PCOS vs. Endometriosis/PCOS बनाम एंडोमेट्रियोसिस

PCOS vs. Endometriosis/PCOS  बनाम एंडोमेट्रियोसिस

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आधुनिक चकाचौंध ने हमारे खान पान को आधुनिक रूप में ढाल दिया है जहां भारतीय संस्कृति में दाल रोटी खा कर सब मस्त रहते थे वहीं आज पास्ता पिज्जा बर्गर यह सब प्रचलन में है जिसका परिणाम थायराइड सुगर और बीपी जैसी बीमारी,
जैसे कि महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस पॉक्स जैसी बीमारी होना एक आम बात है दोनों ही खतरनाक बीमारी है,जिनका यदि समय पर उपचार नहीं किया गया तो इसके घातक परिणाम हो सकते हैं
अब यह जानना अति आवश्यक है कि यह दोनों बीमारी क्या है यह कैसे हमारे शरीर को प्रभावित करती है क्या दोनों बीमारी एक साथ होने की संभावना है क्या इनमें कोई अंतर है इनके होने के क्या कारण होते हैं और लक्षण के साथ ही क्या इनका इलाज संभव है या नहीं
तो सर्वप्रथम

एंडोमेट्रियोसिस -

यह बीमारी जोकि महिलाओं में एक आम स्वास्थ्य समस्या है यह शब्द एंडोमेट्रियम से लिया गया है जो कि बच्चेदानी की अस्तर के टिश्यू होते हैं इसे एक गैर कैंसर वाली स्थिति भी कह सकते है और यह एंडोमेट्रियोसिस बीमारी ज्यादातर तब होती है
जब इन टिश्यू के समान टिश्यू बच्चेदानी के बाहर या हमारे शरीर के उन अन्य अंगों में बढ़ने लगते हैं जहां यह सामान्य रूप से नहीं पाए जाते और ज्यादातर एंडोमेट्रियोसिस सबसे ज्यादा इन अंगों में पाया जाता है और दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि
एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाली गर्भाशय से संबंधित एक समस्या है जिसमें गर्भाशय के अंदर के टिशू बढ़कर गर्भाशय के बाहर निकलने और फैलने लगते है और वह फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय के बाहरी और अंदरूनी हिस्सों में भी फैलने लगते हैं. जिससे महिलाओं को तेज दर्द होता है. विशेषकर जब मासिक चक्र होता है और तब यह दर्द और बढ़ जाता है. यह ऊतक गर्भाशय के अंदर वाले ऊतक की तरह ही होता है, लेकिन मासिक चक्र के समय यह बाहर नहीं निकल पाता है, जिसके कारण दर्द होने लगता है. इस समस्या के कारण महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है अतः हम कह सकते हैं कि यह एक प्रकार की दर्दनाक और खतरनाक समस्या है 
वही पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम अर्थात पॉक्स -
पॉक्स एक ऐसी स्थिति है जो एक महिला के हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है
पीसीओएस वाली महिलाएं सामान्य से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन करती हैं और हार्मोन असंतुलन के कारण उनके शरीर में मासिक धर्म आना बंद हो जाता है और अक्सर ऐसी सिचुएशन में उनके लिए गर्भवती होना कठिन हो जाता है
तथा पीसीओएस के कारण चेहरे और शरीर पर बालों का
विकास होता है और गंजापन जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती है और यह मधुमेह और हृदय रोग जैसी दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को सहयोग दैता है क्योंकि
गर्भनिरोधक गोलियां और मधुमेह की दवाएं जो इंसुलिन प्रतिरोध, एक पीसीओएस लक्षण का मुकाबला करती हैंवही हार्मोन असंतुलन को ठीक करने और लक्षणों में सुधार करने में मदद करती हैं,
अंतत हम कह सकते हैं कि पीसीओ अर्थात पीसीओएस एक हार्मोनल विकार है जो अंडाशय को प्रभावित करता है और पीसीओएस की प्राथमिक विशेषताओं में शामिल हैं:
.1.अनियमित या कोई अवधि नहीं
2.एण्ड्रोजन का उच्च स्तर
3.एक या दोनों अंडाशय में सिस्ट
यदि पीसीओएस बीमारी से ग्रस्त है, तो आपको उपरोक्त में से कम से कम दो स्थितियां होने की संभावना है तथा डिम्बग्रंथि के सिस्ट के बिना पीसीओएस होना भी  संभव है,
पीसीओएस के सामान्य लक्षण - ज्यादातर लक्षण महिलाओं को  माहवारी के समय के आसपास दिखाई देने लगते हैं जैसे  उनका वजन बहुत बढ़ गया है या उन्हें गर्भवती होने में परेशानी महसूस होती है और अन्य सबसे आम पीसीओएस लक्षण हैं: -
1.• अनियमित पीरियड्स  - ओव्यूलेशन की कमी हर महीने गर्भाशय की परत को बहने से रोकती है और पीसीओएस बीमारी से पीड़ित कुछ महिलाओं को साल में आठ बार से कम पीरियड्स आते हैं या बिल्कुल नहीं यदि ऐसा है तो आप इस बीमारी से संक्रमित है,
2• भारी रक्तस्राव - इस बीमारी में गर्भाशय की परत लंबे समय तक बनी रहती है जिस कारण मासिक धर्म सामान्य से अधिक भारी होते हैं
3• बालों की बढ़वार - इस स्थिति वाली 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के चेहरे और शरीर पर बाल उग आने का आशय है कि आपको पॉक्स बीमारी है,
अब यह जानते हैं कि क्या एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस एक साथ हो सकते हैं और इनमें क्या कोई भिन्नता है तो सर्वप्रथम -
डाक्टर का कहना है कि एक ही समय में महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस दोनों हो सकते हैं और 2015 के एक अध्ययन में पाया गया कि पीसीओएस वाली
महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना अधिक होती है
तथा 2014 के एक अध्ययन ने यह निर्धारित किया कि
पैल्विक दर्द और / या गर्भवती होने में परेशानी के साथ एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के बीच एक मजबूत संबंध भी है और वही 2011 के एक पुराने अध्ययन से पता चलता है कि पीसीओएस में एण्ड्रोजन और इंसुलिन का उच्च स्तर अप्रत्यक्ष रूप से एस्ट्राडियोल को बढ़ा सकता है जिससे एंडोमेट्रियोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है,
अंतत हम कह सकते हैं कि एंडोमेट्रियोसिस और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ऐसे विकार हैं जो प्रजनन आयु के योनि वाली महिलाओं को प्रभावित करते हैं इसमें 12 से 52 वर्ष के बीच की महिला शामिल हैं और इन दोनों स्थितियों में मासिक धर्म की समस्या होती है, जिससे भारी रक्तस्राव होता है और वे गर्भवती होने में भी मुश्किल करते हैं,
हालांकि, अन्य लक्षण अलग हैं क्योंकि वे विभिन्न हार्मोनल
मुद्दों को भी शामिल करते हैं क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस
अतिरिक्त एस्ट्रोजन एक महिला हार्मोन से जुड़ा हुआ
है जबकि पीसीओएस अतिरिक्त एण्ड्रोजन, या पुरुष हार्मोन
के कारण होता है लेकिन एक ही समय में दोनों स्थितियों का होना भी संभव है,
लक्षण
(एंडोमेट्रियोसिस                      ( पॉक्स
भारी रक्तस्राव                         भारी रक्तस्राव
पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग         
                                             अनियमित अवधि दर्दनाक अवधि
                                            मिस्ड पीरियड्स
माहवारी से पहले पैल्विक दर्द
                                              पेडू में दर्द
सेक्स के दौरान या बाद में दर्द
        
दर्दनाक पेशाब या मल त्याग
                                          सिर पर बालों का झडना
गर्भवती होने में कठिनाई
                                        गर्भवती होने में कठिनाई
पाचन संबंधी समस्याएं
                                               मुंहासा
थकान
                                             तेलीय त्वचा
कम ऊर्जा)
                                         काली, मोटी त्वचा )
अब यह जानते हैं कि एंडोमेट्रियोसिस बनाम पीसीओएस
कितना आम है
तो एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस उन महिलाओं में आम हैं जिनकी योनि है और जो प्रजनन आयु की हैं
जहां तक एंडोमेट्रियोसिस के लिए 2018 के एक अध्ययन का अनुमान है कि10 से 15 प्रतिशत महिलाओं के पास
यह है,
वहीं पीसीओएस के साथ, 2017 के एक अध्ययन में पाया
गया कि यह प्रसव उम्र की 5 से 20 प्रतिशत महिलाओं
को प्रभावित करता है, साथ ही इसी अध्ययन में यह भी पाया गया कि लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं जो ओव्यूलेशन की कमी के कारण बांझपन का अनुभव कर रही हैं उनमें पीसीओएस बीमारी है,
एंडोमेट्रियोसिस बनाम पीसीओएस का निदान -
एंडोमेट्रियोसिस के लिए इलाज करने की विधियां -
1• चिकित्सा इतिहास: इसका आशय है पारिवारिक इतिहास,
2• श्रोणि परीक्षाः वे निशान और द्रव्यमान की जांच कर इस बीमारी का इलाज करने का प्रयास करेंगे,
3.इमेजिंग टेस्टः एक इमेजिंग टेस्ट, जैसे अल्ट्रासाउंड या एमआरआई, आपके अंगों की विस्तृत छवियां तैयार करने में सक्षम है,
4. रक्त परीक्षण: - यह भड़काऊ मार्करों और हार्मोन के असामान्य स्तर की पहचान करता है,
5. लैप्रोस्कोपी: - एक सर्जन एक छोटा चीरा बनाता है और असामान्य ऊतक वृद्धि की जांच करता है,

पीसीओ

1.चिकित्सा इतिहास: -  पारिवारिक इतिहास और स्वास्थ्य की स्थिति डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करती है कि पीसीओएस एक संभावित कारण है या नहीं,
2.श्रोणि परीक्षा: -यह अल्सर और अन्य वृद्धि की तलाश करने की अनुमति देता है,
3.अल्ट्रासाउंड: - एक अल्ट्रासाउंड अंडाशय और गर्भाशय की एक छवि बनाता है,
इन तरीकों से इन दोनों बीमारी का इलाज संभव है,
इस तरह हम कह सकते हैं कि यह दोनों बीमारी आम है और यह उन सभी महिलाओं को हो सकती है जिनकी योनि है और जो प्रजनन आयु की हैं साथ ही कुछ भिन्नता भी है जैसे  एंडोमेट्रियोसिस अतिरिक्त एस्ट्रोजन एक महिला हार्मोन से जुड़ा हुआ है,
जबकि पीसीओएस अतिरिक्त एण्ड्रोजन, या पुरुष हार्मोन
के कारण होता है लेकिन एक ही समय में दोनों स्थितियों का होना भी संभव है,
तथा इनके लक्षणों के साथ साथ इनके इलाज के उपायों में भी काफी भिन्नता है,
इस तरह हम कह सकते हैं कि दोनों में काफी विभिन्नताएं होने के बावजूद कुछ चुनिंदा बातें एकसमान है जिस कारण महिलाओं में यह दोनों बीमारी होना स्वाभाविक है।
 
























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