MENTAL HEALTH TREATMENT FOR TEENS (FEMALES)
किशोरावस्था एक ऐसा समय होता है जिसमें लड़का हो या लड़की दोनों में ही शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के बदलाव आते है और इसके साथ ही उनको और कई तरह के नए अनुभव होते है और कुछ नया अनुभव करने की उनमे इच्छा भी जागरूक होती है, ये इच्छाए होना बोहोत ही आम बात है जो हर इंसान को अपनी किशोरावस्था में होती है लेकिन कभी कभी ये इच्छाए पुरी न होबे से और उनके शरीर में हो रहे बदलावों को न समझ पाने की वजह से, उनके मन के जो सवाल है जो बाते है वो किसी को कह नहीं पाते या उन्हें कहने में वो झिझक महेसुस करने लगते है जिसके चलते वो बाते उनको अन्दर ही अन्दर परेशान करने लगती है और एक मानसिक रोग बन जाती है जो के आगे चलके उन्हें शारीरक रूप से भी प्रभावित करती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार किशोरावस्था में होती मानसिक स्वास्थ्य समस्याए लडको के मुकाबले लडकियों में ज्यादा देखने को मिलती है और पिछले १५ वर्षो में महिलाओ और लडकियों को हो रही मानसिक स्वास्थ्य समस्याओ में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गयी है। युवा महिलाओ को सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याए, आत्मक्षति, पश्च-अभिघातजन्य तनाव का विकार (पीटीएसडी) और द्विध्रुवी का अनुभव होने की अधिक सम्भावना है। १९९३ के बाद से युवा महिलाओ में आत्म-क्षति का दर तीन गुना बढ़ गया है। युवा लडकियों में अवसादग्रस्त विकार, खाने इ विकार और आत्म-हानि जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याए ज़यादातर देखि जाती है। अन्य प्रकार की मानसिक बीमारी जैसे के बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार, और द्विध्रुवि विकार जैसी समस्या ये लडको से ज्यादा लडकियों में ज्यादा प्रचलित है। अगर समय रहते इनका इलाज किया जाये तो ये समस्याए दूर हो सकती है। लडकियों को होती मानसिक स्वास्थ्य समस्याओ के वैसे कई इलाज है, एक मनोचिकित्सक वर्तमान लक्षणों के बारे में उनके साथ बात करके, घर और स्कूल के बारे में पूछने पर वो उसके बारे में कुछ अंतद्रष्टि प्राप्त कर लेते है। सारी बातो को सुनने और समझने के नाद वो एक उपचार योजना बनाते है जो के उस मरीज़ के लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर होती है। युवा महिलाओ की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओ के समाधान के लिए वो कई चिकित्साओ का भी उपयोग कर सकते है; जैसे के,”
संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार :-
यह एक प्रकार का मनोचिकित्सा उपचार है जो दिमाग में उठ रहे विनाशकारी या परेशान करने वाले विचारो जो व्यव्हार और भावनाओ पर नकारात्मक प्रभाव डालते है उनको पहेचानने और बदलने में मदद करता है । यह नकारात्मक विचारो को दूर करने के लिए रणनीतियो की एक विशेष श्रुंखला का उपयोग करने पर केन्द्रित है। यह खाने के विकार मादक द्रव्यों के सेवन, चिंता और अवसाद सहित मुद्दों की एक विशेष श्रुंखला के इलाज में प्रभावी हो सकता है। इस तरह की तकनीको में जर्नलिंग, रोल-प्लेयिंग, विश्राम तकनीक, और मानसिक विकर्षण शामिल है। सीबीटी का उपयोग करने वाले मनोचिकित्सक रोगी को उन अस्वस्थ विचार पैटर्न की पहेचान करने में मदद करेगा जो मानसिक स्वास्थ्य समस्याओ में योगदान करते है। एक चिकित्सक मरीज़ को कुछ प्रश्न पूछता है और दुविधा वाले प्रश्नों की पहेचन के लिए रोगी को प्रश्नों का रिकॉर्ड रखने के लिए भी कहता है। बाद मे विशिष्ट तकनीको का उपयोग करके वो असाध्य विचार पैटर्न और व्यवहारों के बारे में सोचने के नए तरीके सिखाते है और किसी की ज़रुरतो के हिसाब से अधिक प्रभावी तरीके इस्तेमाल करते है। सीबीटी किशोरियो को अपने आसपास के पर्यावरण की अलग-अलग व्याख्या करने में मदद करता है। अन्य चिकित्सियिक द्रष्टिकोण की तुलना में सीबीटी अल्पकालिक है। यह बहुत समस्या केन्द्रित भी है जिसका अर्थ ये है के यह वर्तमान के मुद्दों से निपटता है।
इस प्रकार की चिकित्सा के लाभ कुछ इस प्रकार है ,
नकारात्मक विचारों की श्रृंखला को बदलती है
तनाव के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रियाओ को पहेचाने
दूसरों के साथ संचार में सुधार
आत्म-सन्मान बढ़ाये
नशे या अन्य आत्म-विनाशकारी व्यवहारों वाले विचारों को रोके
भय को कम करने में मदद करती है
पारस्परिक मनोचिकित्सा :-
पारस्परिक मनोचिकित्सा जिसे आईपीटी–ए भी कहा जाता है, एक समय केन्द्रित मनोचिकित्सा है जो १२ से १८ की उम्र के किशोरों का जो कि डिप्रेशन से पीड़ित है उनके लिए उपयोग की जाती है। जैसे के यह एक समय केन्द्रित उपचार है तो इसमें १२ से १६ सत्र का समय निर्धारित होता है। यह उपचार विशेषरूप से किशोरावस्था में किशोरियो को होने वाली मानसिक समस्या जैसे के डिप्रेशन, डिस्टीमिया, उदास मनोदशा, के साथ समायोजन विकार का उपचार करने के लिए विकसित किया गया था। पारस्परिक मनोचिकित्सा का लक्ष्य मरिज को दुसरो के साथ बहेतर संवाद करने और उनके अवसाद में योगदान करने वाली समस्याओ का समाधान करने में सहायता करना है। मनोचिकित्सक आईपिटी-ए के साथ कभी कभी दवाओ का भी उपयोग करते है।
समाधान केन्द्रित चिकित्सा :-
इस चिकित्सा का मुख्यतः उपयोग डिप्रेशन वाले मरीजों के लिए किया जाता है। युवा महिलाये जिनको ध्यान केन्द्रित करने मे, चीजों को याद रखने में कठिनाई होती है, जो उदास मनोदशा, ख़राब शैक्षणिक प्रदर्शन, अपराध बोध, पीड़ा, नींद में कमी, और भूख में कमी की समस्या से पीड़ित है उनके लिए भी ये चिकित्सा कारगर साबित हुयी है।
माइंडफुलनेस-आधारित संज्ञानात्मक चिकित्सा :-.
माइंडफुलनेस-आधारित संज्ञानात्मक थेरेपी, संज्ञानात्मक चिकित्सा के सिद्धांतो पर निर्भर करती है, जैसे के लोगों को सचेत रूप से उनके विचारों और भावनाओं पर ध्यान देने के लिए बिना किसी निर्णय को ध्यान में रखते हुए सिखाने के लिए माइंडफुलनेस मैडिटेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
मनोचिकित्सा थेरेपी :-
इस चिकित्सा में चिकित्सक मरीज़ को अपने वर्तमान में उनकी भावनाओ, विचारो और विश्वास में अंतर्द्रष्टि प्राप्त करने में मदद करता है । इसमें चिकित्सक मरीज़ को उसमे मन में उठ रही हर बात को बेझिझक तरीके से कहने के लिए प्रोत्साहित करता है। जो विचार और भावनाओ की चर्चा की जाती है उसके ऊपर जाच करी जाती है और मरीज़ की स्थिती की गंभीरता का अंदाजा लगाया जाता है। इस थेरेपी का उपयोग सामान्यतः डिप्रेशन या चिंता से पीड़ित मरीजों पर किया जाता है और कुछ ऐसे प्रमाण है जो बताते है के डिप्रेशन के लिए ये चिकित्सा बाकि और चिकित्सा से कही बहेतर है।
लम्बे समय से मानसिक स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित किशोरियो, जिनकी समस्या दिन प्रतिदिन और ख़राब होती जा रही है उनके लिए एक आवासीय उपचार कार्यक्रम की सिफारिश भी करी जाती है ।
किशोरावस्था में लड्कितो को होने वाली मानसिक समस्या का वैसी तो निदान हो सकता है लेकिन कुछ ऐसी चीज़े भी है जिनको करने से उनको होने वाली ये मानसिक समस्याओ को रोका जा सकता है, माता-पिता और शिक्षको को अगर उनमे कोई असहज बदलाव दिखे तो तुरंत उनसे बात करनी चाहिए उन्हें अपनी बाते कहने के लिए एक अनुकूल वातावरण उपलब्ध करना चाहिए, उनकी किशोरावस्था में जो बदलाव उनमे होंगे उसकी उनके साथ खुली चर्चा करे, उसे कोई बड़ा नहीं लेकिन एक सामान्य बदलाव बताये जो कि सबके साथ होता है, उनसे साथ एक माता-पिता या शिक्षक की तरह व्यवहार करने के बजाय उनके मित्र बनिए, उनकी बाते उनके विचार को नकारिये नहीं उनको प्रोत्साहित करिए। अगर उनकी कोई बात गलत है तो उनको प्यार से समझाइए के वो कहा गलत है। लडकियों में मासिक धर्म की शुरुवात होने की वजह से उनको शरीर दर्द, बेचैनी, उदासी जैसी भावना आना आम बात है और उस वक़्त उनको आपकी सहानुभूति की प्रेम की ज़रुरत होती है। इस तरह कुछ चीजों का ध्यान रखने से किशोरियो को होती मानसिक समस्याओ को होने से बचाया जा सकता है।
https://www.medicalnewstoday.com/articles/296579
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5915317/
https://journals.sagepub.com/doi/10.4103/0253-7176.150849
https://www.webmd.com/depression/guide/psychodynamic-therapy-for-depression
https://paradigmtreatment.com/treatment-approach/mindfullness-based-cognitive-therapy/