चेहरे पर नजर आने वाला तिल हर किसी की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है| इस तिल को लेकर कई कवियों ने कविताएं लिखी है और कई मजनू अपनी लैला के प्यार में पड़ गए| हिंदी फिल्मों में तो कई गाने तिल को लेकर बनाए गए हैं |
हमें से कई लोगों के चेहरे या शरीर के किसी न किसी हिस्से पर काले या भूरे रंग का उभरा हुआ निशान अवश्य होता है |जिसे हम सामान्य बोलचाल की भाषा में तिल या मस्सा कहते हैं| अंग्रेजी में से मोल कहा जाता है|
गालों या होंठ पर एक छोटा सा तिल जहां खूबसूरती बढ़ाता है,वही यदि यह तिल बड़ा हो या ज्यादा संख्या में हो तो खूबसूरती को कम कर देता है |शरीर पर तिल के निशान को कई लोग ज्योतिष शास्त्र से जोड़कर धन-संपत्ति आदि सुखों की गणना भी करते हैं| कुछ तिल जन्मजात होते हैं तो कुछ तिल समय के साथ होते हैं |मेडिकल साइंस की भाषा में समझे तो पिगमेंटेशन मेलानिन के कारण हमारे शरीर में तिल का निर्माण होता है |यही पिगमेंट हमारे रंग के लिए भी जिम्मेदार होता है |इसके अलावा कई बार हारमोंस में होने वाली गड़बड़ से भी हमारे चेहरे पर तिल बन जाता है| यह तिल हमें किसी भी तरह से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है |
कई जन्मजात तिल तो समय के साथ हल्के या खत्म भी हो जाते हैं, मगर यदि अक्सर हमारी त्वचा पर नए लाल दाने,तिल, मस्से आदि निकल आते हैं और कुछ समय के बाद खुद ही खत्म होने लगते हैं तो यह नॉर्मल नहीं होता है| यदि यह स्थिति ज्यादा समय तक बनी रहे तो लापरवाही ना करें |क्योंकि इस तरह त्वचा की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होना स्किन कैंसर का कारण भी हो सकता है| यह ज्यादातर उन हिस्सों में होता है जहां पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है| जैसे चेहरा,गला, हाथ और पैर आदि| शरीर में ज्यादा तिल होना भि कैंसर की निशानी हो सकता है |हालांकि रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि इस तरह के लगभग 3000 केस में से एक केस स्किन कैंसर का होता है|
स्किन कैंसर से रिलेटेड सभी तिल अपना आकार रंग और बनावट बदलता है| यह बदलाव मेलानोमा (स्किन कैंसर के सेल) के विकसित होने के कारण होती है| मेलेनोमा के तिल को उस में आए परिवर्तन से पहचाना जा सकता है यदि तिल अपना आकार बदल कर गहरा होने लगे या उसके आसपास कोई धब्बा निशान या त्वचा में किसी प्रकार का विशेष परिवर्तन दिखे तो यह परेशानी की वजह बन सकता है |
- करे त्वचा की नियमित तौर पर जांच - हमें हमारी त्वचा की नियमित तौर पर जांच करते रहना बहुत आवश्यक है |इस जांच के लिए आप हमेशा अपने तिल पर निगरानी रखें |इसके लिए आप चाहे तो अपने तिल या मस्से की एक फोटो अपने पास खींच कर रखें| इससे बाद में जांच के दौरान तिल के आकार का विश्लेषण आसानी से हो जाता है| यदि तिल अपना आकार तेजी से बदल रहा है या उसमें से खून आ रहा है खुजली हो रही है या उसके आसपास एक्जिमा की शिकायत हे और यह सब कुछ 6 हफ्ते से ज्यादा के समय के लिए हो तो यह स्किन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं|
- सामान्य तिल और मेलानोमा तिल में अंतर- सामान्य तेल का आकार छोटा होता है और यह नरम और गोल आकार का होता है हो सकता है शुरुआत में यह तिल हल्के रंग का हो मगर जैसे-जैसे आप सूर्य की रोशनी के संपर्क में आते हैं तो इस तिल का रंग गहरा होने लग सकता है मगर यदि आप इसे दो हिस्सों में बांटने की कोशिश करेंगे तो दोनों ही हिस्से बराबर होंगे | इसके विपरीत मेलानोमा का तिल अजीब आकार में फैलता है इसका विषम विकास विकास ही चिंता का कारण हो सकता है|
- रखे उसके रंग का ध्यान- सामान्यतः तिल का रंग काला या भुरा होता है| किसी विशेष परिस्थिति में यह लाल रंग का भी हो सकता है| मगर यदि किसी और रंग का तिल हो या बिना सूरज के संपर्क में आए उसका रंग बदलने लगे |इसके साथ ही यदि एक जगह पर दो अलग-अलग रंग के तिल हो तो यह चिंता का विषय हो सकता है| आप तुरंत स्किन केयर एक्सपर्ट से अपॉइंटमेंट बुक कर कर इसकी जांच करें|
- तिल के ऊपर की त्वचा- सामान्यतः तिल को छूने में कुछ अलग सा महसूस नहीं होता है |इसकी त्वचा भी हमारी त्वचा की तरह नरम सी होती है| मगर यदि तिल के ऊपर की त्वचा खुरदूरी हो या टेडी मेड़ी हो तो आप को सतर्क रहने की आवश्यकता है|
- दर्द का एहसास- आप अपने चेहरे के तिल को कितना ही दबाएं आपको कोई दर्द महसूस नहीं होगा| मगर यदि आप अपने तिल में दर्द या खुजली महसूस करते हैं तो यह मेलेनोवा का संकेत हो सकता है| ऐसे में आप स्किन केयर एक्सपर्ट से जांच जरूर कराएं|
स्किन कैंसर के कारण- वैसे तो कैंसर कई कारणों से हो सकता है |मगर स्किन कैंसर होने का मुख्य कारण त्वचा का अधिक समय तक सूर्य की रोशनी के संपर्क में आना होता है| जिससे शरीर में पिगमेंटेशन होने लगता है इसके उलट जो लोग कम सनलाइट में रहना पसंद करते हैं उन्हें भी इस कैंसर के होने की संभावना रहती है| कुछ लोगों को रेडियोथैरेपी करवाने के बाद भी स्किन कैंसर की समस्या सामने आई है |स्किन कैंसर कुछ हद तक अनुवांशिक भी होता है|
स्किन कैंसर के प्रकार-
- एक्टनिक केराटोज- एक्टनिक केराटोज कैंसर यह 40 वर्ष के बाद गोरी चमड़ी के लोगों पर विकसित होता है क्योंकि त्वचा में मौजूद एके के कारण स्किन का रंग गोरा होता है| लगातार सूर्य के संपर्क में रहने से यह त्वचा कैंसर के रूप में बदलने लगता है| इसमें चमड़ी सूखी पपड़ीदार व जगह जगह धब्बे वाली हो जाती है |यह मुख्यता सिर ,हाथ ,गर्दन जैसे जगह पर होता है जो सीधे सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहते है|
- बेसल सेल कार्सिनोमा- बेसल सेल कार्सिनोमा में मांस का रंग मोती जैसा गुलाबी होने लगता है |इस गुलाबी मांस के कारण त्वचा पर एक गुलाबी रंग का पेच बनाने लगता है| यह कैंसर भी मुख्यतः गोरी रंग की त्वचा पर ज्यादा होता है |मगर यह गहरे रंग की त्वचा के लोगों को भी हो सकता है|
स्किन कैंसर का इलाज-
स्किन कैंसर की स्टेज और उसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर अलग-अलग तरह से इस का ट्रीटमेंट करते हैं|
- क्रेटगे ओर एलेक्ट्रोडेशन- इस प्रक्रिया में त्वचा को बार-बार एक लंबे उपकरण से ढक दिया जाता है |फिर त्वचा को बिजली की सुई (इलेक्ट्रोड) से इंजेक्ट कर कर कैंसर के कीटाणुओं से सुरक्षित किया जाता है|
- सर्जिकल छाटना- इस प्रक्रिया में सर्जिकल चाकू का उपयोग करके शरीर का कुछ भाग जहां कैंसर के लक्षण होते हैं |उसे हटा दिया जाता है ट्यूमर को हटाने के साथ ही यह सुनिश्चित हो जाता है कि स्किन कैंसर का पूरा इलाज हो चुका है|
- मोहस सर्जरी- इस प्रक्रिया में माइक्रोस्कोप के जरिए सर्जरी की जाती है| इसमें ट्यूमर के छोटे से छोटे टुकड़े को भी हटा दिया जाता है| फिर माइक्रोस्कोप से जब तक जांच की जाती है कि शरीर में कहीं और कैंसर की कोशिकाएं तो मौजूद नहीं है|
स्किन कैंसर से बचाव-
स्किन कैंसर से बचने के लिए या उस के जोखिम को कम करने के लिए हम निम्न कुछ उपाय कर सकते हैं
- दिन की कड़ी दोपहर में बाहर जाने से बचे क्योंकि सूरज की तेज रोशनी जहां हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है वही स्किन कैंसर के सेल्स को बढ़ाने में मददगार साबित होती हैं
- यदि फिर भी किसी कारण से धूप में जाना पड़े तो व्यक्ति पूरे आस्तीन के कपड़े पहनकर अच्छी कंपनी के सनस्क्रीन का उपयोग कर ही घर से बाहर निकले| ताकि कपड़े और सनस्क्रीन से त्वचा सीधी तरह से धूप के संपर्क में नहीं आती है|
- अपनी डाइट में सभी तरह के फल ,सब्जी, दूध -दही शामिल करें |फल और सब्जीयो के अलग-अलग रंग में अलग-अलग तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शरीर को कैंसर से लड़ने में सहायक होते हैं|
- इन सब के बावजूद भी यदि त्वचा में किसी भी प्रकार की अनियमितता नजर आए तो तुरंत चिकित्सक से मिलकर चिकित्सा जरूर करवाएं|