Ovarian Cancer ki 4th Stage mein kitne log bach paate hai?-ओवेरियन कैंसर की फोर्थ स्टेज में रिकवरी रेट
ओवेरियन कैंसर की फोर्थ स्टेज में रिकवरी रेट
दिनों दिन बदलती लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी में हम लोग हमारी पुरातन संस्कृति से लगातार दूर होते जा रहे हैं| हमारी संस्कृति हमारा खान-पान शुरुआत से ऐसा रहा है, कि हम बीमारियों से बचें रह सकते हैं| मगर अब हमारी जिंदगी में कई तरह की बीमारियों ने दस्तक दी है| पहले जहां कैंसर की बीमारी कम ही सुनने में मिलती थी |आजकल यह बीमारी उतनी ही आम हो गई है| पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी अब कैंसर ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है|
ब्रेक थ्रू कैंसर रिसर्च के अनुसार आजकल महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के मामले बहुत बढ़ रहे हैं| ब्रेस्ट कैंसर के बाद यह दूसरा सबसे आम कैंसर है| कैंसर के हर चौथे मरीज में से एक केस ओवेरियन कैंसर का होता है| ओवेरियन कैंसर और ओवेरियन सिस्ट के लक्षण अलग नहीं होने से इस कैंसर का पता इसकी आखिरी स्टेज तक भी नहीं लग पाता है |इसलिए जरूरी है कि ओवरी के मामले में काफी सजग और सतर्क रहें| मगर एक अच्छी बात यह है कि इस कैंसर का पता भले ही देर से चलता हो मगर इसका इलाज नामुमकिन नहीं है|
ओवरी कैंसर युवा अवस्था से लेकर बुढ़ापे तक किसी भी उम्र में हो सकता है |मगर जागरूकता और जानकारी की कमी के कारण 60% केस में इस बीमारी की जानकारी एडवांस स्टेज में ही हो पाती है|
क्या होता है ओवरी कैंसर?
महिलाओं की ओवरी कई तरह की कोशिकाओं से निर्मित होती है| गर्भाशय के पास मौजूद अंडाशय जो प्रजनन अंग का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जब इस पर किसी तरह का कोई विकार या सिस्ट की गाठ लंबे समय तक स्थापित रहती है तो इसे कैंसर की शुरुआत माना जाता है|
ओवेरियन कैंसर की स्टेज
कैंसर डिटेक्ट होने के बाद उपचार शुरू करने के पहले डॉक्टर कैंसर की स्टेज का निर्धारण करना जरूरी समझते हैं |सामान्यता ओवरी कैंसर के लिए डॉक्टर a j c c यानी कि (अमेरिकन ज्वाइंट कमिटी ऑन कैंसर) या f i g o ( इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ गायनेकोलॉजी एंड ऑब्सटेटिक्स स्टेजिंग सिस्टम) का उपयोग करते हैं| इन संस्थाओं के द्वारा ओवेरियन कैंसर को भी दूसरे के कैंसरो की तरह चार चरण में बांटा गया है |अंतिम चार को छोड़कर पहली 3 स्टेज a b c में बटी रहती है|
स्टेज 1- यदि फर्स्ट स्टेज का कैंसर है, तो इसका मतलब होता है कि कैंसर या तो एक अंडाशय में है या दोनों में है|
स्टेज वन a- कैंसर एक अंडाशय के अंदर पाया जाता है|
स्टेज 1 b- कैंसर दोनों अंडाशय के अंदर पाया जाता है|
स्टेज 1 c- कैंसर एक या दोनों अंडाशय में होने के साथ-साथ या तो अंडाशय की बाहरी सतह पर आ गया है या कैंसर की बाहरी शेल खुल चुकी है|
स्टेज 2- ओवेरियन कैंसर के स्टेज 2 का मतलब है कि कैंसर दोनों या एक अंडाशय में हो गया है| इसके साथ ही योनि के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है|
स्टेज 2 a- कैंसर गर्भाशय और/ या फैलोपियन ट्यूब में फैल गया है|
स्टेज 2 b- कैंसर योनि के भीतर अन्य उत्तको में फैल गया है|
स्टेज 2 c- कैंसर एक या दो अंडाशय के अंदर होने के साथ-साथ गर्भाशय के साथ फेलोपियन ट्यूब या योनि के भीतर अन्य उत्तको में फैल गया है| इसके अलावा या तो कैंसर अंडाशय की बाहरी सतह पर भी हो गया है या अंडाशय का बाहरी आवरण फट गया है|
स्टेज 3- ओवेरियन कैंसर की थर्ड स्टेज का मतलब कैंसर एक या दोनों अंडाशय में हो गया है और इसके साथ ही पेट के अन्य हिस्सों में या और लिंफनोड्स में भी फैल गया है| इसे थर्ड स्टेज का ओवेरियन कैंसर कहते हैं| ओवेरियन कैंसर के 60% मामलों में तब पता चलता है ,जब कैंसर की थर्ड स्टेज शुरू हो जाती है|
स्टेज 3 a- इस स्टेज का ट्यूमर केवल योनि में पाया जाता है| लेकिन कैंसर कि वह कोशिकाएं जो केवल माइक्रोस्कोप के द्वारा देखी जा सकती है, पेरीटोनियम की सतह तक फैल जाती है|
स्टेज 3 b- इस इस स्टेज का मतलब कैंसर पेरीटोनियम में फैल गया है और पेरीटोनियम में कैंसर की 2 सेंटीमीटर या उस से छोटी गठान है|
स्टेज 3 c - इस स्टेज का मतलब कैंसर पेरीटोनियम में फैल गया है और पेरीटोनियम में कैंसर की गठान 2 सेंटीमीटर से बड़ी है और/ या कैंसर पेट में लिंफनोड तक फैल गया है|
स्टेज 4- जब ओवेरियन कैंसर का पता चलता है और कैंसर पेट से परे शरीर के अन्य हिस्से जैसे कि फेफड़े यकृत के अंदर तक पहुंच जाता है तो वह कैंसर की चौथी स्टेज होती है| फेफड़े के आसपास के तरल पदार्थ में कैंसर कोशिकाओं को ओवेरियन कैंसर की लास्ट स्टेज मानते हैं| मेडिकल भाषा में इसे मेटास्टैसिस कहते हैं|
चौथी स्टेज के मरीज का 2 तरह से इलाज किया जाता है
डोज इंटेंस थेरेपी- ब्रेस्ट कैंसर व एक्यूट ल्यूकेमिया के साथ-साथ ओवेरियन कैंसर में इसका प्रयोग होता है| इसमें मरीज की स्थिति के मुताबिक समय-समय पर कुछ थेरेपी देने से बीमारी नियंत्रित हो जाती है और मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है|
2- बोनमैरो ट्रांसप्लांट- मल्टीपल मायलोमा व लिम्फोमा आदि में हाइड़ोज से कैंसर सेल्स के साथ-साथ शरीर में जरूरी ब्लड सेल भी नष्ट हो जाते हैं| इसलिए विशेषज्ञ थेरेपी से पहले मरीज के शरीर में से अच्छे सेल निकाल कर सुरक्षित रख लेते हैं, इसमें सिर्फ एक बार हाई डोज दी जाती है| हाइड़ोज के बाद शरीर में अच्छे सेल दोबारा इंजेक्ट कर दिए जाते हैं |जिससे शरीर में ब्लड बनना दोबारा शुरू हो जाता है |बोनमैरो ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को 15 दिन से 1 महीने तक हॉस्पिटल में डॉक्टर के ऑब्जरवेशन में रहना पड़ता है |मगर यह थेरेपी सभी प्रकार के कैंसर में कारगर नहीं होती है|
जिन मरीजों का कैंसर 4th स्टेज पर पहुंच जाता है यह ठीक होने के बाद दोबारा वापसी कर लेता है, तो ऐसे मरीजों के लिए हाइड़ोज कीमोथेरेपी वरदान साबित होती है |यह चौथी स्टेज के कैंसर को काबू करने के साथ-साथ एक कैंसर वापसी की आशंका को भी कम कर देती है| और ऐसे मरीजों जो जीने की उम्मीद खो देते हैं ,उनसे इस मरीज की जीने की संभावना बढ़ जाती है| हालांकि इस ट्रीटमेंट के बाद बेहद सावधानी की जरूरत होती है| इसलिए यह सुविधा देशभर के चुनिंदा सरकारी और निजी अस्पतालों में ही उपलब्ध है|
जीवित रहने की संभावना- फोर्थ स्टेज की ओवेरियन कैंसर के इलाज के बाद अधिकांश महिलाओं की 5 वर्ष तक जीवित रहने की दर 17% है |जीवित रहने की इस संभावना का आकलन अत्यंत बड़ी संख्या के लोगों के अध्ययन पर आधारित होता है, अतः व्यक्ति विशेष के केस में कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है कि व्यक्ति कितना जीवित रहेगा |पूर्वानुमान के साथ-साथ जीवित रहने के लिए अन्य कारक भी जैसे कि महिला का सामान्य स्वास्थ्य, उसका कैंसर का ग्रेड, कैंसर के उपचार के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया के साथ-साथ महिला का आत्मविश्वास भी मायने रखता है| सभी प्रकार के ओवेरियन कैंसर से पीड़ित लगभग 3 से 4 प्रतिशत महिलाएं निदान के बाद कम से कम 1 वर्ष तक जीवित रहती है| साथ ही लगभग आधी 46 . 2 महिलाएं कैंसर के उपचार के बाद 5 वर्ष तक जीवित रहती हैं| 65 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं का इलाज वृद्ध महिलाओं की तुलना में कई गुना बेहतर होता है|