रोजाना की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम कई तरह के तनाव से गुजरते हैं | जो कि एक सामान्य सी बात है मगर लगातार चिंता ,असंतोष, खालीपन, खुद के लिए या परिवार के लिए अपराध बोध, निराशा, मूड स्विंग आदि समस्या जब गंभीर रूप ले लेती है; तो व्यक्ति डिप्रेशन या एंजाइटी का शिकार हो जाता है |डिप्रेशन में जाने के बाद व्यक्ति की कार्य क्षमता,अपना भला बुरा सोचने की क्षमता सब कुछ खत्म होने लगती है| ऐसा व्यक्ति अपने आसपास के लोगों के साथ-साथ स्वयं के लिए भी कई बार नुकसानदेह साबित होता है| वह अपने आत्मविश्वास को खो कर लाचारी की स्थिति में चला जाता है और कई बार आत्मघाती कदम भी उठा लेता है| इन सब बातों के अलावा एंजाइटी की एक खतरनाक स्थिति एंजायटी अटैक भी है|
एंजायटी अटैक क्या है-
डिप्रेशन की स्थिति में व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया से अपने आपको अलग करके अंतर्मुखी हो जाता है और एकाकी जीवन शैली के चलते अपने मन की बात किसी के साथ भी शेयर नहीं कर पाता है ऐसे लोग अक्सर मौन रहना पसंद करते हैं इस कारण उनके मन और बाहरी परिस्थिति के बीच आपसी सामंजस्य न बन पाने के कारण तनाव की स्थिति लगातार बढ़ने लगती है और बढ़ते हुए तनाव के कारण व्यक्ति के हृदय गति कम होने लगती हैं इस कारण व्यक्ति को अचानक से पैनिक अटैक आने शुरू हो जाते हैं तनाव की स्थिति के हिसाब से पैनिक अटैक की गति तीव्र या सौम्य हो सकती है|
पैनिक अटैक के लक्षण-
तेजी से बढ़ता डिप्रेशन दिमाग में किसी एक खास तरह के डर को हावी करने लगता है और उस डर के कारण तनाव के साथ-साथ दिल की धड़कन भी असामान्य रूप से तेज होने लगती है| दिल की धड़कनों इस अनियमितता के कारण सीने में दर्द और बेचैनी के साथ कभी या तो तेज गर्मी लगने लगती है या ठंड के कारण पूरे शरीर में सिहरन दौड़ जाती है| व्यक्ति तनाव में आकर अपना शारीरिक बैलेंस खोकर या तो गिर जाता है या बेहोश हो जाता है| यदि व्यक्ति के तनाव का स्तर ज्यादा हो तो कई बार यह हार्ट अटैक की तरह भी फील होता है| इसके संपूर्ण लक्षण हार्ट अटैक की तरह हो जाते हैं | व्यक्ति का दम घुटने लगता है और उसे सांस लेने में कठिनाई महसूस होने लगती है |इस तरह का तेज पैनिक अटैक थायराइड, दमा, डायबिटीज या हार्ट के रोगियों के लिए एक खतरे की घंटी की तरह हो सकता है |इन बीमारियों से लड़ने वाले मरीजों को अपना तनाव पैनिक अटैक आने तक की स्थिति में पहुंचे उसके पहले ही उस को नियंत्रित कर लेना चाहिए|
पैनिक अटैक से कैसे बचा जाए
पैनिक अटैक से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने तनाव को दूर करे
1- स्वयं के लिए समय निकालें- डिप्रेशन के लगभग सभी केस में से 75% केस मैं डिप्रेशन का कारण व्यस्त जीवन शैली है |व्यस्त जीवन शैली से उपजे तनाव को कम करने के लिए जरूरी है कि हम काम की भागदौड़ के बीच में से स्वयं के लिए समय निकालें| स्वयं के लिए निकाले गए समय मैं हमारा शरीर आराम कर कर दोबारा काम करने के लिए एनर्जी एकत्रित कर लेता है |इस एनर्जी से हमारा तंत्रिका तंत्र रिलैक्स हो जाता है और तनाव कम होने लगता है, जब भी आप अपने लिए समय निकालें जरूरी नहीं है कि आप शारीरिक तौर पर आराम ही करें |यह आराम मानसिक तौर पर भी उतना ही जरूरी है इस दौरान आप कोई ऐसी गतिविधि करें जिससे आपके मन को शांति मिले या फिर परिवार के साथ समय बिताएं |इस समय का सदुपयोग आप अपनी हॉबी के लिए भी कर सकते हैं|
2- अच्छी नींद है बेहद जरूरी- अक्सर हम काम की भाग दौड़ में शरीर के आराम करने का वक्त ही नहीं निकाल पाते हैं| शरीर जब पूरी तरह से आराम नहीं कर पाता है तू दिमाग में तनाव उत्पन्न होने लगता है इसलिए जरूरी है की व्यक्ति अपनी नींद पूरी करें ताकि तनाव की स्थिति निर्मित ही ना होने दी जाए |
3- रोजाना व्यायाम करें- जब हम चिंतित महसूस होते हैं तो हमारा शरीर बड़ी मात्रा में एड्रेनालाईन हार्मोन को रिलीज करता है| यह हार्मोन हमारे दिमाग में तनाव बढ़ाने का कार्य करता है| नियमित व्यायाम करने से एड्रेनालाईन को आसानी से संतुलित किया जा सकता है |इसके संतुलन से व्यक्ति का मूड सकारात्मक होने लगता है|
4- रोजाना प्राणायाम करें- तनाव की स्थिति में हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का असंतुलन पैदा होने लगता है| इस असंतुलन को खत्म करने के लिए रोजाना प्राणायाम कर कर हमारे अंदरुनी अंगों को हम अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचा सकते हैं|
5- नियमित संतुलित भोजन करें- तनाव की स्थिति में व्यक्ति के मन में जंक फ़ूड, पेक फूड या स्वीट खाने की तलब लगने लगती है| इन सब तरह के खाने से हमारे शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ने लगता है और साथ ही दिमाग में तनाव की स्थिति बढ़ने लगती हैं |इस स्थिति से बचने के लिए व्यक्ति को सादे भोजन को प्राथमिकता देना चाहिये| साथ हि भोजन मे सभी तरह के विटामिन मिनरल ओमेगा 3 फैटी एसिड होने चाहिए ताकि शरीर में बनने वाले तनाव के केमिकल का स्तर कम हो सके|
पैनिक अटैक आने की स्थिति में क्या करें-
सभी तरह की सावधानी रखने के बावजूद भी यदि व्यक्ति का तनाव का स्तर कम ना हो और पैनिक अटैक आने की संभावना बनी रहे तो पैनिक अटैक आने के वक्त कुछ सावधानियां बरतना बहुत ही जरूरी है| पैनिक अटैक के असर को कम करने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें-
1- जोरो से गिनती गिने- जब भी गहरे तनाव के दौरान आपको गुस्सा और पैनिक अटैक दोनों एक साथ आने लगे तो एक से 10 तक गिनती गिने और चार पांच बार गहरी सांस ले| यह प्रक्रिया लगभग 8 से 10 बार दोहराएं| गहरी सांस लेने से दिल की धड़कन की गति धीमी हो जाती है और घबराहट बेचैनी घुटन आदि की स्थिति भी नहीं आती है|
2 -प्राणायाम करने की कोशिश करें- पैनिक अटैक के दौरान हृदय को ऑक्सीजन कम मिलने लगती है| इस कारण ब्लड का सरकुलेशन गड़बड़ाने लगता है| ऐसे में यदि आप प्राणायाम करने की कोशिश करेंगे तो दिल तक ऑक्सीजन ठीक तरीके से जाने लगेगा और इस से पैनिक अटैक का असर कम होने लगता है| मगर यदि तेज पैनिक अटैक हो तो हो सकता है आपको सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगे | तो इससे पहले की स्थिति और बिगड़े ऐसी परिस्थिति में स्वयं से अपने अटैक को नियंत्रित करने की बजाय किसी की मदद लेना बहुत ही आवश्यक हो जाता है|
3- मंत्र का जाप करे- पैनिक अटैक में अपना ध्यान किसी और डायवर्ट करने से भी उसका असर कम होने लगता है |इसके लिए आप अधिक तनाव की स्थिति में किसी मंत्र का जाप भी कर सकते हैं |भगवान से इस तरह का सामिप्य आपके शरीर और दिमाग दोनों को शांति देगा |साथ ही आपका ध्यान मंत्र जाप पर रहेगा ,तो आप तनाव से भी दूर रहेंगे| ज्यादातर डिप्रेशन के मरीज को ओम का उच्चारण करने की सलाह दी जाती है|
4- अरोमाथेरेपी की मदद- अरोमाथेरेपी एंजाइटी में बहुत फायदेमंद होती है| आप तेल, मोमबत्ती या इत्र के रूप में अरोमा थेरेपी ले सकते हैं |फूलों का अर्क
दिमाग में चल रहे तनाव को कम कर कर उसे पॉजिटिव तरीके से सक्रिय बनाने में मदद करता है| और हमें एंजाइटी से लड़ने में सहायता मिलती है|
5- कहे मन की बात- जब कभी भी हम अपने मन की बात किसी को नहीं बताते हैं तो हमारे अंदर उस बात को लेकर तनाव बढ़ने लगता है| इस तरह के बढ़ते तनाव को रोकने के लिए अपने मन की बात अपने दोस्त परिवार या माता-पिता को जरूर बताएं| ताकि वे लोग आपको सही सलाह देकर तनाव से मुक्त करा सके |कई बार ऐसी कई बातें होती है जो हम किसी के साथ शेयर नहीं कर सकते| मगर रिसर्च बताती है कि आप उन बातों को डायरी में लिख कर भी काफी हद तक अपने तनाव को कम कर सकते हैं|