What is postpartum depression and how to get over it/ पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है और उस से कैसे निजात पाएं
जो महिला गर्भावस्था के दौरान होने वाली परेशानियां और बच्चे को जन्म देने की तकलीफ को आसानी से झेल जाती है, उसे प्रसव के बाद इस डर और तनाव के कारण कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलाव का सामना करना पड़ता है |यह बदलाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के होते हैं| कई बार नकारात्मक बदलाव आने के कारण महिला की तनाव का स्तर इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि वह तनाव के कारण डिप्रेशन का शिकार होने लगती है|
क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन-
शिशु को जन्म देने के बाद महिला अक्सर तनाव के कारण जब डिप्रेशन का शिकार हो जाती है, तो उस डिप्रेशन की स्थिति को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है| डिलीवरी के बाद महिलाओं में कई सारे बदलाव आते हैं |यह बदलाव भावनात्मक ,मानसिक और शारीरिक होते हैं |यदि यह बदलाव नकारात्मक होते हैं तो डिलीवरी के तुरंत बाद या लगभग 1 साल के अंदर महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजरना पड़ता है|पोस्टपार्टम डिप्रेशन के दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ापन ,चिंता ,उदासीनता, निराशा, अकेलापन भूख ना लगना या हर वक्त भूख लगना जैसे कई सारे लक्षण नजर आते हैं|
प्रेगनेंसी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्यों होता है-
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पोस्टपार्टम डिप्रेशन का खतरा महिलाओं को निम्न कारणों से हो सकता है-
1- प्रेगनेंसी के दौरान कोई महिला लगातार चिंता या परेशानी में रहती है ,तो डिलीवरी के बाद उसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने का खतरा बढ़ जाता है|
2- डिलीवरी के बाद उसकी जिंदगी में कोई तनावपूर्ण घटना जैसे कि तलाक ,किसी अपने की मृत्यु या फिर कोई गंभीर बीमारी का होना भी डिप्रेशन का कारण बन जाता है|
3- वह पहले से ही डिप्रेशन की मरीज हो|
4- परिवार और महिला के बीच बच्चे की देखभाल के लिए सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा हो|
5- पार्टनर के साथ सही रिश्ता ना होना|
6- सिंगल पैरंट की स्थिति में यदि बच्चा मां को लगातार परेशान करता है तो कई बार मैं डिप्रेशन की स्थिति में आ जाती है|
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का प्रकार-
एक रिसर्च के अनुसार पोस्टपार्टम डिप्रेशन एक तरह का मूड डिसऑर्डर है प्रेगनेंसी के बाद तीन तरह के मूड डिसऑर्डर्स होते है|1- पोस्टपार्टम ब्लूज- पोस्टपार्टम ब्लूज को आमतौर पर हम लोग बेबी ब्लूज के नाम से जानते हैं |बेबी ब्लूज 15 से 85 फिसदी माताओं को डिलीवरी के बाद होता है |इसके मुख्य लक्षण मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, थकान ,उदासी ,आंखों से आंसू आना आदि है| डिलीवरी के कुछ समय बाद ही महिला को इसका अनुभव होने लगता है और कुछ दिनों या हफ्तो के बाद बिना किसी नुकसान के यह खत्म भी हो जाता है| इस स्थिति को गंभीर नहीं मानते हैं, क्योंकि यह मां के यह बच्चे के लिए किसी भी तरह से नुकसानदेह नहीं होता है|
2- पोस्टपार्टम डिप्रेशन- नई माँ जब अत्यधिक तनाव में रहती है ,तो इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहा जाता है| मां का पोस्टपार्टम डिप्रेशन लंबे समय तक चलता है| पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षण है, नींद ना आना ,भुक कम या ज्यादा लगना ,एनर्जी की कमी, किसी कारण से खुद के मन में अपराध बोध की भावना होना, खुद को निगलेट करना या खुद को ही नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना आदि हो सकते हैं |डिप्रेशन की यही स्थिति गंभीर मानी जाती हैं और इसके परिणाम भी मां और बच्चे दोनों के लिए कई बार खतरनाक साबित होते हैं |यदि आंकड़ों की बात करें तो 15 फीसदी नई मांओ में पोस्टपार्टम डिप्रेशन देखने को मिलता है|
3- पोस्टपार्टम साइकोसिस - पोस्टमार्टम डिप्रेशन की सबसे खतरनाक की स्थिति पोस्टपार्टम साइकोसिस होती है |यह हजार में से एक या दो नई माओं को देखने को मिलती है |इसके लक्षण डिलीवरी के दो-तीन घंटे से लेकर 4 हफ्तों के अंतर्गत नजर आते हैं| जो महिला पोस्टपार्टम साइकोसिस की स्थिति से गुजर रही होती है वह हर चीज को शक की नजर से देखती है, उसे अजीब सी चीजे नजर आने लगती है| उसे कई बार खुद से ही डर लगने लगता है |यदि इस तरह के कोई भी लक्षण दिखे तो बिना किसी देरी किए मनोरोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क करना चाहिए|
कैसे पता करे कि नई मां पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर रही है-
नई माँ मे पोस्टपार्टम डिप्रेशन का पता लगाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें-• नए बने पेरेंट्स को यह बात पता होनी चाहिए कि डिलीवरी के बाद क्या क्या बदलाव महसूस किए जा रहे हैं|
• प्रसव के बाद ही कभी उदासी, दुखी मन ,चिंता, हताशा, अपराध बोध जेसे लक्षण नजर आए तो हो सकता है मां पोस्टपार्टम डिप्रेशन से गुजर रही हो| ऐसा कुछ भी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें|
• पोस्टपार्टम डिप्रेशन की पहचान करने के लिए कई बार व्यवहार में बदलाव को भी नोटिस किया जा सकता है |यदि मां में शारिरीक बदलाव के साथ-साथ मानसिक बदलाव भी है, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए|
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज-
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का इलाज मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए बहुत जरूरी है|1- दवाइयां- पोस्टपार्टम डिप्रेशन अपनी चरम सीमा पर होता है ,तो उसके उपचार के लिए एंटी डिप्रेशन का सेवन किया जाता है |एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं तनाव के लक्षण को दूर करने में मदद करती है| मगर इन दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए|
2- थेरेपी- पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निपटने के लिए मसाज थेरेपी के साथ-साथ टॉक थेरेपी भी काफी कारगर होती है| इसके अलावा डॉक्टर कई बार डिप्रेशन से निपटने के लिए हार्मोन थेरेपी का भी सहारा लेते हैं| इन थेरेपी के सहारे डिप्रेशन से आसानी से निजात मिल जाती है|
3- फैमिली सपोर्ट- डिलीवरी के बाद महिला के मन में परिवार और बच्चे की चिंता होने लगती है |ऐसे में परिवार के लोग महिला को इमोशनल सपोर्ट देकर उसे डिप्रेशन से बाहर निकाल सकते हैं| इसके साथ ही उसके कामों में मदद कर कर उसे डिप्रेशन से निकाला जा सकता है|
पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बचने के लिए क्या करें-
•महिला पोस्टपार्टम डिप्रेशन का शिकार ना हो इसलिए जरूरी है कि डिलीवरी के बाद घर का माहौल काफी अच्छा हो |अक्सर कई घरों में लड़की होने के बाद घर का माहौल खराब होने लगता है| घर के माहौल का भी असर महिला की मानसिक स्थिति पर पड़ता हैं|
• प्रसव के बाद महिला को हेल्थी डाइट दी जाए|
• महिला डॉक्टर की सलाह पर हल्की फुल्की एक्सरसाइज और योग कर सकती है|
• अपने करीबी लोग जैसे दोस्त ,मां -बाप ,भाई -बहन से फोन पर बात करें या उनसे मिलने जाए|
• पूरे समय बच्चे को संभालने की बजाये किसी और पर एक -2 घंटे के लिए बच्चे की रिस्पांसिबिलिटी किसी और को देकर खुद के लिए समय निकालें|
• पति के साथ क्वालिटी टाइम बीताएं|