How to deal with anxiety?- एंजाइटी से कैसे डील करें?

 


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स्वीडन की एक मशहूर कहावत है की "चिंता हमें कई बार एक छोटी सी चीज दे देती है, और वह है उसके बड़े होने का डर|"

 यह बात बहुत हद तक सही जान पड़ती है क्योंकि चिंता ही डिप्रेशन ,एंजाइटी और अन्य कई तरह की बीमारियों की जड़ है |चिंता हर किसी को होती है इसलिए बातें यह कहना मुश्किल है कि उसे बीमारी के तौर पर कब पहचाना जाए |लेकिन अगर कोई खास चिंता बहुत लंबे वक्त तक बनी रहती है उससे आपके काम में जिंदगी पर असर पड़ने लगे तो यह बात वाकई खतरनाक है |

हम में से अक्सर कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि जिस काम के लिए हम कई समय पहले से प्रीपेयर हो रहे होते हैं जब वह कार्य करने का समय आता है, तो हम लोगों के हाथ पैर कांपने लगते हैं |हथेलियों में पसीना आ जाता है2 असल में यह किसी बीमारी के संकेत नहीं है बल्कि किसी बड़े इवेंट से पहले खुद को तैयार करने का स्वयं का अपना तरीका है |दिमाग से आने वाले यह संकेत एवं शुरू होते ही जितनी तेजी से उठे थे उतनी तेजी से शांति भी हो जाते हैं |धीरे-धीरे सांसों की गति और अधिक गति सामान्य होने लगती है |यह चिंता है मगर यह भी एक तरह से अच्छी है जो हमें किसी भी कार्य को ठीक तरह से सम्पादित करने के लिए तैयार होने में मदद करती है| लेकिन यह चिंता बिना किसी स्पष्ट कारण की होने लगे तब यह जरूर चिंता की बात हो सकती है |

कई लोगों में यह समस्या इसकी चरम स्थिति  में पहुंचने के बाद उनके रोजमर्रा की जिंदगी में परेशानी पैदा करती है |यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह कई बीमारियों का कारण बन जाती है |कई लोगों को लगता है कि डिप्रेशन और एंजाइटी दोनों एक ही है लेकिन आपको बता दें यह दोनों अलग-अलग स्थिति है| जो आपकी लाइफ में अलग-अलग तरीके से असर डालती है| हालांकि दोनों की परेशानियां एक जैसी है जिसके कारण इनके बीच का अंतर समझना काफी मुश्किल है|

 डिप्रेशन वाले लोग अक्सर खुद को तनावग्रस्त बेचैन महसूस करते हैं और उन्हें ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती है| क्योंकि वह बहुत चिंता करते हैं उनके मन में सदैव एक  डर रहता है कि कुछ बुरा होने वाला है| वहीं दूसरी ओर एंजाइटी  की बात करें तो यह एक प्रकार का मानसिक विकार है |मेडिकल भाषा में एंजायटी डिसऑर्डर को स्नायु तंत्र पर अधिक दवा भी कहते हैं| इस समस्या का सही इलाज न होने पर यह धीरे-धीरे फोबिया में बदल जाता है|

इस समस्या आप कुछ घरेलू उपायों के जरिए  आसानी से निजात पा सकते हैं|

  • स्वयं को शारीरिक रूप से एक्टिव रखें- नियमित एक्सरसाइज आपके शरीर और दिमाग दोनों के लिए बहुत जरूरी है| नियमित एक्सरसाइज के जरिए आप अपने शरीर और मन में एक तरह से ऊर्जा का संचार करते हैं| यह ऊर्जा आपको आराम से बिना किसी परेशानी से आप का रूटीन वर्क करने में मदद करेगी| डॉक्टर के अनुसार एंग्जाइटी के पेशेंट के लिए एक्सरसाइज दवा का काम करती है|

  • हर्बल टी- आजकल बाजार में कई तरह की हर्बल टी मौजूद है| आप अपनी पसंद के फ्लेवर के अनुसार उसे सिलेक्ट कर सकते हैं| हर्बल टी आपको कई तरह के शारीरिक और मानसिक फायदे देती है| इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्वों से एंजाइटी में काफी आराम मिलता है ,क्योंकि इस दिमाग में चल रही हलचल को कम करके दिमाग को शांत कर देती है|
  • मनमोहक खुशबू- प्राचीन काल से ही फूलों से निकलने वाला अर्क और तेल का इस्तेमाल हमारे ऋषि मुनि स्वास्थ्य लाभ के लिए करते आ रहे हैं| एक रिसर्च के अनुसार अपनी पसंदीदा खुशबू में रहने पर हृदय  गति और रक्तचाप में काफी आराम मिलता है| साथ ही  खुशबू आपको भावनात्मक रूप से सपोर्ट कर कर आपके तनाव के स्तर को भी कम करती है|
  • मधुर संगीत- एंग्जाइटी के शिकार मरीज को अपने मोबाइल में या लैपटॉप में हमेशा अपने पसंदीदा गानों की प्ले लिस्ट तैयार रखनी चाहिए |जब कभी भी दिमाग में ज्यादा उथल-पुथल हो आप कुछ भी सुनने समझने में स्वयं को असमर्थ महसूस कर रहे हो| उस समय अपने पसंदीदा संगीत को सुन  कर के आप अपने तनाव को कम कर सकते है |
  • स्वयं के लिए समय निकालें- हम सभी व्यस्त लाइफ स्टाइल का हवाला देकर अपने स्वयं के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं| लेकिन हमें अपने लिए समय निकालना बहुत आवश्यक है |
  • भरपूर नींद लें- डिप्रेशन या एंग्जाइटी के शिकार मरीज को नींद ना आने की सबसे बड़ी समस्या होती है |मगर अध्ययनों में एक बात सामने आई है कि हम जितना ज्यादा स्वयं को आराम देंगे उतना ही चुनौतियों का सामना अधिक ऊर्जा से कर सकेंगे| नींद में हमारा तंत्रिका तंत्र शांत हो जाता है और हम बाहर ही चिंता से मुक्त हो जाते हैं| ऐसे में हमारे दिमाग में चल रही उथल-पुथल शांत हो जाती है| भरपूर नींद एंजायटी की समस्या में दवाई का कार्य करती है|
  • अपने डर का खुलकर सामना करें- हम अक्सर उस कार्य को करने से बचने की कोशिश करते हैं, जिनसे हमें डर लगता है |हालांकि किसी कार्य को टालना हमें अल्पकालिक चिंता से तो राहत दे देता है |मगर हमारे दिमाग में बैठा हुआ डर भावनाओं की उथल-पुथल करता रहता है |ऐसे में इस कशमकश को रोकने के लिए जरूरी है कि आप खुलकर अपने डर का सामना करें |ताकि आपके आत्मविश्वास में सुधार आए| बड़ा हुआ आत्मविश्वास आपको एंजाइटी से भी आसानी से डील करने में मदद करेगा|
  • संतुलित भोजन करें- एंजॉयटी या डिप्रेशन की शिकार मरीज को सदैव अपने भोजन में पोषक तत्वों की संपूर्णता का ध्यान रखना अत्यधिक आवश्यक है| अधिक मात्रा में कैफीन, चीनी या मसालेदार भोजन से शरीर पर बुरा असर पड़ता है| इस तरह का भोजन हमारे शरीर में मौजूद रक्त शर्करा को बढ़ाकर मूड स्विंग को बढ़ाता है| इनके सेवन से मन में चिंता परेशानी की भावनाएं जन्म लेती है |अपने आहार में अखरोट, अलसी के बीज, फैटी फ़िश आदि का सेवन जरूर करें |यह सभी ओमेगा 3 फैटी एसिड का अच्छा स्त्रोत है |ओमेगा 3 हमारे शरीर में तनाव के लक्षणों को कम करता है| यह एड्रेनालाईन और कॉर्टिसोल और को कम कर कर हमारे मुड  को अच्छा रखता है|


  • अल्कोहल के सेवन से बचें- अल्कोहल का सेवन कर कर आप कुछ समय तक दिमागी तौर पर शांत हो सकते हैं| मगर जब अल्कोहल का नशा उतरता है तो हो सकता है यह उसके बाद  आपके टेंशन को और बढ़ा दे| यदि आप एंजाइटी का सच में इलाज करना चाहते हैं तो अल्कोहल ,सिगरेट, गांजा ,चरस जैसे किसी भी नशे से सदैव दूरी बनाकर रखें|इससे आपका दिमाग आराम मोड में जाकर दोबारा तंत्रिका तंत्र की ऊर्जा को संग्रहित कर उत्साह से दोबारा कार्य करने का वातावरण निर्मित करता है| जरूरी नहीं है कि जब भी आप अपने लिए समय निकालें आप शारीरिक रूप से ही आराम करें |बल्कि आप अपने दिमाग में चल रही उथल-पुथल को आराम देकर अपने पसंदीदा कार्य जैसे सिंगिंग गार्डनिंग  रीडिंग आदि कर सकते हैं|
  • लंबी लंबी सांस लेने की आदत डालें- अक्सर देखा गया है, हम जब भी परेशान या गुस्से में होते हैं तो हम तेजी से सांस लेने लगते हैं| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे दिमाग और दिल को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है |मगर जल्दी जल्दी सांस लेने से हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन गड़बड़ाने लगता है और यह गड़बड़ी दिमाग को लगातार खतरे का संदेश भेजती है| जिससे क्रोध या डिप्रेशन बढ़ने लगता है| इस असंतुलन को खत्म करने के लिए लंबी गहरी सांस लेने का अभ्यास करें| इससे दिमाग और हृदय को तो भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलेगी साथ ही शरीर और भी दूसरी बीमारियों से दूर रहेगा |



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