कोविड-19 का महिलाओं और लड़कियों पर प्रभाव
कोविड-19 का प्रभाव विश्व के सभी देशों पर हुआ है जिसमें विकसित एवं अविकसित सभी देश शामिल हैं। इसका प्राथमिक प्रभाव मृत्यु दर, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर देखा गया है। माध्यमिक प्रभाव की अगर बात करें तो यह लैंगिक असमानताएं, पितृसत्ता और अशिक्षित जैसी मानसिकताओं को और भी बढ़ावा दे रहा है। तो आइए चर्चा करते हैं कोविड-19 का महिलाओं और लड़कियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।
कोविड-19 का महिलाओं पर प्रभाव-
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि लॉकडाउन का पालन पूरे विश्व में सभी देशों के द्वारा किया जा रहा है खासकर जहां इस महामारी की समस्या बहुत ज्यादा है। लॉक डाउन की वजह से सभी लोग घर पर रहने को मजबूर है जिसमें महिलाएं पुरुष बच्चे और बुजुर्ग सभी स्तर के लोग शामिल हैं। कोविड-19 की वजह से महिलाओं के जीवन चाहे वह आर्थिक हो, मानसिक या सामाजिक सभी स्थानों पर मानो एक धक्का सा लगा है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की नौकरी, पेंशन एवं अन्य समस्याएं ज्यादा देखने को मिली है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरुषों की तुलना में महिलाओं की नौकरियां ज्यादा गई है जिसकी वजह से उनके घर की जिम्मेदारियां भी बढ़ती हुई दिख रही हैं। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं घर पर जिम्मेदारियों का बोझ ज्यादा उठाते दिख रही है। घर संभालने खाना बनाने से लेकर बाहर से पानी लाने तक, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं कोविड-19 के कारण बहुत से अन्य समस्याओं से जूझ रही है जिसमें उनकी जरूरतों की चीजों में बहुत कमी हुई है। हम यह मानते हैं कि सरकारों एवं अन्य संस्थाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों तक मदद पहुंचाने की खासकर महिलाओं के घरों में राशन पानी पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है मगर अभी भी कुछ क्षेत्रों में महिलाएं अपनी जरूरत की चीजों के लिए बहुत सारी समस्याएं महसूस कर रही है। जैसे कि सैनिटरी पैड्स, प्रेगनेंसी में मिलने वाली मेडिकल मदद, पेंशन एवं नौकरी।
यूरोपियन कमीशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं बच्चों की देखभाल में हर हफ्ते 62 घंटे बिता रहे हैं, वहीं पुरुष किस काम के लिए 36 घंटे दे रहे हैं। दूसरी तरफ घरेलू कामों के लिए भी महिलाएं 23 घंटे हर हफ्ते दे रही हैं जबकि पुरुष 15 घंटे दे रहे हैं।
कोविड-19 का विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं पर प्रभाव-
क्षेत्र जैसे हॉस्पिटल्स, नर्सिंग फैसिलिटी, पर्यटन, कैफे, रेस्टोरेंट्स, होटल्स, कम्युनिटी वर्कर्स जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी काफी देखने को मिलती है। इन सभी क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में बहुत गिरावट आती दिख रही है। ऐसा माना जा रहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण इन महिलाओं को लगभग गरीबी का सामना करना पड़ सकता है। विभिन्न संस्थाओं और स्टडी रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले, महिलाओं के वेतन और नौकरी में ज्यादा गिरावट आई है और उनके बेहद करीब हो जाने की आशंका है। महिलाएं जो नर्स की नौकरी कर रही है या सोशल सर्विस और कम्युनिटी वर्कर्स के क्षेत्र में शामिल है वे कोरोनावायरस के संपर्क में ज्यादा आते हैं। महिलाएं जो घर से ही अपना काम कर रहे थे और बढ़ने की वजह से उनकी स्थिति भी अच्छी नहीं चल रही है। महिलाऐं जो घर से ही बिजनेस करके अपने घर की जिम्मेदारियां उठा रही थीं, वे बहुत ही कम पैसे में काम करने को मजबूर हैं। कोविड-19 की वजह से महंगाई भी बढ़ गई है जिसकी वजह से घर से रोजी-रोजगार चलाने वाली महिलाओं की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो गई है। चाहे वह घर से टेलर मशीन चलाना हो, कपड़ो का बिजनेस हो या कोई अन्य काम-काज, सभी क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति पर भारी असर पड़ा है।
मानसिक प्रभाव-
लॉक डाउन की वजह से महिला पुरुष सभी घर में रहने को मजबूर हैं। इसी के साथ घरेलू हिंसा के आंकड़े भी तेजी से बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गए हैं।
उन्होंने कहा कि 69 शिकायतों के मामले उन्हें केवल ईमेल से प्राप्त हुए हैं। उनके मुताबिक महिलाओं की शिकायतों के आंकड़ें पहले से और ज्यादा बढ़ गए हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के साथ-साथ घर की जिम्मेदारियों और बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी बढ़ जाने से महिलाएं ट्रस्ट मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं। हमारे समाज में पितृसत्ता और लैंगिक और समानताएं जैसी मानसिकता को और ज्यादा बढ़ावा मिलता दिख रहा है जिसकी वजह से महिलाओं को संघर्ष करना पड़ रहा है। सेक्सुअल हरासमेंट, अनवांटेड प्रेगनेंसी और मारपीट के आंकड़े कम नहीं बल्कि पड़ते दिखाई दे रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो पितृसत्ता लैंगिक असमानता जैसी मानसिकता आगे बढ़ती चली जाएंगी जो आगे चलकर समाज एवं महिलाओं के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकता है। जेंडर कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील रेणु मिश्रा ने कहा पुलिस का पूरा ध्यान अभी कोविड-19 पर है और घरेलू हिंसा के मामले जरूरी सेवाओं के दायरे में नहीं आते हैं। इसी वजह से कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, महिलाओं जो पुलिस से मदद लेने से कतराती हैं और हिंसा बर्दाश्त करना बेहतर समझती हैं।
कोविड-19 का लड़कियों पर प्रभाव-
कोविड-19 का प्रभाव लड़कियों पर लड़कों के मुताबिक ज्यादा देखने को मिल रहा है। चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र को लेकर हो या घर की जिम्मेदारियों को लेकर। यूनेस्को के मुताबिक विश्व स्तर पर शिक्षा में नामांकित छात्रों की आबादी में से, वर्तमान में कोविड-19 के कारण 89% बच्चे स्कूल से बाहर हैं। यह स्कूल या विश्वविद्यालय में नामांकित 1.54 बिलियन बच्चों और युवाओं का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें लगभग 743 मिलियन(185 देशों) लड़कियां शामिल हैं।
स्कूल बंद होने से प्रभावित 111 मिलियन लड़कियां दुनिया के सबसे कम विकसित देशों में रह रही है जहां शिक्षा प्राप्त करना पहले से ही एक संघर्ष है।
आइए चर्चा करते हैं उन विषयों पर जिनका प्रभाव लड़कियों पर बहुत अधिक पड़ा है:
ऐसे देशों में जहां पितृसत्ता, लैंगिक असमानताएं, गरीबी और अशिक्षा जैसी मानसिकता और परिस्थिति अब भी मौजूद है। लड़कियों को पहले से ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
ड्रॉपआउट जैसी समस्याएं ज्यादा किशोर लड़कियों को झेलनी पड़ेगी।
लॉक डाउन की वजह से जो विश्व में स्कूल और कॉलेज बंद है यानी के वैश्विक शिक्षा प्रणालियों को बाधित करने का जो प्रयास अभी भी जारी है वह पहले से कमजोर लड़कियों जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और शिक्षा प्राप्त करने में संघर्ष कर रही है उनकी शिक्षा प्राप्त करने की स्थिति को और कमजोर बना रहा है। आगे यह एक गंभीर विषय है सोचने के लिए क्योंकि जिस तरह से कोविड-19 का असर बढ़ रहा है उसी तरह लड़कियों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, ऐसे गरीब घर जो महज अपना गुजारा कर पाते हैं उन घरों में इसका असर बहुत ज्यादा देखने मिल रहा है। लड़कियों को और भी ज्यादा संघर्ष करना पड़ रहा है और पितृसत्ता के कारण लड़कियां शिक्षा प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयां महसूस कर रही हैं।
अब भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां मध्यान भोजन और पौष्टिक भोजन गरीब घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं जिसके कारण लड़कियों के शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है
अपने परिवारों के देखभाल के लिए बढ़ते दबाव के कारण उनकी भावनात्मक विकास पर भी असर पड़ेगा
जो लड़कियां बाहर जाकर किसी खास कोर्स, शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, वह लॉकडाउन के कारण घर में ही रहने को मजबूर हैं जिसके कारण उनकी शिक्षा प्राप्ति पर भी प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि घरेलू कामकाज और और घरेलू जिम्मेदारियों के दबाव से उनके मानसिक और शिक्षा जीवन पर असर पड़ रहा है।
पितृसत्ता जैसे सोच रखने वाले कुछ परिवारों में लड़कियों को ऐसा सिखाया जाता है कि वह सबको खिला कर खुद आखरी में खाएं तो ऐसी मानसिकता के कारण और बढ़ते लॉकडाउन की वजह से शिक्षा में जो प्रभाव पड़ा है उससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्हें आने वाले समय में शिक्षा प्राप्त करने से भी रोका जा सकता है।
इसके अलावा घरेलू हिंसा यौन शोषण जैसी घटनाएं भी बढ़ रहे हैं।यदि इन सब पर रोक नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में बहुत ही कम उम्र में लड़कियों को शादी करने का दबाव, यौन शोषण, तस्करी और अस्वस्थ जीवन शैली का सामना करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से इसमें कमी तो नहीं आएगी और यह आगे जारी होता रहेगा।
इसकी वजह से लड़कियां अपना आत्मविश्वास खोती रहेंगी और वापस से शिक्षा प्राप्त करने की जो प्रेरणा है वह उन्हें नहीं मिल पाएगा और उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
समाधान-
सभी देशों को आगे आकर सामाजिक और आर्थिक समस्याओं से जुड़ी से जुड़े समाधान ढूंढने होंगे।
समाज के सबसे कमजोर समुदायों विशेषकर लड़कियों और महिलाओं की आर्थिक एवं शारीरिक जरूरतों का ध्यान रखा जाए।
सभी क्षेत्रों में काम कर रहीं महिलाओं की वेतन, पेंशन और उनके निजी जरूरतों जैसे मेडिकल हेल्प, सेनेटरी पैड का प्रबंध जरूरी है।
लोन संबंधित समस्याओं, रोजी रोजगार को चलाने के साधन सभी वर्गों की महिलाओं तक पहुंचना जरूरी है चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र से हो या विकसित क्षेत्र से।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो महिलाएं और लड़कियां आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा, मानसिक और शारीरिक विकास से दूर होती दिखेंगी और कहीं फिर से पितृसत्ता युक्त और अशिक्षा जैसी मानसिकता समाज को ना घेर ले क्योंकि यह एक समाज के परिपूर्ण विकास का दुश्मन है।