What is the connection between mental health and HIV in women?


What is the connection between mental health and HIV in women?






जीवन की सच्चाई है कि हर वस्तु हमारे वश में नहीं होती कभी हमें खुद को उस सांचे में ढलना होता है तो कभी खुद को समय के साथ बदलना पड़ता है आज आधुनिक युग अविष्कारों की जननी है जहां नये नये तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है आधुनिक तकनीकी शिक्षा का विकास हो रहा है लेकिन माना कि पुरानी परम्पराओं को छोड़ नये विचारों को अपनाना कठिन है पर पुरानी परम्पराओं में नये विचारों का सामंजस्य कर जीवन में खुशियों की बहार ला सकते हैं,

   इसलिए शुरूआत करो परिश्रम करो सब आसान होगा,

   ऐसे ही दिनचर्या हर व्यक्ति बनाता है लेकिन उसका पालन करना उतना ही कठिन जितना प्राचीन परम्पराओं को छोड़ना,

   हजारों लोग अपनी खराब दिनचर्या और असंतुलित आहार के कारण अनेकों बीमारियों के शिकार हैं फिर भी वह अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान नहीं दे रहा और महिलाएं जिनके ऊपर घर की जिम्मेदारियों का बोझ रहता है अगर वह अपना ध्यान नहीं रखेगी तो उनका शरीर बेडौल और अस्त व्यस्त सा हो जाएगा तथा संभव है कि वह किसी बीमारी का शिकार हो जाए, क्योंकि आज एचआईवी वायरस जिसका कोई इलाज नहीं और वह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला कर हमारी बीमारी से लडने की क्षमता को कमजोर कर देता है,

   लेकिन सबसे पहले यह जानना अति आवश्यक है कि यह एचआईवी वायरस क्या होता है और इसका मानसिक स्वास्थ्य से क्या संबंध है,

   तो सर्वप्रथम एचआईवी वायरस क्या है -


एचआईवी यह एक किस्म का वायरस है जो कि अनेकों कारण जैसे असुरक्षित यौन संबंध बनाने या संक्रमित सुइयों और दवाओं का इंजेक्शन लगाते समय उपकरण को साझा करने से फैलता है जिसका अर्थ है कि यह  मानव प्रतिरक्षा वायरस है और यह वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है और यह संक्रमण बीमारी से लड़ने की क्षमता को कमज़ोर कर देता है,

अतः हम कह सकते हैं कि HIV एक प्रकार का वायरस है जो इम्यून सिस्टम को कमज़ोर कर देता है और HIV का पूरा नाम ह्यूमन‌ इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस है, यह

HIV शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं को नष्ट करने

का कार्य करता है और CD4 कोशिकाओं को सेल याद

कोशिका भी कहा जाता है और यह एक प्रकार की प्रतिरक्षा

कोशिकाएं होती हैं तथा समय बीतने के साथ यह वायरस जैसे CD4 या प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है, वैसे ही हमारा शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है,

और एड्स, एचआईवी संक्रमण का अंतिम चरण होता है, अर्थात इसका आशय है कि शरीर अत्यन्त कमजोर और जीवन जीने के के लिए ख़तरे वाले संक्रमण से लड़ने में असर्मथ है,

माना कि एचआईवी के लिए कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन यदि आप एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं तो इसके लिए लोगों को सक्षम बनाने के लिए इसके अनेक उपचार हैं जिससे व्यक्ति अपना जीवन यापन कर सकता है,

लेकिन यह जानना अति आवश्यक है कि यह कैसे फैलता है तो

एचआईवी वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है इसके अनेक कारण है जैसे -


1.खून के द्वारा -

जब हालीबीमारी में किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी नॉर्मल व्यक्ति को डोनेट किया या चढ़ाया जाता है तो

ऐसे में नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में HIV वायरस प्रवेश कर

सकता है,

2.सीमेन या वीर्य के द्वारा -

यदि किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का सीमेन किसी नार्मल

स्त्री के शरीर में जाता है तो ऐसे में उसे HIV का संक्रमण हो

सकता है,

3.स्तनपान के द्वारा -

यदि कोई महिला HIV वायरस से  पीड़ित हैं और साथ ही वह गर्भवती है और उस महिलाके दूध में HIV वायरस मौजूद है और वह HIV पीड़ित महिला शिशुको स्तनपान

कराती है तो शिशु को HIV का संक्रमण हो सकता है,

4. योनि या वेजाइनल तरल के द्वारा -

महिलाओं की योनि में एक चिपचिपा तरल पदार्थ पाया

जाता है और यदि महिला HIV पीड़ित है तो इस तरलपदार्थ में HIV वायरस मौजूद है और ऐसे में यदि वह महिलाकिसी पुरुष के साथ संबंध बनाती है तो उस पुरुष को भी HIV होने का ख़तरा बढ़ सकता है

5.) असुरक्षित यौन संबंधों के द्वारा

जैसा कि डॉक्टर कहते हैं कि HIV से पीड़ित व्यक्ति के खून, सीमेन और वेजाइनल फ्लूड में HIV वायरस मौजूद होता है और ऐसे में वह यदि असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करता है तो HIV संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है,


अब यह जानना अति महत्वपूर्ण है कि एचआईवी कैसे फैलता है


एचआईवी जुकाम या फ्लू आदि वायरस की भांति आसानी से नहीं फैलता बल्कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों में पाया जाता है, जिसमें वीर्य और योनि तरल पदार्थ, रक्त, गुदे के अंदर और स्तन का दूध शामिल होता हैं

और डाक्टर कहतै है कि केवल लार द्वारा एचआईवी को संचारित नहीं किया जा सकता है लेकिन एचआईवी वाले किसी व्यक्ति की लार संक्रामक हो सकती है यदि उसमें रक्त या शरीर के अन्य तरल पदार्थ शामिल हों,


अब यह जानना अति महत्वपूर्ण है कि एचआईवी और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे से कैसे संबंध है त

एचआईवी वायरस के साथ रहने वाली महिलाएं उच्च दर पर अवसाद, चिंता और तनाव के लक्षणों का अनुभव करती हैं एचआईवी-अप्रभावित महिलाओं की तुलना में

ये मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे महिलाओं के जीवन की भलाई और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं,

और पहली बात सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है एचआईवी के साथ रहने वाले लोग अवसाद है

क्योंकि महिलाओं का ह्रदय बड़ा कोमल होता है और वह बहुत जल्दी ही चिंतित हो जाती है ऐसे में ऐसा वायरस जिसका कोई इलाज न हो तो ऐसे में तनाव होना स्वाभाविक है और अवसाद हल्के से लेकर गंभीर हो सकता है,साथ ही अवसाद के लक्षण दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं और इस वायरस एचआईवी से संबंधित चिकित्सीयस्थितियां और एचआईवी दवाएं दोनों ही अवसाद में योगदान कर सकती हैं

और इसके लक्षण निम्न हैं -

1.जो महिला हमेशा खुश रहती थी वह हर समय उदास या चिंतित महसूस करे,

2.जो महिला कार्य करना पसंद करती थी अब ऐसी गतिविधियाँ नहीं करना चाहती जो

3.तथा चिंता और घबराहट के दौरे आना,

4.चिड़चिड़ापन और गुस्सा होना,

5.अत्यधिक रोना और बहुत तेजी से मिजाज़ बदलना,

6.भूख की समस्या

7.परिवार और दोस्तों से बचना

8.नींद न आना या बहुत अधिक नींद आना

9• थकान या ऊर्जा की कमी

10पहले जिसमें मजा आता था उनको अब उन कामों मे

दिलचस्पी न होना

11.फालतू होने, शर्म और अपराध की भावना

12• बार-बार आत्महत्या का ख्याल आना आदि मानसिक तनाव का शिकार एचआईवी वायरस से संबंध रखती है क्योंकि सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में से एक है एचआईवी के साथ रहने वाले लोग अवसाद है,


अब यह प्रश्न उठता है कि क्या इसका कोई इलाज नहीं है तो डॉक्टर का कहना है कि हां अगर मन में विश्वास है तो कोई भी इस स्थिति को बदल सकता है,

लेकिन अनेकों बार महिलाओं के साथ हमेशा उनके नज़दीकी लोगों या अजनबियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है फिर भी वे इस प्रताड़ना से अनजान होती हैं उन्हें समझना होगा और उसके खिलाफ आवाज उठाना, या महिलाओं को अपनी सोच को लेकर जो खुद पर ठप्पा लगने का डर है उससे बाहर निकलना होगा साथ ही समस्या को पहचानने और उसे स्वीकार कर इस समस्या का हल निकल सकता है,

अन्यथा नहीं,


मानसिक स्वास्थ्य और एचआईवी

जैसा कि आप जानते हैं कि हर व्यक्ति किसी न किसी बिंदु पर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करता है और उनमें  प्रमुख तनाव-जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु, तलाक, नौकरी छूटना या हिलना-डुलना-मानसिक स्वास्थ्य पर एक बड़ा प्रभाव डालता है  और स्वयं एचआईवी जैसी गंभीर बीमारी का होना, बड़े तनाव का एक अन्य स्रोत है क्योंकि  एचआईवी का निदान मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को जटिल बनाता है एचआईवी और कुछ अवसरवादी संक्रमण हमारे तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करते हैं और जिस कारण हमारे व्यवहार में बदलाव आ सकता हैं,

  साथ ही कुछ उपाय है जो लोगों को जितना संभव हो सके सामान्य जीवन जीने में सक्षम बनाते है, और तो और

  एंटीरेट्रोवायरल नामक दवाई द्वारा प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने का काम करती है और यह दवाई गोलियों के रूप में काम में आती हैं, जिन्हें प्रतिदिन लेने की  आवश्यकता है,और इसके अलावा आप नियमित व्यायाम एक स्वस्थ आहार और धूम्रपान बंद कर अपने गंभीर बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते है साथ ही समय समय पर सालाना फ्लू इंजेक्शन और पांच-वर्षीय न्यूमोकोकल टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है इसलिए ऐसा नहीं है कि आप इससे छुटकारा नहीं पा सकते लेकिन आपको धैर्य रखना होगा तो आप स्वस्थ जीवन शैली जी सकते है,

इस तरह हम कह सकते हैं कि एचआईवी और मानसिक स्थिति का आपस में संबंध है क्योंकि एचआईवी वायरस के साथ रहने वाली महिलाएं उच्च दर पर अवसाद, चिंता और तनाव के लक्षणों का अनुभव करती हैं एचआईवी-अप्रभावित महिलाओं की तुलना मे।


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