Anxiety attack se kaise bach sakte hai? - एंग्जाइटी अटैक से कैसे बचें?


एंग्जाइटी एक ऐसी अवस्था है जो कि अत्यधिक नकारात्मक विचार या तनाव या डर से ग्रसित होने पर मनुष्य को चपेट में लेती है। इसका समय रहते इलाज़ न हो तो रोगी के लिए एक बड़े खतरे की घंटी बज सकती है। 

भागदौड़ से भरे इस जीवन में सुकून एक दुर्लभ अनुभूति है। हम अक्सर अपने मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा कर देते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य का संबंध हमारे मस्तिष्क से होता है। मस्तिष्क एक ऐसा जटिल अंग है जो अन्य अंगों की तुलना में ज्यादा परिपक्व होता है। इसका 'स्वास्थ्य' निश्चय ही हमारे व्यक्तित्व में गहरा प्रभाव डालता है। हमारे शरीर की कार्य करने की क्षमता इस पर निर्भर करती है। मानसिक परेशानी  हमारे अंदर भय व चिंता को जन्म देती है जिसका परिणाम नियमित 'एंग्जाइटी' अटैक का आना हो सकता है।




आइए नज़र डालते हैं कुछ उपाय जो एंग्जाइटी अटैक को रोकने में कारगर हैं:


* एंग्जाइटी से ग्रसित इंसान आज में न जी कर भविष्य से जुड़ी चिंताओं से परेशान रहता है। उसे हमेशा यह भय सताता है कि उसका आनेवाला कल अनुकूल होगा या नहीं, कोई समस्या तो उसे नहीं सताएगी! इसी उधेड़-बुन में वह स्वयं को असुरक्षित महसूस करने लगता है। भविष्य से जुड़ कल वह आज पर अपनी पकड़ खो देता है। इस व्यवहार पर काबू पा लेने के लिए यह ज़रूरी है कि हम खुद के लिए एक निश्चित समय आवंटित करें। स्वयं के सामने यह प्रश्न रखें कि क्या इन मसलों पर सोचना आपके 'आज' को संवार रहा है? फिजूल की चिंता ऐसा करने से आपसे दूर जाने लगेगी और तनाव में बढ़ोतरी नहीं होगी।


* एंग्जाइटी अधिक होने पर लंबी श्वास का लेना और छोड़ना इसको शांत करने में लाभदायक है। यह बेचैनी घटाने और मस्तिष्क में एकाग्रता को बढ़ावा देता है। 


* खुद को किसी काम में लगातार लगाना भी चिंता से छुटकारा पाने में कारगर है। किसी रूचिकर काम में व्यस्त रहना हमें अवांछनीय मानसिक परेशानी से दूर रखता है। इसलिए कभी खाली नहीं बैठना चाहिए। कुछ भी करें जो आपको खुशी दे। अपने विचारों को नकारात्मकता का स्वाद न चखने दे। जब तक आप अपने विचारों को नियंत्रित करेंगे वो आप पर हावी नहीं होंगे, जैसे ही विचार आपको नियंत्रित करेंगे आप परेशानी से जूझने लगेंगे।


* अगर आप खुद को मानसिक रूप से परेशान महसूस कर रहे हैं तो अपने भरोसेमंद दोस्त या संबंधी से बात करें। अकेलेपन में विचार हावी होने लगते हैं। इसलिए कभी भी दिमाग में उथल-पुथल हो तो किसी से बात करें। कभी-कभी बातें बताते हुए बहुत सी शंकाओं का समाधान मिल जाता है।


* ट्रिपल 3 रूल दिमाग को सुकून देने में फायदेमंद होता है। जब भी बेचैनी बढ़े अपने आसपास मौजूद चीज़ों में तीन का नाम लें। फिर उन तीन आवाज़ को सुनना है जो आसपास हैं। फिर उनका नाम लें। इसके बाद शरीर के तीन अंग टखने, अंगुलियां व हाथों को हिलाएं।ऐसा करने से भावनाओं में परिवर्तन आएगा और दिमाग में शांत आएगी।


* अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत रखें। ऐसा बिल्कुल न सोचें कि यह एंग्जाइटी अटैक आपको नुकसान पहुंचा सकता है। खुद को ऐसा भरोसा दिलाएं कि आप सक्षम हैं तथा आत्मबल से लबरेज़ भी। ये ख्याल न लाएं कि आपको कोई भारी क्षति होगी। हौसला बनाए रखें।

* एंग्जाइटी अटैक होने पर उल्टी गिनती करने की भी सलाह दी जाती है। ऐसा करते वक्त सांस अंदर-बाहर करें। इससे दिल की बढ़ी हुई धड़कन धीमी होती है जिससे मन शांत होने में मदद मिलती  है।


* कभी-कभी एंग्जाइटी अटैक से बचने के लिए मंत्र का उच्चारण या उसे बार-बार दोहराने से मदद मिलती है। ऊँ का उच्चारण करने की सलाह दी जाती है।


* हल्के व्यायाम मन को दुरुस्त बनाए रखते हैं।इससे खून की पंपिंग सही तरीके से होती है जिसमें एंडोर्फिन हॉर्मोन सहयोग देता है। यह हॉर्मोन मूड को सही करने में लाभदायक है। तनाव में होने पर वॉक पर जाना या फिर तैरने से मदद मिलती है।


*कोई व्यक्ति, दृश्य या परिस्थिति आपको मानसिक पीड़ा दे तो उससे दूर रहना हितकारी है। कभी-कभी कुछ आवाजें या जगह भी परेशानी का सबब बनती हैं।


* एंग्जाइटी अटैक के शुरुआती लक्षण जैसे बीपी का बढ़ना,  घुटन आदि का महसूस होना, हाथ कांपना, उल्टी होना, पेट खराब हो जाना आदि हो तो डॉक्टर से अवश्य मिलें।


* योगा व ध्यान भी एंग्जाइटी अटैक को कम करते हैं। अपनी जीवनशैली में छोटे बदलाव कर आप मानसिक स्थिति को सही कर सकते हैं। मन स्वस्थ करने के साथ-साथ यह हमें फिजूल की चिंता से दूर भी रखते हैं।


मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ' मन' का तंदरूस्त होना एंग्जाइटी को दूर भगाता है। कुछ बिन्दुओं पर नज़र डालते हैं जो हमें स्वस्थ मन प्रदान करते हैं:


जरूरत से ज्यादा किसी विषय पर न सोचना:

अधिक सोचना किसी परेशानी का इलाज नहीं हो सकता अपितु परेशानियों को आमंत्रित कर सकता है। व्यक्तिगत या दफ्तर से जुड़ी किसी समस्या को खुद पर हावी न होने दें।


खानपान का प्रभाव:

'ब्रेन बूस्टर' भोजन लें। जी हाँ, इनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी चीज़ों में  हल्दी,ब्रॉकली,पंपकीन सीड्स, नट्स, डार्क चॉकलेट, फैटी फिश, ब्लूबेरी आदि अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाते हैं। मन को दुरुस्त व स्फुरित करने में इनकी भूमिका प्रबल होती है।


मन की बात बांटें:

मनुज एक सामाजिक पशु है। अकेलापन उसकी सोच व व्यक्तित्व के लिए घातक होता है। बिना संकोच किए अपने दोस्तों व घरवालों से बात करें। हमें अपनों से सहारा लेने में कोई शर्म नहीं दिखानी चाहिए। बातें करने से हो सकता है समस्या का समाधान जल्दी मिले। 


एकाग्रता को दें प्राथमिकता:

अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। कार्य के संपन्न होने पर खुद को बधाई दें। खुद का दिया हुआ प्रोत्साहन आत्मविश्वास का जनक होता है। इससे आप अधिक एकाग्र हो पाएंगें। इससे मन शांत रहेगा।


तनाव प्रबंधन को अपनाएं : 

व्यायाम,टहलना, ध्यान लगाना इत्यादि तनाव को नियंत्रित करने में काफी कारगर हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल अपनी शांति को आवंटित करें। आपका मन स्वस्थ होगा तो तन भी स्वतः स्फूर्ति का आलिंगन कर पाएगा।

 

एक सकारात्मक रवैया रखें:

सकारात्मक रवैया किसी का बुरा न सोच कर भी अपनी आदत में शामिल किया जा सकता है। दूसरों की मदद करनि एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है। 


नया सीखने की इच्छा को रखें जीवित:

अपनी रूचि को तवज्जो देने के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व को नए आयामों से भी अवगत करवाते रहना चाहिए। वो कहते हैं 'खाली दिमाग शैतान का घर'। तो कुछ सीखना और उसे व्यवहार में लाना आपका बौद्धिक विकास भी करेगा। 


नींद को दे महत्व:

नींद किसी वरदान से कम नहीं। प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ-साथ मानसिक स्तर पर भी पर्याप्त नींद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चिड़चिड़ापन का स्वभाव में  होना व सोचने की क्षमता का क्षीण होना कम नींद लेने से उत्पन्न होते हैं ।


शरीर की करें हिफाज़त:

हमारा शरीर हमारे लिए किसी मंदिर से कम नहीं होना चाहिए। इसको पौष्टिकता से युक्त भोजन और आराम का उपहार अवश्य दें। पानी भी खूब पीएं ताकि शरीर से अनावश्यक तत्व बाहर हों।


सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने की करें कोशिश:

एक सकारात्मक संगति आप पर अच्छा प्रभाव डालती है। आपके नजरिये के साथ-साथ आपको तनावमुक्ति भी देती है। 


उपर्युक्त दिए गए बिन्दुओं पर गौर फरमाने से मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। 

एंग्जाइटी अटैक आजकल युवा वर्ग को बड़ी तादाद में प्रभावित कर रहा। व्यर्थ के विचार मानसिक स्थिति को प्रभावित करते हैं। अतः कभी चिकित्सकों से सलाह तो कभी जीवनशैली में परिवर्तन ला कर इसको दूर भगाया जा सकता है।



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