Can depression medicines be taken on their own?| क्या डिप्रेशन की दवाइयां खुद से ली जा सकती हैं
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशो मे डिप्रेशन के शिकार मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और डिप्रेशन एक बड़ी बीमारी का रूप ले रहा है| डिप्रेशन के कारण मरीज की पॉजिटिव सोच खत्म होने लगती है और वह जल्दी ही किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाता है |ऐसे में वक्त पर इलाज और अपनों का साथ उसे इस बीमारी से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
डिप्रेशन के दौरान मानव के मन में कई सारे सवाल होते हैं ,मगर उनके जवाब सारे निराशाजनक और अनिश्चित होते हैं |एक तरह से डिप्रेशन का शिकार मरीज जीवन के उस दौर पर खड़ा होता है जहां पर बहुत कम उम्मीदें नजर आती है |पहले जहां यह बीमारी महानगरों में होती थी अब महानगर से निकलकर छोटे-छोटे कस्बों में भी पहुंच चुकी है| इसकी शिकार ना केवल युवा और बुजुर्ग है, बल्कि कई स्कूल जाने वाले बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं| आमतौर पर डिप्रेशन से उबरने के लिए परिवार दोस्त और आसपास का माहौल काफी मददगार साबित होता है |
एक फेमस साइकोलॉजिस्ट के अनुसार -"डिप्रेशन के हालत अचानक से नहीं होते है |लंबे वक्त तक बदलती लाइफस्टाइल रिश्तो में आते उतार-चढ़ाव और वक्त के साथ लोगों के प्रति बदलते इमोशन के कारण धीरे-धीरे व्यक्ति उम्मीद खोने लगता है और वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है|"
यह बीमारी जितनी तेजी से फैल रही है उतना ही ज्यादा इस बीमारी के इलाज के साथ जुड़ा हुआ तथ्य भी भ्रम के रूप में फैल रहा है| कई लोग डिप्रेशन को पागलपन की पहली शुरुआत मान लेते हैं| मगर ऐसा नहीं है| डिप्रेशन किसी भी प्रकार का कोई पागलपन नहीं है |कोई भी व्यक्ति मेंटल डिसऑर्डर की चपेट में आ सकता है| आंकड़ों की मानें तो हर 100 में से 60 व्यक्ति किसी ने किसी तरह से डिप्रेशन का शिकार जरूर है|
डिप्रेशन के लक्षण-
•व्यक्ति अक्सर खोया खोया या उदास रहता है|
• हर बात के लिए खुद को बेबस महसूस कर कर खुद को कोसता रहता है|
• डिप्रेशन का सबसे बड़ा लक्षण यह है ,कि व्यक्ति या तो ठीक तरह से अपनी नींद पूरी नहीं कर पाता है या फिर अत्यधिक सोता है|
• डिप्रेशन का शिकार व्यक्ति को कभी भूख नहीं लगती और कभी-कभी वह सिर्फ खाता ही चला जाता है |
•खुशियों के मौकों को इग्नोर कर देता है|
• उसे लगातार सर दर्द ,बदन दर्द की शिकायत रहती है|
• हर बात का चीढ़कर या झलाकर ही जवाब देता है|
डिप्रेशन का इलाज-
1- खुद को अधिक से अधिक व्यस्त रखने की कोशिश करें |डिप्रेशन के समय यदि आप अपनी हॉबी के कार्य करेंगे तो आपको अच्छा महसूस होता है|
2- शराब सिगरेट कैफीन आदि नशे से दूर रहे|
3- लोगों से मिली जुली मुमकिन हो तो किसी से अपनी मन की बात शेयर करें|
4- दर्द होने पर पेन किलर लेने से बचें ज्यादा जरूरत लगे तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें|
5- पोषण से भरपूर खाना खाए| जिसमें सभी तरह के प्रोटीन विटामिन और मिनरल्स मौजूद हो जैसे कि- ओट्स, गेहूं ,अंडे ,दूध ,दही ,पनीर, हरी सब्जियां और मौसमी फल|
6- एंटी ऑक्सीडेंट विटामिन सी वाली चीजें जैसे कि ब्रोकली, सीताफल ,पालक ,अखरोट ,कीवी ,शकरकंद, जामुन ,ब्लूबेरी ,कीवी, संतरा |इसके अलावा आप ओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए फ्लेक्स सीडस, नट्स, सोयाबीन ,आदि का उपयोग कर सकते हैं|
7- अपने डॉक्टर से मिले- किसी काम में मन न लगना लगातार उदास रहना जैसे लक्षण कुछ देर होने के बाद डिप्रेशन का रूप ले लेते हैं |अगर लगातार 10 दिन तक उदासी बनी रहे तो अपने फिजिशियन से जरूर मिले या फिर फिजिशियन की सलाह पर साइकोलॉजिस्ट या फिर साइकेट्रिस्ट से भी मिल सकते हैं |डॉक्टर आप के इलाज के लिए एंटीडिप्रेसेंट देता है |दवाइयों का लगातार इस्तेमाल आपको राहत देता है और डिप्रेशन से निकलने में काफी मददगार साबित होता है| मगर यदि यह दवाइयां डॉक्टर की निगरानी में ली जाए तो ही इन दवाइयों के कई सारे फायदे हैं |क्योंकि इन दवाइयों का उपयोग बीमारी की हालत को समझ कर उस हिसाब से तय करता है |इस दवाई के फायदे से ज्यादा साइड इफेक्ट है |इसके साइड इफेक्ट हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं लेकिन साइड इफेक्ट होते जरूर है|
मगर कई लोग डॉक्टर के पास जाने की वजह खुद से ही दवाई लेने की कोशिश करते हैं| आज दुनिया में फार्मास्यूटिकल कंपनी के लिए एंटीडिप्रेसेंट की दवाइयां सबसे बड़ा बाजार बन चुकी है| लोग बिना डॉक्टर की सलाह के खुद ही दवाइयां लेना शुरू कर देते हैं |मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डिप्रेशन से बचने के लिए ली गई इन दवाओं का हमारे शरीर पर बुरा असर होता है |यह शरीर में सेराटोनिन नामक पदार्थ के अवशोषण को रोक देती है |जिससे शरीर के अंग ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं|
एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों के नुकसान-
1- वजन बढ़ता है- एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों के सेवन करने वाले कई मरीजों ने अपना वजन बढ़ने की शिकायत की है |रिसर्च में भी यह साबित हो गई है, कि लगातार एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां खाने से व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है|
2- व्यक्ति हर वक्त नींद के आगोश में रहता है- जो मरीज लगातार एंट्री रिप्लेसमेंट दवाइयों का सेवन करते हैं| वह लोग रात को ठीक तरह से नहीं सो पाते हैं |किसी तरह यदि सोने में सफल भी हो जाए तो उन्हें आधी रात के बाद उठना ही होता है या फिर उन्हें बुरे सपने नजर आने लगते हैं |कई मरीज तो नींद में टहलने निकल जाते हैं| यह स्थिति बहुत जोखिम भरी होती है| इसका दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि व्यक्ति रात को ठीक तरह से सो नहीं पाता है उसके बाद दिन में दवाओं के नशे के कारण नींद के आगोश में रहता है| उसे ऐसा लगता है कहीं भी कैसे भी मौका मिले तो तुरंत एक झपकि ले लूं|
3- शारीरिक परेशानियां- एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का लंबे समय तक सेवन करने से शरीर में कई सारे साइड इफेक्ट नजर आते हैं| लक्षणों में पहले सर दर्द, जोड़ों का दर्द, मतली, स्किन पर चकत्ते, मांसपेशियों का दर्द और डायरिया शामिल है |आमतौर पर यह लक्षण अस्थाई होते हैं और स्वभाव में भी हल्के होते हैं| लेकिन फिर भी इन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता है| किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर इन दवाइयों का सेवन रोक देना पड़ता है|
4- मूड स्विंग होना- आप मूड स्विंग्स से बचने के लिए लगातार एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का सेवन करते हैं |मगर जब लंबे समय तक आप इन दवाइयों का सेवन करते हैं तो आपका मूड इन्हीं दवाइयों पर निर्भर हो जाता है| दवाइयों के जरिए आपके दिमाग में एंटिस्ट्रेस अनमोल रिलीज होते हैं |जिसके कारण आप खुद को रिलैक्स महसूस करते हैं |मगर समय के साथ इन दवाइयों के लगातार सेवन करने पर आप बिना इन दवाइयों के खुश नहीं रह पाते हैं|
5- ब्लड प्रेशर की समस्या होना- एंटीडिप्रेसेंट दवाइयां आपको कुल रखने की कोशिश करती है |मगर इस को एक नकारात्मक असर यह होता है ,कि इसके कारण आपका ब्लड प्रेशर भी लो होने लगता है |कभी-कभी तो यह स्थिति निर्मित हो जाती है ,कि आपको ब्लड प्रेशर मेंटेन रखने के लिए अलग से दवाई लेनी पड़ती है|
6- कॉन्फिडेंस कम होना- जब आपके शरीर में लगातार स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है ,तो यह ना केवल आपको तनाव देता है बल्कि और अधिक बेहतर काम करने के लिए एनर्जी और प्रेरणा भी प्रोवाइड करता है| मगर जब आप अपने दिमाग को इन दवाइयों के माध्यम से तनाव मुक्त रखने की कोशिश करते हैं तो कहीं ना कहीं आपका स्ट्रेस हार्मोन लो होने लगता है और आपको बेहतर काम करने की प्रेरणा और एनर्जी नहीं मिल पाती है| इस कारण आपका कॉन्फिडेंस भी कम होने लगता है|
7- सेक्स लाइफ पर असर- एंटी स्ट्रेस और एंटी डिप्रेशन दवाइयों को लेने से अधिकांश लोगों की सेक्स लाइफ प्रभावित होती है| यह सेक्स हार्मोन के बनने की प्रक्रिया को कमजोर करता है| यह महिलाओं की सेक्स डिजाइर को ज्यादा प्रभावित करता है| महिलाओं में इन दवाइयों के सेवन से लो लिबिडो देखने में आता है|
इन दवाइयों के इतने सारे साइड इफेक्ट होने के अलावा भी और कई सारे साइड इफेक्ट है जो अलग-अलग लोगों में अलग अलग नजर आते हैं |इसलिए जहां तक हो सके दवाइयों पर निर्भर होने के बजाय योग और एक्सरसाइज जैसी चीजों को अपनाकर डिप्रेशन से बाहर निकलने की कोशिश करें |मगर फिर भी यदि दवाई लेने की जरूरत पड़े तो डॉक्टर की निगरानी में ही यह दवाई लेनी चाहिए क्योंकि डॉक्टर आपकी परेशानी को समझकर उस हिसाब से एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का ड़ोज तैयार करता है|
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