तो हम पैनिक अटैक से किस प्रकार डील कर सकते हैं?
किसी भी समस्या और बात के प्रति, हर इंसान की अपनी अलग प्रक्रिया होती है क्योंकि कौन सी बात किसके लिए कितनी महत्वपूर्ण है, ये हम किसी समस्या के समय, उनके व्यवहार को देखकर पहचान सकते हैं ।तो पैनिक अटैक किसे कहते हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में।
उदाहरण के तौर पर, जैसे हमारे घर पर किसी का अचानक पेट दर्द होने लगे तो कोई तुरंत किसी नुस्खे से उसे शांति से ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं, तो किसी सदस्य को ऐसा देखकर अचानक घबराहट होने लगेगी कि ये क्यों हो रहा है और उसे समझ नहीं आएगा कि इस समस्या से तुरंत कैसे डील करें और वो इंसान आपको उस वक्त सबसे ज्यादा परेशान प्रतीत होगा, ऐसी ही अवस्था को हम पैनिक अटैक कहते हैं।
पैनिक अटैक एक ऐसी अवस्था है जिसमें -
- व्यक्ति अचानक चिंता करने लगता है या घबराने लगता है ।
- यह चिंता या डर किसी बात से,
- या कोई दुर्घटना के कारण, या किसी और बात जिससे वह दुखी है, किसी भी कारण से अचानक होने लगता है ,
- इसके लक्षण ये हैं कि व्यक्ति को डर या घबराहट से पसीने आते हैं,
- साँस लेने में तकलीफ हो सकती है,
- चक्कर जैसी समस्या होने लगती है,
- उनको ऐसा लगने लगता है जैसे कि इस समस्या से वे बाहर नहीं निकल पाएंगे और पता नहीं क्या हो जाएगा,
- ऐसे ख़्याल भी आते हैं,
- बहुत परेशान हो जाना,
- अधिक डरना और रोना आना।
तो हम पैनिक अटैक से किस प्रकार डील कर सकते हैं?
इस समस्या से जूझ रहे इंसान कि भावनाओं को हमें समझना चाहिए।हमें यह बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि इतनी छोटी सी बात पर क्या सोचना या पागलपन नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि जो बात हमारे नजरिये में बहुत आम और छोटी है, वही बात किसी दूसरे इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि हर व्यक्ति का हर चीज़ के लिए अपना अलग महत्व होता है। उनकी किसी भी समस्या, घटना या बात के प्रति अलग प्रक्रिया होती है तो हमें उनके विचारों का आदर करते हुए, उन्हें आराम से समझाना चाहिए।उन्हें मौका दें कि वो खुलकर अपनी चिंता बताएं , और हमें उसी प्रकार उन्हें ऐसा यक़ीन दिलाना चाहिए कि हम उनके साथ हैं ताकि वो पैैैैनिक ना करें यानि डरें नहीं और शांति महसूस करने की कोशिश करें।
एक और बात का हमें खास ख्याल रखना चाहिए कि यदि हमें पता है , कि किसी व्यक्ति को पैनिक अटैक की समस्या है तो हम उनके सामने कोई ऐसी बात ना करें जिससे वह घबराएं या डरें, या चिंता करने लगे क्योंकि इससे उनकी तबीयत पर भी असर हो सकता है अगर वो ज्यादा परेशान होंगे तो।
इसके अलावा, जैसा कि हम जानते हैं, पैनिक अटैक के दौरान इंसान को सांस लेने में तकलीफ होती है और वे बहुत मेहनत से अथवा तेजी से सांस लेने लगते हैं, तो उस वक्त, हमें उन्हें धीमी गति से श्वास अंदर-बाहर करने के लिए मदद करनी चाहिए। उन्हें एक जगह अच्छे से बैैठाकर, आराम से सांस लेने की प्रक्रिया करवानी चाहिए।उनको कुछ ऐसे वाक्य जैसे कि ' सब ठीक है', 'सब अच्छा हो जाएगा', ' मैं तुम्हारे साथ हूँ' इत्यादि बोला जा सकता है।
इन सबके अलावा चिकित्सकों के द्वारा इसका इलाज़ किया जाता है जिसमें उनकी पूरी बात सुनी जाती है और फिर उस समस्या पर काम किया जाता है, जिससे इंसान का उस चिज के प्रति डर और चिंता खत्म की जा सके।
कुछ मामलों में कुछ दवाइयों से भी मदद मिलती है, जैसे पैनिक अटैक से ज्यादा सर दर्द हो तो उसकी दवा कभी कभी या फिर चक्कर आए तो उसकी और अन्य, लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि कोई भी दवा चिकित्सक के सुझाव के बिना ना लें और ना किसी को बिना चिकित्सक से पूछे दें।
अगर आपको पैनिक अटैक हो या आपके किसी अपने को, या किसी को भी, तो आप ऐसी किसी भी बात के बारे में ज्यादा ना सोचें या महत्व ना दें जो आपको नकारात्मक महसूस कराएं ।
इसके अलावा जब आपको ऐसे ख्याल आए तो आप अपना ध्यान किसी ऐसी चीज में लगाएं जिसमें आपको खुशी मिलती है और सकारात्मक उर्जा मिलती हो।
आपका कोई ऐसा शौक या हॉबी भी हो सकती है, आप उसे करें, इससे आप देखेंगे कि कैसे आपमें आत्मविश्वास का संचालन होगा और ज़्यादा समय सकारात्मक चीजों की ओर लगाएंगे, यह आपको खुशियों को स्वागत करने का एक और रास्ता दिखाएंगे।
हमेशा अपनों से या ऐसे मित्र जो आपको जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं, आप उनसे अपनी बात कहने और मदद लेने मे कभी ना हिचकिचाएं, क्योंकि इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता है, साथ ही आपकी चिंता का समाधान भी कई बार उनके पास मिल जाता है।
जैसा कि हम समझ चुके हैं कि पैनिक अटैक ऐसी अवस्था है जो व्यक्ति को बिना किसी सूचना के ही असहज़ बना सकता है और तो और मरीज़ को कैसे संभाला जाए यह भी समझ नहीं आता है। यह चंद सेकेंड से लेकर एक घंटे तक मरीज़ को चपेट में ले सकता है इसलिए आइए एक नज़र घरेलू उपचार और पदार्थों पर डालें जो पैनिक अटैक की संभावना को कम करते हैं:
- ग्रीन टी का प्रयोग
मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्वस्थ करता है।
- संतरे का प्रयोग
रक्तचाप को सुचारू रखने में संतरा बड़ी भूमिका निभाता है।
- बादाम का प्रयोग
पोटेशियम, मैग्नीशियम से भरपूर होने के कारण बादाम का सेवन लाभकारी होता है।
समस्या का सबसे पहला निशाना हमारा मन होता है इसलिए इसकी सेहत का ख्याल रखना भी हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।' मन' का तंदरूस्त होना तनाव को दूर भगाता है। कुछ बिन्दुओं पर नज़र डालते हैं जो हमें स्वस्थ मन प्रदान करते हैं और पैनिक अटैक या किसी प्रकार के तनाव की संभावना को कम करते हैं:
जरूरत से ज्यादा किसी विषय पर न सोचना:
अधिक सोचना किसी परेशानी का इलाज नहीं हो सकता अपितु परेशानियों को आमंत्रित कर सकता है। व्यक्तिगत या दफ्तर से जुड़ी किसी समस्या को खुद पर हावी न होने दें।
खानपान का प्रभाव:
'ब्रेन बूस्टर' भोजन लें। जी हाँ, इनके बारे में जानकारी होना आवश्यक है। मेंटल हेल्थ से जुड़ी चीज़ों में हल्दी,ब्रॉकली,पंपकीन सीड्स, नट्स, डार्क चॉकलेट, फैटी फिश, ब्लूबेरी आदि अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाते हैं। मन को दुरुस्त व स्फुरित करने में इनकी भूमिका प्रबल होती है।
मन की बात बांटें:
मनुज एक सामाजिक पशु है। अकेलापन उसकी सोच व व्यक्तित्व के लिए घातक होता है। बिना संकोच किए अपने दोस्तों व घरवालों से बात करें। हमें अपनों से सहारा लेने में कोई शर्म नहीं दिखानी चाहिए। बातें करने से हो सकता है समस्या का समाधान जल्दी मिले।
एकाग्रता को दें प्राथमिकता:
अपने जीवन में छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करें। कार्य के संपन्न होने पर खुद को बधाई दें। खुद का दिया हुआ प्रोत्साहन आत्मविश्वास का जनक होता है। इससे आप अधिक एकाग्र हो पाएंगें। इससे मन शांत रहेगा।
तनाव प्रबंधन को अपनाएं :
व्यायाम,टहलना, ध्यान लगाना इत्यादि तनाव को नियंत्रित करने में काफी कारगर हैं। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल अपनी शांति को आवंटित करें। आपका मन स्वस्थ होगा तो तन भी स्वतः स्फूर्ति का आलिंगन कर पाएगा।
एक सकारात्मक रवैया रखें:
सकारात्मक रवैया किसी का बुरा न सोच कर भी अपनी आदत में शामिल किया जा सकता है। दूसरों की मदद करनि एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है।
नया सीखने की इच्छा को रखें जीवित:
अपनी रूचि को तवज्जो देने के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व को नए आयामों से भी अवगत करवाते रहना चाहिए। वो कहते हैं 'खाली दिमाग शैतान का घर'। तो कुछ सीखना और उसे व्यवहार में लाना आपका बौद्धिक विकास भी करेगा।
नींद को दे महत्व:
नींद किसी वरदान से कम नहीं। प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ-साथ मानसिक स्तर पर भी पर्याप्त नींद एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चिड़चिड़ापन का स्वभाव में होना व सोचने की क्षमता का क्षीण होना कम नींद लेने से उत्पन्न होते हैं ।
शरीर की करें हिफाज़त:
हमारा शरीर हमारे लिए किसी मंदिर से कम नहीं होना चाहिए। इसको पौष्टिकता से युक्त भोजन और आराम का उपहार अवश्य दें। पानी भी खूब पीएं ताकि शरीर से अनावश्यक तत्व बाहर हों।
सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताने की करें कोशिश:
एक सकारात्मक संगति आप पर अच्छा प्रभाव डालती है। आपके नजरिये के साथ-साथ आपको तनावमुक्ति भी देती है।