Depression ke saamaany kaaran aur upachaar kya hain?- डिप्रेशन के सामान्य कारण और उपचार क्या हैं?

 ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज की रिपोर्ट में डिप्रेशन के फैलाव का अनुमान पुरुषों में 1.9 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3.2 प्रतिशत है और एक साल फैलने के बाद इसका पुरुषों में 5.8 प्रतिशत और महिलाओं में 9.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है । यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2020 तक यदि जनसंख्या और इन्फेक्शन बढ़ता रहा तो डिप्रेशन का बोझ 5.7 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा और मानसिक विकलांगता ही इसका सबसे बड़ा कारण होगा

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डिप्रेशन या अवसाद क्या है

डिप्रेशन एक विकृत मानसिक स्थिति हैं जो हमारे मस्तिष्क पर अपने नकारात्मक प्रभाव के कारण हमारे विचारों पर आघात करती है जिसके कारण कई प्रकार की समस्याएं उत्तपन्न हो जाती हैं हमारी क्रियाशीलता प्रभावित होती है मानसिक व्यग्रता उत्तपन्न होती है, जिसकी वजह से शारीरिक रूप से भी क्षति का सामना करना पड़ता है

डिप्रेशन यानी अवसाद के कारण

डिप्रेशन के बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमे से कुछ कारणों का उल्लेख किया जा रहा है

काम का बोझ

कभी कभी जब अचानक काम का बोझ हद से ज़्यादा बढ़ जाता है तो व्यक्ति मानसिक दबाव महसूस करने लगता है क्योंकि उसे सारे काम नियत समय पर ही निबटाने होते हैं ऐसे में व्यक्ति बिल्कुल उलझ जाता है कि इतने कामो को एकसाथ कैसे सही समय पर पूरा किया जाए जिसकी वजह से लगातार काम करने की धुन में भी मानसिक दबाव डिप्रेशन का रूप ले लेता है

आर्थिक कारण

कई बार आर्थिक कारणों से भी अवसाद की स्थिति उत्तपन्न हो जाती है, जब रोजमर्रा के खर्चे कम नहीं होते आय का कोई साधन नहीं होता आपातकाल में जब पैसों की ज़रूरत हो और कहीं से कोई इंतजाम होता हुआ नजर नही आता तब भी अवसाद की स्थिति बन जाती है

एक ही जगह ज़्यादा समय तक रहना

कई बार एक ही जगह पर ज़्यादा वक़्त तक रहने के कारण भी अवसाद की स्थिति उत्तपन्न हो जाती है, जब रोज़ सुबह उठ कर एक ही दिनचर्या का पालन करना भी जैसे घर के काम करना खाना बनाना खाना सोना फिर बार बार ऐसे ही हर दिन की दिनचर्या जिसमे कोई नयापन न हो, कहीं जाना न होता हो, ऐसे में भी कोई भी व्यक्ति अवसाद का शिकार हो सकता है

एग्जाम या रिजल्ट का डर

कई बार ये भी देखा गया है कि कुछ लोगों में एग्जाम या रिजल्ट को लेकर एक तरह का डर बैठ जाता है, वो एग्जाम आते ही ढेर सारी किताबें खोलकर बैठ जाते हैं क्या पढ़ना है कहाँ से शुरू करें ये उन्हें समझ नहीं आता, जब पढ़ते हैं तो घण्टो पढ़ते रहते है उनपर मानसिक दबाब बढ़ता जाता है जिसकी वजह से वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं

वांछित परिणाम न आना

कई बार हम किसी काम मे हद से ज़्यादा मेहनत करते हैं बल्कि उस काम के प्रति समर्पित हो जाते हैं अपना शत प्रतिशत उस काम मे लगा देते हैं पर परिणाम इसके विपरीत आने के कारण मन मे असफलता और निराशा के भाव आने लगते हैं जब हम इनमें डूब जाते हैं काम धाम करना छोड़ देते हैं, तो ये स्थिति अवसाद यानी डिप्रेशन की स्थिति होती है

अवसाद के लक्षण

चिड़चिड़ापन

अवसादग्रस्त व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जाता है किसी की कोई बात उसे बर्दाश्त नहीं होती ज़रा सी आवाज भी उसे चुभती है, वो छोटी से छोटी बात पर भी बिला वजह चिड़चिड़ा जाता है, गुस्सा हो जाता है

बात बेबात रोना

अवसादग्रस्त व्यक्ति बात बे बात रोना शुरू कर देता है, ज़रा ज़रा सी बात पर भावुक हो उठता है बिना बात रोने लगता है

अकेले रहना पसंद करना

अवसादग्रस्त व्यक्ति सबसे कट जाता है वो अकेला रहना पसंद करता है लोगों में उसे उकताहट होने लगती है

ऊर्जा की कमी

अवसादग्रस्त व्यक्ति में ऊर्जा की कमी हो जाती है वो ज़्यादातर सोया या लेटा रहता है, कोई भी काम करने में उसका मन नही लगता अगर वो कोई काम करना भी चाहे तो ऊर्जा की कमी के कारण वो उज़ काम को नही कर पाता

भूख न लगना

डिप्रेशन से ग्रस्त रोगी खाना पीना छोड़ देता है या कम कर देता है उसे भूख नहीं लगती जिसकी वजह से वो कमज़ोर होता चला जाता है

सोच में डूबे रहना

डिप्रेशन से ग्रस्त रोगी ज़्यादातर अपने आप में ही उलझा रहता है वो हर वक़्त कुछ न कुछ सोचता रहता है नकारात्मक विचार हर दम उसके दिमाग मे चलते रहते हैं वो लगातार उधेड़बुन में ही लगा रहता है

भविष्य के प्रति निराशावादी

अवसाद ग्रस्त व्यक्ति भविष्य के प्रति निराशावादी हो जाता है वो डरता है कि भविष्य में भी उसके साथ बुरी घटनाएँ ही घटेंगी जो उसे तकलीफ देंगी

बेचैनी और घबराहट

अवसाद का रोगी बेचैनी और घबराहट महसूस करता है उसे घुटन जैसा भी महसूस हो सकता है, सांस लेने में भी कभी कभी उसे कठिनाई महसूस होती है

डिप्रेशन का इलाज

अगर सामान्य डिप्रेशन की समस्या है तो इसे घर पर ही सही किया जा सकता है पर इसके लिए कुछ बातों का नियमित रूप से पालन करना भी ज़रूरी हो जाता है, जिसके पालन से आपको डिप्रेशन की समस्या से छुटकारा मिल सकता है

दोस्तों के साथ समय बिताना

डिप्रेशन की हालत में जब आप सबसे कट जाते हैं ऐसे में उन दोस्तों के साथ वक़्त बिताना आपके लिए काफी कारगर हो सकता है जिसके साथ आपके गहरे आत्मीय सम्बन्ध हैं जिनके साथ आपको सुरक्षा और सुख का अनुभव होता हो उन दोस्तों के साथ वक़्त बिताएँ, बाहर घूमने फिरने जाएँ, फ़िल्म देखने थिएटर भी बढ़िया रहेगा

योग 

योग करना और ध्यान लगाना भी डिप्रेशन के मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकता है, इसलिए नियमित रूप से योग और ध्यान का अभ्यास करना भी बेहतर होगा

पालतू जानवरों के साथ समय बिताना

पालतू जानवर जो बोल नहीं सकते पर आपको बड़े अच्छे से समझते है आप उनके साथ भी खुद को व्यस्त रखें जिस से आपकी मानसिक स्थिति में सुधार आएगा

सैर करने जाना

अवसाद के रोगी को सैर करने के लिए जाना चाहिए

सुबह उठ कर टहलने जाना भी बेहतर साबित हो सकता है, या छत पर सुबह शाम चले जाना, अगर आस पास पार्क हो तो वहाँ टहलने ज़रूर जाना चाहिए

पौष्टिक भोजन

अवसाद ग्रस्त रोगी को संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें प्रचुर मात्रा में पौष्टिक तत्व हों, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए, चुकंदर और संतरे जैसे पौष्टिक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए जिससे शरीर के ऊर्जा बनी रहे और रोगी चल फिर सके दूध वगैरह का भी सेवन करना चाहिए

अवसाद से ग्रस्त रोगी को ज़्यादा से ज़्यादा पानी पीना चाहिए या ऐसे फलों का सेवन करना चाहिए जिसमें तरल पदार्थों की मात्रा ज्यादा हो जैसे संतरा, अनन्नास, अंगूर वगैरह

अपने भोजन में टमाटर को सलाद की तरह इस्तेमाल करना भी फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है जो अवसाद से लड़ने में आपकी मदद करता है

आयुर्वेद के कुछ नुस्खे हैं जिनका आप हल्के फुल्के डिप्रेशन से राहत के लिए इस्तेमाल कर सकतीं हैं

पर डिप्रेशन की गम्भीरता होने पर तत्काल डॉक्टर से सम्पर्क करें क्योंकि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति काफी धीमी गति से काम करती है जिसके लिए आपको अत्यधिक समय की ज़रूरत पड़ सकती है जो ऐसी बीमारियों में ज़्यादा कारगर नहीं होती तो सिर्फ और सिर्फ हल्के फुल्के डिप्रेशन या डिप्रेशन जैसी आने वाली समस्या से रक्षात्मक शैली अपनाने के लिए ही इन विधियों को अपनाएं

 डिप्रेशन कम करने के आयुर्वेदिक नुस्खे



  4 से 6 काजू को पीसकर एक कप दूध में मिलाकर पीने से डिप्रेशन का असर कुछ हद तक कम होता है।

  दो से तीन इलायची को पीसकर एक गिलास पानी में उबालकर पी लें या फिर हर्बल चाय में इलायची डाल कर पियें।

  सुबह उठकर खाली पेट सेब खाएं। यह आपके शारीरिक स्वास्थ्य को तो बेहतर रखता ही है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।

  एक चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच हल्दी पाउडर, एक चम्मच शहद, दो कप पानी इन सब को एक बर्तन मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें और इसे पी लें। नियमित रूप से इसके सेवन से अवसाद से निकलने में मदद मिलती है।

  एक चम्मच ब्राह्मी और एक चम्मच अश्वगंधा के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर रोज इसका सेवन करें।

  4 से 5 बेर के फल लेकर उनमें से बीज निकाल दें और इसको पीस कर इसका रस निकाल लें। अब इस रस में आधा चम्मच जायफल को पीसकर मिला लें और दिन में दो बार इसका सेवन करें।

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