At what age menstruation stops?|इस उम्र में महावारी रुक जाती है

 At what age menstruation stops?| इस उम्र में महावारी रुक जाती है

 

At what age menstruation stops?| इस उम्र में महावारी रुक जाती है_ ichhori.com

मासिक धर्म की शुरुआत और अंत दोनों ही महिला की शारिरीक  स्थिति पर निर्भर करता है| कई बार महिलाए 35 वर्ष की कम उम्र में ही रजोनिवृत्ति की स्थिति को पा लेती है तो कई महिलाएं लगभग 50 वर्ष तक रजोनिवृत्ति के लक्षण से जूझती रहती हैं| मगर आमतौर पर औसतन 45 वर्ष की उम्र में महिलाओं के पीरियड जाने बंद हो जाते हैं| मगर पूरी तरह से पीरियड बंद होने यानी कि रजोनिवृत्ति की स्थिति में पहुंचने से पहले पीरियड धीरे-धीरे कम होने लगते हैं|

 लगभग एक वर्ष तक पीरियड नहीं आता है तो उस परिस्थिति को महिला की रजोनिवृत्ति की अवस्था मान लिया जाता है |ऐसी अवस्था में महिला को घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि यह शरीर की प्राकृतिक गतिविधियोके कारण होता है| मोनोपोज होने का सबसे बड़ा कारण शरीर में एस्ट्रोजोन हार्मोन की मात्रा कम होना होता है  |कम उम्र में रजोनिवृत्ति की अवस्था आना असामान्य होता है |वैसे ही अधिक उम्र तक मासिक धर्म की अवस्था रहना भी असामान्य होता है|

35 वर्ष की उम्र के बाद जब मोनोपॉज की स्थिति आती है| तब महिलाओं को अपने शरीर का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है .क्योंकि जब मोनपॉज शुरू होने वाला होता है, तो अक्सर सभी महिलाओं में तनाव, उदासी ,बेचैनी ,घबराहट हमेशा कंफ्यूज रहना ,नींद की कमी, गुस्सा जल्दी आना, जैसे डिप्रेशन के सारे लक्षण मौजूद होते हैं |डिप्रेशन से निजात पाने के लिए हमेशा महिलाओं को खुद का ध्यान रखने की बहुत आवश्यकता होती है| इन मानसिक परेशानी के अलावा शारीरिक परेशानी जैसे हमेशा बहुत गर्मी लगना या फिर कभी कभी हॉट फ्लैश ,यूरिन में इंफेक्शन, वेजाइना में इंफेक्शन, स्तनों से सफेद रंग का पानी आना, बाल झड़ना, आंखों की कमजोरी ,सर दर्द ,चेहरे पर बाल आना आदि प्रॉब्लम होने लगती है|

कैसे रखें अपना ध्यान-

मोनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में कई सारे शारीरिक और मानसिक बदलाव होते हैं |कुछ महिलाएं इन बदलावों से ज्यादा परेशान नहीं होती लेकिन कई महिलाओं को इनके कारण बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है |

मोनोपॉज अचानक से नहीं होता है यह तीन चरणों में होता है| पहले स्थिति मोनोपॉज के पहले की स्थिति प्रि मोनोपॉज कहलाती है| यह वह स्थिति होती है जब महिलाएं रजोनिवृत्ति के पहले आने वाली परेशानियों से जूझती है |अनियमित मासिक धर्म और रक्त का अनियमित बहाव सबसे ज्यादा परेशानी का सबब बनता है| इसके बाद मोनोपॉज की परिस्थिति आती है और सबसे अंतिम स्थिति पोस्ट मोनोपॉज कहलाती है| इस दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव से जूझने के लिए महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है|

1- भोजन हो पोषक तत्वों से भरपूर- महिलाओं को अपने रोज के भोजन में सभी पोषक तत्वों को शामिल करना अनिवार्य होता है| आप अपनी day-to-day लाइफ में ऐसे भोजन पदार्थ को शामिल करें जिनमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन, फास्फोरस सभी भरपूर मात्रा में हो |प्रोटीन रिच डायट महिलाओं को कई सारी परेशानियों से बचाती है| इसलिए महिलाओं को अपने भोजन में गाजर ,पालक, टमाटर, आंवला, पपीता ,अखरोट, बादाम ,चीया सीड्स, अलसी ,सोयाबीन आदि भरपूर मात्रा में लेना चाहिए| इसके अलावा यह ध्यान रखना चाहिए कि भोजन ऐसा हो जो आसानी से डाइजेस्ट हो जाए |इसका मतलब कम तेल मसाले का हो और चटपटा ना हो| 

2- किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें- महिलाएं जब मोनोपॉज की स्थिति में पहुंचती है ,तो चाय, कॉफी, शराब ,सिगरेट आदि के उपयोग से परहेज करने की सलाह दी जाती है |क्योंकि यह सब नशीले तत्व हार्मोन इन बैलेंस को बढ़ावा देते हैं |चाय कॉफी की जगह आप दूध ,छाछ ,दही की लस्सी ,नींबू पानी या फिर ग्रीन टी ले सकते हैं |यह सारी चीजें आपको पोषण देने के साथ-साथ आपके शरीर को हार्मोनल इनबैलेंस से होने वाली तकलीफों को कम करती  है| यदि आप को शराब की तलब उठे तो आप उसे वाइन से रिप्लेस कर दीजिए |वाइन यदि फ्रूट वाइन हो तो बहुत ही अच्छी बात होती है|

3- कराए अपना रेगुलर बॉडी चेक अप- मोनोपॉज की प्रक्रिया के दौरान अक्सर महिलाओं को मीठा चटपटा खाने की तलब उठती है |मगर इस दौरान मीठा कम खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि मीठा खाने से हड्डियों के दर्द की समस्या हो जाती है |इसके अलावा समय-समय पर बीपी ,थायराइड, मधुमेह ,मैमोग्राफी आदि होना जरूरी होता है| इसके अलावा मोनोपॉज के दौरान वजन तेजी से बढ़ता है ,इसलिए आप जहां तक हो सके अपने वजन को नियंत्रित करने की कोशिश करें| ताकि बढ़ते वजन के कारण होने वाली समस्याएं आपको परेशान ना करें|

4- रोजाना एक्सरसाइज करें- महिलाओं में लगभग 30 से 35 वर्ष तक हड्डियां बनती है |उसके बाद हड्डिया बनने की प्रक्रिया धीरे-धीरे कम होने लगती है| डॉक्टर के अनुसार मोनोपॉज के दौरान हड्डियां कमजोर होने लगती है |इसलिए अधिक कैल्शियम युक्त भोजन के साथ साथ आपको रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है| जिससे कि आपको ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या ना हो |इसके अलावा रोजाना एक्सरसाइज करने से बढ़ते हुए वजन को भी कंट्रोल किया जा सकता है |रोजाना एक्सरसाइज करने से हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशी भी मजबूत होने लगती है |

5- रोजाना योग और प्राणायाम करें- मोनोपॉज के बाद अक्सर कई तरह की दिमाग की समस्याएं जन्म लेने लगती है |इसके अलावा कई महिलाओं को हार्ट की प्रॉब्लम भी होने लगती है ऐसे में योगा और प्राणायाम जहां आपको मानसिक परेशानियों से निजात दिलाता है ,वही हार्ट संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा दिलाता है |योगा के दौरान रिलीज होने वाले हार्मोन शरीर को मानसिक और शारीरिक परेशानियों से दूर रखते हैं| रोजाना सूर्योदय के समय योगा करने से शरीर में विटामिन डी की कमी भी पूरी होती है |विटामिन डी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक माना जाता है|

6- विटामिन डी का सेवन बढ़ाएं- मानसिक और शारीरिक परेशानियों से विटामिन डी आसानी से निजात दिला सकता है |इसके लिए जरूरी है कि आप रोजाना सुबह की पहली धूप में बाहर जरूर निकले| क्योंकि सूर्य की किरणें विटामिन डी का बहुत अच्छा स्त्रोत मानी जाती है| इसके अलावा आप विटामिन डी के लिए मछली ,अखरोट ,अलसी, दूध और से बने हुए खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें ताकि आपके शरीर में विटामिन डी की कमी ना हो|

7- करे दांतो की विशेष देखभाल- महिलाओं के शरीर में महावारी बंद होने के बाद उनके शरीर में लार बनना कम हो जाता है |लार की कमी होने के कारण मुंह में जलन होने लगती है| मसूड़ों में सूजन और मसूड़े ढीले होने लगते हैं| इस कारण दांतों में दर्द की परेशानी भी जन्म लेती है| इस समस्या से बचने के लिए मोनोपॉज के दौरान समय-समय पर अपने दांतों का भी चेकअप अनिवार्य रूप से करा लेना चाहिए, ताकि भविष्य में दांतो से जुड़ी कोई बीमारी बड़ा रूप लेकर सामने ना आए|

महिलाओं के शरीर में बनने वाला एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के मासिक धर्म और प्रेगनेंसी के लिए जिम्मेदार होता है| समय के साथ महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का बनना कम होने लगता है, ऐसे में महिलाओ की प्रजनन क्षमता कम होने के साथ-साथ मासिक धर्म बंद होने लगता है |एस्ट्रोजन हार्मोन ना केवल महिलाओं के मासिक धर्म के लिए जिम्मेदार होता है बल्कि यह महिलाओं की शारीरिक स्वास्थ्य को भी सुद्रण बनाए रखता है |मगर जब यह हार्मोन बनना बंद हो जाता है तो इस दौरान महिलाएं कई सारे शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है| महिलाओं के शरीर में इन सब बदलाव से जूझने के लिए कई सारे पोस्टिक तत्व और ताकत की आवश्यकता होती है| ऐसे में महिलाओं को यदि परिवार से थोड़ा सा सहारा मिल जाए ,तो उनका यह तकलीफ भरा समय कम परेशानी से भरा हो सकता है|

विनीता मोहता विदिशा


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