What is the difference between sugar and other natural sweeteners and artificial sweeteners?/ चीनी अन्य प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास में क्या अंतर है

What is the difference between sugar and other natural sweeteners and artificial sweeteners?/  चीनी अन्य प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास में क्या अंतर है

What is the difference between sugar and other natural sweeteners and artificial sweeteners?/  चीनी अन्य प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास में क्या अंतर है_ichhori.com



आजकल आर्टिफिशियल अर्थात कृत्रिम स्वीटनर अर्थात मिठास का इस्तेमाल काफ़ी चलन में है जिसे हम सामान्य भाषा मे आर्टिफ़िशयल स्वीटनर, लो कैलोरी स्वीटनर, इंटेंस स्वीटनर जैसे कई नामों से जानते है, पर क्या वास्तव में यह आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है यह विवाद आज भी बना हुआ है,
   कि प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास की तुलना में कौन अधिक फायदेमंद और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है क्योंकि हम क्या खाते है और क्या नहीं इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर हमेशा पड़ता है तो सबसे पहले यह जानना अति आवश्यक है कि प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास क्या है और हमें किनका इस्तेमाल करना चाहिए और किनका नहीं और इनके बीच के अंतर लाभ हानि सभी का ज्ञान होना अति आवश्यक है क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी हुई एक खास बात है तो सबसे पहले -

चीनी के विकल्प मुख्य रूप से दो समूहों में विभाजित
हैं: प्राकृतिक और कृत्रिम मिठास,
और ये मिठास मुख्य रूप से कन्फेक्शनरी उत्पादों के उत्पादन में एक मुख्य घटक के रूप में उपयोग होते हैं,


1. प्राकृतिक मिठास क्या हैं -
प्राकृतिक मिठास या शर्करा मुख्य रूप से जानवरों या पौधों के स्रोतों से निकलकर एक प्राकृतिक प्रक्रिया के परिणामस्वरूप प्राप्त होते हैं जैसे कि पौधे में प्रकाश
संश्लेषण, ये चीनी विकल्प कैलोरी और फ्रुक्टोज में कम और स्वाद में बहुत मीठे होते हैं, जिस कारण प्राकृतिक मिठास को एक अच्छा चीनी विकल्प माना गया है  जिसका एक कारण यह है कि इनके पास खाना पकाने और अन्य पेय पदार्थों में उपयोग किए जाने वाले परिष्कृत शर्करा की
तुलना मे कैलोरी नहीं होती है और ये कृत्रिम मिठास की तुलना में सकारात्मक स्वास्थ्य परिणाम दर्शाते हैं,


कृत्रिम मिठास क्या हैं
चीनी के एक विकल्प कृत्रिम मिठास मुख्य रूप से संश्लेषित यौगिक होते हैं जो चीनी के समान ही मीठा स्वाद देते हैं, लेकिन इनमें खाद्य ऊर्जा काफी कम होती है, और इसका एक दुष्प्रभाव यह भी है कि कृत्रिम मिठास का अत्यधिक प्रयोग हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों से जुड़ा है,
क्योंकि कृत्रिम मिठास मुख्य रूप से मोटापे, मधुमेह, हृदय रोग, मनोभ्रंश,धब्बेदार अध: पतन और दांतों की सड़न से जुड़ा हुआ है
यही कारण है कि  यूरोपीय संघ के खाद्य योज्य और अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन सहित विभिन्न खाद्य
विनियमन निकाय कृत्रिम मिठास को खाद्य योजक के रूप में विनियमित करते हैं,


कृत्रिम मिठास की प्राकृतिक मिठास वाले खाद्य पदार्थों से तुलना -
चीनी का विकल्प प्राकृतिक अर्थात सिंथेटिक या कृत्रिम अर्थात कुदरती मीठी चीजें दोनों ही हैं,
जैसा कि बिशेषज्ञ कहते हैं कि पौधों, फलों, शहद या दूसरे कई प्राकृतिक स्रोतों से कुदरती मिठास पाई जाती है,
और जब मानव जंगलों में निवास करते थे तभी से यह  इंसानों के खानपान का हिस्सा रही हैं, यहां तक कि बीसवीं शताब्दी के शुरूआती दौर में चीनी या सुक्रोज के मशहूर होने से पहले ही कृत्रिम मिठास एकमात्र विकल्प थीं,
       हालांकि यह बात भी है कि कृत्रिम मिठास की तुलना में प्राकृतिक मिठास वाले खाद्य पदार्थों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने की वजह से इनसे ब्लड ग्लूकोज भी नहीं बढ़ता और यह सामान्य चीनी की तुलना में प्राकृतिक मिठास वाली चीज़ों को शरीर धीरे-धीरे अवशोषित करता है, इसीलिए बिशेषज्ञ  प्राकृतिक मिठास वाली चीजें जैसे कि शहद, फलों के गूदे, ख़जूर वगैरह को डायबिटीज़ से प्रभावित लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद मानते है,
         हालांकि कृत्रिम मिठास वाले विकल्पों में सबसे ज़्यादा मशहूर स्टीविया है और बिशेषज्ञ इसकी मिठास को एकदम 'सही' मानते है क्योंकि  इसमें कैलोरी बिलकुल भी नहीं होती और इसका एक फायदा यह भी है कि स्टीविया ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रण में रखता है यही एक कारण है कि डायबिटीज़ से प्रभावित लोग इसे काफ़ी पसंद करते हैं,

प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास क्या है और कौन अधिक फायदेमंद है यह जानने के बाद आवश्यक है कि इन दोनों में ऐसा क्या अंतर है कि इनकी एक दूसरे से प्राय तुलना की जाती है तो सबसे पहले यह जानना अति आवश्यक है कि -
प्राकृतिक और कृत्रिम मिठास के बीच अंतर -
हालांकि प्राकृतिक और कृत्रिम मिठास के विभिन्न संवेदी गुण पोषक तत्व और स्वास्थ्य प्रभावी हो सकते हैं और इन अंतरों में शामिल हैं,

1.स्वास्थ्य लाभ और जोखिम -
प्राकृतिक मिठास और कृत्रिम मिठास की तुलना में
प्राकृतिक मिठास अधिक स्वास्थ्य लाभों से जुडी है  उदाहरणत - स्टीविया
क्योंकि स्टेविया में कोई कैलोरी या कार्बोहाइड्रेट नहीं होती  और  शोधकर्ता भी कहते है कि स्टेविया एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करती है दूसरा यह मधुमेह को कन्ट्रोल करती है क्योंकि यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है और भोजन के बाद रक्त शर्करा के संश्लेषण को कम करता है एक अन्य शोध अध्ययन में दिखाते हैं और बिशेषज्ञ भी मानते हैं कि
स्टेविया स्मृति को तेज करता है और मस्तिष्क के ऑक्सीडेटिव क्षति को कम करता है,साथ ही साथ इसके अनेक दुष्प्रभाव भी हैं जैसे कि यह गर्भनिरोधक के
रूप में कार्य करता है और प्रजनन समस्याओं और एलर्जी का कारण भी बनता है

प्राकृतिक मिठास मुख्य रूप से एगेव अमृत, डेट शुगर, हनी, मेपल सिरप, मोलासेस, नारियल अमृत, सोर्बिटोल, जो जामुन, फल, सब्जियों और मशरूम से निकाले जाते हैं इत्यादि प्राकृतिक मिठास के उदाहरण है,

जबकि कृत्रिम मिठास:
एसेसफ्लेम पोटेशियम, एस्पार्टेम, नियोटेम, सच्चरिन, सुक्रालोज, एडेप्टनेम इत्यादि कृत्रिम मिठास के उदाहरण है,

और दूसरी बात कृत्रिम मिठास प्राकृतिक मिठास की
तुलना में अधिक नकारात्मक स्वास्थ्य लाभों से जुड़ी है, और बिशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ कृत्रिम मिठास कुछ देशों में अपने कार्सिनोजेनिक गुणों के कारण निषिद्ध हैं, और कुछ
अध्ययन कहते है कि कृत्रिम मिठास जैसे कि एस्पार्टेम, सुक्रालोज़, इत्यादिजन्म दोष पैदा करते हैं और शुक्राणु उत्पादन, कैंसर, दाँत क्षय और वजन बढ़ने के साथ साथ यह हस्तक्षेप करके पुरुष बांझपन को बढ़ाते हैं,

आजकल आर्टिफिशियल स्वीटनर रोज़ाना खाई जाने वाली चीनी या सुक्रोज़ के मुक़ाबले लगभग 300 से 13000 गुना ज़्यादा मीठे होते हैं, शायद यही कारण है कि यह चीनी के विकल्प के तौर पर मशहूर हुए हैं, हालांकि माना जाता है कि इनके इस्तेमाल से भूख पर नियंत्रण होता है,
और इसलिए कुछ लोग वज़न में कमी,डायबिटीज़ पर क़ाबू या मेटाबॉलिज़्म से जुड़ी परेशानियों से बचाव करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं,
बिशेषज्ञ ने भी कुछ किस्म के आर्टिफ़िशयल स्वीटनर को इंसानों के लिए 'आमतौर पर सुरक्षित'बताकर, मंजूरी दी है,
हालांकि उन्होंने सीमित मात्रा में ही इनका इस्तेमाल करने की सलाह दी है,  जिस कारण हमारे स्वास्थ्य को कोई नुकसान न पहुंचे क्योंकि हर एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से अपने लिए ऊर्जा और कैलोरी की ज़रूरत अलग होती है जो की व्यक्ति के उम्र, लिंग, पोषक तत्वों और शारीरिक सक्रियता पर निर्भर होती है, 
         इसका मतलब यह नही है कि आप आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इसके दुष्प्रभावों की और ध्यान न दें अपितु आवश्यक है कि उसकी मात्रा इन्हीं पहलुओं को ध्यान में रखकर तय करें और इसे लेने के किए कोई भी एक आर्टिफिशियल स्वीटनर सिर्फ़ चीनी का विकल्प ही नहीं हैं अपितु और भी उससे बढ़कर काम कर रहे हैं और इन दिनों तो कुछ लोग चीनी के मुक़ाबले ज़्यादा पौष्टिक बताकर इसका प्रचार करते हैं  लेकिन क्या सच में
शुगर की जगह आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल
करना सेहत के लिए फायदेमंद है यह सवाल आज भी विवाद में है,
क्योंकि कृत्रिम मिठास का ज़्यादा इस्तेमाल करने से डायबिटिक लोगों का ब्लड,ग्लूकोज़ लेवल बढ़ सकता है. और कुछ अध्ययनों में पाया जाता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का ज़्यादा सेवन करने से ब्लैडर कैंसर, ह्रदय और किडनी से जुड़ी लंबे समय की होने वाली परेशानियों का ख़तरा बना रहता है, इसलिए बिशेषज्ञ यही सलाह देते हैं कि कृत्रिम मिठास का प्रयोग एक सीमित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि इसके दुष्प्रभाव अधिक घातक है क्योंकि अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है कि इसके इस्तेमाल करने से आपको कोई फायदा हो।
 
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