How to prevent skin cancer? / स्किन कैंसर से कैसे बचा जाए
स्किन कैंसर क्या होता है-
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी और ऊपर से बढ़ते प्रदूषण और अनियमित खानपान से कैंसर जैसी बीमारी बहुत आम हो चली है |आज 10 में से पांच लोग किसी न किसी तरह के कैंसर से जूझ रहे हैं| अलग अलग कैंसर का अलग अलग तरह का रूप होता है |आज हम यहां स्किन कैंसर की बात कर रहे हैं|
त्वचा की किसी भी कोशिका का असामान्य रूप से बढ़ना स्किन कैंसर कहलाता है| स्किन कैंसर मुख्यता उन लोगों को होता है जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों में अपना अत्यधिक समय व्यतीत करते हैं| धूप के सीधे संपर्क में आने से तीन तरह का स्किन कैंसर हो सकता है|
• बेसल सेल कार्सिनोमा- बेसल सेल कार्सिनोमा आमतौर पर शरीर के उन हिस्सो मे होता है, जो धूप के सीधे संपर्क में आते हैं |जैसे कि चेहरा गर्दन आदि| इस कैंसर में त्वचा पर मोतिया मोम के रंग जैसा उभार हो जाता है या फिर भूरे रंग के घाव की तरह निशान हो जाता है|
• स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा- स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा सांवली त्वचा के लोगों के शरीर के उस हिस्से पर होता है जो त्वचा धूप के संपर्क में नहीं आ पाती है| इस तरह के कैंसर में शरीर पर एक कठोर और लाल गाठ के रूप कैंसर उभर कर आता है| कई बार सपाट घाव के रूप में पपड़ी नुमा कैंसर की गठान भी हो जाती है|
• मेलानोमा- महीनों में शरीर में कहीं भी विकसित हो सकता है| यदि शरीर पर अचानक से कोई तिल या मस्सा नजर आए तो यह मेलानोमा का एक रुप हो सकता है| इसके अलावा यदि पुराने तिल या मस्से में से खून आने लगी है ,उसका आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगे तो वह भी मेलानोमा का एक रुप हो सकता है|
स्किन कैंसर होने के मुख्य कारक
• स्किन कैंसर वैसे तो किसी भी स्किन टोन के लोगों को हो सकता है ,लेकिन गोरी त्वचा में मेलेनिन कम होते हैं |इस कारण यह सूर्य की किरणों से कम सुरक्षा प्रदान कर पाते हैं|
• बचपन या किशोरावस्था के दौरान सनबर्न के कारण एक या अधिक बार छाले या फफोले बन गए हो तो युवावस्था के आते-आते स्किन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है|
• धूप में ज्यादा समय तक रहना भी, स्कीन कैंसर का एक महत्वपूर्ण कारक है |यदि धुप में रहते समय पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े ना पहने या सनस्क्रीन का इस्तेमाल ना करें तो कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है|
• स्किन कैंसर पर मौसम भी असर डालता है |ठंडी जगह पर रहने वाले लोगों की अपेक्षा अधिक गर्म जगह पर रहने वाले लोगों को स्किन कैंसर के चांसेस ज्यादा होते हैं| वही पहाड़ों पर रहने वाले लोगी को भी मैदान में रहने वाले लोगों की अपेक्षा स्किन कैंसर का जोखिम ज्यादा रहता है|
• रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना ,एक्स-रे जैसे रेडिएशन में बार-बार संपर्क में आना ,प्रिजर्वेटिव युक्त खानपान का लगातार इस्तेमाल आदि भी कैंसर होने का कारण बन सकते हैं|
स्किन कैंसर का परीक्षण-
अगर आपकी त्वचा पर कोई तिल या निशान है और वह तेजी से आकार बदल रहा है |उसमें धीरे-धीरे खुजली आती है या फिर खून का रिसाव हो रहा है| त्वचा के आसपास लाल या काले धब्बे बनने लगे या फिर शरीर के किसी हिस्से में त्वचा की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़कर किसी फोड़े फुंसि या छाले का रूप ले ले | यदि लगातार छह हफ्तों तक दवा लेने के बावजूद भी इस स्थिति में सुधार ना बने तो कैंसर रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें| यह सारी स्थिति त्वचा के कैंसर के कारन हो सकती है|
कैंसर का इलाज-
1- फ्रीजिंग- स्किन कैंसर यदि अपने प्रथम चरण में हो तो यह तकनीक काफी उपयोग में ली जाती है |डॉक्टर एक्टनिक केराटॉसिस और प्रारंभिक कैंसर के हिस्से को तरल नाइट्रोजन से फ्रिज कर कर नष्ट कर देते हैं| नष्ट हो चुके त्वचा के उत्तक गल कर शरीर से बाहर हो जाते हैं|
2- एक्सिसजनल सर्जरी- यह उपचार लगभग हर प्रकार के कैंसर के लिए अपनाया जाता है| इसमें डॉक्टर कैंसर ग्रसित हिस्से को स्वस्थ इसे के आसपास से काटकर बाहर निकाल देते हैं |कुछ मामलों में गंभीर स्थिति होने पर घाव के आसपास की कुछ स्वस्थ त्वचा को भी निकालना पड़ जाता है|
3- मोहस सर्जरी- इस प्रक्रिया का इस्तेमाल अत्यधिक बड़े एवं बार-बार होने वाले स्किन कैंसर जिनका इलाज करना कठिन होता है ,उसके लिए किया जाता है| ज्यादातर डॉक्टर इस तकनीक का इस्तेमाल शरीर के उस हिस्से के लिए करते हैं जिनका बचाना बहुत जरूरी होता है|
4- रेडिएशन थेरेपी- कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए रेडिएशन थेरेपी में एक्सरे जैसे हाई पावर वाले एनर्जी बीम का इस्तेमाल किया जाता है| सर्जरी के दौरान अगर कैंसर कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट ना हो पाए तब भी रेडिएशन थेरेपी स्किन कैंसर के इलाज के लिए काफी कारगर साबित होती है|
5- कीमोथेरेपी- इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए डॉक्टर दवाइयों का प्रयोग करते हैं, जो कैंसर कोशिकाएं त्वचा के ऊपर होती है |उन्हें मारने के लिए एंटी कैंसर एजेंट से युक्त क्रीम और लोशन का इस्तेमाल किया जाता है |इसके अलावा शरीर के दूसरे भाग में कैंसर को पहुंचने से रोकने के लिए सिस्टमैटिक कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है|
6- फोटोडायनेमिक थेरेपी- फोटोडायनेमिक थेरेपी लेजर लाइट और दवाई दोनों का संयोजन होती है| इसमें दवाइयों की मदद से कैंसर कोशिकाओं को लेजर लाइट के प्रति संवेदनशील बनाया जाता है और फिर लेजर लाइट की मदद से उन्हें नष्ट कर दिया जाता है|
स्किन कैंसर से बचाव-
थोड़ी सी सतर्कता और ध्यान रखकर ज्यादातर स्किन कैंसर के मामलों को रोका जा सकता है| स्किन कैंसर को रोकने के लिए आप निम्न उपाय अपना सकते हैं|
1- डायरेक्ट सनलाइट में आने से बचें- वैसे तो सूरज की रोशनी विटामिन डी का काफी अच्छा स्त्रोत होता है ,मगर जब धूप बहुत तेज होती है, तो सूर्य की पराबैंगनी किरणें हमारा शरीर अवशोषित करने लगता है |सूर्य की पराबैंगनी किरणों से सनबर्न और टेनिन्ग होता है| सनबर्न धीरे धीरे स्किन कैंसर का रूप ले सकता है| इसलिए दिन के मध्य समय में सूरज के सीधे संपर्क में आने से बचना चाहिए| क्योंकि इस समय सूर्य की पराबैंगनी किरणें शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं|
2- करे सनस्क्रीन का इस्तेमाल- सनस्क्रीन के नियमित इस्तेमाल से सूर्य की पराबैंगनी हानिकारक किरणे हमारी स्किन अवशोषित नहीं कर पाती है, खासकर वे विकिरण जो मेलनोमा को विकसित करती है, उनसे सनस्क्रीन हमारी रक्षा करता है| कम से कम 15 एसपीफ के साथ एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगातार हर 2 घंटे में हल्के हाथों से शरीर पर लगाएं| यदि आप स्विमिंग कर रहे हैं या फिर आप कहीं धूप में ऐसी जगह काम कर रहे हैं आपको लगातार पसीना आ रहा है, तो आप धूप के संपर्क में आने वाले हिस्से जैसे होठ, कान , गर्दन और हाथों के पिछले हिस्से आदि पर सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें|
3- सुरक्षात्मक कपड़े पहने- सूर्य की पराबैंगनी किरणों से बचाने में सनस्क्रीन कुछ हद तक मददगार साबित होती है ,मगर पूरी तरह से सुरक्षा पता नहीं कर पाती है| ऐसे में डायरेक्ट सनलाइट में जाने के पहले अपनी त्वचा और हाथ पैरों को गहरे रंग के कपड़ों से ढक कर ही बाहर निकले| सामान्य टोपी के बजाय एक बड़ी और फैली हुई टोपी पहने जो आपके बालों के साथ-साथ चेहरे को सुरक्षा प्रदान करें|
4- संवेदनशील दवाइयों का कम उपयोग करें- अक्सर कई बार डॉक्टर की सलाह पर ली गई या फिर over-the-counter बिना प्रिसक्रिप्शन के लिए गए एंटीबायोटिक आपकी त्वचा को धूप के प्रति और ज्यादा संवेदनशील बना देती है |इन दवाइयों का सेवन करने से पहले सावधान रहें|
5- त्वचा में होने वाले बदलावों को जाचते रहे- यदि आपके शरीर पर कहीं भी अचानक से कोई तिल मस्सा या कोई निशान नजर आने लगे| उसकी समय-समय पर जांच करते रहें| यह वह समय के साथ वह बढ़ रहा है या ठीक नहीं हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें|