How effective are the vaccines against Omicron and which vaccine against Omicron is most effective?| ओमीइक्रोन के खिलाफ टीके कितने प्रभावी हैं और ओमीइक्रोन के खिलाफ कौन सा टीका सबसे ज्यादा प्रभावी है -
जीवन फिसलती रेत है आज हम खुश हैं पर कल किसी को नहीं पता कि खुशी की बहार होगी या दुखो के बादल इसलिए कहते हैं हर परिस्थिति के अनुरूप खुद को ढालो आज जहां हमारा देश कोरोनावायरस जैसी महामारी से जूझ रहा है इसके चलते आधे से ज्यादा लोग अपनी जाने गंवा चुके हैं तो कुछ अपनी लापरवाही के कारण इसके शिकार हो रहे हैं, इसके चलते कितने नये नये फैसले लेने पड़े जैसे मास्क पहने दो फीट की दूरी और संपूर्ण विश्व में लॉकडाउन जैसी स्थिति साथ ही मॉल पर्यटन स्थल आवागमन के साधन धार्मिक स्थल आदि पर रोक लगाने जैसे कदम परिस्थिति को देखकर सरकार को लगाने पड़े जोकि समय की मांग थी और आवश्यक भी क्योंकि अभी इस पर नियंत्रण नहीं रखा तो वो दिन दूर नहीं जब सारी जनता इसके शिकार हो जाएगी, अभी हमारा देश इस समस्या से निजात ही पा रहा था कि एक ओर समस्या हमारा इंतजार कर रही थी जिसकी वजह से फिर पहले जैसे हालात पैदा हो गये है और इससे निजात पाने का एक उपाय है मास्क पहने दो फीट की दूरी और जरूरत के समय ही घर से बाहर निकले क्योंकि यह भी तेजी से हमारे शरीर को प्रभावित करता है और इससे निजात पाने का सिर्फ एक उपाय कोविड इंजेक्शन लगवाना जहां पहले कोरोनावायरस से निजात पाने के लिए दो इंजेक्शन कोविडशील और कोविड इंजेक्शन था वहीं क्या यही दो इंजेक्शन कोविडशील और कोविड इंजेक्शन इससे निजात पाने के लिए अग्रसर है या नहीं, यह जानना अति आवश्यक है उससे पहले यह वायरस क्या है इसके लक्षण और यह किस तरह हमारे शरीर को प्रभावित करता है और किस प्रकार इससे निजात पाया जा सकता है तो सबसे पहले - जैसे कि आपको पता है दुनिया के कुछ देशों में कोरोना वायरस का नया वेरिएंट सामने आ चुका है और बिशेषज्ञो का मानना है कि यह नया वेरिएंट काफी खतरनाक है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट को omicron नाम दिया है जो एक ग्रीक भाषा का शब्द है और तो और यह नया वेरिएंट बेहद तेजी से फैलने वाला और चिंताजनक है क्योंकि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट इतना खतरनाक है कि यह दोनों टीका लगा चुके व्यक्ति के भी कोरोना से संक्रमित होने का दावा करता है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के इस नए वेरिएंट को बी.1.1.529 कहा है, क्योंकि कोरोना महामारी आने के बाद से ही इसके कई वेरिएंट सामने आए हैं और दुनिया भर के वैज्ञानिक भी कोरोना के अलग अलग वेरिएंट पर नजर बनाए हुए हैं इसी क्रम में दक्षिण अफीका में जीनोमिक्स की निगरानी के लिए बनाई गई कमेटी ने सोमवार को इस वेरिएंट का पता लगाया और जिसे बी.1.1.529 नाम दिया क्योंकि अभी तक की जानकारी के अनुसार बी.1.1.529 में कई स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन हैं और तो और यह अत्यधिक संक्रामक है तथा बी.1.1.529 के सामने आने के बाद दक्षिण अफ्रीका में पिछले दो हफ्तों में कोरोना के नए मामलों में चार गुने की वृद्धि हुई है और बी.1.1.1.529 में ऐसे कई परिवर्तन हुए हैं जो चिंता का विषय है उन्हें इस अनुक्रमण में पहले नहीं देखा गया था, और यही वजह है कि जिस कारण कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि अध्ययनों में पाया गया है कि कोरोना का यह नया वैरिएंट शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को मात देने की क्षमता भी रखता है और ऐसे में तो जिन लोगों का पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है उन्हें भी इससे विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही यह वैरिएंट इम्यूनिटी को भी मात दे सकता है लेकिन जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है उन्हें संक्रमण की गंभीरता और इससे होने वाली मौत का खतरा कम रहता है फिर भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है, कोरोनावायरस जैसी एक बीमारी ओमीइक्रोन क्या है और यह कितनी खतरनाक है इसके बारे में पता चलने के बाद यह जानना अति आवश्यक है कि कोरोनावायरस से निजात पाने के लिए बनी दो वैक्सीन में से कौन-सी वैक्सीन ज्यादा असरदार है -ओमीइक्रोन वायरस हमारे शरीर में कैसे प्रवेश करता है एम्स के प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि स्पाइक प्रोटीन क्षेत्र में ओमिक्रॉन के 30 से अधिक म्यूटेशन हैं, जो इसे एक प्रतिरक्षा बचाव तंत्र विकसित करने की क्षमता प्रदान करते हैं, और साथ ही टीकों की प्रभावकारिता का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिए क्योंकि स्पाइक प्रोटीन की उपस्थिति एक वायरस को मेजबान कोशिका में प्रवेश करने में मदद करती है, जिससे यह संक्रमणीय हो जाता है और संक्रमण का कारण बनता है,
टीकाकरण कराना सबसे जरूरी पर यह जानना अति आवश्यक है कि कौन-सा टीका ज्यादा प्रभावी ह स्वास्थ्य विशेषज्ञ अभी तक कोरोना के बाद आए ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी न होने के कारण कोई भी निर्णय करना या फैसला लेना कठिन है फिर भी उनका मानना है कि उपलब्ध सभी वैक्सीन की दोनों डोज संक्रमण की गंभीरता और आईसीयू में भर्ती होने के जोखिम को काफी हद तक कम करती हैं इसलिए ऐसे में सभी लोगों को जल्द से जल्द उपलब्ध वैक्सीन की दोनों डोज ले लेनी चाहिए, लेकिन सवाल यह है कि वैक्सीन को वुहान में खोजे गए कोरोना के मुख्य वायरस के खिलाफ विकसित किया गया था और यह अन्य वेरिएंट के खिलाफ काम कर सकता है ऐसा अनुमान है और सैद्धांतिक रूप से कोवैक्सिन एमआरएनए और एडिनोवेक्टर टीके जैसे स्पाइक प्रोटीन के बजाय यह सभी एंटीजन और एपिटोप को कवर करता है, और यह ओमाइक्रोन के खिलाफ बेहतर सुरक्षा दे सकता है लेकिन फिर भी अधिक शोध और परीक्षण की आवश्यकता है क्योंकि कोई भी लापरवाही हजारों लोगों के लिए घातक सिद्ध हो सकती है,
हालांकि आईसीएमआर के अधिकारी ने कहा कोवैक्सिन को अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा जैसे अन्य वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभावी पाया गया, इसलिए उन्हें उम्मीद हैं कि यह नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ भी प्रभावी होगी लेकिन हालांकि ये मुख्य तौर पर अधिक सैंपल पर जांच होने के बाद ही तय होगा फिर भी उन्हें उम्मीद हैं कि यह सुरक्षा प्रदान करेगा और उनका कहना है कि एक बार हम इसका सैंपल प्राप्त कर ले तो फिर हम पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में टीके की प्रभावकारिता का परीक्षण करेंगे कि यह टीका प्रभावशाली है या नहीं साथ ही यह इसको मात देने में सक्षम रहेगा या नहीं, हालांकि ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सोमवार को ओमीक्रोन पर वैक्सीन के प्रभाव संबंधी अध्ययन के परिणाम प्रकाशित किए हैं जिस दौरान उन्होंने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड या फाइजर-बायोएनटेक की दो डोज ले चुके लोगों के खून के सैंपल इकट्ठा किए जिसमें ओमीक्रोन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी की पर्याप्त मात्रा में कमी पाई गई, इसलिए उनका मानना है कि
कोरोना वायरस और ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ वैक्सीन की दो डोज काफी नहीं है और ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने अपने शोध में दावा किया है कि वैक्सीन की दो डोज से पर्याप्त न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं बनते जिससे ओमीक्रोन के खतरे को कम किया जा सके उन्होंने यह भी कहा कि पहले से संक्रमित हो चुके या वैक्सीन की दोनों डोज लेने वाले लोगों में संक्रमण बढ़ने की संभावना है,
लेकिन जहां तक परीक्षण किया गया है वहां तक निष्कर्ष यह निकला है कि कोरोना वायरस और ओमीक्रोन वैरियंट के खिलाफ वैक्सीन की दो डोज काफी नहीं है क्योंकि वैक्सीन की दो डोज से पर्याप्त न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी नहीं बनते जिससे ओमीक्रोन के खतरे को कम किया जा सके इसलिए ब्रिटेन में बूस्टर डोज देने का काम शुरू कर दिया है।