परिस्थितियों को बदलने से भावनात्मक स्तर पर कई प्रकार के उतार-चढ़ाव आते हैं | कभी हम बहुत खुश होते हैं| और अच्छा महसूस करते हैं| तो कभी किसी चीज से परेशान होकर काफी दुखी और निराश महसूस कर सकते हैं|
यह भावनात्मक परिवर्तन सामान्य होता है | लेकिन अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक दुख निराशा या तनाव की स्थिति में रहने लगता है | और चिंता करना उसकी रोजमर्रा की आदतों में शामिल हो जाता है, तो इस प्रकार की मानसिक स्थिति के हो जाने पर व्यक्ति को सतर्क होने की जरूरत है | क्योंकि कई बार यह भावनात्मक नकारात्मकता कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकती है | जिसे हम आम भाषा में एंजाइटी या चिंता के नाम से जानते हैं | यहां हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि कौन से उपाय करके हम एंजाइटी से ग्रसित व्यक्ति को इस स्थिति से उबरने में मदद कर सकते हैं |
सबसे पहले हम बात करते हैं घरेलू उपचार की | अगर किसी व्यक्ति का एंजाइटी का स्तर शुरुआती अवस्था में है तो कुछ घरेलू उपाय करके ही हम उसे दूर कर सकते हैं |
- अपने विचारों पर ध्यान देना
यह एक बेहद आसान तरीका हो सकता है | आपको चिंता की स्थिति से बचाने का | व्यक्ति को अपने मन में किस तरह के भाव आते हैं ? किस तरह के विचार आते हैं ? उन पर लगातार ध्यान देना चाहिए | अगर आप उन लोगों में से हैं जो कि अधिकांश समय नकारात्मक विचारों से घिरे रहते हैं, तो आपको सावधान हो जाना चाहिए| हो सकता है कि आने वाले समय में आप एंजायटी डिसऑर्डर के शिकार हो जाएं|
- अपने मन की बात कह देना
जब भी आपको लगने लगे कि आप किसी बात से परेशान हैं, या आपके मन में नकारात्मकता आने लगी है | कोई ऐसा विचार जो आपको लंबे समय से परेशान कर रहा है| तो ऐसी स्थिति में किसी अपने के साथ ,अपने किसी मित्र या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ उस बात को साझा कर लेना चाहिए | मन में आ रहे विचारों को किसी के साथ बांट लेने से व्यक्ति का मन हल्का हो जाता है |और यह स्थिति किसी हानिकारक स्तर पर जाने से पहले ही नियंत्रित की जा सकती है |
- सही समय पर सोना
भरपूर मात्रा में और सही समय पर नींद लेना आपको एंजाइटी से बचाकर रख सकता है| जो लोग सोने से पहले सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करते |मोबाइल फोन नहीं देखते| और एक नियमित समय पर लगभग 8 घंटे की नींद पूरी करते हैं| उन लोगों को एंजाइटी की समस्या का सामना करने में आसानी होती है |
- अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखना
सुनने में यह अजीब भले ही लगे| लेकिन यह सच है कि अगर आप अपने आसपास के वातावरण अपने घर को स्वच्छ और साफ रखते हैं ,तो आपके दिमाग में नकारात्मक विचार कमाते हैं| किसी भी स्थिति से उत्पन्न होने वाला भय और चिंता आपको परेशान नहीं करते | अपने चारों तरफ सकारात्मक माहौल बनाए रखना व्यक्ति के नियंत्रण में होता है | इसलिए कहा जा सकता है कि एक हद तक अपनी मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रण में रखना आपके हाथ में होता है| सुखद और स्वच्छ वातावरण बना कर भी आप अपने आप को चिंता मुक्त रख सकते हैं |
- सही तरीके से भोजन करना
अगर आप उन लोगों में से हैं जिनके भोजन करने का कोई सही नियम नहीं है | कोई नियमित वक्त नहीं है | और अगर आप अपने आहार में पोषक तत्वों को शामिल नहीं करते ,तो इस बात का भी असर आपकी मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है |
उत्तेजना पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ जैसे कि चाय ,कॉफी ,शराब आदि व्यक्ति के दिमाग में एंजाइटी को बढ़ाने का काम करते हैं | वहीं दूसरी तरफ ऐसे खाद्य पदार्थ जो आसानी से पच जाते हैं और जिनकी प्रवृत्ति ठंडक देने वाली होती है | वह मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में हमारी मदद करते हैं |अत्यधिक मात्रा में शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि चॉकलेट ,कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन करना भी आपकी मानसिक स्वास्थ्य संतुलन को खराब कर सकता है | अगर आप अपनी एंजाइटी को नियंत्रण में रखना चाहते हैं या फिर चिंता युक्त परिस्थिति से अपने आप को दूर रखना चाहते हैं तो यह एक हद तक आपके खानपान और आपके भोजन पर भी निर्भर करता है |
एंजाइटी को दूर करने के लिए जो दूसरा सबसे बेहतर तरीका है वह है व्यायाम और मेडिटेशन का सहारा लेना इनकी मदद से भी आप अपने आप को चिंता से मुक्त रख सकते हैं |
- सांस लेने का सही तरीका
दिन में कम से कम एक बार हमें अपनी सांसों के क्रम पर ध्यान देना चाहिए | जिससे हम डीप ब्रीदिंग के नाम से भी जानते हैं | यानी कि लंबी गहरी सांस लेना और लंबी गहरी सांस बाहर छोड़ना | एकाग्रता के साथ अपनी सांसो पर ध्यान देना आपकी मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में मदद करता है| और वहीं दूसरी तरफ आपके तनाव और चिंताओं को दूर करता है |
- नियमित व्यायाम
कई प्रकार के ऐसे शारीरिक व्यायाम होते हैं | जो ना केवल हमें हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी एक सही स्थिति में रखने में काफी लाभदायक होते हैं | कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि व्यायाम और मेडिटेशन की सहायता से हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को काफी हद तक एक अच्छी स्थिति में बना कर रख सकते हैं |इसलिए अगर कोई व्यक्ति एंजाइटी से ग्रसित है तो उसके लिए व्यायाम एक ऐसी प्रक्रिया हो सकती है जो मांसपेशियों और मन दोनों को ही शांत और स्थिर बनाए रखने में सहायक है | काफी हद तक व्यायाम आपके मन को चिंता वाली परिस्थिति से दूर रखने में मदद करता है | आपका ध्यान कुछ देर के लिए उस डर या बात से हट जाता है जिसे लेकर आप काफी परेशान है |
- यह जानना कि आपको किन चीजों से दूर रहना है
एक व्यक्ति अपने खुद के बारे में जितना ज्यादा जानता है वह किसी और के बारे में नहीं जान सकता | और यह कथन पूर्णतया सत्य है | क्योंकि हम अपनी कमजोरियों और अपनी ताकत दोनों के ही बारे में पूरी तरह से जागरूक होते हैं | इसलिए आपको अपने आपको उन परिस्थितियों उन व्यक्तियों और उन बातों से दूर रखना चाहिए जो आपके जीवन में तनाव उत्पन्न करती हैं |
एंजाइटी को दूर करने के लिए जो उपाय होते हैं |उसमें तीसरी श्रेणी आती है, उपचार या किसी काउंसलर की मदद लेना | अगर तनाव व चिंता की स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो ऐसी परिस्थिति में तनाव को दूर करने के लिए काउंसलर की मदद लेना काफी सहायक होता है |
एक काउंसलर तीन तरह से एंजाइटी से जूझ रहे व्यक्ति की मदद करता है |
सबसे पहले उससे एजुकेट करके यानी की काउंसलिंग करके एक काउंसलर व्यक्ति को उसकी चिंता दूर करने में मदद करता है | चिंता उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों से किस तरह दूर रहा जा सकता है |और चिंता होने पर अपने आप को किस तरह तनाव मुक्त रखा जा सकता है | इस बारे में एजुकेट करके एक काउंसलर एंजाइटी को दूर करने में मदद करता है | दूसरा चरण होता है ,एंजाइटी से ग्रसित व्यक्ति की सही तरीके से मॉनिटरिंग कर के | यानी कि किसी भी व्यक्ति विशेष का तनाव का स्तर क्या है? वह किस तरह के दौर से गुजर रहा है ?उसे जांच करके और उसके अनुकूल उपचार करना |
तीसरा चरण होता है व्यक्ति के व्यवहार का निरीक्षण करके | अगर एक काउंसलर की सहायता के बाद भी एंजाइटी की समस्या दूर नहीं हो रही है ,तो कुछ विशेष प्रकार के एंटीडिप्रेसेंट की मदद से भी एंजाइटी का उपचार किया जाता है |