Ovarian Cyst ka Operation -ओवेरियन सिस्ट का ऑपरेशन ?

स्त्री शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है ,गर्भाशय गर्भाशय के जरिए ही एक औरत को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त होता है| मगर हम में से कई लोग हमारे शरीर के इस महत्वपूर्ण अंग को कई बार नजरअंदाज कर देते हैं |मासिक धर्म की अनियमितता या प्रेगनेंसी के बाद कुछ विशेष  स्थितियों में ओवेरियन सिस्ट का निर्माण होना शुरू हो जाता है| ओवेरियन सिस्ट यानी अंडाशय के ऊपर एक परत का बन जाना |कई मामलों में यह सिस्ट बिल्कुल सामान्य होती है लेकिन यदि सामान्य से अधिक मोटी होती है तो यह मासिक धर्म को प्रभावित करने के साथ-साथ गर्भावस्था के लिए भी खतरनाक हो सकती है |

ओवेरियन सिस्ट तरल पदार्थ की गांठ की तरह होते हैं| महिलाओं की यूट्रस में मौजूद अंडाशय मैं बनने वाले अंडे महिला के गर्भ धारण में अहम भूमिका निभाते हैं| मगर यदि अंडाशय में सिस्ट बन जाता है तो यह अंडे बाहर नहीं निकल पाते हैं और यह समस्या बांझ रूप में सामने आती है|






 ओवेरियन सिस्ट के लक्षण

ओवेरियन सिस्ट जब तक सामान्य आकार में रहता है तब तक उसकी कोई खास लक्षण नहीं होते हैं मगर जैसे ही वह गांठ का रूप ले लेता है तब महिलाओं को कई समस्या का सामना करना पड़ता है|

1-  ओवेरियन सिस्ट होने से महिला की कमर का आकार बढ़ जाता है|

2- पेट और नाभि के निचले हिस्से में हमेशा दर्द बना रहता है|

3- भूख कम लगने लगती है और पेट पर सूजन आने से पेट फूला हुआ नजर आता है|

4- पेशाब पर कंट्रोल नहीं रहता है और बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है| क्योंकि सिस्ट के साथ मलाशय और मूत्राशय पर भी दबाव बनता है कई परिस्थितियों में मल त्याग करने में भी समस्या का सामना करना पड़ता है|

5- यदि लंबे समय तक आपका मासिक धर्म अनियमित रहता है तो यह ओवेरियन सिस्ट के कारण हो सकता है|

6- यदि कम समय में बिना किसी विशेष कारण से वजन बहुत ज्यादा और तेजी से बढ़ता है तो यह भी ओवेरियन सिस्ट के कारण हो सकता है|

7- ओवरी में सिस्ट होने से कमर पर दबाव पड़ता है| ऐसे में मासिक धर्म के समय कमर में अत्यधिक दर्द हो सकता है|

ओवरी में यदि सिस्ट की बड़ी गठान हो तो इससे मासिक धर्म अनियमित होने के साथ-साथ महिलाओं की फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती हैं|


सिस्ट के प्रकार

एंडोमेट्रियोसिस -एंडोमेट्रियोसिस वह स्थिति है जो सामान्यता हर महिला में पाई जाती है |गर्भाशय की गुहा पर सामान्य रूप से कोशिकाओं का विकास होता है |गर्भाशय की लाइनिंग पर ही यह कोशिकाएं पनपती है और मासिक धर्म चक्र के साथ आने वाले शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तन से ब्रेकडाउन होकर रक्तस्राव के साथ शरीर से बाहर हो जाती हैं|

रप्चर्ड  सिस्ट- जब से अनियमित आकार में बढ़ने लगे और बढ़ते हुए एक समय के बाद फट जाए तो इनसे निकलने वाला द्रव गुहा में फैल जाता है| इससे गंभीर जटिलताएं होने लगती हैं| ऐसी परिस्थिति में सर्जरी की सख्त आवश्यकता होती है|

सिंप्टोमेटिक सिस्ट- कई बार अंडाशय में बनने वाले सिस्ट के कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं |मगर फिर भी अनावश्यक रूप से पेट में भारीपन, उल्टी ,योन  संबंध के दौरान योनि में दर्द के साथ मासिक अनियमितता हो सकती है|

ओवेरियन कैंसर- ओवेरियन सिस्ट ज्यादातर मामलों में कैंसर के कारण नहीं होती है| लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में ओवेरियन कैंसर का कारण सिस्ट बन जाती है तब उसे निकालने के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है|

ओवेरियन सिस्ट से बचने का घरेलू उपाय-

सामान्य तौर पर भोजन और जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव कर कर हम कई सारे रोगों से बच सकते हैं|

1- रोजाना प्राणायाम और योगाभ्यास की आदत डालें|

2- अपनी डाइट में रेशेदार फलों के साथ हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन सुनिश्चित करें|

3- प्रोटीन का इनटेक बढ़ाएं|

4- डिब्बाबंद पदार्थों के साथ-साथ पिज़्ज़ा ,बर्गर, कोका कोला जैसे जंक फूड का भी त्याग करें|

5- ज्यादा तेल मसाले व मेदे से बनी हुई चीजों का प्रयोग कम से कम करें|

6 समय पर भोजन करने के साथ-साथ देर रात को भारी खाना खाने से बचे|

7- जब भी सिस्ट के कारण  पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगे तो गरम पानी की थैली से सिकाई कर आराम पाया जा सकता है|

7- गुनगुने पानी के भरे हुए तब में एक चम्मच सेंधा नमक डालकर शरीर के निचले भाग की सिकाई करने से आराम महसूस होता है|

8- सामान्यतः ओवेरियन सिस्ट पोटेशियम की कमी के कारण बनता है |ऐसे में यदि आप सेब के सिरके का सेवन करेंगे तो आप के शरीर की पोटेशियम  की कमी की पूर्ति हो जाएगी|


ओवेरियन सिस्ट का इलाज-

सिस्ट का इलाज इसके आकार और टाइप पर उसका ट्रीटमेंट निर्भर करता है |कई बार सिस्ट की स्थिति में डॉक्टर वेट एंड वॉच का फ़ंडा  भी अपनाते हैं |क्योंकि कई बार समय के साथ ये सिस्ट स्वयं ही डीसॉल्व हो जाती है| विश्व भर में लगभग 70% से अधिक महिलाओं को कभी ना कभी सिस्ट का सामना करना ही पड़ा है| मगर यदि आप रजोनिवृत्ति के अवस्था में है तो हर 4 से 6 महीने में अल्ट्रासोनोग्राफी  करवाने के बाद ही यह सुनिश्चित हो सकता है कि ओवेरियन सिस्ट कैंसर का रूप ना ले ले| कभी विशेष परिस्थितियों मे यदि ये स्वयं डीसॉल्व नही होती है, तो  गर्भनिरोधक गोलियों के साथ कुछ अन्य दवाइयां (जैसे pcoc की दवाई का) सेवन करने से सिस्ट को बढ़ने से रोका जा सकता है| मगर यदि सिस्ट का आकार बड़ा हो और उस पर यह ट्रीटमेंट काम नहीं करता है तो सिस्ट को सर्जरी से निकालना पड़ता है|

 सर्जरी का निर्धारण करने के लिए ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट के साथ अल्ट्रासोनोग्राफी का भी सहारा लिया जाता है |कुछ गंभीर मामले में तो पूरी ओवरी ही निकाली पड़ सकती है या यदि सिस्ट केंसरकारी हो तो गर्भाशय, अंडाशय के साथ फेलोपियन ट्यूब में निकाली जाती है|

सिस्ट की सर्जरी 3 तरह से की जाती है

1- ओवेरियन सिस्टक्टॉंमी मे महिला के शरीर से अंडाशय को ही निकाल दिया जाता है|

2- ओफोरेक्टमी  में अंडाशय के प्रभावित हिस्से को निकाल दिया जाता है ऐसा तब किया जाता है जब अंडाशय में कई सारे सिस्ट हो

3- जब सिस्टर का आकार बढ़ कर गर्भाशय तक आ जाता है तो ऐसे मामलों में सिस्टर को हटाने के लिए पूरा गर्भाशय ही बाहर निकाला जाता है इसे टोटल हिस्टोरेक्टोमी कहते हैं,


उपरोक्त प्रक्रिया को करने के लिए की जाने वाली सर्जरी

1- लेप्रोस्कोपी- इस प्रक्रिया में एक बड़े चेहरे के बजाय पेट की त्वचा पर कई छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं इन चीजो के माध्यम से पेट के अंदर सर्जिकल कैमरा डाला जाता है इस कैमरे की मदद से कम चीरा पारी के जरिए अधिक सटीकता से सर्जरी की जा सकती है

2- लेप्रोटोमी- जब सिस्ट का आकार बड़ा होता है और डॉक्टर को कैंसर होने की संभावना लगे तो तभी है ऑपरेशन का कदम उठाया जाता है इस ऑपरेशन के दौरान पेट के निचले हिस्से में बड़ा कट लगाकर सिस्टर को निकाला जाता है और फिर उसे लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है यदि है कैंसर कारी होता है तो फिर उसके आसपास के पूरे उत्तको को हटाया जाता था जिस से कि शरीर में कैंसर का कोई अंश ना बचे|

सर्जरी के दौरान डॉक्टर को कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ता है जिससे कि यदि सर्जरी के दौरान लेप्रोस्कोपी से सच्चे ना निकल पाए तो सर्जन को सिस्टर हटाने के लिए लेप्रोटोमी सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है ऐसे में ऑपरेशन लंबे समय तक चलता है साथ ही शरीर के अंदर डाली गई नली और कैमरे से रक्त वाहिकाओं या नस पर चोट लगने के कारण उनकी क्षति हो सकती है.

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