Online dating after marriage?- शादी के बाद ऑनलाइन डेटिंग?
जीवन के अलग अलग पड़ावों के अलग अलग रंग ढंग होते है अलग अलग जिम्मेदारियाँ होती हैं शादी भी एक ऐसा पड़ाव है जिसमें दो लोगों की ज़िन्दगी एक दूसरे से जुड़ जाती है ,जहां शादी से पहले उनकी आदतों रंग ढंग पढ़ाई लिखाई सबके बारे में अच्छी तरह जाँच फटक कर फिर उनकी शादी की जाती है ये तो सभी जानते हैं कि भारत मे शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है जाने कितने रीति रिवाज़ों के साथ शादी की रस्म को सम्पन्न कर विवाह की स्वीकृति दी जाती है दो लोग जो अजनबी होते है एक साथ एक ही कमरे में रहते खाते हैं एक दूसरे का खयाल रखते हुए एक दूसरे की ज़रूरतों का खयाल रखते हैं
विवाहेत्तर सम्बन्ध
जब पति या पत्नी में से कोई भी अपने जीवन साथी के अलावा भी किसी से सम्बन्ध स्थापित करना जो अभी भी भारतीय समाज में सम्मान जनक नहीं माना जाता तो अपने जीवन साथी से छोरी छुपे दूसरों से अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति करना विवाहेत्तर संबंधों की श्रेणी में आता है, और ये बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि सिर्फ पुरुषों के ही विवाहेत्तर सम्बन्ध हो, महिलाओं का इसमें कोई प्रतिशत न हो तो ये कहना बिल्कुल भी गलत होगा बस पुरुष ही नहीं महिलाएं भी अपने जीवन साथी के साथ साथ अन्य से भी अनैतिक सम्बन्ध रख सकती हैं ये हमारे समाज में अक्सर देखने सुनने को मिल जाता है
विवाहेत्तर संम्बधों के कारण
विवाहेत्तर संम्बधों के अनेक कारण हो सकते हैं, जिनमें महिला तथा पुरुषों के लिए अलग अलग कारण हो सकते है, जैसे शादी से पहले महिला या पुरुष का किसी से प्रेम सम्बन्ध रहा हो पर घर वालों के दबाव और विपरीत परिस्थितियों के कारण दबाव में आकर उन्हें अपनी पसन्द की शादी न कर के घर वालों की मर्ज़ी से शादी करनी पड़ी हो, तो भी शादी बाद वो उससे अलग न हो पाए हों और जब भी मौका मिला मिलते रहें हो
कई बार लड़के के माली हालत खराब होने के कारण भी वो अपनी पसन्द की लड़की से शादी नहीं कर पाता और उसकी जबरन कहीं और शादी कर दी जाती है, और शादी बाद भी वो अपने प्रेम सम्बन्ध को अलग नही कर पाता
कई बार अलग जाति वर्ण गोत्र के होने के कारण कितने प्रेमी युगलों की शादियाँ नहीं हो पातीं, पारिवारिक और सामाजिक दबाव के चलते उन्हें कहीं और शादियाँ करनी पड़ जाती हैं, पर वे अपने प्रेम सम्बन्ध शादी बाद भी बनाए रखते हैं
कई बार पति या पत्नी से ऊब कर भी ज्यादातर लोग घर के बाहर रोमांच ढूंढने या नयापन के चक्कर में किसी और से यौन सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं
कई बार जब महिलाओं को लगता है कि वो शोषित हैं उन पर जिम्मेदारियों का बोझ है, पति तो आराम से घूम लेते हैं और वो घर में गाय की तरह खूंटे से बंधी खटती रहती हैं, ऐसी सोच भी उन्हें अनैतिक संबंधों की ओर ले जाती है,
किसी स्त्री को अपने पति से अनदेखा किया जाना भी इसका एक कारण हो सकता है,
कई बार पति की आय इतनी नहीं होती कि वो घर के साथ साथ पत्नी के महंगे शौक भी पूरा करता रहें ऐसे में पत्नी अपने महंगे शौक को पूरा करने के लिए भी किसी ऐसे से सम्बन्ध स्थापित करती है जो उसके शौक पूरे कर सके
कई बार जब पत्नियों को पता चलता है कि उनके पति का किसी के साथ विवाहेत्तर सम्बन्ध है तो जिद और बदला लेने की प्रवृत्ति के कारण भी वे ऐसा करती हैं
कई बार लोग यौन संबंधों की संतुष्टि के लिए भी यौन सम्बन्ध स्थापित करते हैं जो उन्हें उनके जीवन साथी से नही मिल पाती,
कई बार पत्नी घर के कामों में इस क़दर बिजी रहती है कि पति को लगता है वो उस पर कम ध्यान दे रही ऐसे में पति दूसरी महिलाओं का दामन थाम लेता है
कई मामलों में जब पति ज़्यादा व्यस्त होते है, उन्हें घर के लिए फुर्सत नहीं मिल पाती खास कर, वो लोग जो घर 6 6 महीने या साल भर पर आते हैं या बिज़नेस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं या वो लोग जो कमाने के लिए देश छोड़ कर विदेशों में रह रहे है प्रायः के देखा गया है कि उनकी पत्नियों के एक से ज़्यादा अनैतिक सम्बन्ध रहे हैं
या बाहर रहने वाले, पतियों के भी अनैतिक सम्बन्ध रहें है
कई बार पारिवारिक दबाव में आकर की गईं शादियाँ जिनमे अगर लड़की लेस्बियन है या लड़का गे है तो भी उनके विवाहेत्तर संम्बधों की आशंका बड जाती है
विवाहेत्तर संम्बधों के नुकसान
विवाहेत्तर सम्बन्ध किसी भी समाज में मान्य नहीं हैं, जिस समाज में शादी को पवित्र माना जाता हो और शादी बाद किसी और के साथ यौन संबंधों की तृप्ति को सही नहीं समझा जाता वहां इसके बहुत सारे नुकसान हो सकते हैं, जैसे पति पत्नी के बीच में तलाक होना
अगर उनके बच्चे हैं तो ये उन दोनों के भले बुरा न हो बाद में वो अपने अपने पसन्द के लोगों से शादियां भी कर लें पर अक्सर ये देखा गया है कि जिन बच्चों के माँ बाप की शादियाँ टूट जाती हैं न वो पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर पाते है
न जिंदगी में उनके आत्मविश्वास आ पाता है कई बार तो उन्हें शादी से भी नफरत हो जाती है वो किसी पर विश्वास नहीं कर पाते, उनमें विवाद, मानसिक विकार जैसी परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं, कई बार वो क्रोध या आवेश में ऐसा कर जाते हैं जो उन्हें अपराधी बना देता है, वो दुर्व्यवहार का शिकार हो सकते हैं या मानसिक रोगी
भारत में बहुत सारी महिलाएँ हैं जिनके पतियों के विवाहेत्तर सम्बन्ध भी है जिनकी उन्हें जानकारी भी है कि उनके पतियों के किनसे सम्बन्ध है और कैसे हैं फिर भी वो चुप रहती हैं जिनके अनेक कारण हो सकते है
पतियों के अनैतिक संबंधों को चुपचाप सहने के कारण
महिलाएँ बचपन से ही अपनी माता जी जो देखती हैं पिता की हर बात पर हां कहना है ग़लती न हो तो भी ग़लती मान लेनी है, विरोध नहीं करना है, भले ज़रूरतें पूरी न होती हों, पर पति के घर परिवार की हर ज़िम्मेदारी निभानी है,
सही होते हुए भी झिड़कियां सुन कर चुप रहना हो, एक लड़की बचपन से देखती आती है
जब वो किसी बात पर प्रश्न खड़े करती है तो चुप करा दिया जाता सिर्फ इसलिए कि लड़कियाँ ज़्यादा सवाल नहीं करतीं,
अगर लड़की है वो भी उसे बस इसलिए चुप रहना है कि लड़कियाँ चुप रहती हैं हर बात पर भले वो पढ़ाई में अव्वल हो पर अच्छे स्कूल में शिक्षा नहीं दिलाई जाती जो एल लड़के को दी जाती है, उन्हें बचपन से ही ढाला जाता है एक ऐसे माहौल में जहाँ बस ऑक्सीजन भी हो तो जीने के लिए तो वो उस पर ही शुक्र और सब्र कर के रह जाएं, तो जब बचपन से ही ऐसे संस्कारों विचारों को उनमें समा हित किया जाता है तो वो क्यों विरोध करेंगी,
समाज पुरुष को तो स्वीकृति देता है अनैतिक संम्बधों की पर स्त्रियों के लिए कड़ी आलोचनात्मक व्यवस्था है या एक तरह से समाज ही जब स्वीकृति देता है पुरुषों को विवाहेत्तर संम्बधों की तो स्त्री क्या कर सकती है यही सोच कर वो चुप रह जाती है
कई बार एक पत्नी ही पति के विवाहेत्तर संबंधों को समाज घर परिवार से छुपाने के प्रयास करती है उसे लगता है इससे उसके परिवार की बदनामी होगी भविष्य में बेटे बेटी के लिए दिक्कतें होंगी
कई बार पत्नी इस डर से भी पति के विवाहेत्तर संबंधों पर पर्दा डालने की कोशिश करती है कि जब लोगों को पता चलेगा कि उक्त महिला का किसी अन्य महिला से अनैतिक सम्बन्ध है तो जैसा कि समाज का नियम है समाज सारा दोष उस भुक्तभोगी महिला पर ही थोप देगा कि उसमे ही कमी है वो आने पति को संभाल नहीं पाती, दाम्पत्य सुख नहीं दे पाती जिसकी वजह से उसका पति कहीं और जाने को मजबूर हुआ
कई बार महिलाओं की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती कि पति से अलग हो कर वे अपने बच्चों या खुद के लिए भरण पोषण का सामान जुटा सके इसलिए भी वो मजबूरी में पति का साथ देतीं हैं
कई परिस्थितियों में पत्नी अपने बच्चों के भविष्य और उनको होने वाली दिक्कतें को सोच कर भी पति के अनैतिक संबंधों को जानबूझकर अनदेखा करने को मजबूर होती है
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