Symptoms of cervical cancer/ सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
जीवन में दुख और बीमारी समय की चलती सुई की भांति होते हैं कभी खुशियों की बहार है तो कभी दुखों के बादल,कभी एशो आराम की जिंदगी तो कभी लाचारी कभी सुख तो कभी बीमारी,
और ऐसे में भागदौड़ भरी जिंदगी जहां काम की इतनी व्यस्तता है कि स्वास्थ्य के ऊपर किसी का ध्यान नहीं है जिसके कारण हम अनेकों घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं जैसे कैंसर आदि,
कैंसर एक ऐसी घातक बीमारी है जिसका पहले इलाज संभव नहीं था लेकिन वर्तमान में मानव की अद्वितीय क्षमता ने इस असंभव को संभव कर दिखाया आज बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं अच्छे हॉस्पिटल है चिकित्सक दवाओं की छूट है लेकिन आवश्यकता है शरीर द्वारा दिए गए संकेतो को समझना क्योंकि जिस प्रकार खराब मशीन बंद होने से पहले कुछ संकेत देती है उसी भांति हमारा शरीर भी,
और आज मानव की अद्वितीय क्षमता ने हर बीमारी के इलाज को संभव और आसान बना दिया है समाज की और से नयी नयी योजनाएं चलाकार गरीब मध्यमवर्गीय परिवार के लिए इलाज की सुविधाएं उपलब्ध कराई है इसलिए गरीब मध्यमवर्गीय जो महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए अनिच्छुक होती हैं क्योंकि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं ये कि उन पर खर्च कर सके और यही कारण है कि गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर बढ़ने की प्रवृत्ति अधिक होती हैऔर यदि समय पर इसका निदान और उपचार नहीं किया जाता तो यह शरीर के अन्य भागों में फैल और अधिक घातक रूप धारण कर लेता है,
और एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर के कुल मामलों का 16.5 प्रतिशत सर्वाइकल कैंसर के अंतर्गत है और यह स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम प्रकार का कैंसर है जिसके अकेले 2018 में 96,922 नए मामले दर्ज हुए हैं हालांकि सभी ने इस सर्वाइकल कैंसर के बारे में सुना है लेकिन यह कैसे क्यों होता है इसके कारण लक्षणों के बारे में कोई नहीं जानता,
इसका एक कारण हमारी अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही है क्योंकि बीमारी यूं अचानक हमारे शरीर को प्रभावित नहीं करती अपितु कुछ कारणो के कारण हम इस बीमारी के शिकार होते है और जिनके परिणाम अत्याधिक
घातक होते हैं इसलिए सर्वप्रथम यह जानना अति आवश्यक है कि यह सर्वाइकल कैंसर क्या है इसके क्या कारण और लक्षण है तथा इसका उपचार क्या है तो सबसे पहले
सर्वाइकल कैंसर क्या है - नाम से ही स्पष्ट है कि सर्वाइकल कैंसर कैंसर का एक रूप या अंग है जो प्रायः गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं को प्रभावित करता है जोकि
गर्भाशय का निचला हिस्सा होता है और योनि से जुड़ता है हालांकि सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले ह्यूमन
पैपिलोमावायरस के कारण होते हैं और यह वायरस
आमतौर पर यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है हालांकि
शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली एचपीवी वायरस को
गंभीर नुकसान पहुंचाने से रोक सकती है लेकिन कुछ महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हो जाती हैं और पुरुष हो या महिला दोनों एचपीवी से संक्रमित हो जाते हैं और यह बिना किसी लक्षण के वर्षों तक मौजूद रहता है
चूंकि भारत में ज्यादातर महिलाएं गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए अनिच्छुक होती हैं इसी कारण गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर बढ़ने की प्रवृत्ति अधिक होती हैऔर यदि समय पर इसका निदान और उपचार नहीं किया जाता तो यह शरीर के अन्य भागों में फैल और अधिक घातक रूप धारण कर लेता है,
सर्वाइकल कैंसर के विभिन्न चरण है और विभिन्न चरणों में शामिल हैं:
1 स्टेज एक : कुछ कैंसर केवल गर्भाशय ग्रीवा में पाया जाता है,
2 चरण दो : कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से आगे फैल गया है
लेकिन श्रोणि की दीवार तक नहीं फैला होता,
3 चरण तीन : कैंसर योनि के निचले तीसरे भाग में प्रवेश कर चुका होता है, और श्रोणि की दीवार और आस-पास के लिम्फ नोड्स में फैल भी सकता है और नहीं भी,
4 चरण चार : यह सर्वाइकल कैंसर का सबसे उन्नत चरण होता है क्योंकि इस चरण में, कैंसर मूत्राशय,मलाशय और शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है,
सर्वाइकल कैंसर क्या है यह जानने के बाद यह जानना अति आवश्यक है कि यह कब प्रभावी होता है तो
सर्वाइकल कैंसर तब प्रभावी या शुरू होता है जब गर्भाशय ग्रीवा में स्वस्थ कोशिकाएं अपने डीएनए में परिवर्तन विकसित कर लेती हैं और एक कोशिका के डीएनए में निर्देश होते हैं जो एक कोशिका को बताते हैं कि क्या करना
है और जहां सर्वाइकल कैंसर शुरू होता है स्वस्थ कोशिकाएं एक निर्धारित दर से बढ़ती और गुणा करती हैं, अंततः एक निर्धारित समय पर मर जाती हैं उत्परिवर्तन कोशिकाओं को बढ़ने और नियंत्रण से बाहर होने के लिए कहते हैं और वे मरते नहीं हैं जमा होने वाली असामान्य कोशिकाएं एक द्रव्यमान (ट्यूमर) बनाती हैं और कैंसर कोशिकाएं
आस-पास के ऊतकों पर आक्रमण करती हैं और शरीर में कहीं और फैलने के लिए ट्यूमर से टूट जाती हैं
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का क्या कारण है लेकिन यह निश्चित है कि एचपीवी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और एचपीवी बहुत आम है, और वायरस वाले अधिकांश लोग हालांकि कभी कैंसर विकसित नहीं करते,
हालांकि प्रारंभिक चरण में सर्वाइकल कैंसर आमतौर पर कोई लक्षण पैदा नहीं करता है,
और अधिक उन्नत गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के निम्न लक्षण और कारण हैं:
1.मादा प्रजनन
2• संभोग के बाद, मासिक धर्म की प्रणाली
4• बीच या रजोनिवृत्ति के बाद
5• योनि से खून बहना
6• पानीदार, खूनी योनि स्राव जो भारी हो सकता है और
जिसमें दुर्गंध हो सकती है.
7• पैल्विक दर्द या संभोग के दौरान दर्द इत्यादि,
8. एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली क्योंकि यदि आपकी
प्रतिरक्षा प्रणाली किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति से कमजोर है और आप एचपीवी वायरस से संक्रमित है, तो आपको सर्वाइकल कैंसर होने की अधिक संभावना होती है,
9• धूम्रपान - धूम्रपान स्क्वैमस सेल सर्वाइकल कैंसर से
जुड़ा है इसलिए यह भी एक कारण है,
10.गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर अर्थात सर्वाइकल कैंसर तब
होता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा के अस्तर में असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन का संकीर्ण हिस्सा होता है तथा कभी कभी कम उम्र में कई यौन संबंध होने या यौन सक्रिय होने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास की संभावना बढ़ जाती है,
सर्वाइकल कैंसर के प्रकार
1• त्वचा कोशिकाओं का कार्सिनोमा - इस प्रकार का
सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के बाहरी हिस्से की पतली, सपाट कोशिकाओं में शुरू होता है और जो योनि में प्रोजेक्ट करता है और अधिकांश सर्वाइकल कैंसर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा होते हैं
2. एडेनोकार्सिनोमा - यह भी सर्वाइकल कैंसर का एक प्रकार है और इस प्रकार का सर्वाइकल कैंसर स्तंभ के आकार की ग्रंथियों की कोशिकाओं में शुरू होता है जो सर्वाइकल कैनाल को लाइन करती हैं और कभी-कभी, दोनों प्रकार की कोशिकाएं सर्वाइकल कैंसर में शामिल होती हैं और बहुत कम गर्भाशय ग्रीवा की अन्य कोशिकाओं में कैंसर होता है,
अतः हर बीमारी उतनी खतरनाक नहीं जितना हम समझते हैं अगर जल्दी और सही इलाज आप कराते हैं तो बड़ी से बड़ी बीमारी से आप छुटकारा पा सकते हैं, और वह उपाय है
सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम करने के लिए आवश्यक बातें
•1 अपने डॉक्टर से एचपीवी वैक्सीन के बारे में पूछे - अक्सर महिलाएं अपनी बीमारी डॉक्टर को बताने से कतराती हैं या फिर जांच नहीं कराती लेकिन यह बीमारी को और अधिक घातक बनाता है इसलिए डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि एचपीवी संक्रमण को रोकने के लिए टीकाकरण प्राप्त करने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और अन्य एचपीवी से संबंधित कैंसर का खतरा कम हो जाता है
•2 नियमित पैप परीक्षण करवाएं - पैप परीक्षण अर्थात इसकाआशय है कि यह गर्भाशय ग्रीवा की पूर्वकैंसर स्थितियों का पता लगा सकने में सक्षम हैं,इसलिए गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को रोकने के लिए इस परीक्षण का उपयोग किया जाता है
और इस तरह आप सर्वाइकल कैंसर से निजात पा सकते हैं।