What is the surrogacy cost in india? / इंडिया में सरोगेसी की कॉस्ट
आज के युग मे विज्ञान ने इतनी ज्यादा तरक्की की है कि सब कुछ विज्ञान के जरिए मुमकिन है| पहले के जमाने में जहां लोग अपने स्वयं की संतान के लिए भगवान के दरवाजे- दरवाजे जाकर दस्तक देते थे ,अब विज्ञान के दरवाजे पर दस्तक देते हैं| क्योंकि विज्ञान ने सरोगेसी के जरिए हर महिला को मां बनने का वरदान दे दिया है|
क्या है सरोगेसी-
विज्ञान ने हमारी जीवन शली को एक नई ऊंचाई दी है| और विज्ञान की ही प्रगति और विकास के कारण आज हमारी जीवनशैली आधुनिक कहलाती है |विज्ञान ने आज मानव मन को टटोल कर उसकी दबी हुई अधूरी सी ख्वाहिश को भी पूरा करने के साधन बना लिए हैं |वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई वह प्रक्रिया जिसमें एक महिला जो कभी मां नहीं बन सकती है उसका बच्चा किसी और महिला की कोख से जन्म ले सरोगेसी कहलाती है |कुछ महिलाओं के गर्भाशय में प्राकृतिक या तकनीकी कमी के कारण भ्रूण का विकास नहीं हो पाता ,बार-बार गर्भपात हो जाता है या फिर पति का संसर्ग ना मिल पाने के कारण महिलाएं मातृत्व सुख से वंचित रह जाती हैं| तो वे सेरोगेसी की सहायता ले सकती हैं| एक माँ ना बन सकने वाली महिला के लिए अपना खुद का बच्चा होना एक ख्वाब के पूरे होने की तरह है |
सरोगेसी यानी की वास्तविक मां की जगह एक दूसरी महिला उस बच्चे को रहने के लिए अपनी कोख में जगह देती है |एक तरह से बच्चा किराए की कोख में पलता है| सरोगेसी के लिए महिला के गर्भाशय में एग रिलीज होने के बाद उसे उस महिला के गर्भाशय से निकाल कर एक अन्य महिला जो सरोगेट मदर बनने वाली है कि गर्भाशय में पिता के शुक्राणुओं के साथ प्रत्यारोपित कर दिया जाता है |जहां पर पिता के शुक्राणु और माता के अंडाणु का मिलन हो कर के भ्रूण का बच्चे के रूप में विकास होता है |
इन दिनों पूरे इंडिया में सेरोगेसी काफी चर्चा में है कई बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज ने सरोगेसी के जरिए मातृत्व का सुख प्राप्त किया है| सेलिब्रिटीज की देखा देखी आजकल वर्किंग वूमेन जो सरोगेसी का खर्चा उठा सकते हैं 9 महीने की झंझट को ना पालते हुए सरोगेसी के जरिए मातृत्व का सुख प्राप्त करने को लालायित हो रही है|
कौन बन सकती है सेरोगेट मदर-
ऐसी महिला जिसकी उम्र 18 साल से 30 साल के बीच में हो और जो महिला पूरी तरह से मां बनने के लिए स्वस्थ हो सरोगेट मदर बन सकती है| मगर सेरोगेट मदर बनने के पहले उसे मेडिकल जांच से गुजरना जरूरी होता है |यदि मेडिकल जांच में सब कुछ सही रहता है तो महिला सरोगेट मदर बन सकती है|
इंडिया में सरोगेसी की कीमत-
आज जहां हवा पानी भोजन सब कुछ बिकता है, अब विज्ञान के बदौलत मां की ममता भी आसानी से बिक जाती है |वैज्ञानिकों ने यह सोचा भी नहीं था कि मानवता की प्रगति के लिए जो उन्होंने तकनीकी इजाद की है वह तकनीक लोगों के पैसे कमाने का जरिया बन जाएगी| सरोगेसी इतनी फलने फूलने की सबसे बड़ी वजह है गरीबी |गरीबी जहां लोगों को खून और किडनी तक बेचने को मजबूर कर देती है वहां कोख बहुत मामूली सी बात है |गरीब महिलाएं आसानी से पैसों के लिए सरोगेसी के लिए तैयार हो जाती हैं ,ताकि उनके घर की गरीबी कुछ हद तक दूर हो सके|
सरोगेसी में सरोगेट मां का खर्चा जेनेटिक माता-पिता उठाते हैं दूसरे देशों में जहां 35 से 40 लाख रुपए तक सरोगेसी का खर्च आता है वही भारत में केवल 4 से ₹500000 में गरीब महिलाएं आसानी से सरोगेट मदर बनने को तैयार हो जाती है| कम खर्च के कारण अब विदेशी लोग भी सरोगेसी के लिए भारत का रुख करने लगे हैं|
भारत के सबसे ज्यादा पर्यटन के लिए फेमस स्थल जैसे कि उड़ीसा ,केरल, तमिलनाडु, गोवा आदि में सरोगेसी एक बिजनेस की तरह अपने पैर फैला रही है| भारत में सरोगेसी एक ऐसा बिजनेस बन गया है| जिसमें इच्छुक पेरेंट्स को टूर ऑपरेटर एक पूरा पैकेज ऑफर करते हैं |इसमें उन लोगों के इंडिया आने जाने से लेकर सेरोगेट मदर और नर्सिंग होम सब तक वे लोग ले जाते हैं| इसमें उनका कमीशन जुड़ा होता है| आज भारत विदेशियों के लिए ऐसी जगह बन चुका है जहां सरोगेट मदर आसानी से मिल जाती है| सरोगेसी का इतना फैलाव होने का एक महत्वपूर्ण कारण यह भी एक ही भारत जैसे गरीब देश में रोजगार का अभाव है और सरोगेसी बिना किसी मेहनत के महिला और महिला के परिवार वालों को अच्छी-खासी रकम दिलवा देता है| सेरोगेट मदर का रहने खाने का खर्चा वही लोग उठाते हैं जो बच्चे के जेनेटिक माता-पिता होते हैं|
सरोगेसी के प्रकार-
सरोगेसी दो तरह की होती है
1- ट्रेडिशनल सेरोगेसी- ट्रेडिशनल सरोगेसी जनरली वे माता-पिता अपनाते हैं ,जिनमें महिला किसी भी तरह से मां बनने के योग्य नहीं होती है |इस प्रक्रिया में पिता के शुक्राणुओं को एक स्वस्थ महिला के अंडाणु के साथ मेडिकली निषेचित किया जाता है| शुक्राणु को सेरोगेट मदर के नेचुरल ओवुलशन के समय डाला जाता है |सरोगेसी में माता का बच्चे से कोई जेनेटिक रिलेशन नहीं होता है |उसका जेनेटिक रिलेशन सिर्फ पिता से होता है ,ऐसे में सरोगेट माता के कुछ गुण बच्चे में आने की संभावना होती है|
2- गेस्टेशनल सेरोगेसी- इस सरोगेसी में माता और पिता दोनों के अंडाणु और शुक्राणु का मिलन परखनली में करवा कर भ्रूण को सेरोगेट माता की बच्चेदानी में प्रत्यारोपित किया जाता है| इस प्रक्रिया में बच्चे का जेनेटिक संबंध मां और पिता दोनों से ही होता है |इसमें 1% अंश भी सेरोगेट मदर का नहीं होता है|
सरोगेसी जितनी आसान दिखती है उतनी आसान नहीं है |सरोगेसी में कई सारे ऐसे विवाद जुड़े हैं| जिसके कारण यहां विवादास्पद बनता जा रहा है, कई बार सेरोगेट मदर बच्चा पैदा होने के बाद भावनाओं के आवेश में आकर बच्चे को कानूनी माता-पिता को देने से इंकार कर देती है| ऐसे में यदि सरोगेट माता बच्चे की जेनेटिक मां हे तो बच्चे की चाह रखने वाली जेनेटिक माता पिता को मुश्किल से बच्चे की कस्टडी मिल पाती है |कई बार तो ऐसे मामले भी देखे गए हैं जिसमें बच्चा शारीरिक रूप से अक्षम या विकलांग पैदा होता है तो जेनेटिक माता-पिता उसे अपनाने से इंकार कर देते हैं ,तब सरोगेट माता को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है |इसके अलावा 1-2 केस ऐसे भी हुए की सरोगेसी का करार एक बच्चे का था मगर सरोगेट माता को जुड़वा बच्चे हो गए तब जेनेटिक माता-पिता ने दूसरे बच्चे को अपनाने से इंकार कर दिया |तब भी सरोगेट मां को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था क्योंकि गरीबी के कारण वह खुद उसकी देखभाल करने में सक्षम नहीं होती है |आजकल सरोगेसी में सबसे बड़ा विवाद यह है कि विदेशी गे दंपत्ति भारत सरोगेसी की तलाश में आते हैं |ऐसे में गे दंपत्ति के बच्चे को उसके अधिकार कैसे मिले|
आज सरोगेसी इतनी चर्चा में है कि यह समाज का ज्वलंत विषय बन गया है |जब सब कुछ बिकने लगा है तो क्या मां की ममता भी बिक जाएगी? हमारा आने वाला कल इससे बुरी तरह प्रभावित होने वाला है| एक और जहां जीवन की सफलता और करियर की भाग दौड़ में महिलाएं बच्चा पैदा करने से बचेगी और इस तरह के मामले ज्यादा सामने आएंगे| यदि समय रहते भारतीय सरकार ने इस पर कानून नहीं बनाए तो भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है|