हमारे आसपास के माहौल में घटने वाली रोजमर्रा की घटनाओं से कभी हमें खुशी तो कभी तकलीफ होती है| यह तकलीफ या खुशी कभी कुछ पल के लिए ही होती है| तो कभी यह हमारे साथ लंबे समय तक बनी रहती है |आप चाहे कितने ही happy-go-lucky टाइप के इंसान हो कभी ना कभी उदास हो ही जाते हैं| यह उदासी हमारी जीवन चक्र का एक हिस्सा है| मगर जब यह उदासी 1 सप्ताह या उससे ज्यादा लंबे समय तक रहकर आपके मन दिमाग और तन तीनों पर बोझ बनने लगे ,तब यह खतरे की घंटी होती है| हो सकता है यह कहीं ना कहीं डिप्रेशन की शुरुआत हो| डिप्रेशन की समस्या से ना सिर्फ भारत में बल्कि संपूर्ण विश्व में कई लोग गंभीर रूप से परेशान है| आम इंसान से लेकर खास व्यक्तियों तक हर आयु वर्ग और आर्थिक वर्ग से संबंधित व्यक्ति डिप्रेशन की जद में आ चुके हैं|
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार दुनिया भर में अलग-अलग उम्र के 26 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं |हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है ,क्योंकि कई लोगों को पता ही नहीं है कि वह डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं |
हम में से कई लोग एक बात अक्सर कहते पाए जाते हैं "यार आई एम नॉट मेंटली फीलिंग वेल|" या फिर" मैं अपने आज के परफॉर्मेंस को लेकर खुश नहीं हूं फीलिंग वेरी डिप्रेसड |"इस तरह बात बात में खुद को डिप्रेसड बताना मेंटल हेल्थ के प्रति हमारी कम जागरूकता को दर्शाता है| यह विडंबना है कि हम इसके बारे में जानने के बावजूद इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं| इसे समझने के लिए इस रोग के बुनियादी स्वरूप को समझना बहुत आवश्यक है |जैसे किसी विशेष परिस्थिति में हमें भी कुछ समय का तनाव या मानसिक परेशानी होती है तो यह बहुत ही आम बात है |यह डिप्रेशन या डिप्रेशन की शुरुआत नहीं है| मगर इसके विपरीत यदि व्यक्ति लगातार काफी समय तक चिंता या तनाव में रहे तो यह डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है |
बढ़ते हुए डिप्रेशन के साथ बदन दर्द, पीठ दर्द, धड़कनों में तेजी घबराहट आदि लक्षण सामने आते हैं| मगर कई बार हमने अनदेखा कर डिप्रेशन को बडने में स्वयं मददगार साबित होते हैं| डिप्रेशन ऐसी मानसिक बीमारी है जो ना ही किसी ब्लड टेस्ट से या शारीरिक जांच में सामने आ सकती है| इसके कुछ लक्षण है जिस पर हमें ध्यान देकर डिप्रेशन को अपने ऊपर हावी होने से रोकना होगा|
डिप्रेशन के लक्षण-
- हर समय उदासी- डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति हर समय उदास रहता है| वह अपने दिमाग में चल रही उथल-पुथल के कारण खुद में उलझा हुआ और हारा हुआ महसूस करता है |किसी भी कार्य को करने में या होता हुआ देखने में भी उसे खुशी महसूस नहीं होती है| यहां तक कि अपने आसपास के खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीज होने के बावजूद भी वह व्यक्ति उदास ही रहता है| अधिक उदासी व्यक्ति को डिप्रेशन में ले जाती है इसलिए कोशिश करें उदासी से दूर रहे|
- आत्मविश्वास की कमी- हर व्यक्ति की एक ना एक क्वालिटी जरूर होती है |वह उस कार्य को करने में पूरी तरह से महारत हासिल किए होता है |मगर जब व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है तो वह किसी भी कार्य को करने में खुद को असमर्थ पाता है |यहां तक की उसे यह लगता है कि वह किसी भी कार्य को कर कर उसे सफल करने के बजाय उस काम को बिगाड़ देगा |वह अपने कम होते आत्मविश्वास के कारण किसी भी कार्य को करने से बचता है| यहां तक कि रोजमर्रा के काम भी करना बहुत दुश्वार साबित होने लगता है| यदि आप भी खुद में कहीं ना कहीं आत्मविश्वास की कमी महसूस कर पा रहे हैं तो कोशिश करें अपना आत्मविश्वास दोबारा हासिल करें|
- ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना- डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति हर समय चिड़चिड़ा रहता है उसे अपने भीतर से बेचैनी महसूस होती है ऐसे में बेचैनी के कारण वह किसी भी कार्य में अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है यदि आप भी किसी कार्य को करने में अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं तो यह खतरे की घंटी हो सकता है|
- अकेले रहना पसंद करना- डिप्रेशन का मरीज खुद को परिवार और समाज से दूर रखने की कोशिश करता है उसे भीड़ वाली जगह पर घबराहट होना शुरू हो जाती है वह बस अपने आप को अपने घर में अपने कमरे में अकेला कर लेता है बाहर जाकर लोगों से मिलना उसके लिए परेशानी का सबब बन जाता है यदि आप भी किसी ऐसे लक्षण से गुजर रहे हैं तो हो ना हो अवसाद धीरे-धीरे आपके मन में घर कर रहा है|
- अनिद्रा की परेशानी- यदि व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ है, तो वह 7 से 8 घंटे आराम से नींद लेता है| मगर यदि आप शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ हैं मगर फिर भी आप को लंबे समय तक नींद नहीं आती है या रात को बार-बार आपकी नींद खुल जाती है ;तो समझ लीजिए यह डिप्रेशन की निशानी है |डिप्रेशन को बढ़ने से पहले रोकने के लिए समय रहते इसका निवारण खोजने की कोशिश करें|84
- खाने को लेकर कई तरह की क्रेविंग होना- डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति को अपने खाने में हेल्दी ऑप्शंस को चूस करने के बजाए जंक फूड ;अल्कोहल: अधिक तीखा या मीठा खाना पसंद करता है |डिप्रेशन में उसे इस तरह का खाना या अल्कोहल कई बार मेडिसिन की तरह फील होने लगता है जिससे वह कुछ समय तक अपने डिप्रेशन या तनाव से दूर रह पाता है|
- लगातार मूड बदलना- अगर बिना किसी बात की आप स्वयं को नर्वस महसूस करें ,तनाव में रहे, हर समय आपको लगता है कि आपके आसपास कुछ ना कुछ तो गलत चल रहा है, आप अपने आसपास के लोगों को बिना उनकी गलती को डांट डपट करने लगे साथ ही अचानक ही खुशी के माहौल में आप परेशान हो जाए यह सब डिप्रेशन के लक्षण है|
- शरीर में आलस की अधिक अधिकता- कई बार रातों को अच्छी नींद होने के बावजूद सुबह बिस्तर से उठने का मन नहीं करता है |आप अपना रूटीन वर्क करने के बजाए बिस्तर पर ही लेटे रहना पसंद करते हैं| तो यह भी अपने आप में डिप्रेशन की निशानी है| इस तरह आप खुद को अपने परिवार और समाज से अलग रखने की एक नाकाम कोशिश करते हैं|
- खुदकुशी का खयाल आना- व्यक्ति अपने रोज के रूटिंग से परेशान होकर अपने जीवन को खत्म करने की कोशिश करने लगे या उसके मन में ख्याल आए की मेरे जीने या मरने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता या उसे लगे की अब मरना ही सारी परेशानियों का एकमात्र हल है, तो वह गंभीर रूप से डिप्रेशन का शिकार है ऐसे व्यक्ति को सही समय पर डॉक्टरी सलाह की सख्त आवश्यकता होती है|
खुद को डिप्रेशन से बचाने के उपाय-
यदि डिप्रेशन को उस की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान लिया जाए तो हम इसका इलाज भी ना किसी विशेषज्ञ की मदद के भी कर सकते हैं |डिप्रेशन के प्रभाव से बचने के लिए जीवन शैली और हमारे आहार आदि में कई तरह के बदलाव लाने की जरूरत होती है| डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को फल और सब्जियों के अधिक सेवन के साथ अपने आहार में सभी तरह की पौष्टिक चीजों को शामिल करना चाहिए| जिससे शरीर के लिए जरूरी सभी विटामिन और मिनरल्स उसे मिल सके |साथ ही व्यक्ति को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए|
विशेषज्ञों के अनुसार डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को अपने डिप्रेशन के कारण को पहचान कर उससे खुद को दूर करना चाहिए| अपने घर, परिवार और समाज के लोगों से मेलजोल बढ़ाना चाहिए ताकि वह डिप्रेशन से उबर सकें| साथ ही उसे अपनी जीवनशैली में एक्सरसाइज और योगा आदि को शामिल करना चाहिए ताकि वह अपने खोए हुए आत्मविश्वास को दोबारा पाकर तनाव की स्थिति को कम कर सके|