लगना या ठंड के दिनों में गर्मी लगना|

* बेचैनी के कारण पेट दर्द होना या  वमेटिंग हो जाना|


एंजायटी अटैक के लक्षण-

एंजाइटी की तरह एंजायटी अटैक साइकोलॉजिकल समस्या नहीं है |अलग-अलग लोगों में इसके अटैक के अलग अलग अनुभव देखे जाते हैं| एंजायटी अटैक की समस्या तब आती है जब कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी वजह से परेशान है |उसकी चिंता बढ़ने के कारण उसे एंजायटी अटैक आ सकता है |कई बार भावनाओं के साथ साथ मांसपेशियों का तनाव भी एंजायटी अटैक का कारण बन सकता है| इसलिए एंजाइटी के शिकार व्यक्ति को शारीरिक मेहनत कम करने की सलाह दी जाती है| जब व्यक्ति को एंजायटी अटैक का दौरा होता है अचानक शरीर में कपकपी के साथ हद से ज्यादा घुटन होने लगती है |एक बेचैनी होने लगती है जिससे सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है|

एंजायटी अटेक से बचाव-

अपनी लाइफ मैं थोड़े से बदलाव कर कर एंजाइटी से बचा जा सकता है

1- अपनी डेली लाइफ में कॉफी का इंटेक कम करें कॉफी पीने से कैफीन हमारे शरीर में हार्टबीट को बढ़ाता है और बढ़ती हुई हार्टबीट व्यक्ति को नर्वस फील करा सकती है इसके अलावा काफी पीने से ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है|

2- अनियमित खानपान से भी एंजाइटी की समस्या गंभीर रूप से हो सकती है| कई लोग या तो ब्रेकफास्ट स्किप कर देते हैं या लंच| मगर यह आदत शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बनाती है |भूख से शरीर में स्ट्रेस लेवल बढ़ता है और शुगर का स्तर कम होता है इससे एंजाइटी की समस्या होती है|

3- अपनी day-to-day लाइफ में हम एक्सरसाइज और योगा को अक्सर भूल जाते हैं |मगर योगा मेडिटेशन से एंजाइटी की समस्या कभी नहीं होती है*

4- देर रात तक जगने से भी शरीर में तनाव और थकान बढ़ती है |यह तनाव और थकान एंजाइटी को जन्म देती है इसलिए कोशिश करें की देर रात तक ना जागे|

एंजाइटी अटैक बढ़ने के कारण

1- अनुवांशिकता- कई बार एंजाइटी अनुवांशिकता के कारण भी होती है और यदि परिवार में पहले से ही कोई एंजाइटी का शिकार है, तो संभवतः व्यस्क होते बच्चे इसका शिकार हो सकते हैं |यदि उन्हें अपने आसपास के माहौल मे तनाव चिंता घबराहट अधिक  महसूस होने लगे या वे ज्यादा शोर-शराबा और प्रदूषण भरे माहौल में रहे तो एंजायटी अटैक आने के चांसेस बढ़ जाते हैं| ऐसे में परिवार जनों का फर्ज है कि उनका ध्यान रख उन्हें एंजायटी अटैक की स्थिति में पहुंचने से रोके|

2- फोबिया- व्यक्ति को एंजाइटी किसी खास कारण से होती है |यदि व्यक्ति के सामने वह चीज या परिस्थिति आ जाए तो घबराहट के कारण सीधी प्रक्रिया एंजायटी अटैक के रूप में होती है|

3- क्षणिक कारण- कई बार व्यक्ति उत्तेजना की अवस्था में अपने पार्टनर के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ हो तो उस समय किसी विशेष परिस्थिति में एंजायटी अटैक आ सकता है| इसके साथ ही एंजायटी अटैक के लिए कैफिन ,निकोटिन जैसे उत्प्रेरक भी ट्रिगर के रूप में काम करते हैं|

4- नकारात्मक सोच- कई बार किसी काम को लेकर होने वाली नकारात्मक सोच भी व्यक्ति को चिंतित कर देती है| ऐसे में लगातार नकारात्मक सोच में रहने के कारण व्यक्ति को घबराहट होने लगती है और वह एंजाइटी की ओर बढ़ने लगता है|

5- आत्मविश्वास की कमी- एंजाइटी से ग्रसित लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है| ऐसे में यदि कोई परिस्थिति या समस्या उनके सामने अचानक से आ जाती है, जिसका वह सामना करने में आत्मविश्वास की कमी के कारण असक्षम होते हैं| तो ऐसे में उन्हें एंजायटी अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है| आत्मविश्वास में कमी आने से व्यक्ति कई बार कार्यस्थल पर भी तनाव से गुजरता है |

6- दवाइयों का प्रभाव- एंजाइटी के शिकार व्यक्ति को हमेशा डॉक्टर की निगरानी में ही किसी दवाई का सेवन करना चाहिए |कई बार किसी तरह की एंटीबायोटिक दवाई भी जिसका व्यक्ति समय के साथ आदी हो जाए तो वो दवा भी व्यक्ति को घबराहट देकर अस्थाई रूप से एंजायटी अटैक को ट्रिगर करने का कारण बन जाती है|

7- शारीरिक कारण- व्यक्ति यदि किसी शारीरिक बीमारी जैसे दमा ,डायबिटीज ,थायराइड या हृदय रोग के कारण  परेशान होकर एंजायटी का शिकार हुआ है| तो ऐसे में उस बीमारी के बढ़ने से या शरीर में किसी और अन्य समस्या के आ जाने से व्यक्ति निराशा की ओर अग्रसर होता है |क्योंकि लंबे समय तक डिप्रेशन में रहने से कार्य क्षमता में गिरावट आती है और ऐसे में एंजाइटी बढ़ जाती है |और व्यक्ति को एंजाइटि अटैक आने की संभावना भी बढ़ जाती है|

8- नशे का इस्तेमाल- अपनी एंजायटी को कम करने के लिए बहुत से लोग शराब का सहारा लेते हैं |मगर शराब कभी भी परेशानी को कम करने के बजाए और बढ़ाती ही है |शराब के नशे में  तो कुछ समझ में नहीं आता है मगर जब शराब का नशा उतरता है तो घबराहट और बेचैनी बढ़ने लगती है| तब एंजायटी एंजायटी अटैक के रूप में बदलने के चांसेस बढ़ जाते हैं|

एनजायटी के मरीज को ध्यान रखने योग्य बातें-

चिंता एक ऐसी भावना एसा अनुभव है जिससे कभी ना कभी हर कोई गुजरता जरूर है |मगर चिंता जब एंजाइटी के रूप में बदल जाए तब थोड़ी सी अपनी जागरूकता बढ कर खुद की लगातार जाँच  करते रहे| चिंता के कारणों को खुद से दूर रखने का प्रयास करें| एंजाइटी के मरीज को किसी भी परिस्थिति में अपना धेर्य नहीं खोना चाहिए |रोजाना योगा और प्राणायाम करना चाहिए |किसी भी बात को या परेशानी को लेकर परेशान होने के बजाय परिवार या अपने किसी खास से उसके बारे में बात कर कर उस समस्या का निवारण कर लेना चाहिए |हमेशा ऐसे व्यक्ति के आसपास रहे जो हमे भावनात्मक संबल दे पाए|

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