Importance of mental health- मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी है

 Importance of mental health- मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी है

Importance of mental health- मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी है_ ichhori.com


मानसिक स्वास्थ्य क्यों जरूरी है
अच्छी खासी चलती जिंदगी में जब कुछ सवाल आकर हमारे सामने खड़े हो जाते हैं और उनका जवाब  यदी हां है तो हमें तो पता भी नहीं चलता और हम मानसिक परेशानी से घिर जाते हैं, ऐसे ही कुछ सवाल है-" क्या आपको अब लोगों से मिलना जुलना पसंद नहीं आता है? क्या आपको अकेले रहना पसंद है? क्या आप कई बार अपने किये हुए कार्य से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो पाते हैं?अगर इन सभी सवालों का जवाब यदि हां है तो आप पूरी तरह से सतर्क रहने की आवश्यकता है।
इस भागदौड़ भरी जिंदगी में अनियमित जीवनशैली के कारण थकान होना आम बात है। जैसे शरीर की थकान शारीरिक बीमारियों का कारण बनती है,वही मानसिक थकान में मानसिक रूप से बीमार कर सकती है ।मगर कई बार मानसिक तौर पर अस्वस्थ होने की और हमारा ध्यान ही नहीं जाता है ।
पढ़ाई,काम का बोझ,रिश्तो में दरार,करियर की चिंता हमें तनाव देती है और यदि चिंता और तनाव लंबे समय तक रहे ती वे डिप्रेशन यानी अवसाद में बदल जाते है। ऐसी परिस्थिति में समय रहते मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना नितांत आवश्यक है।
दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य विकारों की समस्या अनुमान से कहीं ज्यादा गंभीर है। अध्ययनों के अनुसार दुनिया पर समस्त बीमारियों का जितना बोझ है उसका 15% हिस्सेदारी मानसिक समस्याओं की है।डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत उन देशों की सूची में आगे हैं जहां मानसिक व स्वभाव संबंधी विचारों का बोझ बहुत अधिक है।
मानसिक रोगों की सूची बहुत बड़ी है। इसमें कई समस्याएं जैसे कि ऑटिज्म ,बचपन में बौद्धिक अपांगता ,अवसाद ,व्यग्रता ,नशीले पदार्थों का सेवन व्यस्क होने पर कई और कई तरह के मनोविकार के साथ बुढ़ापे में मनोभ्रम आदि शामिल है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरोसाइंसेज के अनुसार लगभग 14% भारतीय मानसिक समस्याओं से पीड़ित हैं और उनमें से 10% को तत्काल उपचार की आवश्यकता है ।मानसिक स्वास्थ्य को लेकर यह आंकड़े वाकई में चौंकाने वाले हैं। हम लोग जितना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए चौकन्ने रहे हैं उसका आधा ध्यान भी हम हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए नहीं लगाते हैं।
भारत जैसे विकासशील देशों में मानसिक स्वास्थ्य समस्या से गुजर रहे लोगों के लिए प्रायः पागल ,मेंटली रिटायर्ड ,क्रेजी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा लोगों के मन में एक पूर्वाग्रह हमेशा रहता है, कि मानसिक रोगों से ग्रसित लोग हमेशा हिंसक होते हैं ।इनसे उचित दूरी बनाकर रखना बेहद जरूरी है ।ऐसी परिस्थिति में परिजन व मित्र भी उन्हें उनके हाल पर छोड़ देते हैं या कुछ केसेस में  अंधविश्वास से ग्रसित लोग ओझा तांत्रिक आदि के पास भी इलाज के लिए जाते हैं। इनसे परिस्थिति और भी बिगड़ने लगती हैं ।
विशेषज्ञों के अनुसार मानसिक अस्वस्थता के संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है| जैसे मूड में तेजी से उतार-चढ़ाव ,आवेग ,एकाग्रता की कमी ,शारीरिक नुकसान, नशीले पदार्थों का सेवन इनमें से कुछ भी लक्षण होने पर परिवार के सदस्य या दोस्तों को उनका विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। इसके अलावा बढ़ते बच्चों में किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते भी उदासीनता, मूड स्विंग, नींद व भुख के पैटर्न में बदलाव ,संवेदनशीलता बढ़ना ,खुद को लोगों से अलग रखना जैसे लक्षणों पर गौर करना जरूरी है|
क्या मानसिक स्वास्थ्य का इलाज संभव है:-
डॉक्टर के अनुसार मानसिक बीमारियां आपके ब्रेन के केमिकल इंबैलेंस का नतीजा है और यह अच्छी बात है कि इसका इलाज संभव है| मगर इसके लिए जागरूकता लाना बहुत आवश्यक है |यदि आप थोड़ा सा भी चिंतित महसूस कर रहे हैं तो इससे डरे नहीं पहने लक्षणों को ट्रैक  करें और उन लक्षणों को खुद से कनेक्ट करने की कोशिश करें |आप को अगर लगता है कि चिंता आपके व्यक्तित्व और जीवन पर प्रभाव डाल रही है तो इस मामले में ज्यादा देर किए बिना डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें |आप जितनी जल्दी इस पर काम शुरू करेंगे इसका इलाज उससे बेहतर तरीके से शीघ्रता से संभव होगा|
डिप्रेशन से कैसे बाहर निकले-:
जब आप डिप्रेशन में होते हैं तो आपको सब कुछ कठिन लगने लगता है |ना तो काम पर जाने का मन होता है ना ही किसी से मिलने का |यहां तक कि सुबह बिस्तर पर से उठना भी एक संघर्ष की तरह होता है| मगर कुछ चीजें हैं जिनके जरिए डिप्रेशन के लक्षणों से आसानी से निपटा जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है|
1- खुद का सपोर्ट नेटवर्क तैयार करें -डिप्रेशन से बाहर निकलने के लिए आप खुद को जितनी मदद कर सकते हैं कोई और आपकी इतनी मदद नहीं कर सकता है |दवा और इलाज के अलावा मजबूत सामाजिक सपोर्ट सिस्टम तैयार करें |अपने आसपास के लोगों से मिले दोस्तों या परिवार के सदस्यों से अपने मन की बात करें |अपने मन की बात को साझा करने से बेहतर डिप्रेशन से बाहर आने का और कोई तरीका नहीं है |आप यदि अपने मन की बात अपने दोस्तों से या परिवार वालों से खुलकर नहीं कर पा रहे हैं तो कई सारे ऑनलाइन एप है ,जहां पर आप अपनी पहचान छुपा कर कुछ आभासी मित्रों से अपने मन का हाल कह सकते हैं| वे मित्र आपको डिप्रेशन से बाहर आने के लिए मदद कर सकते हैं| इसके साथ ही डॉक्टर से कभी कुछ भी बात ना छुपाए| आप जितने अच्छे तरीके से डॉक्टर से सारी बातें करेंगे ,डॉक्टर आपकी उतनी ही अच्छी तरह से मदद कर पाएंगे|
2- अपने स्ट्रेस को कम करें:- जब भी आप तनाव में होते हैं आपका शरीर का कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का अधिक उत्पादन करता है| यह हार्मोन काफी हद तक आपके जीवन में आने वाले तनाव को आपसे दूर रखता है| मगर लंबे समय तक तनाव में रहना कई समस्याओं को जन्म देता है| डिप्रेशन उसी में से एक है। जितना अधिक आप खुद को तनाव से दूर रखने की कोशिश करेंगे आपके लिए उतना ही बेहतर होगा।
3- भरपूर नींद ले- अच्छी नींद और अच्छे मूड का गहरा संबंध है ।एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि डिप्रेशन से जूझ रहे 80% लोगों को नींद की गड़बड़ी का अनुभव होता है। हालांकि डिप्रेशन के शिकार मरीजों को नींद ना आने की समस्या आम है।
 डिप्रेशन के मरीज ठीक तरह से सो नहीं पाते हैं, फिर नींद से जागने में भी संघर्ष होता है और उसके बाद सारा दिन आपको थकावट की शिकायत रहती है| अच्छी नींद के लिए जरूरी है  कि बिस्तर पर जाने से कम से कम एक घंटा पहले आप अपने सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को बंद कर दें |कुछ अच्छी किताबें पड़े या कुछ ऐसे एक्टिविटी करें जिससे कि आपको प्रसन्नता का अनुभव हो| ऐसा करने से अच्छी नींद आती है| भरपूर नींद लेने से दिमाग शांति का अनुभव करता है|
4- खाने की आदतों को सुधारें- डाइट और मेंटल हेल्थ के बीच संबंध खोजने के लिए अभी भी शोध जारी है| मगर अब तक ऐसी कई स्टडीज हुई है जिनमें पोषण में सुधार की बात कही गई है |मस्तिष्क और आंत  के बीच की कड़ी आपके विचार से भी अधिक जटिल है| लगभग 95% सेरोटोनिन न्यूरोट्रांसमीटर आपकी भूख और नींद को विनियमित करने में मदद करता है| आपके मूड को सुधारता है और शरीर में होने वाले दर्द को रोकता है| हेल्दी डाइट से मानसिक बीमारियों को रोका जा सकता है और इन बीमारियों का इलाज भी आसानी से किया जा सकता है|
5- नेगेटिव विचारों से दूर रहें- डिप्रेशन के दौरान आने वाले नेगेटिव विचार ना सिर्फ आपको बुरा फील कर आते हैं ,बल्कि उन नेगेटिव विचारों से प्रेरित होकर आप और नेगेटिविटी में चले जाते हैं |इन नेगेटिव विचारों से बचने के लिए सेल्फ हेल्प बुक, कुछ मोबाइल एप्लीकेशन और दोस्तों की मदद से आप इस नेगेटिविटी को पॉजिटिविटी में बदल सकते हैं| खुद को जितना नेगेटिव विचारों से दूर रहेंगे आप डिप्रेशन से उतनी ही जल्दी बाहर आने में कामयाब होंगे|
6- अपने काम को ना डालें- डिप्रेशन के चलते होने वाली थकान और एकाग्रता की कमी के कारण कई बार हम अपने काम पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और उस काम को टालने की कोशिश करते हैं| लेकिन यह तरीका गलत है किसी भी काम को पूरा करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करें और उस समय सीमा के भीतर ही लक्ष्य को पाने की कोशिश करें| इस तरह से समय का प्रबंधन कर कर आप अपने कार्य को बेहतर तरीके से संपादित कर पाएंगे और शायद छोटे-छोटे लक्ष्यों की प्राप्ति से आपको डिप्रेशन भी कम होगा|
7- अपने पसंदीदा काम को करें- आपकी पसंद का काम आपको सदैव खुश रहने में मदद करता है, खासकर जब आप लोग फील कर रहे हो |अपने पालतू जानवर के साथ समय बिताएं, अपने बच्चों के साथ खेलें, कुछ अपनी पसंद का म्यूजिक सुने या कॉमेडी वीडियो देखें ,पसंदीदा किताबें पढ़ें और थकान को मिटाने के लिए हॉट बाथ भी ले सकते हैं| यह सारे उपाय आपको खुश रहने में मदद करेंगे और इन छोटे-छोटे उपायों से आप डिप्रेशन से आसानी से बाहर आ सकते हैं|
8- रोजाना व्यायाम करें-  काम के साथ-साथ थोड़ा सा वक्त व्यायाम को भी दें |व्यायाम या योगा से आपका शरीर तो स्वस्थ होता ही है यह आपके दिमाग पर भी असर डालता है |इससे आप खुद को एनर्जेटिक फील कर अपना काम कई गुना बेहतर तरीके से कर सकते हैं |एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि रोजाना योग करने से शरीर में पॉजिटिव एनर्जी आती है और इससे मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है|
मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहारिक  समस्या किसी व्यक्ति के मानसिक स्थिति और उसके व्यवहार में आए बदलावों को बताती है| मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं की भी अभिव्यक्ति करता है| जब व्यक्ति किसी मानसिक विकार से जूझता है, तो उसका असर उसके व्यवहार पर भी साफ दिखता है| मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए मनोवैज्ञानिक सलाह अवश्य लेनी चाहिए|


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