मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलना बहुत आवश्यक है क्योंकि यह एक समुदाय के सही एवं विकसित संचालन की नींव है। एंग्जाइटी मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य की वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति बहुत से अनावश्यक विचारों से खुद को निकालने में व किसी भी कार्य को करने में घबराहट महसूस करते हैं। किसी भी चीज़ से बहुत जल्दी परेशान हो जाते हैं । वो खुद को अकेला महसूस करते हैं । एंग्जाइटी आज हमारे बीच एक ऐसी समस्या है कि हमें इसके बारे में खुल के चर्चा एवं रोकथाम करने की ज़रुरत है ।
हम यदि किसी इंसान से मिलते हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो हमें उन्हे सीधे इलाज की सलाह नहीं देनी चाहिए अपितु उनके परेशान होने या घबराहट या अलग अकेले रहने का कारण समझ उसे उस चीज़ से बाहर निकलने में मदद करनी चाहिए । उन्हें यकीन दिलाना चाहिए कि हम उनके साथ हैं और वो खुल कर अपनी चिंता हमसे बाँटे तो वो जल्द ही खुद पर भरोसा और अपनी क्षमता पर यकीन कर पाएंगे। अपने जीवन और समाज दोनों के प्रति सकारात्मक उर्जा से सहयोग दे सकेंगे। लोगों के बीच जितनी जागरूकता फैलेगी उतना ही हम इस समस्या का रोकथाम कर पाएंगे। वैसे तो आज के युग में ऐसे बहुत से लोग हैं जो एक साथ मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चर्चा कर रहे हैं और खुलकर सामने अपनी परेशानी के बारे में जानने की कोशिश भी कर रहे हैं, जिससे बाकी दूसरे लोगों को भी प्रेरणा मिल रही है जो समाज मे मज़ाक बनने के डर से कह नहीं पाते क्योंकि मानसिक रोग से जुड़ी चिकित्सा एवं बातचीत को अक्सर लोग पागलपन समझते हैं महत्व नहीं देते ।
हमारे देश एवं पूरे विश्व में ऐसी बहुत सी संस्थाएं हैं जो इस पर रिसर्च और लोगों की मदद कर रही है । 45 करोड़ से भी अधिक लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन जिसे हम वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन या "डब्ल्यूएचओ" ( WHO) के नाम से जानते हैं,यह एक ऐसी संस्था है जो स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक पर आपसी सहयोग एवं मानव को स्वस्थ समाज विकसित कराने की मदद करती है , जिसका मुख्यालय जेनेवा स्वीटजरलैंड में स्थित है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एंग्जाइटी को दूर कर इसके रोकथाम के लिए ऐसे कई उपाय और प्लांस बनाए हैं जो पूरे विश्व को इस समस्या से लड़ने और मिटाने एवं जागरूकता फैलाने में मिलकर कार्य कर रही है । मानसिक स्वास्थ्य की ओर जागरूक करना एवं उसे मजबूत करने में सरकारों को सहयोग प्रदान कर रही है । डब्ल्यूएचओ ने मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए प्रभावकारी रणनीतियां और योजनाएं एकत्रित की हैं, जैसे कि:
बच्चों के लिए विद्यालय और पूर्व मानसिक सामाजिक गतिविधियों पर महत्व देने की आवश्यकता को दर्शाया है और सहायता कर रही है । विद्यालयों में मानसिक स्वास्थ्य की जागृता फैलाने वाली गतिविधियां बनाने में सरकारों की मदद कर रही है और एक ऐसा माहौल जो मित्रवत हो उन नीतियों पर भी कार्य कर रही है ।
कार्य स्थलों में लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए और तनाव निवारण के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का गठन कर रही है । कमज़ोर दिल वाले लोग जो किसी आपदा के कारण सदमे से उबर नहीं पा रहे या और फिर किसी बड़ी आपदा की वजह से ग्रसित हैं उनके लिए कार्यक्रम और नीतियां बना रही है।
हिंसा संबंधित मानसिक तनाव, इन सबके के भी निवारण का उपाय कर रही है । बच्चों पर की गई हिंसा या मारपीट जिसकी वजह से बच्चे मानसिक समस्या व तनाव से जूझ रहे हैं ऐसे कार्यक्रमों का गठन व उनके काम करने की प्रक्रिया पर विशेष रुप से सहयोग दे रही है।
युवाओं में शराब और ड्रग्स के सेवन के कारण होने वाली हिंसा और परेशानियों को खत्म करने की नीतियों व तकनीकी यों का गठन। ऐसी तकनीकी यों पर रिसर्च और शोध जो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और कुछ खास मानसिक रोग एवं समस्याओं का इलाज करेंगी ।
वृद्ध श्रेणियों में भी एंग्जाइटी एक बड़ी समस्या बन गई है जिसमें बुज़ुर्ग जो बहुत सी हिंसा का शिकार हैं जैसे कि उम्र होने के कारण वो किसी से मिलते नहीं या खुद को अकेला महसूस करते हैं, या बहुत से बुज़ुर्ग आश्रम भेज दिए जाते हैं जिनका असर स्वाभाविक उनके मानसिक स्थिति पर पड़ता है, उनके बीच मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए और उनकी मनोस्थिति को खुशहाल एवं मजबूत बनाने के लिए कार्यक्रमों का सहयोग।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आज हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि अवसाद या अन्य किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित लोगों का जीवन तकलीफदेह न हो। संयुक्त राष्ट्र इसके लिए सन 1992 से हर वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का भी आयोजन करता है जो कि 10 अक्तूबर को मनाया जाता है। आपको बताते चलें कि ये बीमारी इतनी भयावह हो चली है कि हर दूसरा व्यक्ति इसकी चपेट में आ सकता है।
हम अक्सर तनाव, डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि शब्दों से रूबरू होते हैं। यह देखने में काफी आम लगते हैं। पर इनके नकारात्मक प्रभाव पर गौर फरमाने की तकलीफ कम ही उठाई जाती है। इनसे लंबे समय तक जूझनेवाला इंसान अपनी सोच,भावनाओं, व्यवहार आदि में बदलाव महसूस कर सकता है। मानसिक स्वास्थ्य अपने अंदर 'इमोशनल'( भावनात्मक),'साइक्लोजिकल'(मनोवैज्ञानिक) ,'सोशलवेल बीइंग'(सामाजिक खुशहाली) जैसे बिंदुओं का समावेश रखता है। हमारा महसूस करना या हमारी यादाश्त इससे प्रभावित होती है। मानसिक स्वास्थ्य जीवन के हर पड़ाव पर अपनी महत्ता दर्ज़ करवाता है। मन स्वस्थ न हो तो स्ट्रोक, टाइप टू डायबटीज, ह्दय रोग आदि का खतरा बढ़ सकता है। चाइल्ड अब्यूज, ट्रॉमा,सेक्सुअल असॉल्ट इत्यादि मनोस्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
आइए कुछ बिन्दुओं पर ध्यान दें जिससे मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत किया जा सकता है-
जरूरत से ज्यादा किसी विषय पर न सोचना:
अधिक सोचना किसी परेशानी का इलाज नहीं हो सकता अपितु परेशानियों को आमंत्रित कर सकता है। व्यक्तिगत या दफ्तर से जुड़ी किसी समस्या को खुद पर हावी न होने दें।
खानपान का प्रभाव:
'ब्रेन बूस्टर' भोजन लें। जी हाँ, इनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी चीज़ों में हल्दी,ब्रॉकली,पंपकीन सीड्स, नट्स, डार्क चॉकलेट, फैटी फिश, ब्लूबेरी आदि अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाते हैं। मन को दुरुस्त व स्फुरित करने में इनकी भूमिका प्रबल होती है।
मन की बात बांटें:
मनुज एक सामाजिक पशु है। अकेलापन उसकी सोच व व्यक्तित्व के लिए घातक होता है। बिना संकोच किए अपने दोस्तों व घरवालों से बात करें। हमें अपनों से सहारा लेने में कोई शर्म नहीं दिखानी चाहिए। बातें करने से हो सकता है समस्या का समाधान जल्दी मिले।
एकाग्रता को दें प्राथमिकता:
अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। कार्य के संपन्न होने पर खुद को बधाई दें। खुद का दिया हुआ प्रोत्साहन आत्मविश्वास का जनक होता है। इससे आप अधिक एकाग्र हो पाएंगें। इससे मन शांत रहेगा।
तनाव प्रबंधन को अपनाएं :
व्यायाम,टहलना, ध्यान लगाना इत्यादि तनाव को नियंत्रित करने में काफी कारगर हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल अपनी शांति को आवंटित करें। आपका मन स्वस्थ होगा तो तन भी स्वतः स्फूर्ति का आलिंगन कर पाएगा।
एक सकारात्मक रवैया रखें:
सकारात्मक रवैया किसी का बुरा न सोच कर भी अपनी आदत में शामिल किया जा सकता है। दूसरों की मदद करनि एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है।
नया सीखने की इच्छा को रखें जीवित:
अपनी रूचि को तवज्जो देने के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व को नए आयामों से भी अवगत करवाते रहना चाहिए। वो कहते हैं 'खाली दिमाग शैतान का घर'। तो कुछ सीखना और उसे व्यवहार में लाना आपका बौद्धिक विकास भी करेगा।
नींद को दे महत्व:
नींद किसी वरदान से कम नहीं। प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ-साथ मानसिक स्तर पर भी पर्याप्त नींद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चिड़चिड़ापन का स्वभाव में होना व सोचने की क्षमता का क्षीण होना कम नींद लेने से उत्पन्न होते हैं ।
शरीर की करें हिफाज़त:
हमारा शरीर हमारे लिए किसी मंदिर से कम नहीं होना चाहिए। इसको पौष्टिकता से युक्त भोजन और आराम का उपहार अवश्य दें। पानी भी खूब पीएं ताकि शरीर से अनावश्यक तत्व बाहर हों।
सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने की करें कोशिश:
एक सकारात्मक संगति आप पर अच्छा प्रभाव डालती है। आपके नजरिये के साथ-साथ आपको तनावमुक्ति भी देती है।